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 Textile Post

अगर टेक्‍सटाइल उद्योगपतियों ने सही कदम उठाए तो भारतीय कपड़ा निर्यात 65 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है: Kearney & CII रिपोर्ट

 

Indian textile exports can hit $65 billion if industry majors take the right steps.: Kearney and The Confederation of Indian Industry (CII).

 

 

 

मुंबई: अगर टेक्‍सटाइल उद्योग की बड़ी कंपनियां सही कदम उठाती हैं और सरकारी योजनाओं का उचित क्रियान्वयन होता है, तो भारतीय कपड़ा निर्यात 65 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।  वैश्विक परामर्श फर्म किर्नी(Kearney)और भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry (CII)) की एक संयुक्त रिपोर्ट में  ऐसा कहा गया है।

 


वर्ष 2015-2019 के दौरान निर्यात में 3 प्रतिशत और 2020 में 18.7 प्रतिशत की गिरावट आई। इसी अवधि के दौरान, बांग्लादेश और वियतनाम जैसे अन्य कम लागत वाले देशों ने निर्यात में बेहतर हिस्सेदारी हासिल की।

 

उद्योग की बड़ी कंपनियों के सही कार्यों और सरकारी योजनाओं के मजबूत निष्पादन की बदौलत 2026 तक भारतीय टेक्‍सटाइल का निर्यात $ 65 बिलियन तक पहुंच सकता है। यह घरेलू खपत में वृद्धि के साथ घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दे सकता है। भारतीय टेक्‍सटाइल के क्षेत्र में 160 अरब डॉलर का उत्पादन हो सकता है। इस उद्योग की श्रम प्रधान प्रकृति को देखते हुए  यह वृद्धि कपड़ा निर्माण में 7.5 मिलियन अतिरिक्‍त प्रत्यक्ष रोजगार जोड़ सकती है।

 

भारत में लागत नुकसान और कमजोर व्यापार प्रदर्शन में कई कारकों का योगदान है।  भारत में बिजली की लागत बांग्लादेश की तुलना में 30 से 40 प्रतिशत अधिक है। उसने परिधान के लिए यूरोपीय संघ, यूनाइटेड किंगडम और कनाडा जैसे प्रमुख आयातकों के साथ मुक्त या तरजीही व्यापार समझौतेे कर रखा है। भारत को ऐसी सुविधा नहीं है। इसके साथ-साथ कपड़ों के लिए बांग्लादेश निर्यातकों पर भी मूल्य निर्धारण दबाव डालता है।

 

लगभग सभी कपड़ा मशीनरी के लिए आयात पर उच्च निर्भरता और पूंजी की उच्च लागत के कारण भारत में निवेशित पूंजी पर सही रिटर्न अर्जित करना मुश्किल हो जाता है। भारत में लागत नुकसान थोड़ा ज्‍यादा  है।

चीनी निर्माताओं की तुलना में भारत में, विशेष रूप से फैशन सेगमेंट में उत्‍पादन में लंबा समय लगता है, जो भारत को अप्रतिस्पर्धी बनाता है। फैब्रिक्स में अपने प्रतिस्पर्धियों की तुलना में भारत का लीड टाइम 15 से 25 प्रतिशत अधिक है। मानव निर्मित फाइबर उत्पादों के वैश्विक व्यापार में भारत की उपस्थिति बहुत सीमित है।

 

 

कपड़ा उत्पादन वैश्विक मूल्य श्रृंखला में भारत एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भारत परिधान, घरेलू और तकनीकी उत्पादों के लिए दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा निर्यातक है। कपड़ा उद्योग देश के लगभग 45 मिलियन लोगों को रोजगार देता है। मगर  वैश्विक व्यापार में भारत का प्रदर्शन उसकी क्षमताओं के अनुरूप नहीं रहा है।

 

कोविड-19  ने वैश्विक व्यापार शेयरों के पुनर्वितरण और सोर्सिंग पैटर्न के पुनर्मूल्यांकन का मौका दिया है। "चाइना-प्लस-वन-सोर्सिंग" भारतीय टेक्सटाइल्स के लिए एक नया अवसर प्रदान कर रहा है। यह भारत को  एक शीर्ष निर्यात अर्थव्यवस्था के रूप में एक नेतृत्व की स्थिति हासिल करने में सहायता कर रहा है। 2019-2026 के दौरान भारत के कपड़ा उद्योग का 8 से 9 प्रतिशत साल दर साल ग्रोथ का लक्ष्य है। इसका कारण है कि घरेलू मांग में लगातार वृद्धि हो रही है। वार्षिक निर्यात में भी उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है। 2026 तक भारतीय टेक्‍सटाइल उत्‍पाद का सालाना निर्यात 65 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा।

 

वर्ष 2019 के $ 36 बिलियन सलाना निर्यात को $ 65 बिलियन के निर्यात लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए भारत को पांच प्रमुख क्षेत्रों – परिधान(apparel), कपड़े(fabrics), घरेलू वस्त्र(home textiles), मानव निर्मित फाइबर और यार्न(man-made fiber and yarn) और तकनीकी वस्त्रों(technical textiles) में उत्‍पादन दोगुना करने की आवश्यकता होगी।


इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सरकार और उद्योग दोनों को महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे। नरेंद्र मोदी सरकार इस चुनौती के लिए तैयार दिखती है। MITRA, PLI, RoDTEP जैसी कई योजनाएं इस क्षेत्र में  सरकार के मजबूत इरादे और फोकस को उजागर करता है। सरकार इन लॉन्चों को कुशलता के साथ कार्यान्वयन कर रही है। उद्योग के प्‍लेयर्स को इन योजनाओं का प्रभावी ढंग से लाभ उठाना चाहिए।

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