आप बच सकते हैं
मुबई में फिल्मी फ्रौड से
मुंबई को फिल्मों की नगरी कहा जाता है। यूं तो फिल्मों का निर्माण मुंबई के अलावा भारत के कई शहरों जैसे चैन्नई, हैदराबाद, कोलकाता आदि शहरों में भी होता है। मगर उन शहरों में प्राय: क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों का निर्माण होता है। हिंदी फिल्मों के निर्माण को केंद्र मुबई है। यहां हर साल लगभग १२०० से १५०० फिल्मों का निर्माण शुरू होता है। इसमें से २०० से २५० फिल्में रिलीज हो पाती हैं। बाकी फिल्में बीच में ही रुक जाती हैं। जो फिल्में बीच में रूकती हैं वे बहुत सारे लोगों जैसे प्रोड्यूसरो, डायरेक्टरों, एक्टरों और और टेक्नीसियनों तथा अन्य क्रिएटिव आरटिस्टों के लिए डिसास्टर साबित होती हैं। उनमें प्रोड्यूसर का पैसा तो डूबता ही है, साथ ही बहुत से टेक्नीसियनो और कलाकार के शेष पैसे डूब जाते हैं। वे उनके उम्मीद पर पानी फेर देती हैं। कईयों का केरियर बरबाद होता है।
इसके अलाबा दूसरे स्तर पर
भी एक डिसास्टर होता है। दूर दराज के शहरों और गांवों से बहुत से लोग फिल्मों
में काम करने के लिए मुंबई आ जाते हैं। मगर उनको फिल्म इंडस्ट्री के बारे में
अधिक मालोमात नहीं होता। ऐसे लोगों को लूटने के लिए मुंबई में बहुत से गिरोह सकृय
हैं। ये गिरोह किसी को आरटिस्ट कार्ड के नाम पर, किसी को पार्टफोलियो के नाम पर काफी पैसा लूटते
हैं। बाद में ऐसे लोगों को काम भी नहीं मिलता और
उन्हें इस शहर का ऐक ऐसा नकारात्मक अनुभव मिलता है, कि वे
निराश होकर फिर घर लौट जाते हैं। उसमें से अधिकांश फिर कभी मुंबई का रूख नहीं
करते।
ऐसे लोगों
को ठगे जाने से बचाने के लिए भी कुछ लोग सकृय हैं, जो अपने अपने तरीके से उन कलाकारों और टेक्नीसियनों को यू ट्यूब के माध्यम
से फिल्म जगत की वजिब जानकारी देकर लुटे जाने से बचाते हैं। इसमें एक चैनेल है
फिल्मी फंडे, जिसे वीरेंद्र राठौर चलाते हैं, दूसरा है, फिल्मी फिल्मोनिया, जिसे दर्पन
श्री वास्तव चलाते हैं, और तीसरा
है भोजपूरी वन, जिसे रामा यादव चलाते हैं ।
ये सभी धन्यवाद के पात्र
हैं। सौभाग्य से आज शोसल साइटों का जमाना है। और आज हर किसी तक इंटरनेट की पहुच है।
फिल्मों में काम के इच्छुक नये कलाकारों, टेक्नीसियनों
और प्रोड्यूसरों को इन लोगों के वेबसाइट ज़रूर देखनी चाहिए। उनका मार्गदर्शन लेना चाहिए।
इसतरह वे यहां फिल्मों के नाम पर हो रहे फ्रौड से बच सकते हैं।
फिल्में आखिर कार
प्रोड्यूसर बनाते हैं मगर जब इस इंडस्ट्री में नए प्रोड्यूसर आता है, तो उसे
काफी दिक्कत होती है। ज्यादातर नए प्रड्यूसरों की फिल्में रिलीज नहीं हो पाती
हैं। फिर वह दूसरी फिल्म नहीं बना पाता है। अगर वह किसी तरह रिलीज भी कर पाता है
तो अपने बुरे अनुभवों के कारण उसे दूसरी फिल्म बनाने की हिम्मत नहीं हो पाती है।
जब भी कोई नया फिल्म मेकर
अर्थात प्रोडयूसर फिल्म बनाने के लिए मुंबई आता है तो उसका इरादा होता है कि वह
कोई अच्छी सी फिल्म बनाए, जो बाजार में खूब चले, अच्छी
मुनाफा कमाए, इत्यादि। लेकिन ज्यादातर ऐसे प्रोड्यूसरों की फिल्में
रिलीज तक नहीं हो पाती हैं। बहुतों की फिल्में पूरी नहीं बन पाती हैं। उसमें तो
बहुत सारे लोगों की फिल्में स्क्रिप्ट के लेबेल पर ही दम तोड़ देती हैं।
जब कोई नया फिल्म मेकर
अर्थात प्रोड्यूसर आता है तो वह ऐप्रोच कैसे करता है, हमे यह
समझना होगा। एक तरीका यह होता है कि वे किसी वेल नोन प्रोड्यूसर या डयरेक्टर को
ऐप्रोच करते हैं। वे बताते हैं कि मैं फिल्म बनाना चाहता हूं, मेरे
पास इतना बजट है। आप मेरे साथ फिल्म बनाएं। वे नोन प्रोड्यूसर फिल्म तो बनाते तो
हैं उस नये प्रोडयूसर के मेजर इनवेस्टमेंट की बदौलत मगर उस बेचारे का नाम जाता है
को प्रोड्यूसर में। यहां पर इनका फाइनांसियल लौस तो नहीं होता मगर उनको फिल्म
मेकिंग के प्रोसेस में इनवोल्भ नहीं किया जाता है। क्योंकि ये स्थापित लोग उन्हें
साफ कह देते हैं कि आप पैसा तो लगाएंगे, मगर आप हमारे क्रिएटिव प्रोसेस में,
टेक्निकल प्रोसेस में, रिलीज और मारकेटिंग में कहीं दखल नहीं देंगे, न आपका
हमे कोई सजेशन चाहिए। क्योंकि हम फिल्म मेकिंग के एक्सपर्ट हैं, हम फिल्म
बनाएंगे। आपको अपने पैसों और आर्थिक लाभ
से मतलब है, वो आपको
मिल जाएगा। वो उनको मिल भी जाता है। वहां उनको क्रिएटिव सैटिशफैक्शन नहीं मिल
पाता है। उनके अंदर क्रिएटिव सैटिशफैक्शन की एक भूख तो होती है। इसलिए वे फिर
दूसरी फिल्म नहीं बनाते।
दूसरे वे लोग होते हैं जो
सोचते हैं कि मैं किसी बड़े नाम के साथ एसोसिएट होउंगा तो मेरा अपना नाम नहीं
होगा। मैं एक प्रोड्यूसर के रूप में अपने नाम से फिल्म बनाउंगा। वे जब मुंबई में
आते हैं तो अपने परिचय के किसी ऐसे बंदे की तलाश करता है जो यहां कुछ सालों से
फिल्मों में काम कर रहा है या स्ट्रगल कर रहा है। यह स्ट्रगलर उसे वादा कर देता
है कि उसके कहने से एक से एक एक्टर, और टेक्निसियन उसे मिल जाएंगे और एक अच्छी सी फिल्म बन
जाएगी। मगर ऐसा हो नहीं पाता।



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1 टिप्पणियाँ
किया बात है
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