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दीपावली के बाद का समय कपड़ा व्‍यापार के लिए अच्‍छा नहीं चल रहा है: रामप्रसाद बिदावतका

 

Ramprasad Bidawatka, CMD, PrabhuG Tex Pvt.Ltd


 

मुंबई: दीपावली के पहले कपड़ा व्‍यापार में मूवमेंट हुआ था मगर दीपावली के बाद का समय कपड़ा व्‍यापार के नजरिए से खराब चल रहा है। यह जानकारी प्रभु जी टेक्‍स प्रा.लि. के सीएमडी श्री रामप्रसाद बिदावतका ने दी।

उन्‍होंने कहा कि कॉटन, पीवी, पीसी, पोलिएस्‍टर आदि के हर काउंट में यार्न का रेट ३० से ४० प्रतिशत तक ज्‍यादा हो गया। इससे  फैब्रिक उत्‍पादकों को काफी परेशानी का सामना कर पड़ रहा है।

श्री रामप्रसाद बिदावतका ने कहा कि उत्‍पादन का लागत बढ़ गया है। सेल है नहीं। फैक्‍ट्रियों में छुट्टी करके भी उत्‍पादकों को  घाटा का ही सामना करना पड़ेगा। प्रोडक्‍शन कम करने में भी नुकसान ही होता है। फैब्रिक का व्‍यापार नाजुक दशा में गुजर रहा है। कपडों का दाम बढ़ेगा मगर व्‍यापारी मंहगे दाम पर कपड़ा लेना नहीं चाहेंगे।

उन्‍होंने कहा कि पूरी सीजन का कपड़ा सब के पास है। इसलिए उत्‍पादक प्रेसर में है। कपड़ा व्‍यापार इन दिनो सबसे प्रभावित होने वाला सेक्‍टर है। फिलहाल कोरोना के कारण सब कुछ अस्‍त  व्‍यस्‍त चल रहा है। महाराष्‍ट्र सरकार अब रात का कर्फ्यू लगाने जा रही है।

उन्‍होंने कहा कि पहले कपड़ा ज्‍यादा बिकता था। पहले काटन ही चलता था। वह ६ से ८ महीने के अंदर कालर से या पाकेट से कटने और फटने लगता था। तब प्रति व्‍यक्ति कपड़े की खपत ज्‍यादा थी। आज पोलीएस्‍टर चलता है। आप कपड़ा पहन कर थक जाओगे कपड़ा नहीं फटेगा।

बेशक यह कॉटन पोलीएस्‍टर ब्‍लेंड फैब्रिक साधारण आदमी के लिए आर्थिक दृष्टिकोण से सही फैब्रिक है। आज प्‍योर काटन लक्‍जीरियस आइटम हो गया है।

 

बेशक मुंबई और अहमदाबाद आज भी कपड़े  की बड़ी मंडी है मगर आज फैब्रिक उत्‍पादन की मंडियां काफी हो गयीं। भीलवाड़ा, सूरत, उमरगांव,  गोरखपुर, मउ, टांडा, बुरहानपुर, इचलकरंजी, आदि शहरों में भी फैब्रिक के उद्योग लग गये।

मुंबई का व्‍यापार इस दृष्टि से सिकुर रहा है। पहले की तरह व्‍यापारी आने भी कम हो गये, क्‍योंकि और भी मंडियां बिकसित हो गयीं।

श्री बिदावतका ने कहा संक्रांति के बाद बाजार में सुधार के आसार दिखाई दे रहे हैं।


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