आगे का समय कपड़ा उद्योग के लिए काफी विकट होगा: शैलेश जैन
मुंबई: आगे का समय कपड़ा उद्योग के लिए काफी विकट होगा। बहुत सारी समस्याओं
से लड़ते हुए व्यापार को पटरी पर लाना होगा। वर्तमान में हमारे पास कोई विकल्प
नहीं है। VHM सूटिंग के डोमेस्टिक रिटेल विजनेस प्रमुख श्री शैलेष
जैन ने यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि फिलहाल हमारे सामने परिवार, रिश्तेदार, सहयोगी, कर्मचारी, आदि सबों की चिंता करने
का समय है। जिस हिसाब से महाराष्ट्र से मजदूर वर्ग पलायन कर रहे हैं, उस स्थिति को देखते हुए
उत्पादन का चालू रखना बड़ा चैलेंज होगा।
श्री शैलेष जैन ने कहा कि मुबई और महाराष्ट्र की
स्थिति चिंताजनक है। मुंबई में लॉकडाउन खुलने में और सामान्य स्थिति आने में और
ज्यादा समय लग सकता है। लेकिन हमारे पास इंतजार करने के अलावा और कोई विकल्प
नहीं है।
VHM सूटिंग के डोमेस्टिक रिटेल विजनेस प्रमुख ने कहा कि जिन शहरों में आठ दस
दिनों से होलसेलरों ने अपनी दुकाने खोली हैं, वहां पर भी स्थिति अच्छी
नहीं है। ग्राहक नदारद हैं और पेमेंट की कोई आवक नहीं हो रही है।
उन्होंने कहा कि पिछले कई वरसों से सूटिंग का व्यापार रिटेल बुकिंग, कानफ्रेंस फौरेन टूर पर
आधारित था। लेकिन वर्तमान में कानफ्रेंस फौरेन टूर आयोजित करना संभव नहीं होगा। इसके
नये विकल्प तलाशने होंगे। कम्पनी अपने कॉटन प्लांट पर पीपीई किट तथा इस महामारी
से लड़ने हेतु अन्य टेक्सटाइल उत्पाद का उत्पादन कर रही है।
श्री शैलेष जैन ने कहा कि मजदूरों को खाने पीने के
लिए मालिकों ने आर्थिक सहयोग तो किया ।
मगर मजदूर फिर भी नहीं रूके। उनके परिवार वाले उनको बुला रहे थे कि आप घर आ जाओ क्योंकि
महाराष्ट्र की स्थिति अच्छी नहीं है।
VHM सूटिंग के डोमेस्टिक रिटेल विजनेस प्रमुख ने कहा कि अभी मुंबई में २०
प्रतिशत फैक्ट्रियां चालू हो गयीं फिर भी प्रवासी मजदूर अपने गांव जाना चाहते हैं।
मजदूर घर में रह कर परेशान हो चुके हैं।
उन्होंने कहा कि टेक्सटाइल मजदूरों को खाने पीने की
वैसी कठिनाई नहीं थी। मालिकान उन्हें सहयोग राशि दे ही रहे थे। कई एनजीओ ने भी
खाना बांटने का काम किया। मगर उनकी सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि बिना काम के वे रह
नही सके। घर में बैठना उनकी आदतों में शामिल नहीं है। वे खाली बैठे बिना काम के
नहीं रह सकते थे।
श्री शैलेष जैन ने कहा कि मीडिया में कोरोना का जो
डर पैदा किया गया उससे भी वे काफी डर गये थे। इसलिए वे यहां से जाना चाहते थे। वे
घर जाकर अपने आप को सेफ मेहसूस कर रहे हैं। अब वे अपने फैमिली के साथ हैं और सहज
महसूस कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जहां तक टेक्सटाइल इंडस्ट्री की बात है, कंपनी के मालिकों ने
अपने अपने लेबरों को खाने पीने के लिए पैसे दिये थे। जो अभी भी रूके हुए हैं उनको
भी वे पैसे दे रहे हैं। जो उस वक्त थे उनको भी सहयोग दिया गया था। हर कंपनी मालिकान ने उनको उनकी जरूरत का सामान
मुहैया किया।
उन्होंने कहा कि हां जैसा कि केंद्र सरकार ने घोषणा की थी उस हिसाब से स्थानीय
प्रशासन ने वैसा कुछ सहयोग नहीं किया। समाज सेवी संस्थाओं ने जरूर सहयोग किया ।
उन्होंने खाने के पैकेट बाटे। मगर जैसे जैसे कोरोना का प्रकोप बढ़ता गया यह सहयोग
घटता चला गया। सरकार ने उन लोगों पर बैन लगाना शुरू कर दिया। अब कोई संस्था भोजन
वितरण नहीं कर रही है। सरकार ने संस्था से यह कहा कि आप बांट नहीं सकते । आप हमें
दे दो। हम बांटेंगे।


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