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महाराष्‍ट्र सरकार अभी से लगी गयी पालधर में हुए हिंदु साधुओं के मौब लिंचिंग मामले को दबाने में


Palghar Lynching If Kalpavriksha saint of Bhadohi did not return ...    


मुंबई: गुरूवार १६ अप्रैल की रात मुंबई  से लगभग सौ किलोमिटर दूर पालधर जिले के दहानू तालुका के कासा पुलिस स्‍टेशन के अंतर्गत गढ़ चिंचेली गांव में स्‍थानीय गुंडों ने जूना अखारा महाराष्‍ट्र के दो हिंदु साधुओं कल्‍पवृक्ष गिरी महाराज और सुशील गिरी महाराज तथा उनके द्वारा भाड़े पर ली गयी कार के  ड्राइवर नीलेश तेलगरे की पीट पीट कर हत्‍या कर दी जाती है। वे अपने गुरू के अंतिम संसकार मे शामिल होने जा रहे थे।

जो वायरल विडियो है उसमें दिखता है कि एक ७० वर्षीय बूढा दुबला पतला सा साधू पूलिसवाले का हाथ पकड़े हुए एक डरे सममे छोटे बच्‍चे की तरह अपने को बचाने की कोशिश कर रहा है। और पुलिस वाला उस उन्‍मादी भीड़ में जाकर उसे छोड़ आता है। और वह उन्‍मादी भीड़ साधू की पीट पीट कर हत्‍या कर देती है।  

प्रथम दृष्‍टया यह मोब लिंचिंग की ऐसी धटना है जो गलतफहमी में नहीं की गयी है। यह घटना पुलिस और वन विभाग के सिपाहियों के आंखों के सामने होती है। जो वीडियो वायरल हो रहा है उसे देखने से लगता है कि पुलिसवाले स्‍वयं इन साधुओं को भीड़ के हवाले करते हैं।

महाराष्‍ट्र सरकार स्‍वयं इस मामले को दवाने में लगी है। १६ अप्रैल को यह दुर्घटना होती है और अगले ४ दिनों तक महाराष्‍ट्र सरकार ने कोई एक्‍शन नहीं लिया। जब सोशल मीडिया पर यह मामला १९ अप्रैल को वायरल हुआ तो राज्‍य के मुख्‍य मंत्री उद्धव ठाकरे टीवी पर आए और कहा कि यह हादशा ग़लत फहमी में हुयी है। यहां दो सवाल खड़े होते हैं कि जबतक इनवेस्टिगेशन ही नहीं हुआ तो सरकार किस आधार पर इस निष्कर्ष पर पहुंच गयी कि यह हादशा गलत फहमी में हुआ या जानबूझ कर हुआ ?  दूसरा यह कि यदि यह गलत फहमी में हुयी तो वह फहम क्‍या थी ।

सत्‍ता के पक्ष में लिखने और वाले मीडिया ने लिखा कि उन्‍हें चोर समझ कर लोगों ने मारा। तो भी कुछ सवाल खड़े होते हैं कि क्‍या सत्‍तर बरस का एक दुबला पतला भगवाधारी और दूसरा ३५ वरस का भगवाधारी और उसका एक ड्राइवर चोर है, यह कैसे सिद्ध होता है?

आज २२ अप्रैल को महाराष्‍ट्र के गृह मत्री ने कहा कि ११० लोगों को गिरफतार किया जा चुका है उसमें कोई मुसलमान नहीं है। आप ने किस आधार पर मुसलमानों को क्लिन चिट दे दिया जबकि ३०० लोगों में अभी भी अघिकांश भागे हुए हैं। एक तरफ मुख्‍य मंत्री कह रह हैं कि इसे कोम्‍यूनल ऐंगिल न दें। दूसरी तरफ आपका होम मिनिस्‍टर स्‍वयं मुसलमानो को क्लिन चिट देकर इसे कौम्‍यूनल ऐंगिल ही तो दे रहा है।  

राज्‍य के गृह मंत्री ने जो एक्‍यूज्‍ड  की लिस्‍ट सोपीं है उसमें  एक्‍यूज्‍ड नंबर ९ जयराम थाफल भावर, एक्‍यूज्‍ड नंबर १८ महेश सीताराम रावते, एक्‍यूज्‍ड नंबर एक्‍यूज्‍ड नंबर २० गणेश देवाजी राव, एक्‍यूज्‍ड नंबर ९१ रामदास रूपजी आसरे, एक्‍यूज्‍ड नंबर ९२ सुनील सोमजी रावते आदि सी पी एम के स्‍थानीय नेता हैं। जो ३०० लोग संतों को दौरा दौरा कर मार रहे थे उसमें से अधिकांश के गले में क्रॉस लटका था।
सरकार ने सीआइडी को जांच का काम सौंप दिया । वह तो वही रिपोर्ट करेगा जो महराष्‍ट्र सरकार  चाहेगी । सरकार का रवैया दिख रहा है कि वह इस मामले को पहले दिन से ही दवाने में लगी है।

सरकार ने मीडिया के एक बड़े हिस्‍से को खरीद रखा है। जो गलत प्रचार कर रही है। वे जो ट्विट और समाचार जारी कर रहे हैं वह सब एक तरह के हैं जो महाराष्‍ट्र सरकार के आइटी सेल ने उन्‍हें दिया है।  

ऐसे अनेक सवाल खड़े होते हैं जिसका सरकार के पास संतोषजनक उत्‍तर नहीं है। जब पुलिस ने इन तीनो लोगों को कब्‍जे में ले लिया तो फिर वहा २०० से ३०० लोग पहुचे कैसे। वो भी उस वक्‍त जब चारों तरफ अंधेरा था। किनलोगों ने उन्‍हें बुलाया? आखिर वे कौन लोग थे जिसके दवाब में पुलिस, जिनकी संख्‍या १५ थी और उनके पास हथियार भी थे, उनको बचाने की जगह उन्‍हें भीड़ के हाथों सौंप दिया? १५ पुलिस वाले अपनी औकाद में आ जायें तो हजार की भीड़ पर भारी पड़ सकती है। आखिर पुलिस किसके दवाब में आ गयी?

इसके अलावा, जो ११० लोग आज पुलिस कसटडी में है उनको कौन लीगल सपोर्ट दे रहा है। ये सारे लोग जिन्‍होंने इस जघन्‍य अपराध में भाग लिया, वे कौम्‍यूनिस्‍ट पार्टी के कार्यकता हैं। ये वहां के लोकल क्रिश्चियन मिसनरी से सदस्‍य हैं। यह एक प्री प्‍लैंड कांसपीरेसी के तहत इनलोगों को माबलाइज किया गया और साधुओं को मारने के लिए उकसाया गया। इन लोगों के बेल के लिए जो संगठन सामने आ रही है उसका नाम है कास्‍तकारी संगठन। यह क्रिश्चियन मिसनरी से जुड़ा संगठन है। इसके प्रमुख का नाम सिराज बलसारा है। दूसरा नाम पीटर डिमैलो है जो कनवरसन का काम करता है। सीपीएम के विनोद निकोले वहां के स्‍थानीय विधायक हैं। इस क्रिश्चियन मिसनरी ने खुलकर सीपीएम के कैंडीडेट का एलकशन में सपोर्ट किया था। यह एनसीपी के एलायंस से जीता था। यहां वामपंथियों और क्रिश्चियन मिसनरी का एक नेक्‍सस है। इनलोगों पर नक्‍सलवाद के आरोप लगते रहे हैं। हिंदू के प्रति इन सबों का  स्‍वाभाविक घृणा को समझा जा सकता है।

इस घटना में पुलिस भी बरावर का हिस्‍सेदार है और कुछ मीडिया हाउस भी। उन्‍होंने ४ दिनों तक देश को गुमराह किया। अनेक अखवार वाले और टीवी मेडिया जैसे, दैनिक भासकर, द हिंदू, इंडियन एक्‍सप्रेस, एनडी टीवी आज तक, दैनिक जागरण आदि ने भी इसे दवाने में सत्‍ता का साथ दिया । महाराष्‍ट्र सरकार के दिये ट्विट को सब लोग इस तरह चलाते रहे जैसे वे उनके अपने नीजी ट्विट हों मगर उन साबों की एक जुबान और एक ही कंटेंट थे। ये सब ४ दिनों तक यही लिखते रहे कि भीड़ ने ३ चोरों को लिंच किया है। यह तो भगवान की कृपा है कि यह विडियो बाहर आ गया । यह घटना दब गयी होती यदि यह विडियो वायरल नहीं हुआ होता।

इस विडियो में किसी सोहैब का नाम स्‍पष्‍ट सुना जा सकता है।  फिर भी गृह मंत्री प्रेस कांफ्रेंस कर मुसलमानो को क्लिन चिट देता है। इस लौक डाउन में उस सुनसान जगह जहा वन विभाग को चेक पोस्‍ट है, वहां ३०० लोग क्‍या कर रहे थे? वह एक एसा इलाका है जहां क्रिश्‍चन कनवरशन का खेल बरसों से हो रहा है।

जो लोग अभी भी पकड़ के बाहर हैं उसके बारे में पुलिस का कहना है कि वे जंगल में छुप गये हैं। तो क्‍या सरकार ड्रोन और हेलीकोप्‍टर का इस्‍तेमाल नहीं कर सकती है?
द्धब ठाकरे की सरकार इसे पूरी ताकत से इसे दवाने की कोशिश कर रही है। इसकी जांच का जिम्‍मा राज्‍य के सीआईडी को सोंपा गया है। आशंका तो यही है कि सरकार इस केस में लीपा पोती होगी । किसी को कोई सजा नहीं मिलेगा। सबों को बेल भी मिलेगा । और भविष्‍य में इसकी पुनरावृति भी होगी।

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