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अगस्त-नवंबर 2021 में भारतीय सूती धागे और कपड़े का निर्यात बढ़ा

 


 

नई दिल्‍ली: १२ जनवरी 2022:  भारत से सूती धागे और सूती कपड़े का निर्यात मौजूदा कपास विपणन वर्ष 2021 के पहले चार महीनों (अगस्त-नवंबर) के दौरान बढ़ा है। इसी अवधि के दौरान कपास ( फाइबर) के आयात में भी वृद्धि हुई है। अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) द्वारा जारी भारतीय कपास उद्योग पर एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।

 

भारत सरकार की एजेंसियों के आंकड़ों का हवाला देते हुए, यूएसडीए ने कहा कि वर्ष 2020-21 में कपास का निर्यात बढ़कर 7926,948 गांठ हो गया  जबकि वर्ष 2019-20 में यह 4100,343 गांठ था। पिछले विपणन वर्ष में कपास का निर्यात लगभग दोगुना हो गया। चालू विपणन वर्ष 2021-22 (अगस्त-नवंबर) के पहले चार महीनों के दौरान कपास के निर्यात में उतनी तेजी नहीं आई।  इस सीजन की शुरुआत से ही कपास की कीमतें ऊंची बनी हुई हैं। अगस्त 2021 में 344,927 गांठ कपास का निर्यात किया गया।  इसके बाद सितंबर में 275,838 गांठ, अक्टूबर में 251,628 गांठ और नवंबर में 676,471 गांठ कपास का निर्यात किया गया। पिछले विपणन वर्ष 2020-21 में अगस्त में 339,733 गांठ, सितंबर में 448,626 गांठ, अक्टूबर में 529,193 गांठ और नवंबर में 782,566 गांठ का निर्यात किया गया था। इस विपणन वर्ष की शुरुआत के बाद से कपास की कीमतों में वृद्धि के कारण अगस्त को छोड़कर तीन महीनों में सूती धागे के निर्यात में गिरावट आई है।

यूएसडीए की रिपोर्ट के अनुसार, भारत से कपास के निर्यात की तुलना में आयात में विपरीत प्रवृत्ति थी। विपणन वर्ष 2019-20 में भारत में कपास का आयात 2920,003 गांठ था, जो वर्ष 2020-21 में घटकर 1080,575 गांठ रह गया। लेकिन चालू सीजन के चार महीनों में आयात में इजाफा हुआ है। अगस्त 2021 में 78,373 गांठ कपास का आयात किया गया। सितंबर में 92,771 गांठ, अक्टूबर में 81,072 गांठ और नवंबर में 68,235 गांठ कपास का आयात किया गया। इसकी तुलना में पिछले विपणन वर्ष 2020-21 के दौरान अगस्त में 60,682 गांठ, सितंबर में 88,401 गांठ, अक्टूबर में 62,071 गांठ और नवंबर में 42,453 गांठ का आयात किया गया।

 

जब भारत में कपास की कीमतें न्यूयॉर्क कपास से कम थीं, तो गुणवत्ता और विविधता के अनुसार आयात किया जा रहा था। लेकिन भारत में कपास की कीमत में वृद्धि के बाद, आयात में ऊपर की ओर रुझान देखा गया है। आयात पर 11 प्रतिशत शुल्क भी आयात की लागत को बढ़ा रहा है और मूल्य असमानता के कारण यह कपास को अव्यवहारिक(unviable) बना रहा है। इसलिए टेक्‍सटाइल  उद्योग ऊंची कीमतों से राहत पाने के लिए कपास पर आयात शुल्क हटाने की मांग कर रहा है।

 

भारत से सूती धागे और सूती कपड़ों का अधिक निर्यात हो रहा है। यूएसडीए की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019-20 में भारत से 929,000 टन सूती धागे का निर्यात किया गया, जो वर्ष 2020-21 में बढ़कर 1135,000 टन हो गया। पिछले सीजन में यार्न का मासिक निर्यात एक लाख टन से भी कम था।  यह अब बढ़कर एक लाख टन से ऊपर हो गया है। पिछले सीजन के इन महीनों में क्रमशः 92,000 टन, 93,000 टन, 86,000 टन और 87,000 टन था। उसकी तुलना में अगस्त 2021 में यार्न का निर्यात 116,000 टन, सितंबर में 117,000 टन, अक्टूबर में 117,000 टन और नवंबर में 119,000 टन था।

 

सूती कपड़ों के निर्यात में भी ऐसा ही रुझान देखा गया है। वर्ष 2019-20 में 148.93 करोड़ वर्ग मीटर सूती वस्त्रों का निर्यात किया गया।  यह वर्ष 2020-21 में बढ़कर 501.7 करोड़ वर्ग मीटर हो गया। चालू सीजन में अगस्त में 20.95 करोड़ वर्ग मीटर सूती कपड़े, सितंबर में 47.51 करोड़ वर्ग मीटर और अक्टूबर में 37.49 करोड़ वर्ग मीटर सूती कपड़े का निर्यात किया गया।

 

यूएसडीए ने भारत सरकार के आंकड़ों का हवाला देते हुए संकेत दिया है कि दिसंबर 2021 के दौरान मंडियों में कपास की आवक पिछले वर्ष की तुलना में कम नहीं हुई है।  बल्कि इसमें 5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दिसंबर के दौरान देश भर में कपास की आवक 893,687 टन रही जो पिछले साल दिसंबर 2020 में 849,576 टन से अधिक है। लेकिन कपास का बाजार भाव सभी मंडियों में औसतन 41 फीसदी अधिक है। दिसंबर 2021 में औसत कीमत  7,613 रूपए  प्रति क्विंटल थी जबकि दिसंबर 2020 में औसत कीमत  5,432 रूपए प्रति क्विंटल थी।

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