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भारत चीन सीमा विवाद में कांग्रेस कोशिश कर रही है भारतीय सेना का मनोबल तोड़ने की





 
भारत चीन सीमा विवाद में कांग्रेस कोशिश कर रही है भारतीय सेना का मनोबल तोड़ने की



अभी वर्तमान में उत्‍तरी सिक्किम और पूर्वी लद्दाख में भारत का चीन के साथ सीमा विवाद चल रहा है तो राहुल सरकार पर सवाल उठा रहे हैं कि सरकार हमे कुछ बता नहीं रही है, सीमा पर क्‍या हो रहा है इसकी कोई ट्रांसपरेंसी नहीं है। इसी के बाद ऑल इंडिया कांग्रेस कमीटी की तरफ से एक चिट्ठी भी आ गयी, जिसका मजबून कुछ इस तरह है, कि भारत  सरकार कुछ छुपा रही है। चीन ने भारत पर हमला कर दिया है। यह कांग्रेस का राष्‍ट्रविरोधी और शर्मनाक रवैया है।

चोर की दाढी में तिनका


चोर की दाढी में तिनका वाली बात हो गयी। कांग्रेस ने २०१३ में, जब मनमोहन सरकार केंद्र में थी, तो ऐसी ही स्थिति बनी थी। तब चीन ने भारत की सीमा के अंदर घुस कर टेंट गाढ लिए। नयी एलएसी बना दी थी। पीएलए ने पक्‍के  कैंम्‍प बना दिए। और भारत का ४६० बर्ग किलोमीटर जमीन कब्‍जा कर लिया। भारत के सरकार को जानकारी हुयी। फिरभी उसे देश के सामने नहीं रखा गया।  यह यूपीए का दूसरा शासन था। श्‍याम शरण विदेश सचिव थे। 

चीन जो २१ मई को एग्रेसिव था, चार दिनो के भीतर बदल गया

                                                                
अभी भारत की सेना सामरिक रूप से और भारत की सरकार डिपलोमैटिकली इस कदर मजबूती से लड़ रही है, कि जो चीन, २१ मई को एग्रेसिव था। आज चार दिनो के भीतर ही, वो बिलकुल बदल गया। दो दिन पहले उसके विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता का बयान आया कि जो कुछ भी है, उसको रिजोल्‍भ करने का हमारे पास प्रोपर मैकेनिज्‍म है।

राहुल गांधी चीन का मनोबल बढाने की कोशिश कर रहे हैं


ऐसे समय में भी कांग्रेस पार्टी और उसके नेता शर्मनाक व्‍यवहार करते हैं। गंदी राजनीति करते हैं। राहुल गांधी वही गंदी हरकत कर रहे हैं । वे चीन का मनोबल बढाने की कोशिश कर रहे हैं। वे भारतीय सेना का, भारतीय नेतृत्‍व का, भारतीय आवाम का मनोबल तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। वैसे ऐसा हो नहीं पाएगा, चाहे वे कितनी भी कोशिश क्‍यों न कर लें।


चीन को अब लग रहा है कि यह पहले वाला भारत तो नहीं है


अभी दोनो देशों ने साफ साफ कहा है कि हम इसे सुलझा लेंगे। चीन, जिसको अपनी सेना की ताकत पर गुमान था, उसे अब लग रहा है कि किससे पाला पड़ा है। उसे अब लग रहा है कि यह पहले वाला भारत तो नहीं है।

२०१३ चीन ने भारत का ४६० वर्ग किलोमीटर जमीन कब्‍जा कर लिया था


IANS की रिपोर्ट बता रही है कि २०१३ में जब मनमोहन सरकार केंद्र में थी, तो ऐसी ही स्थिति बनी थी, कि लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल के अंदर घुसकर चीन ने पुर्वी लद्दाख में भारत का  ४६० वर्ग किलोमीटर जमीन कब्‍जा कर लिया । उस समय विदेश सचीव थे, श्‍याम शरण। वे वहां गये। और लौटने के बाद उन्‍होंने मनमोहन सरकार को रिपोर्ट किया। सरकार ने न तो इसे देश को बताया, न उसने इसपर कोई कार्रबाई की।

आज राहुल गांधी कहते हैं कि ट्रांसपैरेंसी नहीं हैं। ट्रांसपैरेंसी तो कांग्रेस के समय में नहीं थी। ट्रांसपैरेंसी तो २०१३ में नहीं थी। ट्रांसपैरेंसी तो १९६२ में नहीं थी। अभी तो सब कुछ क्रिस्‍टल क्लियर है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सावधान है


हमलोग तो भाग्‍यवान हैं कि हमारे पास नरेंद्र मोदी जैसा दूर‍दृष्टि वाला, पक्‍का इरादा वाला, इमानदार, साहसी और सावधान प्रधानमंत्री है। गलती से यदि आज राहुल गांधी प्रधान मंत्री होता तो जरा सोचिए, कि आज जब चीन पाकिस्‍तान और नेपाल ने एक साथ हमारे विरुद्ध मोर्चा खोल रखा है, और हम चाइनिज वायरस का प्रकोप भी झेल रहे हैं, तो क्‍या होता। सरकार कुछ भी नहीं संहाल पाती। देश में कियोस की स्थिति होती और हम इन समस्‍याओं से निकल ही नहीं पाते।

भारत बोर्डर रोड ओरगेनाइजेशन ने पर्याप्‍त निर्माण कार्य कर लिया है


दुनिया भर की रिपोर्ट बता रही है कि पूर्व की सरकार और मौजूदा सरकार के काम काज में क्‍या फर्क है। चीन के पीएलए ने भारत चीन सीमा पर जिस तरह से सीमा पर  रोड  बना लिया है, भारत की सेना के बोर्डर रोड ओरगेनाइजेशन  ने भी अपनी रणनीति के अनुसार निर्माण कार्य कर लिया है। और वह चीनी सेना के सामने उसी तरह मजबूती से खड़ी है।

यदि आज की स्थिति  में भी कोई नागरिक या मीडिया या पत्रकार या इंटेलेक्‍चुअल या कोई भी कांग्रेस के साथ खड़ा है, तो उसकी बुद्धि पे उसके चरित्र पर लानत है, उसका दिमाग सटक गया है। 

डोकलाम में भारतीय सेना चीनी सेना के सामने मजबूती से खड़ी रही


आप याद किजिए डोकलाम में जब सीमा पर हमारे और चीनी सैनिक भिड़ गये तो दुनिया यह सोच रही थी कि अब कुछ नहीं होगा, सिबाय इसके कि भारत को पीछे हटना पड़ेगा। लेकिन क्‍या हुआ? चीन को पीछे हटना पड़ा। चीन का पीएलए, जिस पर उसे गुमान है, वह पीछे हटा। 

डोकलाम में भारत की सेना चीन की सेना के सामने पूरी मजबूती से खड़ी थी, तब राहुल गांधी लगातार भारत का मनोबल घटाने में और चीन का मनोबल बढ़ाने में लगे रहे। यहां तक कि वे चीन के राजदूत से जाकर मिल आए।

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