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गारमेंट उात्‍पादकों की हालत काफी खराब है : कमलेश पी जैन

 

Kamlesh P Jain, Director, Mehta Creation

 


 

मुंबई: गारमेंट सेक्‍टर में ऑन एन ऐवरेज ५० प्रतिशत का उत्‍पादन हो पा रहा है। कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण उत्‍पादकों की आमदनी बंद हो गयी  मगर उनका खर्च तो चालू रहा। व्‍यापारियों का बैंक बैलेंस खत्‍म होता गया। उनके पास बकाया चुकाने के लिए जो भी धन था वो उनके नीजी खर्चों में व्‍यय हो गया। मेहता क्रिएशन  के डायरेक्‍टर श्री कमलेश पी जैन ने यह जानकारी दी। यह कम्‍पनी रियो ग्रैंड ब्रांड के अंतर्गत कॉटन ट्राउजर्स, जिंस ट्राउजर्स,  डेनिम ट्राउजर्स, निनेन ट्राउजर्स, और फॉरमल ट्राउजर्स, का उत्‍पादन करती है। यह एक लोकप्रिय ब्राड है जिसका बाजार और मारकेटिंग नेटवर्क देश भर में फैला है।  

 


मेहता क्रिएशन  के डायरेक्‍टर ने कहा कि आज दुकानों में ग्राहकी भी नहीं है। रिटेलरों के पास चुकाने को पैसा नहीं है। इसलिए हम उत्‍पादक उन्‍हें आगे माल देने से बचते हैं। लिहाजा उनके पास नया माल नहीं है। इससे उनका कस्‍टमर्स धटेगा। रिटेलरों के पास ग्राहकों की कमी चल रही है।  

 

उन्‍होंने कहा कि रेडीमेड गारमेंट इंडस्‍ट्री में बड़े पैमाने पर छटनी हुयी है। दुकानदारों के पास धंधा नहीं है । ऐसे में बहुत सारे कामगारों को कम बेतन पर ही काम करना पड़ रहा है। उसमें उसका खाना पीना दबा दारू हो नहीं पा रहा है। वे अफोर्ड नहीं कर पा रहे हैं। उन मजदूरों की दशा भी खराब है जो इस टेक्‍सटाइल चेन में काम कर रहे हैं।

 

उन्‍होंने कहा कि व्‍यापारियों की हालत खराब है। उत्‍पादकों ने जो उधार दिया है वह बकाया राशि लौट कर आ नहीं रही है। इस लॉकडाउन के दरम्‍यान कुछ व्‍यापारियों ने आधी अधूरी ही सही मगर बकाया राशि का भुगतान किया है। उनको हम उत्‍पादक सपोर्ट कर पा रहे हैं। मगर काफी लोग पैसा चुका नहीं पा रहे हैं। 

 

श्री जैन ने कहा कि आगे के समय में कैश में काम होगा। अब हम उत्‍पादक बंधु बी-ग्रेड और सी-ग्रेड के व्‍यापारियों और लेट लतीफ पेमेंट करने वाले व्‍यापारियों के साथ व्‍यापार करने से कतराने लगे हैं। जो छोटी पूंजी के साथ बाजार में बैठे हैं उनके लिए आगामी समय में बड़ी पूंजी बाले व्‍यापारियों के सामने कंपीट करना मुश्किल होगा। ऐसा लगता है कि बड़े ग्रुप आगामी समय में टिक पाएंगे और छोटे ग्रुप बाजार से आउट हो जाएंगे।

 

श्री जैन ने कहा कि सरकार से गारमेंट सेकटर को कोई सपोर्ट नहीं मिलता है। इस कारण भी इस सेक्‍टर की हालत खराब है।  सरकार की समस्‍या यह है कि वह बड़ी इंडस्‍ट्रीयों को बचाना अपनी प्राथमिकता समझती है। छोटे उद्योगपतियों सरकार से कोई संरक्षण नहीं है। उनके लिए अपना स्तित्‍व बचाना मुश्किल है।

 

उन्‍होंने कहा  कि यदि छोटे व्‍यापारीगण डूबेंगे तो इससे बड़ी संख्‍या में बेरोजगारी बढ़ेगी। सरकार उन्‍हें कोई वैकल्पिक जॉब दे नहीं पाएगी। अत: छोटे उद्योगपतियों को बचाने पर भी सरकार को ध्‍यान देना चाहिए। अन्‍यथा स्थिति और बद से बद्तर हो सकती है। आने वाले सीजन में जिसके पास फाइनांस है, मारकेटिंग नेटवर्क है, जो रिजनेबल रेट पर सामान बेच पाएंगे, उसकी स्थिति ठीक रहेगी अन्‍यथा मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।

रियो ग्रैंड ब्रांड के डायरेक्‍टर ने कहा आज गारमेंट सेक्‍टर में आधे मजदूर बेरोजगार हो चुके हैं। इनको रोजगार देने की सरकार के पास कोई वैकल्पिक स्‍कीम नहीं है। इसलिए उचित यही है कि सरकार हम व्‍यापारियों को बचा ले ताकि हम व्‍यापारी मजदूरों को बेरोजगारी से बचा सकें। इससे बेरोजगारी का स्‍तर गिरेगा। हम छोटे उद्योगपतियों को दो पांच लाख की सबसीडी या सपोर्ट की जरूरत है।

 

उन्‍होंने कहा कि यह दुख की बात है कि केंद्र सरकार और राज्‍य सरकार के बीच समन्‍वय नहीं बन पाया। इससे कोरोना को पैर पसारने का अबसर मिला। इस कोरोना से बचने के लिए जो इंतजामात थे उसे करने में महीनों देर हुयी। 

आवागमन की समस्‍या जो लॉकडाउन के साथ शुरू हुयी वह आज भी बनी हुयी है। आज भी लोकल ट्रेन नहीं चल रही हैं। दूसरे तरह से यात्रा करना मंहगा है, दूरूह है, अनिश्चित है और अव्‍यवहारिक है। अधिकांश कामगार तो इसे अफोर्ड नहीं कर सकता है।

 

उन्‍होंने कहा कि यह स्थिति मार्च महीने तक ऐसी ही चलेगी। उससे पहले सुधरने के कोई आसार नहीं दिखते हैं। लोगों के पास पैसा नहीं है। बाजार में खरीददार की कमी हो गयी है। लोगों के पास खाने पीने के लिए राशन का अभाव है। कपड़े की आवश्‍यकता तो बाद की चीज़ है।

 

उन्‍होंने कहा कि केंद्र और राज्‍य सरकार की लड़ाई में आम जनता पिस रही है। राज्‍य सरकार कह रही है कि हमे केंद्र फंड नहीं दे रही है। केंद्र कह रहा है कि हमने सभी राज्‍यों को पर्याप्‍त फंड दिया है। जनता को उनकी लड़ाई से नुकसान हो रहा है। कोरोना के नाम पर सभी अस्‍पताल फुल है। एक आदमी के उपचार पर चार चार लाख का बिल आता है।

 

पब्लिक को रोजगार चाहिए और उसके लिए आवागमन का साधन चाहिए। आम आदमी के साथ बहुत बड़ी समस्‍या है। उसकी सुनवाई कौन करगा? वह किसके पास अपना रोना रोएगा। ज्‍यादा से ज्‍यादा सेठ स्‍टॉफ का रोना सुनेगा, मगर सेठों की भी हालत खराब होती जा रही है। उसकी कमाई घटती जा रही है। उसके कमाई का जरिया खत्‍म होता जा रहा है। यह देश के लिए चिंता का विशय है। 

 

श्री जैन ने प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी और वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण से आग्रह किया है कि सरकार गारमेंट इंडस्‍ट्री को इस कदर सहयोग करे कि यह उद्योग भारत की सबसे बड़ी इंडस्‍ट्री बन कर उभरे। इस इंडस्‍ट्री में यह पोटेंसी है कि वह भारत की बेरोजगारी को काफी हद तक कम कर सकती है। इस उद्योग में रोजगार श्रृजन का सबसे अधिक स्‍कोप है। इसकी इकाई कम लागत में आरंभ हो जाती है। इसलिए सरकार को इस उद्योग पर खास ध्‍यान देना चाहिए।

 

 

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