लॉक डाउन का समय ३ मई से अगले १४ दिनो के लिए आगे बढ़ा दिया
गया है। अब यह १७ मई को खुलेगा। अब ३ मई के बाद क्या होगा ? आगे बढ़ने की प्रकृया
क्या है ? ३ मई से धीरे धीरे लॉक डाउन में ढील दी जाएगी और इसे क्रमवार ढंग से खोला
जाएगा।
पहला लॉकडाउन २१ दिनो का बीत गया। फिर यह १४ दिन आगे
बढ़ा और ३ मई तक के लिए लागू हो गया। अब आगे क्या होगा? अब आप स्टैंड स्टिल में
नहीं रह सकते । आपको आगे की योजना बनानी ही पड़ेगी। पूरा देश बंद रहे, केंद्र सरकार पैसे देती रहे, इससे तो
काम नहीं होने वाला है। उसके आगे क्या व्यवस्था होगी, वह सभी
राज्य सरकारें सोच रही होगी, मगर योगी
आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में यह कर के दिखाया है।
इस तीसरे चरण में सरकार चरणबद्ध तरीके से इसे खोल रही है। अब हमें धीरे
धीरे आगे बढ़ना है। जो प्रधान मंत्री और मुख्य मंत्रियों के बीच बात हुयी है, उसको एक कदम आगे बढ़कर
योगी आदित्य नाथ अमल में ला रहे हैं। जहां जहां से आप अपने लोगों को ले कर आ सकते
हैं, वहां वहां से रेस्ट्रिक्टेड, सेफ और सेक्योर्ड
तरीके से योगी जी यूपी के नागरिकों को ला रहे हैं। यही भविष्य है। यही ३ मई के
बाद होना है।
योगी आदित्यनाथ ने १० ००० प्रतियोगी छात्रों को
प्रयागराज से उनके घर पहुचाने की व्यवस्था कर दी। अलग अलग राज्यों में जो उत्तर
प्रदेश के मजदूर, छात्र, कर्मचारी या अन्य लोग हैं उनको लाने का काम भी उन्होंने
शुरू कर दिया है। यही सभी राज्यों को करना चाहिए, या उन्हें
करना पड़ेगा। २९ अप्रैल से उन्होंने मध्य प्रदेश से यूपी के नागरिकों को लाना
शुरू कर दिया। वे कोटा से छात्रों को ले गये।
३ मई के बाद का रोड मैप होगा, वह योगी आदित्यनाथ के काम से परिलक्षित हो
रहा है। आगे इसी तरह से रेस्ट्रिक्टेड, सेफ और सेक्योर्ड
तरीके से मूवमेंट चलनेवाला है। हरियाना से ११००० प्रवासी मजदूरों को उत्तर प्रदेश
ले जाया जा चुका है। उनको कोरेंटीन सेंटर्स में रखा गया है। यह व्यवस्था है जो
सभी राज्यों को ३ मई के बाद करना है। इसी तरह ३ मई के बाद आगे बढना पड़ेगा। यही ३
मई के बाद का रोड मैप है। दूसरे राज्यों से जो लोग आए हैं उनको रोजगार भी देना
है। उत्तर प्रदेश सरकार १५ लाख नयी नौकरियों और रोजगार की व्यवस्था कर रही है, ताकि प्रवासी मजदूर जब अपने गांव या शहर लौट तो उसको कुछ
काम मिल जाय। गाजीपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, प्रताप गढ़, प्रयागराज, सुल्तानपुर, गोंडा, बस्ती, बहरैच, इन सब जगहों पर कामकाज
और रोजगार के मौके के विस्तार पर सरकार ने काम करना शुरू कर दिया है। उत्तर
प्रदेश सरकार ने कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में कमिटी गठित कर दी है, जिससे कि १५ लाख नये
रोजगार का श्रृजन हो सके। यह एक सार्थक तरीका है, जिसपर उत्तर प्रदेश
सरकार काम कर रही है। यही काम दूसरे राज्यों को भी देर सबेर करना पड़ेगा।
पत्येक जनपद में १५ हजार से २५ हजार क्षमता के कोरेंटीन
सेंटर्स और आश्रय स्थल बनाने का काम शुरू हो गया है। जो भी लोग बाहर से आएगा उसे
१४ दिनो तक इन कोरेंटीन सेंटर्स में रखा जाएगा उसके बाद उसे उसके घर भेजा जाएगा।
यह एक मौडल है जो योगी आदित्यनाथ ने साबित कर दिया। यही पूरे देश को करना है।
इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं है।
देशबंदी तो अभी १७ मई तक चालू रहेगी और हो सकता है यह और भी आगे चलेगा। मगर रेस्ट्रिक्टेड, सेफ और सेक्योर्ड तरीके से मूवमेंट कैसे होगा उसके लिए योगी आदित्यनाथ की योजनाओं को देखना मुनासिब होगा।
महिला स्वयं सहायता समूहों को मास्क आदि के निर्माण कार्यों से जाड़ा जा
रहा है। उत्तर प्रदेश भारत का पहला राज्य है जिसने जैसे ही कोरोना के मामले मिले
तो ३ शहरों को सेनेटाइज कर दिया।
योगी आदित्यनाथ से तुलना करें तो दूसरे राज्यों में
बहुत कम प्रयास हो रहा है। नितिश कुमार कुछ नहीं कर रहे हैं। ममता बैनर्जी कोरोना
मामले को दबाने में लगी है। उद्धव ठाकरे अपनी कुर्सी बचाने में व्यस्त हैं।
साधुओं के हत्या को दबाने में उनकी अलग से उर्जा लग रही है। अमरेंदर सिंह भी कोई
अच्छा काम नहीं कर पा रहे हैं । शिवराज सिंह कुछ हद तक योगी जी के रास्ते पर चल
रहे हैं। केरला में भी विजयन कुछ हद तक अच्छा काम कर रहे हैं । मगर जो उदाहरण उत्तर
प्रदेश के योगी आदित्यनाथ ने पेश किया है, वह
सराहनीय है।


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