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Labour problem is likely to come in the area of fabric production: Ramesh Gupta



आने वाले समय में फैब्रिक उत्‍पादन के क्षेत्र में लेवर का प्रोबलेम आने वाला है: रमेश गुप्‍ता 

मुंबई : कोरोना महामारी की स्थिति जो भी है, निश्चित रूप से देश इसके बाहर निकलेगा। तीसरा लॉकडाउन चालू हो गया। हो सकता है चौथा पांचवा या छठा लॉकडाउन भी लगाना पड़े। देश को इसके लिए तैयार रहना चाहिए। अश्‍वीरा प्रिमियम फैब्रिक्‍स (अश्‍वीरा फैशन लिमिटेड) के डायरेक्‍टर श्री रमेश गुप्‍ता ने यह जानकारी दी।   

उन्‍होंने कहा कि जहां जहां भी ग्रीन जोन है, वहां वहां तो दुकाने चालू की जा रही हैं। सरकार को यह समझना होगा कि जान भी चाहिए और जहान भी चाहिए। आज ४० हजार से अधिक लोग देश में सक्रमित हो चुके हैं। चौदह पंद्रह सौ लोगों की जान जा चुकी है। कोरोना से लोग संक्रमित तो हो रहे हैं, मगर ऐसा नहीं है कि इलाज नहीं हो रहा है। ४ प्रतिशत मरीजों की मौत हो रही है। मतलब ९६ प्रतिशत ठीक होकर घर वापस जा रहे हैं।

श्री रमेश गुप्‍ता ने कहा कि ट्रेन की आवाजाही हो जाएगी तो स्‍वस्‍थ लोगों के अलावा कोरोना पोजिटिव भी देश के विभिन्‍न भागों में फैल जाएंगे और तब सरकार के लिए इसका नियंत्रण करना संभव नहीं रह जाएगा।

उन्‍होंने कहा कि आदमी लगभग ७० साल जीता है जो जो ८४० महीने बनता है। इसमें यदि चार छ महीने इस तकलीफ में निकल जात हैं तो यह जीवन काल का १ प्रतिशत भी नहीं बनता है। सौ साल के बाद ऐसी प्रोबलैम आयी है। हमे इसे सामना करना पड़ेगा। इसलिए लोगों को धैर्य से रहना चाहिए और हताशा की कोई जगह नहीं है। समस्‍या तो है मगर चिंता और निराशा और हताशा से तो समाधान नहीं निकलेगा।
श्री रमेश गुप्‍ता ने कहा कि सरकार खास कर केंद्र सरकार पूरी कोशिश कर रही है। हमें उसके दिशा निर्देश को मानना चाहिए। सरकार जो बेहतरीन हो सकती है वह कर रही है।
वसिध्ैसलhing is called a Noun.अर्थव्‍यवस्‍था को भी पटरी पर लाना उतना ही जरूरी है क्‍योंकि इसकी वजह से भी बहुतों की मौत हो सकती है।

उन्‍होंने कहा कि आने वाले समय में लेवर का प्रोबलेम आने वाला है। लेवरों को भी आने वाले समय में प्रोबलेम हागा और उद्योगपतियों को भी प्रोबलैम होने वाला है। लेवर का इनकम रूकेगा तो उसका जीवन स्‍तर गिरेगा, उसकी रोजमर्रे की समस्‍या बढेगी और दूसरी तरफ लेवर के बगैर मशीने तो चलेगी नहीं, उत्‍पादन होगा नहीं।

श्री रमेश गुप्‍ता ने कहा कि कोशिश यह होनी चाहिए थी कि मजदूरों को सरकार और उद्योगपति मिलकर आर्थिक सुरक्षा प्रदान करते और उसे गांव लौटने की जरूरत नहीं पड़ती। मगर ज्‍यादातर राज्‍यों में राज्‍य सरकारों ने मजदूर को उनका हक दिया नहीं। और मजदूर यह सोचने पर मजबूर हो गये कि घर वापस लौटा जाय। आगे वाले कुछ महीने उत्‍पादन की नजर से नुकसान देने वाले हैं। अभी उत्‍पादन रुक गया है। इसे फिर शुरू होने में समय लगेगा। जो मजदूर गांव लौट जाएंगे उनका जब लॉकडाउन खत्‍म होगा तो भी तुरत शहर लौटना आसान नहीं होगा। उनका कौनफीडेंस लौटने में समय लगेगा।

उन्‍होंने कहा कि मुंबई में सोशल डिसटैंस प्रैक्टिकली संभव नहीं है। यहां तो  ट्रेन में घुसना मुश्किल होता है, सोशल डिसटैंस की तो बात ही दूर है। बांकी शहरों में मुंबई जैसी दिक्‍कत नहीं है। छोटे कसबों में ज्‍यादा दिक्‍कत नहीं थी मगर फिरभी सरकार को सबके लिए यह निर्णय लेना पड़ा। मुंबई में तो वासतव में दिक्‍कत है।  

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