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अभी फैब्रिक का उत्‍पादन घीमा चल रह है, लेकिन आगामी समय में आशा की किरण दिखायी दे रही है: मनोज चूघ

 


 

मुंबई : अभी सब फैब्रिक उत्‍पादकों का उत्‍पादन घीमा चल रह है, लेकिन आगामी समय में आशा की किरण दिखायी दे रही है। जेएमडी एफएबी इंडिया  के निदेशक श्री मनोज चूघ ने यह जानकारी दी। यह कम्‍पनी Rewa ब्रांड के अंतर्गत देश भर में इम्‍पोटेड सूटिंग फैब्रिक बेचती है।

श्री चूघ ने कहा कि आगामी दीपावली सीजन से हमे काफी उम्‍मीद है। उन्‍होंने कहा कि फंड का प्रवाह बेहतर हो रहा है। हम बहुत जल्‍द सामान्‍य बिक्री की स्थिति में पहुच जाएंगे। उन्‍होंने कहा कि चीन से माल धीमी गति से आ रहा है, क्‍योंकि नियोजन समय पर नहीं हो सका। हमे त्‍यौहार और मारिजुआ के मौसम के लिए नये डेजायंस के आर्डर मिले हैं।

श्री चूघ ने सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि सरकार सभी क्षेत्रों की बेहतरी के लिए सकारात्‍मक कदम उठा रही है। उन्‍होंने उम्‍मीद जतायी कि शीघ्र ही अर्थव्‍यवस्‍था में सुधार दिखायी देगी। और परिवहन व्‍यवस्‍था भी जल्‍द सुधरने वाली है। जल्‍द ही कपड़ा व्‍यापार सहित सभी क्षेत्रों में काम काज सामान्‍य होने वाली है, उन्‍होंने ऐसी आशा जतायी। 

श्री मनोज चूघ ने कहा कि आवागमन रुका हुआ है । इसका यह प्रभाव पड़ा है कि इंटिरियर और रिमोट एरिया के बाजारों की ग्राहकी अच्‍छी हो गयी है। जो लोग पहले शादी व्‍याह की खरीददारी बड़े शहरों में आकर करते थे, वे अब वह अपने लोकल मारकेट में ही पटा रहे हैं। रिमोट एरिया में नॉरमल बिजनेस हो रही है। उन्‍होंने कहा कि बड़ी सीटीज जैसे मुंबई, पूने, नागपूर, जयपुर, अहमदाबाद, इंदौर के रिटेल मारकेटों में बहुत प्रोबलेम है। 

श्री मनोज चूघ ने कहा कि आवागमन में कठिनाई तो हो रही है। रिटेलरों को सैम्‍पल दिखाना तो आवश्‍यक है। इससे कम क्‍या करेंगे आप ? जहां तक ई मारकेटिंग का मामला है, आप जहां तक कोशिश कर लें, यह संभव नहीं है। आज अपका ग्राहक कपड़ा फील करता है। ई मारकेटिंग में ग्राहक फील नहीं करता है। फील के बगैर कपड़े का बिकना तो असंभब है। आज ऑन लाइन में ग्राहक गारमेंट ले लेता है। अगर उसे पसंद नहीं आता है तो माल रिटर्न आता है। उन्‍होंने कहा कि तकलीफ तो है। जबतक फील नहीं आता कपड़ा नहीं बिकता है। सिर्फ लुक से कपड़ा नहीं बिकता है। ऑनलाइन कपड़ा बेचना आसान नहीं है। यह एक मुश्किल काम है। 

श्री चूघ ने कहा कि ट्रेन तो यथाशीघ्र चालू करना चाहिए। सिर्फ कपड़ा उद्योग नहीं बल्कि सभी तरह का व्‍यापार इससे प्रभावित हो रहा है। आवागमन का साधन खुलना ही चाहिए। जिसको अपनी ताकत पर भरोसा है, वह काम करेगा, मिहनत थोड़ी ज्‍यादा भले ही लगे।

श्री चूघ ने कहा कि रेल चलने लगे तो माल लेने के लिए बाहर के रिटेलर्स भी आएंगे । हमारा टेक्‍सटाइल तथा दूसरे उत्‍पादों  का डिस्‍ट्रीव्‍यूशन बड़े सेंटरों के इंटरनल ट्रांसपोर्ट सिस्‍टम पर निर्भर है। यह भी चालू होना बहुत जरूरी है। 

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