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| Rahul Gandhi |
पूर्वी लद्दाख में २० सैनिक शहीद हों गये हैं। हमारी सेना ने अदभुत वीरता और पराक्रम का परिचय दिया और दुश्मन
के कम से कम ४३ सैनिको को मौत के घाट उतार दिया फिरभी विपक्षी कांग्रेस पार्टी के राहुल
गांधी ट्विट करते हैं कि प्रधान मंत्री कहां छिपे बैठे हैं।
अगर कोई इस तरह की बातें करता है, चाहे वह राहुल गांधी हो
या वह कौम्यूनिस्ट पार्टी हो, चाहे वह एक पत्रकार हो, चाहे वह कोई एक्स
आर्मी मैन हो तो इसका सीधा मतलब है कि वह राष्ट्र के विरोध में है, वह चीन की सरकार का
एजेंट है। उसकी दलाली कर रहा है। वह देश का मक्कार है। वह हिंदुस्तान को
डिमोरलाइज करने की कोशिश कर रहा है। यह स्पष्ट रूप से देश का विरोध है।
कांग्रेस पार्टी चीन के एजेंट की तरह काम कर रही हैं
बहुत सारी विपक्षी पार्टियां चीन के एजेंट की तरह काम कर
रही हैं, आज से नहीं, यह बरसों से चल रहा है। कांग्रेस पार्टी के ऑफिसियल
हैंडल से बयान आ रह है कि प्रधान मंत्री डरिए मत। इस तरह के बयान इनकी गिरी हुयी मानसिकता
का परिचय है। सच तो यह है कि हमारी जमीन पर चीनियों का कोई कब्जा नहीं हुआ है मगर यह राहुल की सोची समझी
चाल यह दिखाने की है कि चीनी सेना घुस गयी। प्रधान मंत्री हार गये। सेना हार गयी।
यह देश को डिमोरलाइज कर रहे हैं। सेना को डिमोरलाइज कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी
चाइनिज एजेंट की तरह ऑपरेट कर रही है।
यह सच है कि चीन गलवान वैली पर कब्जा करना चाहता था। दौलत बेग ओल्डी की तरफ जो हमारा रास्ता
जाता है उसपर वह कब्जा जमाना चाहता है। मगर भारतीय सेना ने उसे निष्फल कर दिया।
एक तरह से ये विपक्षी यह कह रहे हैं कि चीन, तुम अंदर घुसो हम तुम्हारा
स्वागत करते हैं। १९६२ में यह काम वामपंथियों ने किया था। जब चीन का हमला हुआ तो
वामपंथिओं ने देश में हड़ताल कर दिया था। रेल का चक्का जाम कर दिया था । तब उनका
नारा था कि चाहे जो मजबूरी हो हमारी मांगे पूरी हो। अब यह काम कांग्रेस और बामपंथी
दोनो मिलकर कर रहे हैं। ये बकायदा चीनी एजेंट की तरह काम कर रहे हैं।
भारत की कौम्यूनिस्ट पार्टियां कौम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की शाखाएं हैं
चीन में सिंगल पार्टी रूल है। यह डेमोक्रेसी से उलट व्यवस्था
है। भारत में सात से आठ किस्म की वामपंथी पार्टियां हैं। इसमें किसी भी पार्टी के
प्रेसिडेंट यहां नहीं हैं। किसी भी पार्टी के चेयरमैन यहां नहीं हैं। ये सभी
जेनेरल सेक्रेटरी से काम चलाते हैं। क्योंकि इन सबों के प्रमुख चीन में बैठे हैं।
भारत की जितनी कौम्यूनिस्ट पार्टियां हैं सभी कौम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की
शाखाएं हैं।
चीन से लड़ने के लिए देश का एकजुट होना आवश्यक है
चीन जैसे दुश्मन से लड़ने के लिए देश को एकजुट होना आवश्यक है। चीन के
दुश्मन सभी डेमोक्रेटिक देश हैं। किसी भी डेमोक्रेटिक देश में सरकार के विरुद्ध
बोलने वाली पार्टियां, मीडिया, एनजीओ आदि मौजूद होती
हैं। चीन उनको धन देकर अपने खेमे में ले आता है और उनको एक्सप्ल्वाइट करता है।
२०१४ और १०१९ में भारत के कई पौलिटिकल पार्टियों को चीन ने फंडिंग की है जब वे एलेक्शन
लड़ रहे थे। सिर्फ भारत नहीं अमेरिका में
भी चीन ने यही किया है।
कोरोना महामारी चीन का बायोलोजिकल विपोन है
यह जो कोरोना महामारी है वह चीन का बायोलोजिकल विपोन है।
इसे चीन ने अपने सारे दुश्मनों, जो उसके
हिट लिस्ट में है, जैसे
अमेरिका, यूरोपीय देश, भारत, ब्राजील, ऑस्ट्रलिया, उन सभी
के खिलाफ इस्तेमाल किया।
चीन ने अमेरिकी मीडिया को ९० मिलियन डालर फंड किया
अमेरिका ने जब चीन पर बैन लगाना आरम्भ किय तो चीन ने इसका क्या तोर
निकाला। वहां एक ब्लैक क्रिमिनल की पुलिस एट्रोसिटी में मौत होती है। उसके
विरुद्ध भारी हंगामा हो जाता है। चीन इसको हबा देने के लिए वहां के अपराधियों को
और मीडिया का उपयोग करता है। उसने अमेरिकी मीडिया को ९० मिलियन डालर अफवाह फैलाने
के लिए फंड किया। यह चीन के रणनीति का एक हिस्सा है। वह सिर्फ सैनिक युद्ध नहीं
लड़ता । वह मीडिया वार भी लड़ता है। वह साइकोलोजिकल वार भी करता है। वह सोशल अनरेस्ट भी कराता है।
राहुल समझते हैं कि यह मौका है मोदी को नीचा दिखाने का
कांग्रेस और वामपंथी इस लड़ाई को इस तरह देख रहे हैं
जैसे यह लड़ाई चीन वरसेज मोदी हो रही है। जैसे यह लड़ाई चीन वरसेज बीजेपी हो रही
है। कांग्रेस और वामपंथी यह समझ नहीं पा रहे हैं कि यह लड़ाई चीन वरसेज इंडिया है।
वे समझते हैं कि यह मौका है कि मोदी को नीचे दिखा दें।
राहुल गांधी ट्विट करके रोज पूछ रहे हैं कि मोदी जी चुप क्यों हैं? मोदी
जी कहां छिपे हैं? मोदी जी डरिये मत? हमारी जमीन पर चीन ने कब्जा कैसे कर लिया?
मोदी रिज्यूम में हमारा एक इंच जमीन चीन के कब्जे में नहीं गया
जबकि सच्चाई यह है कि मोदी जी के सत्ता में आने के बाद हमारा एक इंच जमीन
चीन के कब्जे में नहीं गया। सबाल तो यह बनता है कि नेहरू जी जब प्रधान मंत्री थे
तो चीन ने यह पूरा इलाका कैसे कब्जा कर लिया था। यूपीए के मनमोहन सरकार के समय
चीनी सैनिक तीन बार भारत में घुसे और भारत की जमीन कब्जा कर लिया।
मनमोहन सिंह का नोबल पीस प्राइज पाने का चक्कर
मनमोहन सिंह ने तो यहां तक फैसला कर लिया था कि सियाचीन
पूरी तरह पाकिस्तान को दे दिया जाय। पीओके और गिलगित बाल्टिस्तान को पाकिस्तान
को सरेंडर कर दिया जाय। अक्साई चीन चीन को दे दिया जाय। मनमोहन सिंह ने नोबल पीस
प्राइज पाने के लिए इस योजना पर काम करना
आरम्भ कर दिया था। मगर उनकी यह योजना
आर्मी जेनेरल के सामने जैसे ही आयी, उन्होंने
मनमोहन सिंह को कहा इससे देश में विद्रोह हो जाएगा। तब जाकर ये लोग पीछे हटे हैं।
ये लोग यह समझ नहीं पा रहे हैं कि इनके इन चोंचलेवाजी से सीमा पर लड़ने
वाले सैनिकों के मनोबल पर कितना नकारात्मक असर पड़ता है।
कमांडिंग अफसरों को ऑन द स्पॉट निर्णय लेने की छूट
मोदी सरकार ने पाकिस्तानी और चीन के बोर्डर पर पहरा देने वाले भारतीय सेना
को छूट दे दी है कि सेना ऑन द स्पॉट निर्णय लेने के लिये मुक्त है। पहले यह होता
था कि दुश्मन हमला कर देता था और भारतीय सेना फोन लगाकर इंतजार करती थी कि दिल्ली
से क्या आदेश आ रहा है। लेकिन मोदी सरकार ने इसमें बदलाव किया। उन्होंने कहा कि
जो कमांडिंग अफसर है वह ऑन द स्पॉट निर्णय ले और जवाबी कारबाई करे। अब अगर उधर से
एक गोला आता है तो भारतीय सैनिक उनके चार पांच पिकेट उड़ा देते हैं। इससे पाकिस्तान
में हाहाकार मचा हुआ है। और इधर कांग्रेस में भी हाहाकार मचा हुआ है कि यह हो क्या
रहा है।
चीन के ३५०० किमी लम्बे बोर्डर पर हमारे जितने कमांडिंग
अफसर हैं उनको एहतियातन यह आदेश दे दिया गया है कि आपके सामने कैसा भी सिचुएशन
क्रिएट होता है, उसके लिए
रक्षा मंत्रालय के आदेश का इंतजार मत कीजिए। आप उसको वही सेटल कीजिए। जो ऑपरेशनल
रिक्वायरमेंट है, और जिस
लेबेल का रिक्वायरमेंट है, वो काम
आप करें। सरकार के इसी तरह के फैसलों के
कारण आज हमारे सैनिकों का मोराल बहुत उंचा है।


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