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It may take months for the fabric production units to recover from the epidemic: Ramesh Garodia




अभी फैब्रिक उत्‍पादन इकाइयों को करोना महामारी से उबरने में चार छ महीने लग सकते है: रमेश गारोडिया

मुंबई: जब से सरकार ने कोरोना के कारण लॉकडाउन किया मुंबई में फैब्रिक उत्‍पादन पूरी तरह रुक गया है। आगे की सिनेरियो भी स्‍पष्‍ट नही है। हमलोग लॉकडाउन के ओपेन होने का इंतजार कर रहे हैं। रमेश शर्टिंग्‍स (गारोडिया सिंटेक्‍स प्रा.लि.) के डायरेक्‍टर श्री रमेश गारोडिया ने यह जानकारी दी।

श्री गारोडिया ने कहा कि फैब्रिक उत्‍पादन का व्‍यपार एक सीजनल व्‍यापार है। फैब्रिक उत्‍पादन का व्‍यपार का सीजन मुख्‍यत: अप्रैल तक रहता था। मई में मुंबई में सीजन खत्‍म हो जाता था और मुंबई के बाहर हमारे व्‍यापारियों के लिए व्‍यापार की सक्रियता बढ़ जाती थी। अच्‍छी उम्‍मीद तो जरा भी नहीं है। इस साल लोगों की पूंजी टूट जाने का खतरा बन गया है। इस साल अगर हम उत्‍पादकों की पूंजी नहीं टूटे तो हमारे लिए यह एक एचीवमेंट होगी।

श्री गारोडिया ने आगे कहा कि जब तक कोरोना के लिए वैक्सिन नहीं आ जाती तब तक सोशल डिसटैंसिंग का मामला तो रहेगा। ऐसे में उत्‍पादन का काम तो बाधित होगा।

उन्‍होंने कहा कि कपड़ा एसेंसियल तो है नहीं। वह तो फैशन की चीज है। जब कोई ओकेजन या फेस्टिवल होता है तो इसकी जरूरत बढ जाती है। मगर गैदरिंग पर प्रतिबंध है। ऐसे में अच्‍छे सेल की तो उम्‍मीद नहीं की जा सकती है।

उन्‍होंने कहा कि समाचारों से लगता है कि सेप्‍टेम्‍बर अक्‍टूबर में वैक्सिन आ सकती है। तब तक तो फेस्टिवल सीजन पूरा निकल जाएगा। अब  फेस्टिवल सीजन से कोई उम्‍मीद नहीं रही। लॉकडाउन के ओपेन होने के बाद ही जब काम काज शुरू हो पाएगा तो कुछ समझ में आएगा कि प्रैक्टिकली हम किस समस्‍या को फेस कर रहे हैं। अभी तो सब निगेटिव ही दिख रहा है।

उन्‍होंने कहा कि हमारा काम चालू भी हो गया मगर हमारे डीलरों को हमारे प्रोडक्‍ट की जरूरत नहीं है तो भी तो उत्‍पादन चालू करने का क्‍या लाभ मिलेगा?

श्री गारोडिया ने कहा कि अभी तो रिटेलरों के पास जितना स्‍टॉक है वह चाहेगा कि जितना हो सके उतना कम कर सकें। फिर होलसेलर भी यही चाहेगा कि वह अपना स्‍टॉक कितना कम कर सकता है। उसके बाद वह फैब्रिक उत्‍पादकों के पास आएगा। फ्री हैंड सेल तो अभी जल्‍द होना नहीं है।

उन्‍होंने कहा कि भारत चीन व्‍यापार संबध भी बिगर रहा है इसका लाभ भारत को मिलने की उम्‍मीद है। मगर इसमें कम से कम एक साल तो लगेगा।

उन्‍होंने कहा कि अभी करोना महामारी से मुक्‍त होने में चार छ महीने लग जाएंगे। इस साल तो अच्‍छी उम्‍मीद नहीं है। इस महामारी ने कम से कम टेक्‍सटाइल व्‍यापार का ५० प्रतिशन का नुकसान तो कर ही दिया है। अभी तो हमलोग अपने डिपोजिट से खर्च निकाल रहे हैं।

श्री गारोडिया ने कहा कि हमारे १५ से २० कामगार इधर ही रहते हैं । हमने उनको वो सारी सुबिधा मुहैया कर दी जिससे इस महामारी में उन्‍हें किसी समस्‍या का सामना न करना पड़े। हमने उन्‍हें कोई तकलीफ नहीं होने दिया। खाना पीना पगार कुछ भी हमने नहीं रोका। हमने अपनी तरफ से उन्‍हें वो सारी सुबिधा मुहैया कर दी कि उन्‍हें किसी का मोहताज न होना पड़े। उसके बावजूद जैसे ट्रेन चालू हो रही है वो चाहते हैं कि ऐसे में अपने घर जाना ही अच्‍छा रहेगा। यह इसलिए कि गांव के हवा पानी में शहरों जैसा खतरा नहीं है। उन्‍होंने कहा कि आगे जब काम आरंभ होगा तो लगता है कि लेवर का प्रोबलैम हो जाएगा।      

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