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देशभर का किसान सरकार के साथ, किसी भी तरह ये कृषि कानून वापस नहीं होंगें

Prime Minister Narendra Modi

 


 

 

किसान यूनियनों और सरकार के बीच ३ दिसंबर की वार्ता अभी थोड़ी देर पहले समाप्‍त हो गयी। जिन ३२ संगठनो को बुलाया गया उसमें सिर्फ पंजाब के किसान और पंजाब की किसान यूनियनें हैं।

 

इसमें देश भर के ५०७ किसान यूनियन नहीं दिख रहे हैं। वे इस आंदोलन में शामिल ही नहीं हैं। वे शामिल होना भी नहीं चाहते हैं। वे सभी सरकार के साथ खड़े हैं। ५ दिसंबर को विज्ञान भवन में फिर से वार्ता होगी।

 

 

आंकड़ा बताता है कि किसानों ने मंडियों से बाहर ज्‍यादा अनाज बेचना शुरू कर दिया। उन्‍हें अच्‍छा दाम मिलने लगा है। मंडियों के अढ़तियों और बिचौलियों को इससे दिक्‍कत होने लगी है। वे व्‍यवस्‍था के हिस्‍सा हैं, मगर वे चाहते हैं कि वे स्‍वयं व्‍यवस्‍था बन जायं। यह खतरनाक है। मिडल मैन, बिचौलिया, अढ़तिया, कमीशन एजेंट का काम व्‍यवस्‍था के बीच आनेवाली बाधाओं को हटाना और व्‍यवस्‍था को आगे बढ़ाना है। मगर वे मंडी, वे एपीएमसी, आज स्‍वयं व्‍यवस्‍था बनने की फिराक में हैं। वे चाहते हैं कि किसान मंडियों से बाहर अपनी उपज बेच ही नहीं सकें।

 

किसानों की इन समस्‍याओं पर दशकों से चर्चा हो रही है। मगर पिछले दो दशक से सूचिबद्ध करके ये चर्चा हो रही है। किसानों की समस्‍या पर विंदुवार चर्चा, समीक्षा और विश्‍लेषण हुआ। इसके पक्ष विपक्ष समझने के बाद ये तीनों कानून बनाए गये। इसके लिए देश विदेश के कृषि विशेषज्ञों की राय ली गयी। एक भी कृषि विशेषज्ञ इसके खिलाफ नहीं हैं।

 

सरकार चाहती है कि किसान भी नौकरी पेशा और उद्योगपतियों की तुलना में प्रतिस्‍पर्धी बन सके। अन्‍यथा यह समाज सड़ जाएगा। अभी तक किसानों की उपेक्षा होती रही।

आंदोलनकारियों का एकमात्र शर्त है कि ये किसान कानून वापस हों। वे किसी सहमति तक पहुचने के लिए नहीं आए हैं।

 

मगर सरकार पर जनता का जो मैंडेट है वो इस कानून का समर्थक है। आंदोलनकारियों की गैरवाजिव मांगे कतई पूरी नहीं की जाएगी यह देश के बांकी किसान चाहते हैं। अगर उन बिचौलियों और अढतियों और फेक किसानों की मांगें मानी जाती है तो देश की जनता का मनोबल टूट जाएगा। मेरा आंकलन है कि जिस तरह प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी काम करते हैं उसमें किसी भी तरह ये कृषि कानून वापस नहीं होंगे।

 

सोम प्रकास, मिनिस्‍टर ऑफ स्‍टेट फॉर कॉमर्स एंड इंडस्‍ट्री, ने बातचीत के बाद कहा कि बातचीत के मुद्दे तैयार किए गये हैं। ५ दिसंबर को अगली बातचीज होगी और हम उम्‍मीद करते हैं कि उस दिन आंदोलन खत्‍म हो जाएगा। एक किसान नेता ने कहा कि आज की बैठक एक कदम आगे बढी है।

 

ये आंदोलनकरी तो अपने लिए चार महीने के राशन लेकर आए हैं मगर आम किसान के घर में राशन जाने में दिक्‍कत हो इसका पूरा इंतजाम करने की फिराक में यह आंदोलन कर रहे हैं। लोगों को तकलीफ भी दे रहे हैं और यह भी कह रहे हैं कि हमारे आंदोलन से आम लोगों को जा तकलीफ हो रही है उसके लिए हम आपसे माफी मांगते है। कमाल के मुनाफिक लोग हैं ये आंदोलनकारी गण। इस माफीनामे का कया मतलब है यदि आप हमारा जीवन अस्‍तव्‍यस्‍त कर दो।

 

किसानो की जोत छोटी होती जा रही है। जरूरत है कि कृषि की उत्‍पादकता बढाई जाय। उपज की कीमत बढाई जाय। यह एमएसपी से नहीं बढ सकती है। किसान सरकारी व्‍यवस्‍था के भरोसे कब तक जिंदा रहेगा? यह खुले बाजार से ही बढ स‍कती है। अगर किसानो को उनके हाल पर छोड़ दिया जएगा तो उनकी हालत और खराब होगी।

 

किसान नेता बदलेब सिंह सिरसा कहते हैं कि हम कोई संशोधन नहीं चाहते। हम इन कानूनों को खारिज करना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि एमसएपी के लिए कानून बनाया जाय। किसान नेता हरजिंदर सिंह तांडा  कहते हैं कि हम सरकार पर दबाव डालकर सरकार को कानून वापस लेने को मजबूर कर देंगे।

 

२०१५ से स्‍वाइल हेल्‍थ कार्ड, इरीगेशन, फसल बीमा, किसान खातों में सीधे कुछ रकम का जाना, किसान क्रेडिट कार्ड, सबसीडी, आदि सब कुछ कर दिया, तब जाकर किसान की उन्‍नति की जमीन तैयार हुयी।

 

आंदोलन का एक किसान यह कह रहा था कि मोदी जी की नियत खराब है वे हमारा भला करना चाहते है जबकि हम नहीं चाहते कि हमारा भला हो। क्‍या इस तरह सोचने वाले से कोई वार्ता सफल होगी? मुझे यह वार्ता पूरी तरह विफल होता हुआ दिखता है।

 

सच यह है कि मोदी साहब उन किसानो की बात कर रहे हैं जिनकी बात प्राफेसर स्‍वामीनाथन कर रहे हैं। जिनकी बात हर वह इमानदार राजनीतिज्ञ करते रहे हैं चाहें वे लाल बहादुर शास्‍त्री हों, राम मनोहर लोहिया हों, अटल बिहारी वाजपेयी हों, या नरेंद्र मोदी हों।

 

मोदी जी की जो सरकार आयी तो उन्‍हे हमने यही मैंडेट देकर भेजा । भाजपा ने अपने घोषणापत्र में कहा था कि किसानो की आमदनी दोगुनी करनी है। आज वह उसी दिशा में‍ आगे बढ रही है। यह काफी कठिन काम था मगर इस सरकार ने जिम्‍मा लिया। वह उस दिशा में आगे बढ रही है। यह सरकार किसानो की बेहतरी के लिए वचनबद्ध है। सरकार को किसी भी हालत में पीछे हटने की जरूरत नहीं है। पूरे देश का किसान सरकार के साथ खडा है।

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