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Citizenship Amendment Act के समर्थन में अब लामबंद हो रहे हैं गैर मुस्लिम








नागरिकता कानून के पक्ष में भारत के गैर मुसलिम खासकर हिंदु गोलबंद होना शुरू हो गये हैं। देश के अलग अलग भागों से ऐसी खबरें आ रही हैं। अब गैर मुसलिम जनता सीएए कानून के समर्थन में शांतिपूर्ण तरीके से बड़ी संख्‍यां में सड़कों पर आकर आंदोलन कर रहे हैं। आज देश के लगभग हर विश्‍वविद्यालय में सीएए के समर्थन में छात्र प्रदर्शन हो रहे हैं। लगता है कि यह आगे भी जारी रहेगा।
क्‍नाट प्‍लेस के राजीब चौक पर नागरिकता कानून के पक्ष में लोग जमा हुए । उनकी संख्‍या काफी थी, मगर इसे मीडिया ने ज्‍यादा कवरेज नहीं दिया।  मीडिया का यह प्रयास दुभाग्‍यपूर्ण है। मगर आज सोशल मिडिया के इस युग में चूंकि तथ्‍यों को छुपाना मुश्किल है, इसीलिए ये खबरें बाहर आने लगी हैं।

ये सब क्‍यों हो रहा है
इस भीड़ में जिहादी और नक्‍सली पाए गए हैं। इस आंदोलन में नारे लगते हैं अल्‍हा हो अकबर, इंसा अल्‍ला, इंसा अल्‍ला। लेके रहेंगे आजादी। हिंदुओं की कब्र खुदेगी। इन सबों का परपस एक है, मुसलिम समुदाय का वोट पाना और देश में उन्‍माद का वातावरण बनाकर सरकार को अस्थिर करना। ये दिखाना चाहते हैं‍ कि मुसलमानों हम आपकी रक्षा के लिए खड़े हैं। आपकी रक्षा यदि कोई बीजेपी और आर एस एस से कर सकता है, तो सिर्फ हम कर सकते हैं। इन तथाकथित सेकुलर पार्टियों में मुस्लिम वोटों के लिए प्रतिस्‍पर्धा इतना बढ़ गया है कि ममता बैनर्जी ने युनाइटेड नेशन से रेफरेनडम कराने की मांग तक कर डाली। यह मुसलमानों केा अच्‍छा लगता कि कोई उसके हक के लिए इस हद तक आगे जा साकता है कि देश को तोड़ने की भी बात कर सकता है, युएनओ तक जा सकता है। संविधान, सुपरीम कोर्ट को ताक पर रख सकता है। सिर्फ वोट हमे दे देना। यही इस पूरे कबायद के जड़ में है।

मुसलमानों को मूर्ख बनाया जा रहा है
यह कानून देश के मुसलमानों को किस तरह प्रभावित करेगा इसका इनलोगों के पास कोई जवाब नहीं है। इनके पास विरोध करने का कोई तर्क नहीं है, कोई सबस्‍टांस नहीं है। ये सभी पार्टियां, कांग्रेस, वामपंथी, त्रृणमूल, सपा, आम आदमी पार्टी ये सब के सब ने सुपरीम कोर्ट में अर्जी भी लगा दी है। दूसरी ओर आगजनी और कोहराम भी मचा रही है। वे ये दोनो काम क्‍यों कर रहे हैं। यह इनका दोहरापन है।
मुद्दा एक है मगर अलग अलग पोलिटिकल पार्टियों की तरफ से  सुपरीम कोर्ट में ५९ पेटीशन डाले गये हैं। क्‍योंकि इनके आपस में कौम्‍पीटिशन चल रहे हैं कि मुसलमानों के सबसे बड़े खैरख्‍वाह हम हैं।

अबतक ये कह रहे थे कि यह कानून मुसलमानों की नागरिकता छीन लेगी। अब तक ये कह रहे थे कि यह कानून संविधान के खिलाफ है। अब तक ये कह रहे थे कि यह कानून सेकुलरिज्‍म के खिलाफ है। मगर अब जब इनकी पोल खुलने लगी है। आज बड़े बड़े क्‍लेरिक्‍स मौलवी मौलाना आदि की सबसे बड़े  बौडी  की एक मिटिंग हुयी। उसमें उन्‍होंने मुसलमानों से आह्वान किया कि इस कानून का हिंदुस्‍तान के मुसलमानों के उपर कोई असर नहीं है, हमको यह विरोध नहीं करना चाहिए।


जामा मसजिद और अजमेर शरीफ दरगाह के इमामों का आहवान

जामा मसजिद और अजमेर शरीफ के दरगाह के इमाम ने मुसलमानो काे आगाह किया है कि वे इस भ्रम से बचें। उन्‍होंने कहा कि देश के मुसलमानो से इस कानून का कोई लेना देना नहीं है। जैसे जैसे यह बात आम मुसलमानों के समझ में आ रही है, वे इन भ्रम से दूर होते जा रहे हैं।

विपक्ष  को यह भ्रम फैलाना महगी पड़ने वाली है
विपक्ष ने नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में जिस तरह से राजनीति की, वह उनको महगी पड़ने वाली है। विपक्ष ने मुस्लिम वोट के लिए यह भ्रम फैलाया कि मुसलमानों को इस देश से निकालने की साजिश की जा रही है। जाहिल मुसलमान जनता उनकी बातों में आकर उग्र विरोध पर उतर आए। देश के कई हिस्‍सों में विरोध उग्र और हिंसक हो गया। विपक्ष ने मुस्लिम वोट के लिए पूरे देश को हिंसा की आग में झोंक दिया। आम लोगों को काफी दिक्‍कत आयी। और इसकी ऐसी प्रतिक्रिया हुयी है कि अब गैर मुसलिम लोग सरकार और कानून के समर्थन में शांतिपूर्ण तरीके से बड़ी संख्‍यां में सड़को पर आ रहे हैं। प्रदर्शन हो रहे हैं। यह पूरा मसला मुसलमान वरसेस नन मुसलमान होता चला जा रहा है। अब इन लोगों को यह डर सताने लगा है कि यदि तमाम गैर मुसलिम लोग सड़क पर सरकार के समर्थन में आ गए तो क्‍या होगा। और इसका आगाज भी हो चुका है।

ये तमाम तथाकथित सेकुलर पार्टियां जो कल तक मुसलमान वोट के लिए आपस में गुत्‍थम गत्‍थी कर रहे थे, वे अपने अपने घरों में दुबकने लगे हैं। क्‍योंकि अब इन्‍हें लगने लगा है कि इस आंदोलन का इन्‍हें फायदा नहीं होने वाला है। बल्कि उल्‍टे गैर मुसलमान इकट्ठे होने वाले हैं और इसका फायदा सीधी तरह से भाजपा को ही होने वाला है।

कौन इन आंदोलनों का नेतृत्‍व कर रहे हैं
इस कानून का विरोध देश के तमात छात्रों ने नहीं किया । मात्र लेफ्ट पार्टियों से जुड़े तमात छात्रों ने आंदोलन  किया । अब देश के तमाम कालेजों में छात्रों सीएए के समर्थन में आंदोलन  करने लगे हैं। वे शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन  कर रहें हैं। मगर उनकी संख्‍यां इनसे बहुत ज्‍यादा है। मेडिया इसे अब तक छुपा रहा है। 

दिल्‍ली में जामियां में आम आदमी पार्टी का विधायक अमानुतुल्‍ला उसको लीड करता है। जाफराबाद में कांग्रेस के मतीन अहमद भीड़ को लीड करता है। । गुजरात के अहमदाबाद में कांग्रेसी लीडर लीड करता है।। कर्नाटका में  भी कांग्रेसी लीडर लीड करता है। सम्‍बल में समाजवादी पार्टी का सांसद लीड करता है। बिहार मे पप्‍पू यादव और तेजस्‍वी यादव लीड करता है। बंगाल में ममता बैनर्जी लान्‍ग मार्च निकाल रही है।

ओबैसी जैसे मुस्लिमपरस्‍तों का डर
ओबैसी जैसे मुस्लिमपरस्‍तों को अब लगा कि यदि सारे मौलाना लोग इस तरह कहेंगे तो हमारी राजनीति तो खत्‍म हो जाएगी। आज उसने कहा कि ये क्‍लेरिक्‍स तो इरिलिवेंट हैं। जामा मसजिद और अजमेर शरीफ के मौलाना जब सरकार के रूख का समर्थन कर रहे हैं तो इनके पास खुद को डिफेंड करने की कोई दलील नहीं है। ये खुद भी जानते हैं कि यह कानून तो हिंदुस्‍तान के मुसलमानों पर लागू होता नहीं है। फिर ये एनआरसी की बात करते हैं। वह अभी तो आया ही नहीं है। जो कानून अभी बना नहीं, इंट्रोडयूस नहीं हुआ, जिसका अभी ड्राफ्ट भी तैयार नहीं हुआ है, उसको लेकर आप पूरे देश को आग लगा रहे हो। 
 
इन प्रदर्शनों की हकीकत
आखिर इनलोगेां की रणनीति, स्‍ट्रैटेजी क्‍या है। दर असल इन प्रदर्शनों में ज्‍यादा लोग नहीं हैं। कहीं २००, कहीं ५००, कहीं ३०००। ये उग्र हो जाते हैं , पथराव करते हैं, आगजनी करते हैं, तो टेलीविजन के लिए एक विजुअल बन जाता है। इसलिए यह बतौर खबर दिखने में बड़ा लगता है। और इसलिए इसे इस तरह दिखाया जा रहा है। दिल्‍ली की जनसंख्‍यां डेढ़ करोड़ है। दो तीन हजार लोगों का इसमें कोई मायने नहीं है।

जैसे जैसे लोगों को इनकी मंशा समझ में आने लगी है, इनकी भाषा में दो दिनेां से बदलाव आ गया है। ये अब कह‍ते हैं कि कानून सही है तो भी क्‍या हुआ आपने लोगों को समझाया नहीं। आपको कानून पेश करना नहीं आता है। और आपसे देश सम्‍हाला नहीं जा रहा है। आपको गवरनेंस नहीं आता। जबकि हकीकत यह है कि नरेंद्र मोदी की सरकार ने मात्र ६ सालों में वह सब काम कर दिया जिसे कांग्रस ७० सालों में नहीं कर पायी। 
 
आहिस्‍ता आहिस्‍ता खुल रही है इनकी कलई
ये भ्रम फैलाने वाले लोग कहां से चले थे और कहां पहुच गये। शुरू में तो यह कह रहे थे कि यह कानून असंवैधानिक है। यह मुसलमानेां के खिलाफ है। उनकी नागरिकता चली जाएगी। यह सेकुलरिज्‍म के खिलाफ है, संविधानकी आत्‍मा को कुचला जा रहा है। अब ये कह रहे हैं कि मोदी को सरकार चलाना नहीं आता। इनकेा लोगों को पहले समझाना चाहिए था।
अरे भाई, इस कानून पर २०१५ में लोकसभा के अंदर बहस हुयी। यह पास भी हो पाया। तब इसपर ९ धंटे बहस हुयी थी। लेकिल राज्‍य सभा में बीजेपी के पास बहुमत नहीं था। यह पास नहीं हो सका। फिर इसे सलेक्‍ट कमीटी में भेज दिया गया। सलेक्‍ट कमीटी में हर पार्टी के सदस्‍य होते हैं। उसमें बाकायदा कानून के मेरिट के उपर  जिरह होती है। सलेक्‍ट कमीटी में यह बहुमत से पारित हुआ। यह बिल कानून की सारी प्रक्रिया से गुजर कर कानून बना है। फिर ये कैसे कह रहे हैं कि आपने लोगों को बताया नहीं, समझाया नहीं। अबकी बार जब यह बिल पास हुआ है तो लोक सभा मे ८ धंटे और फिर राज्‍य सभा मे ८ धंटे इसपर बहस हुयी है। इसके अलावा न जाने कितने धंटे टेलीविजन चैनलों पर बहस हुयी है। सोए हुए को जगाया जाता है मगर जो सोने का स्‍वान कर रहा है, उसे नहीं जगाया जा सकता। ये लोग जानबूझ कर इस देश के मुसलमानों केा भड़का रहे हैं। कि तुम्‍हारी नागरिकता चली जाएगी। इनलोगों ने मुसलमानों को इस कदर डरा दिया कि वे कहने लगे हैं कि हम पाकिस्‍तान नहीं जाना चाहते। 

कौन लोग हैं ये भ्रम फैलाने वाले
ये विपक्षी पार्टियां झूठ की खेती कर रहे हैं। इसमें वो लोग भी शामिल हैं, वही पुराने चेहरे ये अवार्ड वापसी गैंग, इनटौलरेंस वाले गैंग, लिंचिंग  वाले गैंग, राफेल वाले गैंग, राम मंदिर वाले गैंग,। इनकी नीयत खराब है, यह जाहिर हो चुका है। इनसे बरदास्‍त नहीं हो रहा हि प्रधान मंत्री मोदी फिर से क्‍यों जीत गये। इसका काट इन्‍होंने सोचा कि मुसलमानों को अफवाह के जरिए ब्‍लैक मेल किया जाय। ताकि वे सड़क पर उतरे और अरवन नक्‍सली, ये जिहादी आइएसआइ के एजेंट, इसी भीड़ में घुसके ये हिंसा भड़काने में जुट जांय। अच्‍छी बात यह है कि सरकार किसी भी हालत में इस कानून को वापस नहीं लेगी । और पुलिस यथा संभव तहम्‍मुल और धैर्य से काम ले रही है। 
 
अफवाह का तत्र
कांग्रेस और उसके सहयोगी वामपंथी, त्रृणमूल, सपा, आम आदमी पार्टी और साथ में सेकुलर, लिबरल कबाल मुसलमानो को डरा कर अराजकता फैला रही है। देश के हर हिस्‍से में प्रदर्शन हुए हैं। जबतक उजाला रहा तब तक तो यह शांतिपूर्ण रहा, मगर शाम होते ही या जब अंधेरा होने लगा तो ज्‍यादातर जगहों पर वह हिंसक हो गया। सीलमपुर में एडीशनल डीसीपी को पत्‍थर लगा है। दिल्‍ली गेट पर डीसीपी दफ्तर के सामने कार को आग लगा दी गयी । यूपी के करीब १५ शहरों में हिंसक घटनाएं हुयीं। ये वही शहर हैं जो मुस्लिम मैजोरिटी में हैं और जहां राजनैतिक रूप से भाजपा की स्थिति कमजोड़ है। अहमदाबाद के शाहे आलम इलाके में पुलिस को दौरा कर पीटा गया। कुल २६ पुलिस वाले जख्‍मी हुए हैं और एक कौमा में है। इस मामले में कांग्रेस का पार्सद सहजाद खान पठान सहित ४९ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। । इसमें ३०२२ लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। जंतर मंतर जैसे इलाके में जहां कैमरे ज्‍यादा थे, वहां फूल बांटे जा रहे थे, मगर जहां अंधेरा था, वहां हिंसा के बारदातों की खबरें हैं। जामा मस्जिद दरियागंज पुरानी दिल्‍ली के इलाकों में हिंसा हुयी। लोगों ने पत्‍थर फेके । पुलिस ने वही पत्‍थर वापस फेके ऐसी भी तस्‍वीरे हैं। इससे यह साबित होता है कि वे राष्‍ट्र विरोधी लोग हैं। आंदोलन तो सीएए के समर्थन में भी हो रहा है। वे तो कोई उपद्रव नहीं फैला रहे हैं।

सीएए के समर्थन
आज देश के लगभग हर विश्‍वविद्यालय में सीएए के समर्थन में प्रदशन हुए हैं। क्‍नाट प्‍लेस के राजीब चौक पर नागरिकता कानून के पक्ष में लोग जमा हुए । उनकी संख्‍या काफी थी, मगर इसे मीडिया ने ज्‍यादा कवरेज नहीं दिया। मीडिया का यह प्रयास, यह दोहरापन दुभाग्‍यपूण है।

मूर्खतापूर्ण अफवाह
यह अफवाह फैलाया जा रहा है कि ३० करोड़ में से २५ करोड़ मुसलमानों को देश से बाहर भेज दिया जाएगा। हकीकतन, ऐसी न कोई बात है, न यह मुमकिन है। जो लोग आगजनी करते हैं या पुलिस पर पत्‍थर फेंक रहे हैं वे देश को बरबाद कर रहे हैं, वे देश के अच्‍छे नागरिक तो नहीं कहला सकते।

देशद्राहियों की साजिश
नरेंद्र मोदी से कांग्रेस और उसके सहयोगी वामपंथी, त्रृणमूल, सपा, आम आदमी पार्टी तो परेशान हैं ही। साथ में इस देश का मीडिया और सेकुलर, लिबरल कबाल भी परेशान हैं । इसका कारण साफ है कि इन तमाम लोगों को इस सरकार से पहले तक इतने तरह के नाजायज पैसे मिल रहे थे कि इनकी दूकानदारी फलफूल रही थी। इन लोगों ने अपनी अपनी एनजीओ संस्‍था बना रखी थी। इन्‍हें करोड़ों में विदेशी फंड मिलते थे। मोदी साहब ने इसे बंद करवा दिए।मनमोहन सिंह जब विदेश जाते थे तो उनके साथ सौ से भी ज्‍यादा पत्रकार जाते थे। वे मुफत में विदेश घूमते थे। फाइव स्‍टार होटलों में आराम फरमाते थे। अब यह सब रिवाज खत्‍म हो गया है। मोदी साहब अपने साथ किसी पत्रकार को विदेशी सैर पर नहीं ले जाते हैं। इसलिए मीडिया और तथाकथित बुद्धिजीवी उनके दुश्‍मन बन गये हैं। वे भले ही देश और आम लोगों के दुखदर्द की बात करते हों, उन्‍हें इन गरीबों से कुछ लेना देना नहीं है। उन्‍हें दुख है कि इस सरकार में उनकी नाजायज कमाई बंद हो गयी है।

नरेंद्र मोदी से खफा लोगों ने एक बार कोशिश की कि चौकीदार चोर है का नारा बुलंद किया जाय । मगर यह फेल कर गया। उल्‍टे लोगों ने कहना शुरू किया कि मैं भी चौकीदार हूँ। उन्‍होंने राफेल की खरीद पर भ्रष्‍टाचार का आरोप लगाया। यहां तक कि अदालत तक चले गये। वहां भी उन्‍होंने मुह की खायी। धारा ३७० पर बवाल मचाया, वहां भी उन्‍होंने मुह की खायी। सर्जिकल स्‍ट्राइक पर बवाल मचाया, वहां भी उन्‍होंने मुह की खायी। तीन तलाक पर बवाल मचाया, वहां भी उन्‍होंने मुह की खायी। राम मंदिर के फैसले पर बवाल मचाया, वहां भी उन्‍होंने मुह की खायी। जब वे हर जगह से निराश हो गए तो अब इनहोंने सोचा सिटिजन शिप कानून पर यह दाव खेल लेंगे। चाहे राम मंदिर का मामला हो या दूसरा कुछ, किसी भी बार, सरकार संवैधानिक दायरे से बाहर नहीं गयी। सरकार ने जनभावना की कहीं अनदेखी नहीं की। हर मोर्चे पर सरकार विजयी हुयी। यही लोग देश में आग भड़का रहे है, यही लोग सरकार को  असंवैधानिक कहते हैं। सोनियां गांधी इटली की नागरिक हैं। क्रिश्‍चन हैं, हिंदु विरोधी है, वो कहती हैं कि बीजेपी सरकार लोगों के खिलाफ क्रूड़ और कठोर एक्‍शन ले रही है। 
आप सोचिए। शाहे आलम इलाके में २६ पुलिस धायल हुए। सीलमपूर में डीसीपी को पत्‍थर लगा। कई जगह पुलिस वाले पिटे हैं, मगर फिर भी पुलिस ने धैर्य नहीं खोया, और तहम्‍मुल का मुजाहिरा किया। पुलिस ने सराहनीय काम किया है। मगर सोनिया गांधी ने न तो एक शब्‍द अराजक आतंकवदियो के विरूद्ध कहा न तो पुलिस के लिए सहानुभूति का एक शब्‍द कहा। जिस लोकतंत्र की वह बात कर रही हैं वह पुलिसवाले की शक्‍ल में कल शाह आलम इलाके में पड़ा था और उसको दंगाई पत्‍थर मार रहे थे। उसपर उनका एक शब्‍द नहीं निकला। प्रियंका कहती है कि गरीबों को एनआरसी आने के बाद दिक्‍कत होगी। अमीर तो पहचानपत्र दिखा देगा मगर गरीब के पास कागज ही नहीं होगा।

हकीकत यह है कि कांग्रेस शासन काल में गरीबो को कुछ भी नहीं मिला । गरीबो को एक पहचान पत्र भी नहीं मिला। उसका एक बैंक का खाता नही खुल पाया।
इसी नरेंद्र मोदी सरकार ने विना किसी परेशानी के उन गरीबों के खाते खुलवाए, उनको रसोई गैस दिलवाई । उनका आधार कार्ड बनवाया। उन्‍हें विजली दिया। इस सरकार ने गरीबों के लिए पिछले ६ सालों में जितना किया उतना तो कांगेस ने ७० सालों में नहीं किया।

प्रियंका कहती हैं कि युवा प्रदर्शन करता है तो उसे पीटा जाता है। आप देखिए जो युवा शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहा है उसे नहीं पीटा जा रहा है। जो उग्रवाद पर उतारू हैं, जो आगजनी कर रहे हैं, जो राष्‍ट्र की क्षति में शामिल हैं, उन्‍हें क्‍यों न पकड़ा जाय, पीटा जाय।  

अफवाह फैलाया जा रहा है कि २५ करोड मुसलमानो को निकाला जाएगा । हकीकतन, जो यहां के नागरिक हैं, उनको बिलकुल कोई खतरा नहीं है। किसी की यह हैसियत नहीं है कि जो भारत के नागरिक हैं उसे निकाल बाहर कर दिया जाय। यह संभव नहीं है। प्रियका कहती हैं कि योगी जी बदला ले रहे हैं।
योगी जी ने कहा है कि जो सरकारी सम्‍पत्ति का नुकसान करेंगे, उसका बदला या नुकसान उन्‍हीं को भरना पड़ेगा। प्रियका जी अपने दिमाग का इलाज करवाइए। ये बदला लेना नहीं है। इसको भरपाई कहते हैं।

कांग्रेस के खतरनाक इरादे
सीएए में आप कुछ नुक्‍स नहीं निकाल पाए तो आप कहते हैं कि इसे एनआर सी से जोड़ कर देखा जाय। जबकि एन आर सी का अबतक प्रारूप भी नहीं बना है। ये खतरनाक इरादे हैं इनके। ये खतरनाक डेजायन हैं इनके। ये खतरनाक साजिश  हैं इनके। एन आर सी का अबतक प्रारूप भी तैयार नहीं हुआ है। मुसलमानो को ठीक से समझना पड़ेगा। आज झूठ ज्‍यादा देर तक टिक नहीं सकता । कांग्रेस या आम आदमी पार्टी या वामपंथियों, त्रृणमूल, सपा, आम या मीडिया और सेकुलर, लिबरल कबाल का झूठ भी। सरकार ने साफ कर दिया है कि नागरिकता पर धबराए नहीं। 

पाकिस्‍तान, बंगलादेश या अफगानिस्‍तान आदि के मुसलमानों को भारत आमंत्रित नही कर साकता। ११ साल वाला नियम अभी भी अपनी जगह है। ६ साल वाली छूट इन्‍हें दी गयी है। इनको इसकी जरूरत है।
 
सोनिया का राष्‍ट्र के नाम संदेश
आज वह ३ मिनट के विडियों के साथ अवतरित हुयी। प्‍यारे देश वासियों, के साथ भाषण का शुरू और जय हिंद के साथ खत्‍म। मगर उसमें न भारत के लिए कोई प्‍यार था न देश के लिए कोई वास्‍तविक जय की भावना है। वह तो आज भी अपने को इटालियन ही समझती हैं। देश में बवाल चल रहा है। उन्‍हें शांति बरतने की बात करना चाहिए थी। मगर उन्‍होंने देश में भ्रम फैलाने का काम किया। लोगों को उकसाने का काम किया है, और गलत बयानी की है। उन्‍होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी छात्रों युवाओं और नागरिकों के खिलाफ भाजपा सरकार के क्रूर दमन पर गहरी चिंता व्‍यक्‍त करती है। सच तो यह है कि सरकार और पुलिस पूरी तरह संयम से काम ले रही है। पुलिस बड़ी संख्‍यां में जख्‍मी हैं।

सोनियां ने कहा कि भाजपा सरकार की विभाजनकारी एजेंडे और जनविरोधी नितियों के खिलाफ देश भर में, विश्‍वविद्यालयों में, शिक्षण संस्‍थानों में स्‍वत: स्‍फू‍र्त विरोध हो रहे हैं। सच तो यह है कि वे खुद और उनकी नीति जन विरोधी है और वह खुद विभाजनकारी एजेंडे पर काम कर रही हैं। उन्‍होंने और उनके सहयोगी पार्टियों ने विश्‍वविद्यालयों में, शिक्षण संस्‍थानों में छात्रों को उकसाया है।

वे कहती हैं कि भारतीय संविधान में और लोकतंत्र में  सबको विरोध करने और अपनी आवाज उठाने का हक है। कांगेस पार्टी सरकार की हरकतों की पुरजोर निंदा करती है। और न्‍याय की लड़ाई में भारतीय नागरिकों और अपने छात्रों के साथ एकजुट होकर खडी है।
सच तो यह है कि संविधान आगजनी करने और अराजकता फैलाने की छूट नहीं देता है। सरकार लोगों की ही बात सुनकर अपना काम कर रही है। सरकार ने जो मैनिफेस्‍टो बनाया था उसी पर उसे यह मैंडेट मिला और वही तो वह कर भी रही है।
लोगों से शांति की अपील करने की बजाय सोनियां ने फिर से भड़काने वाली बात की है। और नागरिकता संशोधन के बारे में  भ्रम फैलाने की कोशिश की है। कांग्रेस का मूल एजेंडा यही है कि लोगों में गलतफहमी फैलाओ।वह कहती है कि नागरिकता संशोधन कानून भेदभाव पूर्ण है, नोटबंदी की तरह फिर एक एक व्‍यक्ति को अपनी और अपने पूर्वजों की नागरिकता सावित करने के लिए लाइन में खड़ा होना  पड़ेगा।

सवाल यह उठता है कि नागरिकता संशोधन कानून से देश के निवासियों को कोई लेना देना नहीं है, यह पाकिस्‍तान बंगलादेश और अफगानिस्‍तान  आदि देशों से आए शरणार्थियों पर लागू होता है, जिनपर धर्म के आधार पर भेद भाव हुआ और उत्‍पीड़न हुआ है। जिनको अपने धर्म का, पूजा का, उपसना का हक छीन लिया गया है। जिनकी बहन बेटियों के साथ योनाचार हुआ है।  उनके धर्म परिवर्तन कराए गये हैं । और वे भारत में शरण लेने आए हैं। इस नागरिकता संशोधन कानून के तहत भारत उनकेा शरण दे‍ रहा है। मगर कांग्रेस यह भ्रम फैला रही है।

पाकिस्‍तान में माइनोरिटी की सुरक्षा एक सवाल है
पाकिस्‍तान में माइनोरिटी की सुरक्षा एक सवाल है।  वे २९ प्रतिशत से दो प्रतिशत हो गये हैं। जो शरणार्थी पाकिस्‍तान से आए हैं वे प्राय: डकूमेंट के साथ आए हैं। वे कहते हैं कि हम वापस नहीं जाएंगे । हम वहां सुरक्षित नहीं हैं। हमारे साथ मजहब के नाम पर डिसक्रिमिनेट होता है। आप जिन मुसलमानों को नागरिकता दिलाने की वकालत करते हैं ये लोग उन्‍हीं के डर से ये गैर मुसलमान शरणा‍र्थी भारत आऐ हैं। इन सबों के धर लुट गये हैं। अगर मुसलमानों की आप  तरफदारी करते हैं तो बताएं कि फिर यह मुल्‍क बाटा क्‍यों ।

कांग्रेस यह भ्रम क्‍यों फैला रही है
कांग्रेस यह भ्रम फैला रही है कि नागरिकता संशोधन कानून भेदभाव पूर्ण है, नोटबंदी की तरह फिर एक एक व्‍यक्ति को अपनी और अपने पूर्वजों की नागरिकता सावित करने के लिए लाइन में खड़ा होना  पड़ेगा।
इसका मतलब यह है कि कांग्रेस जानबूझ कर देश में मुसलमानो को भड़काकर  अराजकता फैलाने की कोशिश कर रही है।
वह आगे कहती हैं कि प्रस्‍तावित एनआरसी समाज के ग़रीब और  कमजोड़ वर्ग को सबसे ज्‍यादा नुकसान पहुचाएगा। सच यह है कि एन आर सी का अभी कोई प्रारूप तैयार ही नहीं है तो किस आधार पर सोनियां कहती हैं कि वह गरीबों और  कमजोड़ वर्ग को सबसे ज्‍यादा नुकसान पहुचाएगा। इससे इनकी बदनीयती झलकती है। वे भ्रम फैला रही हैं।

समाज के ग़रीब और  कमजोड़ वर्ग को भी संगठित करके वह भड़काकर  अराजकता फैलाने की कोशिश कर रही है।

आगे वह कहती हैं कि कांग्रेस पार्टी भारत के लोगों केा भरोसा दिलाती है कि वह उनके मौलिक अधिकार की रक्षा के लिए खड़े होने और हमारे संविधान के बुनियादी मूल्‍यों को बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

कांग्रेस यदि उनके मौलिक अधिकार की रक्षा के लिए और हमारे संविधान के बुनियादी मूल्‍यों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध होती तो यह देश आज गरीब होता ही नहीं। कांग्रेस ने देश को किस तरह लूटा यह किसी से छिपा नहीं है। वह आज तक गरीबों को शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य का बुनियादी अधिकार तक नहीं दे पायी। कांग्रेस काल में तो इस देश को कुछ नहीं मिला। इसके तफसील में जाना अभी इस एक लेख में संभव नहीं है।


उन्‍होंने लोगों को एक शब्‍द शांति या संयम बरतने के लिए नहीं कहा। उन्‍होंने लोगों को  भ्रम में डालने और भड़काने का काम किया है। उसने मोदी सरकार पर भेदभाव पूर्ण व्‍यवहार करने और लोगों पर क्रूड़ दमन करने का आरोप लगाया है। 

सच्‍चाई क्‍या है
सच्‍चाई क्‍या है। अबतक लगभग १५ राज्‍यों में अगल अलग जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं। सरकारों ने हर जगह विरोध प्रदर्शन की इजाजत दी है। पुलिस ने यथासंभव संयम दिखाया है। लेकिन जहां जहां लोगों ने पथराव आगजनी या हिंसा किया है या पुलिस पर एटैक किया है, क्‍या वहां भी पुलिस और प्रसाशन मूक दर्शक बनकर खड़ा हो जाय। तब पुलिस का मतलब ही क्‍या बनता है।



यह २०१९ है, १९४७ नहीं
अब इक्‍वेशन बदल गया है। भारतीय मुसलमानों का आज भी नारा है कि लड़ के लिया था पाकिस्‍तान, हंस के लेंगे हिंदुसतान। ये कहते हैं कि भाजपा और आरएसएस देश तोड़ने वाली है ताकतें हैं। यह तो वही बात है कि चोरी और सीनाजोरी। इन शरणार्थियों को शरण देना तो कभी कांग्रेस का एजंडा था, मगर ७० साल हो गये उसने कुछ किया नहीं। वे  बात करते हैं और ठंडे वस्‍ते में रख देते थे।

मौजूदा नरेंद्र मोदी की सरकार जो कहती है वह करती है। इसने चुनाव पूर्व अपने मेनिफेस्‍टो में जनता से वादा किया था कि वह पाकिस्‍तान में पिडि़त इन शरणार्थियों को बसाएगी। और जनता ने उसे मैनडेट भी दिया । 

हैदरावाद का एक जोकर कहता है कि ३५ करोड मुसलमान लोग सरकों पर उतरेंगे। मैं चाहता हूं वे उतर जायं। उनके चाहने वाले भी उतर जांय। वे विरोध करें इस कानून का जितना उन्‍हें करना है। यह १९४७ नहीं है। यह २०१९ है। अगर कुछ लेाग समझते हैं, हम माइनोरीटी की तरह संयमित नहीं रहेगें। हम मैजोरिटी को अपने जूते के नीचे रखेगे, तो वे गलतफहमी के शिकार हैं। लिहाजा बात इतनी सी है कि पाकिस्‍तान में जिन्‍होंने हिंदू लड़कियों को किडनैप किया, उनका कनवरजन किया, उनका रेप किया, हिंदुओं को मारा पीटा, उनके मंदिरों को तोड़ दिया, उनकी पहचान को खत्‍म कर दिया, उनको एक ऐसी स्थिति में रखा कि वे कहीं खडे न हो पाएं। ऐसे लोगों का हम स्‍वागत नहीं कर सकते हैं।

७० साल में एक ऐसी सरकार आयी है जो वास्‍तब में कमजोड़ के लिए काम कर रहीं हैं। पहली बार भारत की सरकार ने  सरकार बचाने के लिए नहीं बल्कि राष्‍ट्र बचाने के लिए बिल लाया है।

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