कांग्रेस पार्टी का टूल किट उजागर हो चुकी है
कांग्रेस पार्टी की टूल किट उजागर हो चुकी है। अब कांग्रेस पार्टी इस टूल किट पर ज्यादा बात नहीं करना चाहती है। उसे लग रहा है कि यदि इस पर ज्यादा चर्चा होगी तो इसे साबित करने की कोई जरूरत ही नहीं पड़ेगी । सब कुछ सामने है। कुछ छिपा हुआ नहीं है।
उन्होंने कुंभ मेले को सुपर स्प्रेडर कहा कि नहीं यह जानने के लिए किसी टूल किट टूल किट की जरूरत नहीं है। कांग्रेस ने ईद पर ज्यादा चर्चा नहीं की, यह जानने के लिए किसी टूल किट टूल किट की जरूरत नहीं है। वे पहले बता चुके हैं।
लेकिन इस सबके पीछे क्या है? राहुल गांधी का भारत में भरोसा नहीं बन सकता है। आप जरा अनुमान लगाइए।
इस टूल किट में कांग्रस फंस गयी है। अब वह यह चाहती है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पर भी देश का भरोसा कम हो। ईस टूल किट में राहुल की छवि निर्माण की कोई कोशिश नहीं दिखती है। इसमें मोदी की छवि ध्वस्त करने की कोशिश नहीं दिखती है।
उन्होंने २०१४ से २०१९ तक उन्होंने छिटफुट कोशिश की। जब राहुल गांधी २०१९ में भी बुरी तरह हार गये, तो उनके सलाहकारों ने भी हैंड्स अप कर दिया । वे हतास, निराश, कुंठित आत्मा हो गये। राहुल के पीछे जो जमात खड़ी थी, वह राहुल के उपर ही चढ़ बैठे। उन्होंने उसे खूब गरियाया, टीवी चैलनों पर।
मगर सोनिया जी तो सोनिया जी हैं। गांधारी हैं। पत्रमोह है। आंख रहे न रहे, पुत्रमोह दोनो में होता है। पट्टी दोनो में रहता है। सोनियां जी की पुत्रमोंह में पट्टी बंधी हुयी है। उन्होंने नहीं माना। विरोध को साजिसी सिद्धांत बताया। अंत में भैया अध्यक्ष तो राहुल जी ही होंगे। इस तरह उन्होंने कांग्रेस को वहां पहुंचा दिया जहां थक हार कर आज वह आ गयी है। हां भाई तुम ठीक बता रहे हो कि कांग्रेस परिवार के अलावा कोई इस पार्टी को चला नहीं सकता है।
जब कुछ नहीं मिला तो कहा कि युवक कांग्रेस के जरिए कुछ बड़े पत्रकारों कों, कुछ महिमामंडित करने वाले ट्विटर हैंडरों को, मदद कराते हैं। और राहुल गांधी की छवि निर्माण के लिए श्रीनिवास की टीम बनी। मगर वे असफल रहे।
ये जो टूलकिट में कांग्रेस पार्टी फंस गयी है, उसका क्या इलाज है? अगर इसका इलाज कांग्रेस पार्टी नहीं खोज पा रही है, तो वह नरेंद्र मोदी की छवि बिगारने का चाहे जिनता भी प्रयास कर लें, यह सफल नहीं होगा।
राजनिति में चलता तो यही है कि अपनी लकीर को बड़ी करनी पड़ती है। दूसरे की लकीर छोटे करने से काम नहीं होता है।
जबकि आप नरेंद्र मोदी को देखिए, उनकी राजनैतिक यात्र को देखिए, उन्होंने कितनी मिहनत की, इतनी ताकत लगाई, इतनी बड़ी पार्टी, इतना कैडर, इतना एजेंडा, इतना सोशल मीडिया, और पता नहीं क्या क्या किया, गुजरात मौडल, इतने वर्षों तक मुख्य मंत्री, उससे पहले पार्ट के संगठन मंत्री, प्रचारक, स्वयं सेवक, सामान्य कार्य कर्ता। मनमोहन सिंह जी को कुछ नहीं करना पड़ा।
२००९ में आडवानी जी सोच रहे थे कि वे प्रधान मंत्री बनेंगे मगर मनमोहन सिंह फिर दूसरी बार प्रधान मंत्री बने।
कांग्रेस नरेंद्र मोदी की छवि खराब करने की कोशिश करते रहे, और नरेंद मोदी जीतते रहे। जीतते रहे। मुख्य मंत्री बनते रहे। और अब तो वे प्रधान मंत्री भी दुबारा बन गये।
इस टूल किट लगता है कि ऐसा कुछ हमला कर दिया जाय, जिससे प्राधान मंत्री नरेंद्र मोदी की छवि खराब किया जा सके। अब इस टूल किट में फंस गयी कांग्रेस। उबर नहीं पा रही है।
और अभी जो स्थिति है उसमें कोई छिपी बात नहीं है। सब जान गये हैं। अब यह मत कहिए कि एक्सपोस्ड हुए हैं। कहिए कि फंस गये हैं। यह कांग्रेस के लिए और बड़ा संकट हो गया है। इसको इस तरह से भी देखे जाने की जरूरत है।
किसी की भी छवि एक सीमा से ज्यादा बिगारने को उसे लाभ होता है।
(सौजन्य : श्री हर्षवर्धन त्रिपाठी, पत्रकार, विचारक)




.jpg)
.jpg)










.jpg)
.jpg)

0 टिप्पणियाँ
Please do not enter any spam links in the comment box.