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| Ramesh Garodia, Director, Garodia Syntex Pvt. Ltd. |
मुंबई: मुंबई के फैब्रिक उत्पादकों के लिए गत सीजन जिसके गये हुए लगभग डेढ़ महीने बीत गये, वो अच्छा था। लेकिन जब से कोरोना एपिडेमिक की दूसरी लहर चली तबसे व्यापार डिस्टर्व हो गया है। गाड़ोदिया सिंटेक्स तथा गाड़ोदिया कृएशन के डायरेक्टर श्री रमेश गाड़ोदिया ने यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि उत्पादन प्रक्रिया भी डिसटब्ड है। यार्न के रेट पिछलीबार बहुत बढ़े थे। यह लग रहा था आगामी समय में यह पुन: पुराने लेवेल पर आ जाएगा। लेकिन उनके दामों में कोई ज्यादा करेक्शन नहीं हुआ। इस समय व्यापार की दृष्टि से शुन्य काम है।
श्री गाड़ोदिया ने कहा कि प्रोडक्शन भी धीमा ही है। प्रोडक्शन में ऐसा कोई प्रोबलेम नहीं है कि इसे बढ़ाया नहीं जा सकता हो। मगर अभी डिमांड नहीं है। जब तक कोरोना कंट्रोल में नहीं आ जाएगा, तब तक कोई ज्यादा वर्किंग नहीं होगी। जब तक बाजार फुल फ्लेज्ड नहीं खुलेगा, तब तक कोई ज्यादा वर्किंग नहीं होगी। मुश्किल से आधा पौना काम चलता रहेगा।
उन्होंने कहा कि कोरोना के केसेज घटे हैं। मगर फिरभी साढ़े तीन लाख का आंकरा कम तो नहीं होता है। उन्होंने कहा कि गांव खेरे में और छोटे शहरों में मामले बढ़ने लगे हैं। जब सब कुछ ओपेन हो जाएगा, तो भी यह नहीं कहा जा सकता है कि सब ठीक चलने लगेगा। तब भी थोड़ा मुश्किल तो रहेगा।
श्री गाड़ोदिया ने कहा कि दुर्गापूजा और दीवाली का सीजन अब अगस्त से चालू होगा। जून जुलाइ सामान्य रूप से भी काफी कमजोर रहते हैं। लगता है सब कुछ अगस्त तक ठीक हो जाएगा। सब कुछ नॉरमल हो जाएगा। सीजन अच्छी चलेगी।
उन्होंने कहा कि २५ मई तक पूर्व घोषणा के अनुसार लॉकडाउन है। हो सकता है यह दस पंद्रह दिन फिर एक्सटेंड हो जाय। यह सीजन तो इसी तरह निकल जाएगा।
उन्होंने कहा कि जुलाई के बाद ही यह सीजन चालू होता है। हमारी उम्मीद है कि सीजन अच्छी रहेगी। अगले सीजन की तैयारी चल रही है। कपड़ा बनने का प्रोसेस दो से तीन महीने का होता है।
उन्होंने कहा कि पेमेंट का आना काफी स्लो है। लॉकडाउन के कारण पेमेंट पर इफेक्ट पड़ा है। लास्ट लॉकडाउन में जहां पेमेंट पूरी तरह ठप पड़ गया था, इस बात हालात अलग हैं। पेमेंट आ रहा है। बेशक उसकी रफ्तार धीमी है। अभी व्यापारियों की दशा भी उतनी अच्छी नहीं है। लॉकडाउन ने उन्हें भी नुकसान पहुंचाया है।
उन्होंने कहा कि महामारी से बचने का एक मात्र जरिया वैक्सिन है। जितनी जल्द वैक्सिन लग जाए उतना अच्छा। वही वचने का तरीका है। वो लगनी जरूरी है। मगर स्थिति में सुधार हो रहा है। कोरोना के मामले में ३० प्रतिशत सुधार है। और आगे भी सुधार की गुंजाइश काफी है।




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