| Vinod Singh, Editor, Textile Post |
मुंबई:
20 दिसंबर 2021:
जीएसटी संरचना में एकरूपता के
कार्यान्वयन के कारण भारत के कपड़ा क्षेत्र में 1 जनवरी,
2022 से कुछ
उथल-पुथल देखा जा सकता है। कर विशेषज्ञों का कहना है कि परिधान जैसे तैयार
उत्पादों पर जीएसटी में वृद्धि से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) पर प्रतिकूल वित्तीय प्रभाव पड़ेगा।
वित्त
मंत्रालय की ओर से 18 नवंबर को जारी अधिसूचना के मुताबिक
अगले साल की शुरुआत से तैयार उत्पादों जैसे परिधान और कपड़ा पर वस्तु एवं सेवा कर
(GST) में 7 फीसदी की बढ़ोतरी की जाएगी। फैब्रिक पर जीएसटी की दर 5 फीसदी से बढ़कर 12 फीसदी हो जाएगी। यह किसी भी मूल्य के
परिधान पर 12 फीसदी तक बढ़ जाएगा, जबकि पहले 1,000 रूपाए तक की कीमत पर GST की दर 5 फीसदी थी।
उद्योग
के विशेषज्ञों का मानना है कि एक समान GST दर लागू होने से छोटी कंपनियां असंगठित
क्षेत्र में धकेल दी जाएगी। इस क्षेत्र को बचाए रखना मुश्किल हो जाएगा। भारतीय
कपड़ा उद्योग में
MSME क्षेत्र प्रमुखता रखता है। यह लाखों लोगों को रोजगार और व्यवसाय के
अवसर प्रदान करता है। अब सरकार की नीति अन्य क्षेत्रों की तरह, कपड़ा उद्योग के MSME सेक्टर को भी परेशानी में डाल रही है।
उद्योग
की कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं पर GST की वृद्धि विशेष रूप से MSME सेक्टर में तनाव पैदा करेगी। कर की दर में वृद्धि
से टेक्सटाइल उद्योग के एमएसएमई वर्ग पर अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ सकती है। यह पहले से ही धीमी बिक्री और उच्च लागत के कारण दबाव में है। इससे
अंतिम उपभोक्ताओं के लिए दाम में वृद्धि हो सकती है।
हालांकि, सरकार का दावा है कि आपूर्ति श्रृंखला में कर दरों में एकरूपता लाने
के निर्णय से उद्योग को लंबे समय में मदद मिलेगी। संचित
इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के रूप में अवरुद्ध कार्यशील पूंजी रिलीज
होगी। उल्टे शुल्क ढांचे(inverted
duty structure)
के कारण ITC की वापसी से जुड़ी विसंगतियों को दूर
करना प्रस्तावित वृद्धि का उद्देश्य है। इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर का मतलब है
इनपुट पर ज्यादा टैक्स और आउटपुट या फाइनल प्रोडक्ट पर कम टैक्स। सरल शब्दों में, इन व्यवसायों को तैयार उत्पादों की तुलना में कच्चे माल पर उच्च
जीएसटी दरों का सामना करना पड़ता है। जीएसटी परिषद ने कई उद्योगों के लिए उल्टे
शुल्क ढांचे के मुद्दे को उठाया है।
अपस्ट्रीम
उद्योग सरकार के फैसले से संतुष्ट है। अपस्ट्रीम उद्योग द्वारा लंबे समय से यह मांग
लंबित थी। उनका मानना है कि कर ढांचे में एकरूपता से उद्योग में बेहतर
पारिस्थितिकी तंत्र बनेगा। डाउनस्ट्रीम फैब्रिक और परिधान उद्योग को वर्तमान
परिदृश्य में दक्षता विकसित करने की आवश्यकता है। भारतीय कपड़ा उद्योग को वैश्विक
प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए कमर कसने की जरूरत है, इसलिए पूरी मूल्य श्रृंखला को अपनी
दक्षता बढ़ानी होगी।
लेकिन
एमएसएमई सेक्टर जीएसटी ढांचे में बदलाव से खुश नहीं है। वह जीएसटी दर में बढ़ोतरी
को वापस लेने की मांग कर रहा है। हाल ही में मुंबई के कालबादेवी स्थित टेक्सटाइल
ट्रेडर्स एसोसिएशन, हिंदुस्तान चैंबर ऑफ कामर्स, भारत चैम्बर ऑफ कामर्ससहित अनेक एसोसिएशंस
ने इस मांग को लेकर केंद्र सरकार पर कड़ा
दबाव बनाने का फैसला किया है। इस बढ़ोतरी का छोटे और मध्यम आकार के व्यवसायों के
कारोबार पर बुड़ा प्रभाव पड़ेगा, जो
पिछले साल महामारी के कारण प्रभावित हुआ था। इससे पहले कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया
ट्रेडर्स (CAIT) ने भी यही मांग की थी।

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