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| Ramesh Makharia, Director, Silk India International, Silk India Creators |
मुंबई: प्रोडक्शन में कोई दिक्कत नहीं है। काम चल रहा है। बकाया आ रहा है। लॉक डाउन होने से व्यापार की गाड़ी रूकी थी, मगर अब वह सही दिशा में चल पड़ी है। सिल्क इंडिया इंटर्नेशनल लि तथा सिल्क इंडिया क्रियेटर्स के डायरेक्टर श्री रमेश माखरिया ने यह जानकारी दी।
मुंबई स्थित सिल्क इंडिया इंटर्नेशनल तथा क्रियेटर्स कम्पनी डेजायनर साड़ी, कुर्ता पाजामा, अन्य लेडिज तथा जेंट्स मेटेरियल्स का उत्पादन करती है। कम्पनी के डायरेक्टर ने कहा कि लॉक डाउन में लोगों का व्यापार गिरकर २० प्रतिशत, १० प्रतिशत, ५ प्रतिशत तक गिर गया था मगर अब सबकुछ सम्हलता जा रहा है।
श्री रमेश माखरिया ने कहा कि इस कारोबार में उत्पादन खर्च पर ३ प्रतिशत से १२ प्रतिशत का लाभ है। कपड़े के व्यापार में बहुत कम मारजिन है। हालात यह है कि नंगा नहाएगा क्या और वह निचोरेगा क्या ?
श्री रमेश माखरिया ने कहा कि बेशक आवागमन में असुबिधा हो रही है। मगर व्यापार की रणनीति बदलेगी नहीं । वही तरीके रहेंगे। ई मारकेटिंग पारंपरिक व्यापार की जगह नहीं ले सकेगा। पारंपरिक व्यापार की रणनीति में इसका सहयोग तो लिया जा सकता है और लिया भी जाना चाहिए मगर यह उसका विकल्प नहीं हो सकता है। कपड़ा में ग्राहक जब तक फील से संतुष्ट नहीं होता तब तक उसकी समझ में नहीं आती कि इसकी क्वालिटी क्या है।
श्री माखरिया ने कहा कि बड़ी और छोटी कम्पनियों के बीच प्रतिस्पर्धा की स्थ्िाति है। बड़ी कम्पनियां कुछ स्कीम दे देते हैं । इससे बाकी लोग मारे जाते हैं जो स्कीम नहीं दे सकते हैं। उन्हें चाहिए कि वही पैसा माल के मूल्य में रिवेट कर दें। स्कीम की जगह, उन्हें माल ही सस्ते से सस्ता पास करना चाहिए। जबकि अंतत: यह खर्च तो एंड यूजर को उठाना पड़ता है। उत्पादकों से लेकर होलसेलर्स, डिस्ट्रीव्यूटर्स, रिटेलर्स सबों को रिजनेबल मार्जिन पर कपड़ा बेचना चहिए।
श्री माखरिया ने कहा कि उत्पादक जहां १० प्रतिशत कमाता है, वहीं डिस्ट्रिव्यूर्स २० प्रतिशत कमाता है, रिटेलर्स ४० प्रतिशत तक कमाता है। और एंड यूजर अंतत: यह सारा भार उठाता है। वह कपड़ा उत्पादन मूल्य की तुलना में २०० प्रतिशत में खरीदता है। यह एंड यूजर के साथ न्याय नहीं है। इसको बैलेंस किया जाना चाहिए। एंड यूजर को सस्ता से सस्ता माल मिलना चाहिए। सबको परबरना चाहिए। फालतू खर्चे पर रोक लगना चाहिए। यही देश हित में है। और यही समाज हित में है। यही व्यापारियों के समुदाय के हित में है। अन्यथा उत्पादकों और एंड यूजर के बीच का चेन टूट खत्म भी हो सकता है।
श्री माखरिया ने कहा कुछ ऐसे व्यापारी भी हैं जो कारोबार में अपना कम से कम पैसा डालते और व्याज पर पैसो उठाते हैं, भारे पर दुकान लेते हैं, उधारी माल लेते हैं। इस तरह के लोग टेक्सटाइल व्यापार को खराब कर रहे हैं। ऐसे व्यापारियों की वजह से टेक्सटाइल व्यापार खराब हो रहा है। बेशक ऐसे व्यापारियों के लिए सर्वावल की समस्या है। वे जानबूझ कर किसी का पैसा नहीं रोक रहे हैं। वे अपने हालात से मजबूर हैं। उनके पास अपना इतना पैसा नहीं है। मगर वे जो टोपी घुमा घुमा कर अपना काम चलाते हैं, इससे पूरे बाजार में अविश्वास का वातावरण बनना शुरू होता है। जो सहज व्यापार के लिए अच्छा नहीं है।
श्री माखरिया ने कहा कि हमारे व्यापारिक समुदाय में सबके लिए उसकी हैसियत और जरूरत के हिसाब से लेबल प्लेइंगि फिल्ड होना चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि बड़ी मछली छोटी मछली को निगल ले। सबको कम्फटेबल जोन मिलना चाहिए। आपस में अच्छे संबध होना चाहिए। हमारे व्यापारिक समुदाय में ऐसी संस्था बननी चाहिए जो सभी की परवाह करे। पूरानी संथाए बस कहने की संस्था है। वह इन सम्स्याओं की परवाह भी नहीं करती हैं। श्री माखरिया ने उम्मीद जतायी कि आगामी फेस्टिवल अच्छा जाएगा।



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