मुंबई : लौक डाउन अब १४ अप्रैल के
बजाय ३ मई को खुलेगा। या ऐसा भी हो सकता है कि वह और आगे बढेगा । ऐसे में भारतीय
टेक्सटाइल इंडस्ट्री की हालत और भी खराब होगी, ऐसी
आशंका जतायी जा रही है। लगभग यही स्थिति गारमेंट उत्पादकों की भी है। ओवर ऑल
टेक्सटाइल मारकेट काफी खराब दशा से गुजर रहा है। यह उद्योग पहले से ही अच्छी दशा
में नहीं चल रही थी । उसपर से कोरोना महामारी के कारण इसकी स्थिति और भी खराब हो
गयी।
टेक्सटाइल उद्योग को सामान्य स्थिति में आने में आने में कम से कम एक वर्ष लग सकता
है । अगले वित्त वर्ष २०२१-२२ तक इसकी दशा
सुधरेगी। फिलहाल यह उद्योग बहुत खराब दशा में पहुच गयी है। यह लौकडाउन जून तक चल
सकती है। जबतक ४० प्रतिशत इकाइयां दीवालिया भी हो सकती हैं। घरेलू और निर्यात की
डिमांड भी खत्म हो गयी है। दुनिया में ज्यादा स्टोर्स बंद पडे हैं। पहले के सभी
आरडर कैंसिल हो गये हैं। कुछ आरडर पोस्टपोन हो गये हैं। कलेक्शन आ नहींआ रहा है।
कोरोना महामारी के कारण दुनिया भर में निर्यात बंद
हैं। भारतीय टैक्सटाइल इंडस्ट्री अपना ज्यादातर निर्यात अमेरिका, यूरोप, जापान आदि देशों में करता है। कोरोना
महामारी के कारण इन देशों के व्यापार भी बंद चल रहे हैं। भारतीय टेक्सटाइल
उद्योग से आने वाले समय में लगभग एक करोड़ नौकरियां खत्म हो सकती है। भारत से
लगभग ४० अरब डालर के टेक्सटाइल प्रोडक्ट का विदेशों में निर्यात होता है। यह कुल
भारतीय निर्यात का १२ प्रतिशत बनता है।
जीडीपी में टेक्सटाइल उद्योग का योगदान २.३ प्रतिशत बनता है। बहुत सारे व्यापारी
और औद्यौगिक इकाइयां कर्ज लेकर अपना कारोबार करती हैं । उसमें से अनेकों के एनपीए
होने का खतरा बनता जा रहा है।
मगर यह भी सही है कि सरकार अपने स्तर
से जो बेहतर हो सकता है, करने की भरसक कोशिश
कर रही है। अगर ये तबलीगी जमात वालों ने यह तमाशा नहीं खड़ा किया होता तो अब तक
लौकउाउन खुल चुका होता। मगर वे लोग अपनी हरकत से बाज नहीं आ रहे हैं। और हालात बद
से बत्तर होती जा रही है। ऐसे में यह आशा करना भी मुश्किल है कि हालात कब तक
सुधरेंगे।
भारत ने कोरोना
महामारी महामारी से निपटने के जो प्रयास किया है उसकी सारी दुनियां तारीफ कर रही
है। पूरी दुनिया में अब तक लगभग डेढ़ लाख लोग
इस महामारी से मर चुके हैं। इसका ८० फीसदी यूरोपियन देशों और अमेरिका के लोग हैं। बेशक आशा की किरण भी
दिख रही है । इसमें ५६०३०९ केसेज रिकौवर भी हुए हैं। दूसरे जंगे अजीम के बाद दुनियां में यह सबसे बड़ी
तबाही आयी है। यह एक भयानक पेनडैमिक । वैक्सिन कब आएगी यह अभी कह पाना मुश्किल है।
मगर कोशिश जारी है।
भारत
में लौक डाउन का फायदा तो निश्चित हुआ है। अगर लौक डाउन समय रहते न किया गया होता
तो हालात काबू से बाहर निकल गया होता। इसलिए लोगों को अधीर नहीं होना चाहिए । जान
है तो जहान है। लगभग १५००० अमेरिकन अपनी जान गवा चुके हैं। अबतक ६ लाख कनफर्म
केसेस रेकार्ड किए गये हैं जिनका इलाज चल रहा है । मोदी साहब ने सही टाइम में लौक
डाउन किया। ज्यादातर स्टेट ने पूरा साथ
भी दिया। बेशक पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सरकार का काम काज उतना अच्छा नहीं कहा
जा सकता है। फिरभी हालात अभी नियंत्रण में है। भारत में कुल मिलाकर स्थिति काफी
अच्छी है। इसे देखकर दुनियां के साइटिस्ट हैरान हैं । धाराबी में एक किमी में ३
लाख लोग रहते हैं। यहां झुग्गी झोपड़ी का सिलसिला है। जमातियों ने इसे भी अपना
टारगेट बनाया। मगर फिरभी हालात नियंत्रण में है।
बेलजियम, जर्मनी, इंगलैंड, सिवटजर लैंड, इटली, स्पेन आदि की हालत तो काफी खराब हो चुकी है ।
एशिया में भी भारत अकेला देश नहीं है जो इस कोरोना
महामारी की चपेट में आ गया हैं। आसपास के देश भी कोरोना महामारी से अछूते नहीं है।
हां नेपाल, भूटान में बहुत कम केसेज के रिपार्ट हैं। हो सकता है
वहां के आवोहवा का यह इमपैक्ट हो । एशिया
में दक्षिण कोरिया ने हालात को काफी हद तक सम्हाला है। इंडोनेसिया में भी इतना नुकसान
नहीं हुआ। श्रीलंका बंगलादेश में भी काफी कम केसेस हुए हैं । थाइलैंड, लाओस, कम्बोडिया, वियतनाम में भी ज्यादा मामले नहीं हुए । भारत
में पूरी रणनीति के तहत जमातियों ने इसे फैलाया।
सरकार, खासकर केंद्र सरकार तो अपने भर
पूरी कोशिश कर रही है। हमें भी बतौर नागरिक इंतजार करना होगा। और हमें सरकार को
सहयोग करना होगा। अभी हमे धैर्य से काम लेना होगा। अर्थ व्यवस्था का महत्व तभी
है जब हम जिंदा रहेंगे।


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