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| K Chandrasekhar Rao |
हैदराबाद:
ग्रेटर हैदराबाद मुनिस्पल कमीशनरी चुनाव
के नतीजे आ चुके हैं। यह देश में बड़े नगरनिगमों में से एक है। यहां कुल १५१ सीटें हैं। तेलांगाना राष्ट्र समीति सबसे आगे चल रही है। उसके पीछे भाजपा और एआईएमआईएम चल रही हैं। इस चुनाव में भाजपा का जबरदस्त प्रदर्शन देखने को मिला है।
अभी तक के जो जो परिणाम हैं, उसके अनुसार तेलांगाना राष्ट्र समीति ५५ सीटें मिल चुकी है। भाजपा ४८ और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन या एआईएमआईएम ४४ सीटों पर हैं। कांग्रेस की स्थिति काफी खराब है। उसके २ पार्सद जीत चुके हैं। कोई भी पार्टी बहुमत अर्थात ७५ के आंकड़े तक नहीं पहुच सकी। मुख्य दो पार्टियां चुनाव लड़ रही थीं, तेलांगाना राष्ट्र समीति और भाजपा। एआईएमआईएम भी मैदान में है।
इस चुनाव में भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। जेपी नड्डा और योगी आदित्यनाथ ने इसमें एंरीचोटी का जोर लगाया था।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन या एआईएमआईएम भारत के तेलंगाना राज्य में स्थित एक मान्यताप्राप्त राजनीतिक दल है, जिसका हैदराबाद के पुराने शहर में प्रधान कार्यालय है, जिसकी जड़ें मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन से हैं जो 1927 में ब्रिटिश भारत के हैदराबाद स्टेट में स्थापित हुई थी। एआईएमआईएम ने 1984 से हैदराबाद निर्वाचन क्षेत्र लोकसभा सीट जीती है। 2014 के तेलंगाना विधानसभा चुनावों में, एआईएमआईएम ने सात सीटों पर जीत हासिल की और भारत के चुनाव आयोग द्वारा 'राज्य पार्टी' के रूप में मान्यता प्राप्त की। इस पार्टी के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी हैं।
टीआएस के नेता के चंद्रशेखर राव तेलांगाना का गांधी
टीआएस के नेता के चंद्रशेखर राव तेलांगाना का गांधी बनकर उभर रहे हैं। राज्य में टीआरएस ने तो अपनी जमीन बनायी ही है। दूसरे नम्बर पर भाजपा है जिसने अपनी मजबूत जमीन बनायी है।
के चंद्रशेखर राव देश के वे अकेले नेता हैं जो किसी राज्य के आंदोलन को लंबे समय तक लीड करते रहें हैं। जो पार्टियां, जो नेता, उसको लम्बे समय तक आंदोलन को बरकरार रखते हैं, उनमें से एक हैं के चंद्रशेखर राव। वे बहुत सधी हुयी राजनीति करते हैं। यही कारण है कि वे प्रचंड बहुमत से जीत कर आते हैं। कमाल की बात यह है कि वहां विपक्ष भी नहीं रह गया है। २०१८ में कांग्रेस के विधायक जीते भी थे। मगर धीरे धीरे उसके अधिकाश टीआरएस के पाले में चले गये।
भाजपा गहराई से अपना काम कर रही है
भाजपा गहराई से अपना काम कर रही है। यह एक कैडरबेस्ड पार्टी है। उसका एक आधार है। कांग्रेस पार्टी जब गायब हो रही थी तो उसे यह अनुमान नहीं हो रहा था । नेशनल नैरिटिव की जगह खाली हो रही थी। उस खालीपन को, उस वैक्यूम को भाजपा उतनी सिद्दत से भर नहीं पा रही थी।
जब केद्र में दो दो बार भाजपा की प्रचंड बहुमत की सरकारें बन गयी। जब देश के कई राज्यों में भाजपा ने अपनी स्थिति सुदृढ कर ली, पूर्वोत्तर के राज्यों में, जिन्हें सेवेन सिस्टर्स कहा जाता है, उसमें खासकर असम और त्रिपुरा में अपनी सरकारें बना ली। ये एक चमत्कार था। जो हुआ।
ऐसा लगता है कि पश्चिम बंगाल में असम का इतिहास दोहराया जाएगा। एचएमसी के हवाले से दिखता है कि भारतीय जनता पार्टी ने सलीके से रणनीति बनायी है। इसमें एक कनटीन्युटी है।
राष्ट्रीय विमर्स जो धीरे धीरे करके गायब हुआ, तो उस विमर्स के साथ जाने वालों ने समय के साथ क्षेत्रीय पार्टियों का हाथ पकड़ना शुरू कर दिया।
उसमें भाजपा का अपना तरीका है। भाग्यनगर नाम रखना, अपनी संस्कृति की जो पहचान है, वो कैसे आगे बढेगी, उसकी बात करना, आदि तत्व कहीं न कहीं जड़ते हैं। सबसे बड़ा जीएमएमसी का एलेक्शन और उससे पहले जो दुब्बक विधान सभा का चुनाव महत्वपूण है।
दुब्बक विधान सभा सीट के उपचुनाव में भाजपा के रधुनंदन राव चुनाव जीते
जब
बिहार के चुनाव हो रहे थे, जब
मध्य प्रदेश के २८ सीटों के उपचुनाव हो रहे थे, जब उत्तर प्रदेश के सात सीटों के उपचुनाव हो रहे थे, गुजरात के आठ सीटों के उपचुनाव हो रहे थे, उसी समय तेलांगाना में दुब्बक का
उपचुव हो रहा था। टीआर एस के एस रामालिंगा रेड्डी का निधन हुआ। २०१८ के विधान सभा
के चुनाव में वे जीते थे। उससे पहले वे २०१४
के विधान सभा के चुनाव में जीते थे। यह टीआसएस की बहुत मजबूत सीट थी। जब
उनका निधन हुआ, तो उससे एक सहानुभूति की लहर चली।
यह एक महत्वपूर्ण तत्व है।
अभी जो आकड़े आ रहे हैं वे तबतक बदलते रहेंगे जबतक गिनती का काम पूरा नहीं हो जाता है। अभी तक जो आंकड़े सामने आए है उसके अनुसार भारतीय जनत पार्टी नम्बर दो की पार्टी हो गयी है।
लोकल चैननों के अनुसार अभी तक ५५ टीआर एस दिख रही है, भाजपा ४६ दिख रही है, एमआइएम ४२ दिख रही है, कांगेस २ पर बनी हुयी है। सियासत डेली ऐसा बता रही है। अब जो आंकड़ा आएगा उससे दो चार सीटों का ही इधर उधर होगा।
एस रामालिंगा रेड्डी इस विधान सभा में दो बार के विधायक थे। उनके दुखद निधन के बाद जब २०२० में चुनाव होता है, उसमें उनकी पत्नी सुजाता देवी को टीआर एस टिकट देती है। उसके पक्ष में सहानुभूति की लहर उठती है। सहानुभूति की लहर हमारे देश के चुनाव चीतने के लिए किसी का भी रास्ता आसान कर देता है। लेकिन सुजाता देवी चुनाव हार गयीं। उन्हें उसी रधुनंदन राव ने हराया जा गगातार दो बार से चुनाव हार रहे थे। भाजपा इनको टिकट दे रहे थे।
यदि आप दुब्बक की फेनोमेना को समझेंगे तभी आप यह समझ पाएंगे कि कैसे तेलांगाना में भाजपा का भग्योदय हुआ।
यदि आप दुब्बक की फेनोमेना को समझेंगे तभी आप यह समझ पाएंगे कि कैसे तेलांगाना में भाजपा का भग्योदय हुआ। उसे पीछे क्या है। रधुनंदन राव को २०२० के उप चुनाव में ६३ हजार ३५२ मत मिले । सुजाता रेड्डी को जो स्वर्गीय रामालिंगम रेडडी की पत्नी थी, को ६२२७३ मत मिले। चाधरी श्रीनिवास रेड्डी जो कभी कांग्रेस के मंत्री थी, एक तकतबर नेता थे, के बेटे हैं, उनको २२१९६ मत मिले। रधुनंदन राव विधान सभा पहुच गये। रधुनंदन राव २०१४ के विधान सभा के चुनाव में मात्र दस प्रतिशत सीट पाते हैं। वे १५१३१ मत पाकर तिसरे स्थान पर रहते हैं। तब कांग्रेस दूसरे नम्बर पर थी।
जब २०२० के उपचुनाव में रधुनंदन राव जीतते हैं, तो ३८.४७ मत से जीतते हैं। दस प्रतिशत, फिर १४ प्रतिशत, और फिर ३९ प्रतिशत, यह भाजपा के बढने की ट्रेंड है। इस क्षेत्र के अंतर्गत ५ जिले आते हैं। ५ लोकसभा के सीटें आती हैं। २४ विधान सभा की सीटें आती हैं।
दुब्बक विधानसभी के उपचुनाव से यह समझ में आया कि राष्ट्रीय विमर्स के लिए स्पेस है। यही जीएचएमसी के चुनाव में भी दिख रहा है।
के चंद्रशेखर राव एक निर्विवाद नेता हैं। लोग उन्हें तेलांगाना का गांधी कहते है। आप सोचिए कि उनका क्य प्रभाव है।
केसीआर ने तेलांगाना की राजनैतिक जमीन को जिस तरह पकड़ी है, जिस तरह से उन्होंने अपना आधार मजबूत किया है, वह पूरी तरह से यह दिखाता है कि किस केसीआर ने हर तरह से राजनैतिक समीकरणों को फिट किया। और यदि ऐसे में भारतीय जनता पार्टी वहां पर बढ़ रही है तो इसका मतलब है कि हर जगह आज राष्ट्रीय विमर्स के लिए स्पेस है। जब राष्ट्रीय विमर्स कमजोर होता जाता है तब क्षेत्रीय विमर्स पनपता है और पुष्पित होता है।
क्षेत्रीय विमर्स बहुत संकुचित होता है। वह ज्यादा समय तक सरवाइव नहीं करते हैं। उनकी अवस्था छोटी होती है। उसके बाद आपको सामान्य भाव में आना पड़ता है।
राष्ट्रीय
विमर्स अब दक्षिण भारत के राज्यों में भी स्पष्ट दिख रहा है। यह राष्ट्रीय
विमर्स पूर्वोत्तर राज्यों में भी हमें
दिखा। यह राष्ट्रीय विमर्स केरल में भी दिखने लगा है। इसने असम, त्रिपुरा में सरकार बनवाए। ४जिले, ५ लोकसभा, २४
विधानसभा के क्षेत्र को आप गली का चुनाव नहीं कह सकते। पब्लिक के प्राइड फिलिंग
को भाजपा ने एनकैश किया। लोगों के स्वाभिमान को, उनके गर्वानुभूति को, आगे बढाया, यह एक बड़ी चीज है।
दुब्बक विधान सभा चुनाव और ग्रेटर हैदराबाद मुनिस्पल कमीशनरी चुनाव दोनो दो मुद्दों पर हैं, एक, है राष्ट्रीय विमर्स, पूरे देश में कांग्रेस खत्म हो गयी। भाजपा पहले साहस नहीं करती थी। अब उसकी इस तरह से सरकारें बन रही है, इस तरह सक मजबूत हा रही है।
नरेंद्र मोदी और अमित शाह, एक कैडस बेस्ट सिस्टम में वहां तक पहुंचे हैं।
नरेंद्र मोदी और अमित शाह, एक कैडस बेस्ट सिस्टम में वहां तक पहुंचे हैं। नरेंद्र मोदी तो पार्टी में प्रचारक रहे हैं। अमित साह वार्ड के कार्यकर्ता रहे हैं। जगत प्रकाश नड्डा एबीवीपी के सदस्य रहे है। आज वे राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
जगत प्रकाश नड्डा ने योजना बनायी है कि देश के सभी राज्यों में सब जगह जाएंगे और पार्टी का विस्तार करेंगे।
कांग्रस को अपने पतन का कोई पाश्चाताप नहीं है, ऐसा लगता है। जब भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष्ा, गृह मंत्री, कई राज्यों के मुख्य मंत्री, कई केंद्रीय मंत्री, जुटे हुए थे, तो कहां थीं सोनियां जी, कहां थे राहुल जी, कहां थीं प्रियंका जी।


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