Header Ads Widget

 Textile Post

किसानों के साथ धोखा हुआ है : सुशांत सिंहा (पत्रकार)

Sushant Sinha, Journalist

  

किसानों के साथ धोखा हुआ है। किसने किया? यह धोखा किसान नेताओं ने दिया और अलग अलग पार्टियों  ने दिया है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, एनसीपी, सपा, बसपा, शिवसेना, तमाम पार्टियां जो किसान के साथ खड़े होने का दावा कर रही हैं।

फूड कंज्यूसमर अफेयर और पब्लिक डिस्ट्रीव्यूटशन पर एक स्टैंडिंग कमीटी बनी थी । इसमें सभी दलों का पतिनिधित्वं था। इसमें १३ पार्टियों के ३० नेतागण शामिल थे।

इस कमीटी ने संसद में अपनी रिपोर्ट दाखिल की जिसमें उन्‍होंने यह कहा कि एसेंसियल कमोडिटी ऐमेंडमेंट एक्ट  २०२० को अक्षरस: लागू होना चाहिए। तभी किसानों का फायदा हो पाएगा।  इस एक्‍ट में एसेंसियल कमोडिटी के स्टोर करने की सीमा को हटा दिया गया है।

 


इन विरोधी  पार्टियों ने अबतक किसान को यह कहकर भड़काया है कि यह काला कानून है।  यह कानून इसलिए बनाया गया कि अडानी और अंबानी देश का  सारा अनाज खरीद कर स्टोर कर ले। मगर सच्‍चाई यह है कि अडानी अंबानी तो इस व्यवसाय में हैं ही नहीं।

 

दरअसल यह कानून इसलिए बनाया गया कि यदि आप व्यापारी से यह उम्‍मीद कर रहे हैं कि वे किसान की फसल खरीद ले  और उनको अच्छीस कीमत दे  तो वह रक्खेगा कहां? अभी तो इतने कोल्ड स्टोरेज और स्टोर हाउस तो हैं ही नहीं कि उनका उचित भंडारन हो सके। एफसीआइ जितना अनाज खरीदती है उसका एक बड़ा हिस्सा सड़ जाता है।

 

इन पार्टियों के लोगों ने एक तरफ किसानों को आंदोलन पर उकसा कर उन्हें सौ से ज्यादा दिनो से लटका कर रखा है। दूसरी तरफ लोक सभा में कमीटी ने रिपोर्ट पेश की है जिसमें कहा गया है कि यह तीसरा कानून कृषि क्षेत्र में ज्यादा निवेश लाएगा।

यही बात तो नरेंद्र मोदी कह रह हैं कि प्राइवेट क्षेत्र का कृषि में निवेस लाइए। तभी देश में विकास होगा। पर्याप्तक कोल्ड  स्टोरेजों की जरूरत है। सरकार उतनी बड़ी संख्या भंडारन की लॉजिस्‍टिक नहीं बना सकती है। वह बड़ी मात्रा में अनाज खरीदकर सड़ा भी नहीं सकती है। किसानों का हित तभी होगा जब इस क्षेत्र में प्राइवेट प्लेयर आएगा।

अब स्टैंडिंग कमीटी वही बात कह रही है जो सरकार पहले से कह रही है। ये पार्टियां दोमुहें सांप की तरह किसानों को एक बात कह रहे हैं और सदन में उसके विपरीत वही बात बोल रहे हैं जो सरकार पहले से कह रही है।

यह बात स्टैंडिंग कमीटी की उस रिपोर्ट में कही गयी है कि देश में कई फसलों की उपज ज्यादा होती है मगर किसानों के पास उसके रख रखाव का इंतजाम नहीं है और उन्हें उसकी सही कीमत नहीं मिल पा रही है, क्योंकि वेयर हाउस, कोल्ड स्टोरेज, और प्रोसेसिंग और एक्‍सपोर्ट में निवेश नहीं हो रहा है। यही बात तो भारत के कृषि मंत्री कब से कह रहे हैं।

 

 


स्टैंडिंग कमीटी में झूठ बोल नहीं सकते। इसलिए वहां उन्हें यह लिखकर देना पड़ा। दूसरी तरफ वहीं लोग वास्तविक किसानों के हित के विरुद्ध फर्जी  किसान आंदोलन खड़ा करके देश में हंगामा खड़ा कर रहे हैं।

 


इस स्टैंडिंग कमीटी में कौन कौन पार्टियां हैं? कांग्रेस, बीजेपी, आम आदमी पार्टी, जेडीयू, डीएमके, एनपीएफ, एनसीपी, वाइएसआर कांग्रेस, शिवसेना, समाजवादी पार्टी, पीएमसी, पीएमके सहित १३ पार्टियां।

 

ये लोग संसद के अंदर इसे अक्षरसह लागू करने की बात कर रहे हैं और बाहर इसे काला कानून कहकर आंदोलनकारियों को भड़का रहे हैं। यह है भारत के अपोजिशन की कूट नीति। मगर दूसरी तरफ हकीकत यह है कि जैसे जैसे इन पार्टियों का छल और प्रपंच सामने आता जा रहा है, नरेंद्र मोदी के प्रति आम पब्‍लिक की विश्‍वसनीयता बढ़ती जा रही है।

 

नरेंद्र मोदी लाल बहादूर शास्‍त्री के बाद दुसरे प्रधान मंत्री हैं जिसने किसानो की सुधि ली है। जिसने देश हित को निजहित से उपर समझा है।

अन्‍यथा किसानो के दुखद दशा के बारे में किसी प्रधान मंत्री ने परवाह नहीं की। चाहे वे पंडित जवाहर लाल नेहरू हो, इंदिरा गांधी हो, मोरारजी देसाई हो, चौधरी चरण सिंह हो, राजीब गांधी हो, वीपी सिंह हो, चंद्रशेखर हो, देवेगौरा हो, इंदर कुमार गुजराल हो, नरसिंह राव हो, मनमोहन सिंह हो या कोई अन्‍य हो।

 

यह नरेंद्र मोदी ही हैं जिससे किसानों के मन में आशा का दीप जला है। और यह दीप जलती रहनी चाहिए।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ