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 Textile Post

Textile Industrialist Hanuman Prasad Bagadia is engaged in the pious work at the time of Corona epidemic




टेक्‍सटाइल उद्यमी हनुमान प्रसाद बगाडिया कोरोना महामारी के समय  लगे हैं पुण्‍य काम में

मुंबई: कोरोना महामारी के कारण अन्‍य उद्योग के साथ साथ टेक्‍सटाइल उद्योग भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। मगर कुछ व्‍यापारियों ने समय के सकारात्‍मक पहलू को ढूंढ लिया है। और यह है अपने खाली समय और अपनी समृद्धि का उपयोग कर गरीबों की मदद करना। इसी पुण्‍य काम में लगे हैं श्री हनुमानप्रसाद बिहरीलाल बगाडिया।
  
उनका विचार है कि अभी सबसे महत्वपूर्ण है, कि  हम सभी को आगे आना चाहिए और मौजूदा संकट में गरीबों की मदद करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

श्री हनुमानप्रसाद बिहरीलाल बगाडिया वर्तमान कोविद १९ महामारी के संकट में सैनिटाइजर, मास्क, गर्म पानी की मशीन और विटामिन सी की गोलियां और भोजन के पैकेट उपलब्ध कराकर जरूरतमंद लोगों की मदद कर रहे हैं।

उन्‍हें लगता है कि समाज को ऐसे समय में आगे आना चाहिए और राष्ट्र को इस संकट से उबारने में मदद करनी चाहिए। और इस तरह हम एक मजबूत भारत का निर्माण कर सकते हैं। इसके लिए अभी अनुकूल समय है।

श्री हनुमानप्रसाद बिहरीलाल बगाडिया के पिता श्री बिहारीलाल बगड़िया महान व्यक्ति थे। लोग बताते थे कि वह संत की तरह थे। उनका जीवन भगवान को समर्पित था। श्री बिहारीलाल बगड़िया की एक तस्वीर उनके मूल स्थान पर मंदिर में भक्त और भगवान के रिश्ते के प्रतीक के रूप में रखा गया है।

कर्म ही एकमात्र तरीका है, जिससे हम खुशहाल जीवन का नेतृत्व कर सकते हैं, ऐसा उनका विचार है। वह कहते हैं कि निष्‍काम कर्म करना और ओम नमो नारायण का जाप करना उन्‍हें  खुशी देता है।

नवलगढ़ राजगृह में 1938 में जन्मे श्री हनुमान प्रसाद बिहारीलाल बैगडिया वर्तमान में लक्ष्‍मीनारायण मंदिर जेबी नगर मुंबई के दिन प्रतिदिन मामलों को देख रहे हैं और विभिन्न सामाजिक गतिविधियों में शामिल हैं।

81 वर्ष की आयु के बावजूद उनका उत्साह और सामाजिक कारणों के लिए काम करना अकल्पनीय है। अभी भी वे 40 वर्षीय व्‍यक्ति की तरह काम करना जारी रखते हैं।

वे लगभग 54 वर्षों से कपड़ा उद्योग से जुड़े हुए हैं और अभी भी बहुत उत्साह के साथ काम करते हैं और अब सामाजिक कार्यों में अपना जीवन समर्पित करते हैं और लक्ष्मीनारायण मंदिर जेबी नगर वार्डों के प्रति समर्पित है।

किसी भी मानसून के बावजूद वह शिद्दत से काम करते हैं और पूरे मनोयोग के साथ और अपने स्वास्थ्य के मुद्दे के बावजूद वे 40 वर्षीय व्‍यक्ति की तरह काम करते हैं।

उनका कहना है कि मनुष्य को अपने जीवन के आखिरी पड़ाव पर काम को कभी नहीं टालना चाहिए क्योंकि भगवान ने मनुष्‍य को इसलिए  बनाया है कि हमें सभी को खुश करके समाज को वापस देने के लिए समान रूप से जिम्मेदार होना चाहिए।



उम्र के इस पड़ाव में भी श्री हनुमानप्रसाद बिहरीलाल बगाडिया के इसी सेवा भाव एवं उनके बेहद सक्रिय रहने पर उनसे जुड़े हुए कुछ प्रमुख व्‍यक्तियों ने अपने मन की गहराई से उनके प्रति अपनी श्रद्धा के भाव प्रकट किए जो इस प्रकार हैं-

I came across some newspapers and was delighted to read about philanthropic activities of our Shri Hanuman Prasad Jee Bagadia. I am privileged to be a colleague of Shri Hanuman Prasad Jee Bagadia since 1976 and I remember vividly his style and sincerity in marketing of all types of spun yarns of various fibres and filaments as well. He earned trust of the industry. His words are always being taken on high value by the stakeholders. He created new benchmarks in his profession. Silently helping people in need has always been his nature. The yeoman services he is rendering in this challenging time of epidemic and at this time of his advance age of 81 years, is highly praiseworthy. As philanthropic activities have always been part of his life, I pray god for his healthy and happy life. With kind regards!

V. C. Mehta (Spaceage Syntex Pvt. Ltd., Mumbai, Monopoly agent of Jayshree Textile)


Excellent….really I am inspired of his views…. ऐसे महान व्‍यक्तित्‍व को मेरा शत् शत् प्रणाम। ऐसे लोगों ने ही तो देश को महान बनाया है।

Prhabhat Jhaje (DIG of Jammu)


बहुत सुंदर... आदरनीय बाऊ जी का जोश और उर्जा हम सबके लिए प्रेरणाश्रोत है..... ईश्‍वर से प्रार्थना है कि उन्‍हें हमेशा ऊर्जा एवं उत्‍साह से भरपूर रखें।

श्री कमल पोद्दार (च्‍वाइस ग्रुप ऑफ कंपनीज, मुंबई)

श्री बागडिया जी को मैं सन् १९७८ से जानता हूं। उनसे मेरे संबंध कार्य को छोड़ एक मित्र के रूप में अधिक हैं। वे बहुत सरल और निष्‍ठावान स्‍वभाव के व्‍यक्ति हैं। मैं जब कभी मुंबई आता हूं, वे पूरा पूरा दिन मेरे साथ बिताते हैं। इस उम्र में भी उनकी दीन दुखियों के प्रति सेवा भाव से भरे गतिविधियों के बारे में पता चला। बहुत प्रसन्‍नता हुयी । भगवान उन्‍हें स्‍वस्‍थ रखे।

श्री आर एन गुप्‍ता (टेक्‍सटाइल उद्यमी लुधियाना)

८१ साल के इस उम्र में भी इस प्रकार सक्रिय रहना , वास्‍तव में किसी दैवीय शक्ति का आशीर्वाद है। उनकी कर्मठता, मंदिर के कामों में उनका सक्रिय रहना , गरीबों की सेवा , टेक्‍सटाइल इंडस्‍ट्री में उनका समर्पन, सब कुछ अभिनंदन योग्‍य है। मेरी बाऊ जी से मिलने की हमेशा चाह रहती है एवं उनसे बहुत कुछ सीखने की इच्‍छा रहती है। मैं श्री  बागडिया के आदर्शों को शत् शत् नमन करता हूं।

सुनील टिबरेबाल (क्‍यूमेक्‍स वर्ल्‍ड यूनिफॉर्म)


आज हमलोग भगवान को नहीं देखते हैं किंतु सुनते हैं कि भगवान का नाम बहुत बड़ा होता है। वे हर असहाय की सहायता करते हैं। हर विपत्ति में वे सबके साथ खड़े रहते हैं। आज इस कलयुग में जिस व्‍यक्ति यह सब गुण होते हैं, मेरा मानना है कि वही परमात्‍मा का रूप है। आज अंकल जी परमात्‍मा का ही रूप हैं, जो इस समय पर सबके लिए सोचते हैं। अंकल जी जितने अच्‍छे इंसान हैं, उनके उतने ही अच्‍छे पुत्रगण भी हैं,जो उनके पूजनीय पिताजी के रास्‍ते पर चल रहे हैं। हर जरूरतमंद इंसान की मदद कर रहे हैं। मेरा अंकल जी को शत् शत् वंदन।

प्रेम शर्मा (आयुवेदिक डिपार्टमेंट, आसाम)

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