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Government policies have become more supportive than before : Shikharchand Jain (Textile Industrialist) !! सरकार की नीतियां पहले से ज्‍यादा सहयोगपूर्ण हो गई है : शिखरचंद जैन (टेक्‍सटाइल उद्योगपति)

  






मुंबई:२०२४/०९/२२: सरकार की नीतियां पहले से ज्‍यादा सहयोगपूर्ण हो गई है। व्‍यापार की सुरक्षा के लिए सरकार ने काफी बढियां काम किए हैं। मगर हमलोग उस नाले की कीड़े की तरह हैं जो मखमल पर रखने के बाद जी नहीं पाता है। टेक्‍सटाइल उद्योगपति शिखरचंद जैन ने यह जानकारी दी।


श्री जैन आरआरलीन के एमडी हैं। वे हिंदुस्‍तान चैंबर ऑफ कामर्स के अध्‍यक्ष रह चुके हैं। टेक्‍टाइल जगत का उनका एक लंबा अनुभव है। मुंबई में टेक्‍टाइल जगत की गिरती हालत से वे बेहद निराश हैं।

 

श्री जैन ने कहा कि व्‍यापार बढ़ाने के लिए सरकार ने इतनी सुविधा दी है। बैंकों के लोन लेने की स्थितियां सरल कर दी है। स्‍टार्टअप की कितनी योजनाएं सरल हो गई हैं। व्‍याज के रेट कम कर दिया गया।  आज सरकार का रवैया पहले से ज्‍यादा सहयोगपूर्ण है।

 

उन्‍होंने कहा कि दर असल टेक्‍सटाइल उद्योग में संभावनाएं अनंत हैं। व्‍यापार की कमी नहीं है। आज सूरत में हर १५ दिनों में एक नया मारकेट खुला जाता है। यहां मुंबई में हर  १५ दिनों में एक दुकान बंद हो जाती है।

उन्‍होंने कहा कि सूरत में आज ५०० नए मारकेट हैं। वहां व्‍यवस्‍था सरल है। कानून सहयोगपूर्ण है। यहां कानून भी प्रतिकूल है और व्‍यवस्‍था भी, और सरकारी नीति भी

 

केंद्र सरकार ने एमएसएमई को बचाने के लिए नीति बनाई और स्‍वयं व्‍यापारियों ने उसका विरोध किया। सरकार ने जीएसटी लाया था तो व्‍यापारियों ने विरोध किया था। आज जीएसटी के कारण व्‍यापार व्‍यवस्थित हो गया है। अब कोई धपला नहीं है, फर्जी नहीं है। हम अच्‍छी नीतियों का विरोध करते हैं, यह उचित नहीं है।

  

उन्‍होंने कहा कि अब मुंबई कहने को कपड़े की मंडी है। यहां से अधिकांश कपड़ा उत्‍पादक जा चुके हैं। कालबादेवी से अधिकांश कपड़ा उत्‍पादक अपना मुख्‍यालय भिवंडी लेकर चले गए। अब  कुछ लोग कालवादेवी, कुछ अंधेरी ईस्‍ट और कुछ लोअर परेल में बचे हैं। अब मुंबई में पहले जैसा फैब्रिक उत्‍पादकों का जलबा नहीं रहा।

 

उन्‍होंने कहा कि बेशक मुंबई आज भी गारमेंट उद्योग का प्रमुख केंद्र है। मगर फैब्रिक उद्योग का केंद्र आज मुंबई नहीं रहा। फैब्रिक उद्योग मुंबई से भिवंडी सिफ्ट हो गया है। मगर वहां कोई चैंबर नहीं है। वहां सड़कों की हालत अच्‍छी नहीं है। ट्रांस्‍पोर्ट अच्‍छा नहीं है। मगर फिरभी फैब्रिक उद्योग वहां सिफ्ट होता जा रहा है।

 

उन्‍होंने कहा कि ऐसा नहीं कि संसार की आवादी कम हो रही है। ऐसा नहीं कि लोगों ने कपड़ा पहनना कम कर दिया है। मगर फिरभी लोग रो रहे हैं कि कपड़ा का व्‍यापार पहले जैसा नहीं रहा। इसका कारण यह है कि कपड़ा का उत्‍पादन बहुत ज्‍यादा है। कपड़ा का सप्‍लाई बहुत ज्‍यादा है। खपत उतनी नहीं है। पहले एक आदमी के पास औसतन मुश्किल से दो जोड़ी कपड़े होते थे। अब एक आदमी के पास दस बीस जोड़ी कपड़े होते हैं। दुनियां की आबादी पहले कभी 2 अरब थी। अब वह बढ़कर 8 अरब पहुंच गई है। कपड़े की खपत भी उसी अनुपात में बढ़ी है।

 

मगर हुआ यह है कि आधुनिक मशीनों की खोज हुई । बढि़यां से बढि़यां कपड़ा बनने लगा। मशीनों ने ज्‍यादा गति से कपड़ा बनाना शुरू कर दिया। उत्‍पादकों को एक हवस हो गई कि हमारा व्‍यापार और बढ़ना चाहिए। इसी चक्‍कर में उत्‍पादन इस कदर बढ़ा कि आज बाजार में सप्‍लाई ओवर हो गया है।

 

आज टेक्‍नीकल टेक्‍सटाइल की खपत बढ़ गई है। कपड़े का बहुत उपयोग है। कार बनाने में इसका उपयोग है। रेल यात्रा में इसका उपयोग है। हवाइ जहाज बनाने में इसका उपयोग है। सड़क बनाने में इसका उपयोग है। मगर हम उसके अनुरूप विकास कैसे करें यह नहीं जानते हैं। पुराने लोग नई खोज करना नहीं चाहते हैं।

 

Government policies have become more supportive than before and the government has done a lot of good work for the protection of business: Shikharchand Jain (Textile Industrialist)

 

Mumbai: 2024/09/22: Government policies have become more supportive than before. The government has done a lot of good work for the protection of business. But we are like the worm in the drain which cannot survive after being placed on velvet. Textile industrialist Shikharchand Jain gave this information.

 

Mr. Jain is the MD of R R Lene. He has been the President of Hindustan Chamber of Commerce. He has a long experience in the textile world. He is very disappointed with the deteriorating condition of the textile world in Mumbai.

 

Mr. Jain said that the government has given so many facilities to increase business. The conditions for taking loans from banks have been simplified. So many schemes of startups have become simpler. The interest rates have been reduced. Today the attitude of the government is more supportive than before.

 

He said that actually the possibilities in the textile industry are endless. There is no dearth of business. Today in Surat, a new market opens every 15 days. Here in Mumbai, a shop closes every 15 days.

 

He said that today there are 500 new markets in Surat. The system there is simple. The law is cooperative. Here the law is hostile and so is the system, and so is the government policy.

 

The central government made a policy to save MSMEs and the traders themselves opposed it. When the government introduced GST, the traders opposed it. Today, due to GST, business has become organized. Now there is no fraud, nothing fake. We oppose good policies; this is not right.

 

He said that now Mumbai is just a cloth market. Most of the cloth producers have left from here. Most of the cloth producers from Kalbadevi shifted their headquarters to Bhiwandi. Now some people are in Kalwadevi, some in Andheri East and some in Lower Parel. Now Mumbai does not have the same kind of influence of fabric producers as before.

 

He said that of course Mumbai is still the main center of garment industry. But the center of fabric industry is no longer Mumbai. Fabric industry has shifted from Mumbai to Bhiwandi. But there is no chamber there. The condition of roads is not good there. Transport is not good. But still the fabric industry is shifting there.

 

He said that it is not that the world's population is decreasing. It is not that people have stopped wearing clothes. But still people are crying that the business of clothes is not the same as before. The reason for this is that the production of clothes is very high. The supply of clothes is very high. The consumption is not that much. Earlier, on an average a person hardly had two pairs of clothes. Now a person has ten to twenty pairs of clothes. The world's population was once 2 billion. Now it has increased to 8 billion. The consumption of cloth has also increased in the same proportion.

 

But what happened was that modern machines were invented. Better and better cloth began to be made. Machines began to make cloth at a faster speed. The producers became obsessed with growing their business. In this pursuit, production increased so much that today there is supply over in the market.

 

Today the consumption of technical textile has increased. Cloth has many uses. It is used in making cars. It is used in rail travel. It is used in making airplanes. It is used in making roads. But we do not know how to develop accordingly. The old people do not want to invent new things.

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