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प्रधान मंत्री मोदी के कोरोना वायरस से लड़ाई में सोनियां गांधी की शातिरवाजी



प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस के संकट से लड़ने के लिए PM CARES अर्थात Prime Minister Citizen Assistance and Relief  and Emergency situation नामक फंड की स्‍थापना की है। इस PM CARES नामक ट्रस्‍ट में प्रधान मंत्री हैं, फाइनांस मिनिस्‍टर निर्मला सीतारमण हैं, डिफेंस मिनिस्‍टर हैं, आदि। इसमें देश के अनेक अमीर लोगों ने सहयोग दिया है। पहले ही सप्‍ताह में अबतक इसमें ६५०० करोड़ से अधिक रकम जमा हो चुका है।

इस पर सोनियां गांधी के पेट में दर्द शुरू हो गया और उन्‍होंने आपत्ति जताया है। उनकी आपत्ति यह है कि जब राष्‍ट्रीय आपदा से निपटने के लिए PMNRF (Prime Minister National Relief fund) था तो PM CARES अर्थात Prime Minister Citizen Assistance and Relief  and Emergency situation क्‍यों गठित की गयी।

दूसरी बात यह है कि उन्‍होंने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को एक सुझाव दिया है कि इस रकम को  PMNRF ( Prime Minister National Relief fund) में जमा करवा दिया जाय। इसके अलावा उन्‍होंने एक ट्विट भी किया जिसमें वे कहती हैं कि PM CARES में जो पैसे आ रहे हैं, उसे PMNRF में ट्रांसफर किया जाय । बात यहीं तक नहीं रूकी। इसके बाद उनके दरवारी पत्रकार भी उनकी तरफ से दलील देने को उतर आए। जिसमें विनोद दुआ जैसे लोग प्रमुख हैं। इन्‍होंने एक विडियो बनाया और कुछ सवाल खड़े किए।

सोनियां के दरवारी पत्रकार का पहला सवाल है कि ये किस हैसियत से ट्रस्‍टी हैं? मंत्री की हैसियत से या अपनी निजी हैसियत से?
जवाब यह है कि इंडियन ट्रस्‍ट एक्‍ट १८८२ कहता है कि किसी भी ट्रस्‍ट में जो सदस्‍य होते हैं उसकी हैसियत एक ट्रस्‍टी की होती है, चाहे वह आदमी प्रधान मंत्री ही क्‍यों न हो। कानून की नज़र में वह मात्र एक ट्रस्‍टी है।  

इनका दूसरा सवाल है इसका ऐसा इम्‍प्रेशन बनाया जा रहा है कि यह सरकार का ट्रस्‍ट है। लेकिन यह सरकार का ट्रस्‍ट है नहीं।
जवाब यह है कि इंडियन ट्रस्‍ट एक्‍ट १८८२ के अंतर्गत भारत के अंदर ट्रस्‍ट का रजिस्‍ट्रेशन होता है। इसको रजिस्‍टर्ड करने के लिए निम्‍नलिखित चीजों की आवश्‍यकता होती हैं। Name of Trust, Address of Trust, Object of Trust, Charitable or Religious, आदि ।

ट्रस्‍ट दो प्रकार के होते हैं प्राइवेट ट्रस्‍ट और पब्लिक ट्रस्‍ट। ट्रस्‍ट अर्थात विश्‍वास, किसके बीच, यह कमसे कम दो लोगों के बीच भी हो सकता है। प्राइवेट ट्रस्‍ट जैसे एक बाप अपने बेटों के बीच एक ट्रस्‍ट बना सकता है ।  

पब्लिक ट्रस्‍ट दो तरह के होते हैं एक Charitable दूसरा Religious। पब्लिक ट्रस्‍ट में एक बात आवश्‍यक होती है कि इसमें एक न एक सरकारी आदमी होना कमपलसरी है। ज्‍यादातर वे कलक्‍टर, कमिश्‍नर, राज्‍यपाल या अन्‍य कोई उच्‍च पदाधिकारी होते हैं।

इंडियन ट्रस्‍ट एक्‍ट १८८२ के अंतर्गत ट्रस्‍ट बस दो तरह के होते हैं जिसका में पूर्व में उल्‍लेख कर चुका हूं। सरकारी ट्रस्‍ट जैसी कोई चीज होती ही नहीं है। विनोद दुआ या तो गुमराह हैं या आम लोगों को गुमराह कर रहे हैं।

इनलोगों ने पहले तो सोचा था कि पैसा तो इसमें आएगा नहीं। मगर नरेंद्र मोदी की देश में ऐसी साख है कि पैसा आने लगा। अब इनलोगों को दर्द होने लगा। और इनलोगों ने विरोध और आपत्ति जताना शुरू कर दिया।
इनका तीसरा सवाल है कि क्‍या यह कंसोलिडेटेट तथा कंटीजेंसी फंड ऑफ इंडिया है, जो सरकारी नियम कानून से बंधा है, जिसकी औडिटिंग CAG करती है
विनोद दुआ झूठ बोल रहे हैं । भारत के कंसोलिडेटेट तथा कंटीजेंसी फंड ऑफ इंडिया के अंतर्गत कोइ ट्रस्‍ट नहीं होता है। CAG किसी ट्रस्‍ट का औडिट नहीं करता है। जो एक नौरमल ट्रस्‍ट का औडिट का तरीका है वही सभी ट्रस्‍टों के साथ लागू होता है। और  CAG या सरकार को अधिकार है कि वह किसी भी ट्रस्‍ट को अपने स्‍तर पर औडिट कर सकती है, अगर उसे किसी हेराफेरी का शक होता है तो।

दुआ कहते हैं कि इसपर पारलियामेंट में चर्चा नहीं हो सकती है। यह सरकारी सिसटम को बाइपास करके एक नया ट्रस्‍ट बनाया गया है। प्रधान मंत्री का एक PMNRF नैशनल डिसासटर रिलिफ फंड है, जो सालों से चलता आ रहा है। कोई भी मुसीबत आती है तो लोग उसमें पैसा डालते हैं। उसको क्‍यों नहीं इस्‍तेमाल किया गया? उसको क्‍यों बाइपास किया गया?

अब इनके सवाल का जवाब ढूंढते है। अब जरा PMNRF के साइट पर चलकर देखें। उसके अबाउट सेक्‍शन को देखें । वहां साफ लिखा है कि PMNRF ( Prime Minister National Relief fund) is not constituted by the parliament. यह भी प्राइवेट ट्रस्‍ट ही है।  अब जरा इसकी बारीकियों में जांय तो पता चलता है कि PMNRF का गठन जवाहर लाल नेहरू ने किया था ।

नेहरू ने उसमें एक चालाकी, धुर्तता या शातिरपना किया था कि PMNRF में प्रधान मंत्री के अलावा कांग्रेस का अध्‍यक्ष अनिवार्य रूप से इसके मैनेजिंग कमीटी में रहेगा।
अब प्रश्‍न उठता है कि यदि नरेंद्र मोदी ने PM CARES का गठन नहीं किया होता और लोगों ने  PMNRF में सहयोग राशि जमा करने का अनुरोध किया होता तो उसमें बाई डिफौल्‍ट कांग्रेस अध्‍यक्ष अर्थात सोनियां गांधी का हस्‍तक्षेप होता । लोग पैसा तो नरेंद्र मोदी के कहने से जमा करते मगर जब पैसे को एलोकेट का मामला आता तो उन्‍हें हर बार कांग्रेस अध्‍यक्ष अर्थात सोनियां गांधी के पास फाइल भेजना पड़ता। जरा सोचिए कि जो सोनियां गांधी बात बात में मोदी साहब का विरोध करती हैं, सरकार को अस्थिर करने को कोई मौका हाथ से जाने नहीं देती है, वे इस पर हर बार दस्‍तखत करने में कितनी बाधाएं उत्‍पन्‍न करती। सोनियां गांधी तो चाहती हैं कि सरकार आपदा से न निपट पाए और बदनाम हो जाय, चाहे कितने ही लोग क्‍यों न मर जाय।
विनोद दुआ आगे आरोप लगाते हैं कि PM CARES का गठन करना गैर कानूनी है। इसका जवाब सीधा है कि यह आपको गैर कानूनी लगता है तो आप अदालत जांय और अपील करें। आप विडियो बना कर किसको और क्‍या सावित करना चाहते हैं? सिवाय इसके कि आप नरेंद्र मोदी की छवि खराब करना चाहते हैं।
ट्रस्‍ट का अर्थ है विश्‍वास । कोई आम आदमी भी ट्रस्‍ट की स्‍थापना कर सकता है। देश की जनता को जिस पर विश्‍वास होगा उसके फंड में वह पैसा देगी।
पूरा देश नरेंद्र मोदी पर बेहद विश्‍वास करता है। वे देश के प्रधान मंत्री हैं । और उनके भाई लोग आज भी सामान्‍य नौकरी पेशा हैं। दूसरी तरफ सोनियां गांधी पर किसका विश्‍वास है? इनलोगों ने कितने धोटाले किए, वह तो जग जाहिर है। कोयला घोटाला, २जी  घोटाला, बाफोर्स घोटाला, बाफोर्स घोटाला, वेस्‍टलैंड हेलीकाप्‍टर घोटाला, और न जाने कितने घोटाला इस परिवार के नाम दर्ज है । ऐसे में इस संकट की घड़ी में किसी भी आपदा राहत कोश में सोनियां गांधी को शामिल करना कितना खतरनाक होता, आप अंदाजा कर सकते हैं। ऐसे में सोनियां गांधी की यह मांग कि पीएम केयर फंड का पैसा ट्रांसफर कर दिजीए क्‍या इशारा करता है?
मुझे तो सोनियां पर भरोसा नहीं है अत: पीएमएनआरएफ में हम पैसा नहीं डाल सकते। हमे नरेंद्र मोदी पर भरोसा है अत: हमे पैसे डालना है तो पीएम केयर्स में हम डालेंगे।

दुआ से मैं पूछता हूं कि पीएमएनआरएफ में आज तक जो पैसे जमा हुए क्‍या कांग्रेस  उसका हिसाब देश की जनता को देगीᣛ?

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