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Most of the companies leaving China are expected to come to India




चीन से निकलने वाली ज्‍यादातर कंपनियों के भारत आने की उम्‍मीद है। रिपोर्ट्स आरही है कि चीन से निकलने वाली  विदेशी कंपनियां दुनिया के दूसरे देशों में जा रही है। इसमें थाइलैंड, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपिंस और ताइवान प्रमुख हैं। 

मगर जिस देश में सबसे ज्‍यादा कंपनियां जाना चाहती हैं वह भारत है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी इस माइने में प्रोएक्टिव हैं। वे लगातार इस दिशा में कोशिश कर रहे हैं। मुझे भरोसा है कि भारत सरकार इस अवसर का लाभ उठाएगी और वह एक बड़ी छलांग लगाएगी।

इस वक्‍त राज्‍यों को भी अपनी रणनीतियां बनानी चाहिए।  उत्‍तर प्रदेश सरकार तो बहुत अच्‍छी रणनीति के साथ आ रही है। उसने इस मुद्दे पर कमीटी भी बना दी है। वह अलग अलग कम्‍पनियों से संपर्क में है कि उनको क्‍या चाहिए। आप चीन को छोड़कर यहां आएंगे तो यहां आपको किन चीजों की जरूरत पड़ेगी हम आप को देने के लिए तत्‍पर हैं। तमिलनाडु के मुख्‍य मंत्री ने भी इसी आशय का प्रस्‍ताव उन कंपनियों को दिया है।

भारत सरकार क्‍या सोच रही है? प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत मे निवेश को बढावा देने के लिए एक बैठक की है। उन्‍होंने राज्‍यों से भी अनुरोध किया है कि आप अपना विजन बताइए कि निवेश कैसे आएगा।

तीन दिन पहले अमेरिकी कंपनीओं की अमेरिकी स्‍टेट डिपार्टमेंट के ऐसिसटेंट सेक्रेटरी, जो साउथ एशिया के मामले को देखते हैं, के साथ एक मिटिंग हुयी, जिसमें उन्‍होंने कहा कि हम भारत जाना चाहते हैं। जापान और दक्षिण कोरिया भी इसी तरह मामले को देख रहे हैं। अन्‍य कई देश भी भारत को इसी तरह देखते हैं।

आज जो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक हुयी है उसमें वित्‍त मंत्री, गृह मत्री, वाणिज्‍य मंत्री, आदि शामिल थे। इसमें दोनो ही रणनीति पर बात हुयी, पहली बाहर से यहां कंपनी आएगी तो यहां क्‍या क्‍या करेगी, दूसरी बात कि जो यहां के उद्योगपति हैं वे उनसे कैसे जुड़ेंगे। एफडीआइ के साथ लोकल इनवेस्‍टमेंट कैसे मर्ज होगा, कैसे कोलैबोरेट होगा।

गृह मंत्रालय ने ऍडवाइजरी जारी कर दी है। उत्‍तर प्रदेश सरकार ने इसमें लीड लिया है। अब ३ मई से अलग अलग जिलों में गतिविधि शुरू होने जा रही है।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी डॉट इन में लिखा गया है कि It was discussed that scheme should be developed to promote more plug and play infrastructure in the existing industrial lands, plots, states in the country and provide necessary  financial support.
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ साफ कहा है कि प्रैक्टिकल एप्रोच अपनाइए। उनकी समस्‍याएं समझिए उसी में आगे लिखा है कि The Prime Minister directed that the action should be taken for more pro active approach to hand hold the investors to  look into their problems and help them in getting them all necessary central and state clearance in a time bound manner.

यह देश के लिए एक स्‍टैटेजिक अवसर है, ऐतिहासिक अवसर है। भारत सरकार एक प्रोएक्टिव एप्रोच के साथ इन कम्‍पनियों को भारत में लाने का प्रयास कर रही है। अलग अलग देश की कंपनियों के साथ बातचीत हो रही है, समझौते हो रहे हैं। 

हमारे पास लेवर की कमी नहीं है। हां, हमारे पास स्किल्‍ड लेवर की कमी है। मगर उसका रास्‍ता निकल जाएगा। ट्रेनिंग सेंटर बनाए जाएंगे। ऑन जॉब ट्रेनिंग भी एक तरीका है। वह वक्‍त के साथ हो जाएगा। दुनिया की कंपनियों को यहां सस्‍ता श्रम मिलेगा, बाजार मिल जाएगा, निर्यात की सुविधा मिल जाएगी।

हम एक लोकतंत्र हैं। हमारे ऊपर दुनिया का भरोसा है। इसलिए आने वाला समय भारत के लिए बेहतर होने वाला है। आज प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक के बाद यह भरोसा और भी पुख्‍ता हो रहा है कि इस अवसर को भारत चूकेगा नहीं। दुनियां भर की कंपनियों के लिए भारत की जमीन बहुत उर्बर जमीन है। इतने प्‍लस प्‍वाइंट किसी दूसरे देश के पास नहीं है। यहां दुनियां भर की कंपनियां आएं । मेक इन इंडिया और ऐसेम्‍बल इन इंडिया करे। उनको यहां का घरेलू बाजार मिलेगा साथ ही निर्यात का मौका भी मिलेगा। देश के लोगों को रोजगार मिलेगा। बड़ी कं‍पनियों के एक्‍सेसरीज के लिए बहुत सी छोटी कंपनियां भी उठ खड़ी होती हैं। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी  की आज की बैठक हमे यह भरोसा दिलाती है।   

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