दिल्ली: मोदी सरकार ने इस तथाकथित अंदोलनकारियों के दुखती नब्ज पर हाथ रख दिया है। इस नयी घटना से यह आंदोलन और भी एक्सपोज्ड हो चुका है । पंजाब के मुख्यमंत्री भी एक्सपोज्ड हो चुके हैं। इस आंदोलन के पीछे जितने भी गिरोह सक्रिय हैं सभी अब तक एक्सपोज्ड हो चुके हैं।
१९ दिसंबर को आयकर विभाग ने पटियाला में अढ़तियों के यहां छापेमारी की। आयकर विभाग ने लोकल पुलिस का साथ नहीं लिया। उसने पंजाब सरकार को विश्वास में नहीं लिया। वह सीआरपीएफ की टीम को बसों में भर कर ले गयी। कुल मिलाकार १२ अढ़तियों के यहां छापे मारे गये। पूरी रात कर्रवाई चली। उनके यहां से बहुत सारे दस्तावेज और जानकारियां इकट्ठा की गयीं।
अब हालत यह है कि पंजाब के मुख्य मंत्री अमरेंदर सिंह कहते हैं कि केंद्र सरकार ने यह बदले की कार्रवाई की है। अमरेंदर सिंह की प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट है कि वे इन अढ़तियों के हिमायती हैं। इसका मतलब है कि वे आम किसान, जिसको इन कानून का फायदा मिल रहा है, उसके विरुद्ध हैं।
कैप्टन अमरेंदर सिंह ने केंद्र सरकार पर यह आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार ने आंदोलनकारियों से नाराज होकर अढ़तियों के यहां इनकम टैक्स की छापेमारी की।
अढ़तियों के नेता ने कहा कि चूंकि हम इस आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं इसलिए हमारे यहां इनकम टैक्स की छापेमारी की गयी है। केंद्र सरकार इस आंदोलन को कमजोर करने की साजिश रच रही है।
उल्लेखनीय है कि सिंधु बोर्डर पर २६ दिनों से जो लोग अपने को किसान कहकर आंदोलन कर रहे हैं, वे कह रहे हैं कि हम इनकम टैक्स के दफ्तरों पर भी धरना देंगे। वे लोग अपनी पोल खुद हीं खोल रहे हैं। आम किसान का इनकम टैक्स विभाग से कोई लेना देना नहीं है। छापा तो दूर की बात है।
यह किसानों का आंदोलन है ही नहीं
हकीकत यह है कि यह किसानों का आंदोलन है ही नहीं। आम किसान का इस आंदोलन से कोई लेना देना है ही नहीं । यह शुद्ध रूप से कमीशनखोड़ों का, बिचौलियों का, अनाज व्यापारियों का, बड़े जमीनदारों का आंदोलन है। इसको कांग्रेस पार्टी, आम आदमी पार्टी, वामपंथी दल, टुकड़े-टुकड़े गैंग आदि राष्ट्र विरोधी ताकतों का समर्थन प्राप्त है। कुछ विदेश में बैठे लोग जो नरेंद्र मोदी विरोधी हैं उनका सपोर्ट भी इस फर्जी किसान आंदोलन को है।
आंदोलन में धरने पर बैठे लोगों की खातिरदारी
इस आंदोलन में धरने पर बैठे लोगों की जिस तरह खातिरदारी की जा रही है, वह अपने आप में अनोखा है। गर्म कपड़े बांटे गये हैं। रात को अलाव जलाए जाते हैं। बिजली के हीटर लगाए गये हैं। अत्याधुनिक रोटियां पकाने वाली मशीनें हैं। आंदोलनकारियों के मसाज की व्यवस्था की गयी है। जिम का प्रबंध किया गया है। उन्हें तमाम तरह की सुख सुबिधा उपलब्ध की गयी है। भारत में इस तरह का कोई किसान आंदोलन अतीत में नहीं देखा गया है, जहां इतनी आधुनिक सुख सुबिधाओं के साथ डेरे, तम्बू तान कर, ट्रैक्टर ट्रौलियों में घरनुमा वातावरण बनाकर, रजाई, कम्बल, गद्दों का समुचित इंतजाम करके आंदोलन किया गया हो। भारत क्या दुनियां के किसी देश के किसान ने ऐसा आंदोलन आज तक नहीं किया।
ज्ञातब्य है कि आंदोलनकारियों को इस आंदोलन से कोई तकलीफ नहीं है, बल्कि मजा है। तकलीफ दिल्ली में रहने वालों को हो रही है। इनका वास्तविक लक्ष्य केंद्र सरकार को तकलीफ देना था। उसे देश में और विदेशों में बदनाम करना था। मगर उल्टा हो रहा है। सरकार पर आम किसानों का विश्वास बढता ही जा रहा है।
मगर आज जो भारत के प्रधान मंत्री हैं नरेंद्र मोदी, जो गृह मंत्री हैं अमित शाह, वे अपने राजनैतिक केरियर में इस तरह के कई झंझावाट देख चुके हैं। इस तरह के कई फर्जी आंदोलनों का सामना कर चुके हैं। उनकी सेहत पर उतना असर नहीं पड़ता है। मगर खुद विपक्षी पक्ष के सेहत पर इसका अब असर पड़ रहा है। वे अब चीखने चिल्लाने लगे हैं। इनके वामपंथी मिडिया पर ज्यादा असर पड़ रहा है।
भारत में कौम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी के विकास के साथ सोशल मिडिया का जमाना आया। वामपंथी मिडिया को काउंटर करने वाले सामने आए। उन्होंने इस राष्ट्र विरोधी वामपंथी मिडिया को बेनकाब किया।
सरकार ने अढ़तियों के यहां छापा मारकर उन सब को एक साथ एक्सपोज्ड कर दिया। यह किसान विरोधी आंदोलन है। इसको ये अढ़तिया लोग अपने खर्च से चला रहे हैं। इस आंदोलन में कोई दम नहीं हैं। देश के १ प्रतिशत जनता भी इस आंदोलन के साथ नहीं हैं। भले ही इन्हें देश के २२ विपक्षी पार्टियों का साथ क्यों न मिल रहा हो। नरेंद्र मोदी एकमात्र प्रधान मंत्री हैं, जिसने किसानो के लिए वास्तव में किया जिसका असर दिखाई पड़ता है। आम जनता को सरकार के योजनाओं का लाभ मिल रहा है। गरीबों के बैंक में सीधा पैसा जा रहा है। पहले दिल्ली से जब एक रुपया चलता था तो लाभार्थी को १५ पैसा मिलता था।
१९ दिसंबर को आयकर विभाग ने पटियाला में अढ़तियों के यहां छापेमारी की थी। अढतियों का आरोप है कि यह छापेमारी राजनीति से प्ररित हैं। क्योंकि वे किसान आंदोलन को खुले तौर पर समर्थन दे रहे हैं।
मगर यह सवाल उताता है कि आप अढ़तियों का किसान आंदोलन से क्या संबंध है? आप क्यों समर्थन दे रहे हैं? अढ़तियों का किसान के प्रति हमदर्दी का कारण क्या है? अतीत में किसानों की दुख-सुख से अढ़तियों का कोई लेना देना कभी नहीं देखा गया। उनका इतिहास है कि उन्होंने हमेशा से किसानों को लूटा है। उनकी फसलों को लूटा है। वे कभी भी किसानो के हिमायती नहीं रहे। किसानों को उत्पादन लागत नहीं मिलता है और ये बिचौलिए आपका आलू २ रूपए किलो खरीदकर ४० रूपए किलो एंड कंज्यूमर को बेचते हैं।
अढ़तिए, बिचौलिए, कमीशनखोर, दलाल, ये किसानों के हिमायती कब बन गये, ये पता ही नहीं चला। ये लोग दावा कर रहे हैं कि हम आंदोलन कर नहीं रहे हैं, हम आंदोलन का बस समर्थन कर रहे हैं।
इससे पता चलता है कि इस आंदोलन के पीछे कितनी बड़ी साजिश है। यह शाहीनबाग पार्ट २ है। बिना किसी वाजिब वजह के उसे १०० दिनों से ज्यादा चलाया गया था। साजिशें रची जा रही हैं इसे भी उसी तरह चलाने की। इसके पीछे कुछ विदेशी ताकतें भी हैं। वामपंथी है, टुकड़े टुकड़े गैंग वाले हैं,
कड़कड़ाती ठंढ में पीछले ४ सप्ताह से दिल्ली के विभिन्न सीमाओं पर सरकार के तीन किसान बिलों के विरोध में आंदोलन करने वाले अढ़तियों ने आयकर विभाग के छापेमारी के विरोध में अनिश्चित काल तक मंडियों को बंद करने का फैसला किया है। यह तो सबूत है जो सावित करता है कि यह आंदोलन अढ़तिए, बिचौलिए, कमीशनखोर, दलालों का है। किसान तो नरेंद्र मोदी से इतने खुश हैं कि वे गांव गांव में उनका जयजयकार कर रहे हैं।
यह खबर द वायर के पोर्टल पर छपी है। द वायर कांग्रेस और वामपंथी विचार धारा को अगे बढाता है। मैं उसके विश्लेषण को नहीं स्विकार करता हूं। मेरा यह विश्लेषण है।


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