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R S S उसी तरह आतंकवादी पैदा कर रहा है, जैसे पाकिस्‍तानी मदर्सों में : राहुल गांधी

 


 

 

राहुल गांधी का हाल में एक बयान आया है जिसमें उन्‍होंने R S S  की तुलना पाकिस्‍तानी मदारिस से की है। उन्‍होंने कहा कि R S S  उसी तरह आतंकवादी पैदा कर रहा है, जैसे पाकिस्‍तानी मदर्सों में आतंकवादी पैदा किया जाता है।

राहुल को भारतीय संस्‍कृति और परंपराओं से घृणा है

राहुल गांधी जी या तो इस देश को यहां के सामाजिक संरचना को नहीं समझते हैं या वे इस देश के सामाजिक संरचना को पसंद ही नहीं करते या फिर वे उसी रास्‍ते पर चल रहे हैं जिस पर उनके खानदान के अन्‍य लोग जैसे नेहरू जी, इंदिरा जी, राजीव जी आदि चलते रहे।

राहुल जी उसी व्‍यवस्‍था को जारी रखना चाहते हैं जिसे उनके खानदान के लोग चलाते रहे हैं। मगर अब यह संभव नहीं है। लोग जागरुक हो गये हैं। पिछले ७३ वर्षों में जो बोया गया हम आज उसे काट रहे हैं। इस देश के तीन टुकड़े हुए। आतंकवाद से आज भी हम परेशान हैं । यह उसी नेहरूवादी सोच और व्‍यवस्‍था का परिणाम है। 


 

नेहरू और मौलाना आज़ाद

पंडित नेहरू ने मौलाना आज़ाद को भारत का पहला शिक्षा मंत्री बनाया। मौलाना आज़ाद एक मदर्सा छाप आदमी थे। वे कभी स्‍कूल  नहीं गये। वह एक अरेबियन थे। वह भारतीय मुसलमान नहीं थे। १८५७ में भारत में मुगल शासन खत्‍म हो गया तो मौलाना आज़ाद के वालिद भारत में शिफ्ट हो गये।

 

१९०६ में भारत में मुस्‍लिम लीग बनाने में मौलाना आज़ाद की अहम भूमिका थी। बाद में वह पंडित नेहरू से घनिष्‍ट हो गये। आज़ादी के उपरांत जब नेहरू प्रधान मंत्री बना तो उसे उसने शिक्षा मं‍त्री बना दिया। जबकि मौलाना एक जाहिल आदमी थे। उसने भारत के इस्‍लामीकरण का बीज बोना शुरू कर दिया। मौलाना आज़ाद की मर्जी के अनुसार उसके मरने के ५० साल के बाद उसकीमेंं जइ आत्‍मकथा के ३० पन्‍ने जोड़े गये । उसमें उसने यह स्‍वीकार किया है कि उन्‍होंने भारत की शिक्षा पद्धति में इस्‍लामीकरण के वे बीज बो दिए हैं जिससे ५० साल बाद भारत इस्‍लामीकरण के रास्‍ते पर बढ़ चुका होगा। 


 

राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ

मौलाना आज़ाद और नेहरू के इस षडयंत्र को राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ  के संस्‍थापक गुरुजी गोलवलकर ने भांप लिया। उन्‍होंने १९४६ में  हरियाना में गीता विद्यालय की स्‍थापना की। पंडित नेहरू ने उसे १९४८ में वैन कर दिया। उसके बाद १९५२ में नाना जी देशमुख ने गोरखपुर में सरस्‍वती शिशु मंदिर नाम का विद्यालय की स्‍थापना की। उसके बाद राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ ने इस प्रकार का विद्यालय की बनाना शुरू कर दिया।

 

राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ को उसी समय समझ आ गया कि मौलाना आज़ाद भारतीय शिक्षा को किस तरफ ले जा रहा है। भारत के कोर्स में एक दूषित किस्‍म की शिक्षा का बीजारोपन हुआ। वेद की शिक्षा को बैन किया गया। संस्‍कृत की शिक्षा का निरादर किया गया। संस्‍कृत और भारतीय धर्म संबधी शिक्षा को धीरे धीरे खत्‍म किया गया। जबकि अंग्रेजों ने भी ऐसा नहीं किया।  राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ ने नेहरू और मौलाना आज़ाद की इस कुटिलता को भांप लिया। उन्‍हें समझ आ गया  नेहरू और मौलाना आज़ाद ने हिंदू धर्म को समाप्‍त करने की एक योजना बना ली है।  इसीको ध्‍यान में रखकर उन्‍होंने उसका काट सोचा।

आज राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ देश में लगभग २५ से ३० हजार विद्यालय चला रहा है। संसार में किसी भी प्राइवेट विद्यालय की इतनी बड़ी श्रृंखला नहीं है। वे सरस्‍वती शिशु मंदिर, सरस्‍वती विद्या मंदिर, सरस्‍वती शिशु मंदिर इंटर कॉलेज आदि नाम से देश भर में चलाए जाते हैं। वे नो प्राफिट पर चलाए जाते हैं। लगभग ५० लाख बच्‍चे उनमें पढ़ते हैं। इसके अलावा देश भर में लगभग २ लाख एकल विद्यालय हैं, जहां सांस्‍कृतिक शिखा दी जाती है।

 

सरस्‍वती शिशु विद्या मंदिर १९७७ में  रेगुलेट हुआ। अखिल भारतीय विद्या भारती ने इन्‍हें रेगुलेट करना शुरू किया। इन विद्यालयों में लगभग ५० हजार मुस्‍लिम बच्‍चे पढते हैं। इनमें उच्‍च संस्‍कार दिए जाते हैं।

विद्या भारती स्‍कूलों का इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर तो सामान्‍य से नीचे है क्‍योंकि इन्‍हें सरकार से कोई सहयोग नहीं मिलता। जबकि मदरसों को सरकार से वित्तिय मदद मिलती है। क्रिस्‍चनों के कंवेंट स्‍कूलों को भी सरकार से वित्तिय मदद मिलती है।  

 

आरएसएस के द्वारा चलाए जा रहे विद्यालयों के रिजल्‍ट बेमिसाल हैं। इसमें पढ़कर निकलने वाले बच्‍चे उच्‍च संस्‍कार के होते हैं। वे बच्‍चे मेरिट में  हमेशा टॉप टेन में होते हैं।

क्‍या भारत के मदरसों में संत पैदा होते हैं?

राहुल विंची कहते हैं कि पाकिस्‍तान के मदरसों में जिहादी पैदा होते हैं, तो क्‍या भारत के मदरसों में संत पैदा होते हैं। राहुल बाबा कहते हैं कि विद्या भारती के इन संस्‍थानों में पाकिस्‍तान के मदरसों  की तरह जिहादी पैदा होते हैं।

 

यह वयान तुष्‍टीकरण की राजनीति है। यही तो मौलाना और नेहरू की नीति थी। राहुल के बाप दादाओं ने ज्‍यादातर शिक्षा मंत्री उनको बनाया जो  जिहादी मानसिकता के लोग थे। कांग्रेस शासनकाल में ज्‍यादातर शिक्षा मंत्री मदरसा छाप थे या दूषित मानसिकता के लोग थे।

पंडित नेहरू छद्म हिंदू थे

पंडित नेहरू देश को धोखा देते रहे। पंडित नेहरू छद्महिंदू थे। वे गोमांस खाते थे। दर हकीकत वे स्‍वयं एक मुसलमान थे। उनके दादा का नाम था गयासुद्दीन गाजी। वे दिल्‍ली के कोतबाल थे।  १८५७ में जब मुगल सलतनत का पतन हो गया, और बहादुर शाह जफर गिरफतार हो गए और बाकी अधिकारियों की  अंग्रेजों ने तलाश शुरू की तो  गयासुद्दीन गाजी ने अपना नाम बदलकर गंगाधर नेहरू रखा और दिल्‍ली से भाग कर पहले लखनौउ और बाद में इलाहाबाद में बांकी जिंदगी बितायी।

विद्या भारती के विद्यालय

राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ के द्वारा संचालित विद्या भारती के विद्यालयों में चरित्र निर्माण पर बल दिया जाता है। राहुल गांधी परले दरजे के झूठे और बेवकूफ आदमी हैं। वे आत्‍मविश्‍वास के साथ झूठ बोलते हैं। मूर्खो का आत्‍म विश्‍वास प्रवल होता है। राहुल जी उसका जीवंत उदाहरण हैं।  वे खानदानी भ्रष्‍ट आदमी हैं। जनेऊ पहनने से कोई संस्‍कारी नहीं होता है। नेहरू गांधी  खानदान ही झूठे और मक्‍कार लोगों का खानदान है। इस खानदान ने इस देश को जितना नुकसान किया दूसरा किसी ने नहीं किया । उनको लगता है कि सत्‍ता में आने के लिए उन्‍हें वही करना होगा जो उनके पूर्वजों ने किया। वे वेशरम हैं। भूतिए हैं।  

 

विद्या भारती के पढ़े बच्‍चे देश में बड़े बड़े पदों पर हैं। यह उच्‍च संस्‍कार देनेवाली संस्‍था है। जो इन विद्यालयों से पढकर निकले वे उच्‍च चरित्र लेकर निकले। जबकि सरकारी स्‍कूलों से निकलने वाले ज्‍यादातर छात्र नैतिकता विहीन और राष्‍ट्रद्रोही छात्र होते हैं। वे अपने ही धर्म और परंपरा से कट जाते हैं । उन्‍हें हिंदु होने पर एहसासे कमतरी होता है।

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