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ED attaches National Herald’ 11-storey building at Bandra



नेशनल हेराल्ड की बांद्रा स्थित ११ मंजिला विल्डिंग को ईडी ने किया एटैच
मुंबई: नेशनल हेराल्ड की बांद्रा स्थित ११ मंजिला विल्डिंग को ईडी ने एटैच कर लिया है। इसका बाजार भाव आज ५०० करोड़ बनता है। १९८३ में सरकार ने नेशनल हेराल्ड को यह जगह अखबार छापने के लिए आवंटित की थी। मगर इन लोगों ने इसे रियल स्‍टेट लौबी को हैंड ओवर कर दिया था। उन्‍हें यह जमीन २०००० वर्ग फीट में निर्माण कार्य के लिए आवंटित किया गया मगर इन्‍होंने यहां ८३००० वर्ग फीट में निर्माण कार्य किया। इन्‍होंने कमर्सियल काम काज के लिए इसका इस्‍तेमाल किया। तीन दशकों से कोई सरकार इनपर हाथ डालने की जुर्रत नहीं कर रही थी।

करीब ५००० करोड़ की संपत्ति का हड़प
ईडी ने अपनी जांच में यह भी खुलासा किया है कि गांधी परिवार ने नेशनल हेराल्ड की करीब ५००० करोड़ की संपत्ति हड़प लिया। इस हड़प के कारनामें में मुख्‍य भूमिका सोनिया और राहुल गांधी की है। नेशनल हेराल्ड के लिए जो जमीन  पंचकुला  में मिली थी उसकी वैल्‍यू १२० करोड़ थी । उसपर सिंडिकेट बैंक से कर्ज ले लिया। उस पैसे से बांद्रा में ११ फ्लोर का निर्माण किया गया।

देवेंद्र फरनवीस ने करवायी थी इसकी इनक्‍वाइरी

देवेंद्र फरनवीस की सरकार आयी तो उन्‍होंने इसकी इनक्‍वाइरी की। गौतम चटर्जी के नेतृत्‍व में एक कमीटी बनायी। कमीटी ने अपनी २० पन्‍ने के रिपोर्ट में इसे धपले को उजागर किया। 
  
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री सुब्रहमनियम स्वामी ने दायर किया था मुकदमा

नेशनल हेराल्ड स्कैम का मुकदमा दिल्ली के मेट्रोपोलिटन कोर्ट में भारत के प्रसिद्ध अर्थषास्त्री सुब्रहमनियम स्वामी ने दायर किया था। उन्‍होंने इसमें राहुल गांधी, सोनियां गांधी, मोतीलाल बोरा, औस्कर फरनांडिज, सैम पेत्रोदा, सुमन दूबे तथा इस स्कैम में सहयोगी अन्य लोगों को आरोपित किया है। 

2010 में 5 लाख रू की लागत से सोनिया तथा राहुल गांधी ने यंग इंडिया नामक नन प्रोफिट कम्पनी की स्थापना की। इस कम्पनी ने साल भर के अंदर एक षडयंत्र के तहत रू 5000 करोड़ की समाचार समूह ऐसोसियेटेड जॉरनल लिमिटेड, को हड़प लिया। अदालत ने प्रथम दृष्टया यह पाया कि यह सरासर क्रिमिनल मिस एप्रोप्रिएशन का मामला है। फिलहाल राहुल और सोनिया जमातन पर रिहा हैं।
इंडियन नैशनल कांग्रेस ने नैशनल हेराल्ड समाचार पत्र के औनर ऐसोसियेटेड जॉरनल लिमिटेड, एजेएल,  को 90 करोड़ 25 लाख रू का ब्याजमुक्त लोन दिया। इस लोन के बदले में  एजेएल ने अपनी पूरी सम्पत्ति, जो 5000 करोड आंकी गयी है, उसे  अर्थात उसके तमाम 9 करेाड़ 16 लाख 86 हजार शेयर प्रत्येक दस रू का, यंग इंडिया को बेच दिया। इस तरह यंग इंडिया अर्थात राहुल और सोनिया गांधी 5 लाख की लागत से 5000 करोड़ के मालिक बन गये।

ऐसेासिएटेड जौरनल का इतिहास

ऐसेासिएटेड जौरनल एक अनलिस्डटेड पब्लिक कम्पनी है, जिसकी स्थापना 1937 के 20 नोवेम्बर को लगभग 5000 स्वतंत्रता सेनानियों ने मिल कर किया था। इसकी स्थापना में पंडित जवाहरलाल नेहरू की मुख्य भूमिका तो जरूर थी मगर यह उनकी अपनी कम्‍पनी नहीं थी। वे इसके चेयरमैन बनाये गये। उनके अलावा अनेक अन्य जैसे पूरूषोत्तमदास टंडन, आचार्य नरेंद्रदेव, कैलषनाथ काटजू, रफी अहमद किदबै, कृष्णदत्त पालीवाल, गोविंद वल्लव पंत  आदि दिग्गजों  की भी  इसकी स्‍थापना में महत्वर्पूण भूमिका थी। यह कम्पनी किसी एक आदमी का नहीं है। उस समय कम्पनी का कैपिटल था 5 लाख रू। इसमें रू 100 के 2000 प्रेफरेंसियल शेयर तथा रू 10 के 30000 सामान्य शेयर स्वतंत्रता सैनानियों ने खरीदे। इसमें जवाहर लाल नेहरू का भी दस रू का शेयर था। एजेएल नेशनल हेराल्ड, कैामी आवाज  तथा नवजीवन तीन अखवार चलाता था।

एजेएल को हड़पने के षडयंत्र की शुरुआत
22 मार्च 2002 को मोती लाल बोरा को एजेएल का चेयरमैन बनाया गया। एजेएल 2008 में बंद पर गयी। 29 सेप्टेम्बर 2010 तक इसमें 1057 शेयर होल्डर थे। हेराल्ड हाउस 5ए बहादुरषाह जफर मार्ग, नयी दिल्ली में इसका मुख्यालय है। वर्तमान में एजेएल के पास दिल्ली, मुंबई, पटना, लखनउ, भोपाल, इंदैार, पंचकुला सहित कई शहरों में रियल स्टेट प्रापर्टी है। हेराल्ड हाउस दिल्‍ली में 10 हज़ार वर्ग मीटर में फैला 6 मंजिला भवन है। इसकी कीमत है 600 करोड़। देश भर में फैली एजेएल की सम्पत्ति लगभग रू 5000 करोड की आंकी गयी है।

एजेएल को हड़पने के लिए बनाया गया यंग इंडिया कम्पनी

23 नवंबर 2010 को 5 लाख रू की लागत से यंग इंडिया कम्पनी की स्थापना की गयी। इसके रजिस्टर्ड आफिस का पता भी हेराल्ड हाउस, 5, बहादुरशाह मार्ग नयी दिल्ली ही था। जिसको हड़पना है उसी के एक हिस्‍से में इसकी नीव रखी गयी।
13 दिसम्बर 2010 को राहुल गांधी इसके डायरेक्टर हो गये। 22 जनवरी 2011 को सानियां गांधी इसके बोर्ड आफ डायरेक्टर हो गयी। कम्पनी का 76 प्रतिशत शेयरधारक सोनिया और राहुल हैं। 12 प्रतिशत मोतीलाल बोरा, तथा 12 प्रतिशत ओस्कर फरनांडिस के हैं। यंग इंडिया कम्पनी ने अपने को नन प्राफिट कम्पनी के रूप में रजिस्टर करवाया है।

यह स्कैम कैसे हुआ
यह स्कैम कैसे हुआ मैं बताता हूं।  यंग इंडिया के बोर्ड ने रिजोल्यूशन पास  किया कि वह  एजेएल को खरीदेगी।  एजेएल पर जो 90 करोड़ का लोन है वह यंग इंडिया चुका देगा। इस तरह एजेएल ऋणमुक्त हो जाएगा। 
इसके लिए यंग इंडिया के डायरेक्टर सोनियां गांधी ने यंग इंडिया के बोर्ड मेंम्बर मोतीलाल बोरा को कहा कि वे एजेएल के चेयरमैन  मोतीलाल बोरा से बात करें। यंग इंडिया के बोर्ड मेंम्बर मोतीलाल बोरा ने एजेएल के चेयरमैन  मोतीलाल बोरा से कहा कि यंग इंडिया एजेएल के सारे ऋण चुका देगा और उसे ऋणमुक्त कर देगा।  बदले  में एजेएल अपना सारा शेयर यंग इंडिया के नाम ईसू कर दे। मतलब मोतीलाल बोरा ने खुद  मोतीलाल बोरा से बात की इस तरह यंग इंडिया के पास 5000 करोड़ की सम्पत्ति ट्रांसफर हो जाएगी। यह डील यंग इंडिया के बोर्ड मेंम्बर मोतीलाल बोरा और एजेएल के चेयरमैन  मोतीलाल बोरा के बीच तय हो गयी। ज्ञातव्‍य है ये दोना एक ही आदमी है।

चुकाने के लिए  रू 90 करोड़ का जुगार

मगर यंग इंडिया के पास रू 90 करोड़ तो थे नहीं। तो सोनिया गांधी ने यंग इंडिया के बोर्ड मेंम्बर मोतीलाल बोरा को कहा कि वे कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष से बात करें और रू 90 करोड़ का इंतजाम करें। कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष भी मोतीलाल बोरा थे। इस तरह फिर यंग इंडिया के बोर्ड मेंम्बर मोतीलाल बोरा ने  कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष मोतीलाल बोरा से बात की और समझाया कि वह  यंग इंडिया को रू 90 करोड़ का ब्याज मुक्त ऋण दे। मोतीलाल बोरा मोतीलाल बोरा से सहमत हो गये। और कांग्रेस पार्टी ने यंग इंडिया रू 90 करोड़ का ऋण दे दिया।

अगले ही दिन ऋण माफ और उसे सिक लोन की घोषणा

अगले ही  दिन  कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस कार्यकारणी की इमरजेंसी मिटिंग बुलायी। और रिजोल्यूशन पास किया कि एजेएल चूकि धाटे में चल रही है इसलिए उसे दिया गया ऋण को माफ कर दिया जाय और उसे सिक लोन, ननपरफौरमिंग एसेट मान लिया जाय और घोषित किया जाय। इस तरह बिना एक पैसा खर्च किये मां बेटा  ने  5000 करोड़ के एजेएल को हड़प लिया। और वे एजेएल के मालिक हो गये। इसको कहते हैं न हिंग लगे न फिटकिरी और रंग निखरे चोखा।  

नेशनल हेराल्ड की बिल्डिंग को भाड़ा पर दे दिया
इसके बाद राहुल सोनिया ने नेशनल हेराल्ड की बिल्डिंग को पासपोर्ट  तथा अन्य मल्टी नेशनल कम्पनियों को भाड़ा पर दे दिया।  उसका भाड़ा रू 60 लाख प्रति माह आता है। अव धीरे धीर भेद खुल रहे हैं और देखते हैं कि ई डी के सामने आगे क्‍या क्‍या तथ्‍य सामने आते हैं।





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