कैबिनेट ने आज The Farming Produce Trade And Commerce Promotion And Facilitation
Ordinance 2020 को अपनी मंजूरी दे दी है। भारतीय
किसानो के लिए २०२० का यह अध्यादेश अब कानून बन जाएगा। अब इसे संसद से मंजूरी दे
दी जाएगी। अब इसमें कोई मुश्किल नहीं आने वाली है। वित्त मत्री निर्मला सीतारमण ने यह आज स्पष्ट कर
दिया।
यह दिन किसानों की आजादी का एक पर्व है।
यह दिन
किसानों की आजादी का एक पर्व है। यह किसानो को बेडि़यों से बाहर लाने के मार्ग में
एक माइल स्टोन है। अब किसानो और कारोबारी को अपनी उपज बेचने और खरीदने की आजादी
मिल जाएगी।
आत्मनिर्भर भारत के संदर्भ में
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह कह दिया था कि जो एसेंसियल कमोडिटी एक्ट है, और जो APMC है, उन दोनो की जो बेडि़यां हैं, उससे आजादी दी जाएगी। और आज जो
कैबिनेट का यह फैसला हुआ, यह
उस दिशा में एक कदम है।
इससे पूर्व की सरकारों ने किसाने को ठगने के अलावा कुछ नहीं किया
इससे पूर्व
की सरकारों ने किसाने को ठगने और बेवकूफ बनाने के अलावा कुछ नहीं किया। ७० सालों से
किसानो को ठगा जा रहा था। अब जाकर यह सरकार किसान, गांव, खेत की बात कर रही है। उनके लिए
कैसे फैसले ले रही है। किसानो के बेहतर भविष्य की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम
है। यह अत्म निर्भर भारत अभियान का हिस्सा है, यह किसानो के लिए एक विशेष आर्थिक पैकेज है। हम बड़े परिदृष्य में यह कहें कि
पोस्ट कोविड पिरियड में जो दुनिया बदलेगी, उसमें भारत की स्थिति क्या होगी, वह काफी हद तक इसी पर निर्भर करेगा कि किसान की हालत
कहां तक सुधरती है।
अब किसान अपनी उपज की कीमत तय कर सकेंगे
अब किसानो के पास यह अधिकार होगा कि वह अपनी उपज
की कीमत तय कर सके। अब तक किसानों को अपने
उत्पाद की कीमत तय करने का अधिकार नहीं था। अब जो अध्यादेश आया है, The farming produce trade and
commerce promotion and facilitation ordinance 2020 वह किसानो को यह अधिकार देता है कि वह अपने उत्पाद की
कीमत तय कर सकता है। बहुत जरूरी था। यह लम्बे समय से प्रतीक्षित था।
२००३ में अटल बिहारी वाजपेयी ने राष्ट्रीय कृषि आयोग बनाया
२००३ में जब केंद्र में NDA की सरकार थी, और अटल बिहारी
वाजपेयी भारत के प्रधान मंत्री थे राष्ट्रीय कृषि आयोग बना । २००६ में उसकी
शिफारिसें आ गयी थीं। UPA सरकार ने उसे ठंढे बस्ते में डाल दिया। प्रोफेसर
एम एस स्वामिनाथन साहब की यह रिपोर्ट थी। उसको अब जाकर मोदी सरकार ने लागू किया।
२०१५ से
अच्छा बीज, सिंचाई, कर्ज, जमीन का स्वास्थ
आदि पहलुओं पर काम किया गया।
अब इसके बाद जरूरी था कि किसानो को अपनी उपज की
कीमत तय करने का अधिकार मिल जाय। अब उनको यह अधिकार मिलेगा। इस अध्यादेश के बाद जैसे
जैसे बाजार खुल रहा है। अब वे एक राज्य
से दूसरे राज्य के बीच आसानी से कारोबार कर सकेंगे।
पहले अलग अलग जगह जो मंडियां हैं, वहां Agriculture
produce market committee होती थी। वह किसानो के उत्पाद का मूल्य तय करता था ।
किसान मंडी के बाहर उत्पाद नहीं बेच सकता था।
किसानो को गिरे हुए मूल्य पर सामान बेचना पड़ता था
इसमें यह होता था कि
किसान एक बार जब मंडी में माल लेकर आ गया तो उसे मजबूरी हो जाती थी कि उसे गिरे
हुए मूल्य पर सामान बेचना पड़ता था। क्योंकि वहां अलग अलग तरीके से मंडी पर
लोगों का कब्जा होता था। Agriculture produce market committee की राजनीति एक बड़ी
राजनीति होती थी।
अब वे किसोनो को वे रोक नहीं पाएंगे
अब के इस अध्यादेश The
farming produce trade and commerce promotion and facilitation ordinance 2020 के बाद किसोनो को वे
रोक नहीं पाएंगे । वे चाहेंगे तो APMC मंडी के बाहर बेच लेंगे।
पहले राज्यों में कुछ रजिस्टर्ड लाइसेंसी होते थे, उन्हीं को किसान अपनी
उपज बेच सकता था। अब वह नहीं रहा। पहले एक राज्य से दूसरे राज्य में उत्पाद ले
जाना बहुत बड़ी मुश्किल थी। उसको इस अध्यादेश के द्वारा ठीक किया गया। तब किसानो
को अपनी उपज की कीमत नहीं मिलती थी ।
कृषि के संबंध में यह सबसे बेहतर फैसला है
अब वह समस्या खत्म हो गयी।
यह अध्यादेश तय करेगा कि उनको बेहतर कीमत मिल सके। Electronic
national Agriculture market में आप अपनी उपज रजिस्टर करा लें और देश के किसी दूसरे
हिस्से में बैठा किसान या कारोबारी उसे खरीद सकता है। इससे किसानो को उनकी उपज की
कीमत तो ठीक मिलेगी ही साथ साथ अब जिस जगह सोरटेज है वहां का कारोबारी दूसरी जगह
से भी खरीद सकता है। यह one country one market होने से मूल्य संतुलित
भी रहेगा। कृषि के संबंध में अब तक जो भी फैसले हुए हैं, उसमें यह सबसे बेहतर
फैसला है।
९ करोड़ ५४ लाख किसानो को पी एम किसान निधि पहुच गयी
इस लॉक डाउन के दौरान पी
एम फसल बीमा योजना के तहत अबतक किसानो को ८०९० करोड़ रुपया दिया गया। ९ करोड़ ५४
लाख किसानो को पी एम किसान निधि पहुच गयी। मगर इन सबों के बावजूद यदि किसानों को
अपने फसल की कीमत तय करने का अधिकार नहीं
होता तो उसे इनका कोई फायदा नहीं होता।
Electronic national Agriculture market से ७८५ मंडियां जुड़ गयीं
Electronic
national Agriculture market से ७८५ मंडियां जुड़ गयीं। मगर जरूरी है कि स्थानीय स्तर
पर ये मंडियां सही तरीके से काम करे। इसकी
जिम्मेदारी किसान नेता की जन प्रतिनिधि की और खुद किसान की है कि वह अपने हक के
लिए लड़े। वह इसपर नजर रखे कि कोई गड़बड़ तो नहीं हो रही है। अगर कोई गड़बड़ हो
रही है तो उसे वह ठीक करे। इसका लाभ उठाना चाहिए।
नरेंद्र मोदी सरकार ने कहा था कि २०२२ तक किसानो की अमदनी दूना करेंगे
यह ऐतिहासिक फैसला है। नरेंद्र
मोदी सरकार ने कहा था कि २०२२ तक किसानो की अमदनी दूना करेंगे। उस दिशा मे यह सबसे
बड़ा कदम है।
पिछली सरकारें कर्ज माफ
करती थी यह एक बेहूदा योजना थी। इसने किसानो का कोई लाभ नहीं किया। इससे बैंकों का
दिबालिया निकल गया साथ ही इससे किसानों का भी दिबलिया निकल गया।
यदि किसानों को अपने उपज
की सही कीमत मिल पाए तो वह कर्ज में रहेगा ही नहीं। मोदी सरकार जमीनी हकीकत के
प्रति सजग है। वह चाहती है कि किसान ताकतवर बने।
१४ खड़ी फसलों की एम एस पी सरकार ने ८० से ८३ फीसदी तक बढायी है
बेशक जब जरूरत हो तो
उनके लिए भी वैसे राहत पैकेज आए जैसे इंडस्ट्री के लिए आता है। जरूरत हो तो उनको
इंसेंटिव मिले। मगर उनको कर्ज के चक्र में फसाने की योजना से बचाने की जरूरत थी ।
और उस दिशा में सरकार काम कर रही है। अभी १४
खड़ी फसलों की एम एस पी सरकार ने ८० से ८३ फीसदी तक बढायी है। इन छोटे छोटे फैसलों
से किसानो को बड़ा लाभ मिलने वाला है। देश में किसान खेत और गांव सुधरेगा तभी देश
का वास्तिविक कल्याण हो पाएगा।





.jpg)
.jpg)










.jpg)
.jpg)

0 टिप्पणियाँ
Please do not enter any spam links in the comment box.