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फैब्रिक उत्‍पादकों के लिए गत सीजन लॉकडाउन के कारण विशेष नहीं रहा: गिरीश तोदी, स्‍पर्श फैब टेक्‍सटाइल

Girish Todi, Director, Sparsh Fab Textiles Pvt.Ltd


 


मुंबई: फैब्रिक उत्‍पादकों के लिए गत सीजन लॉकडाउन के कारण विशेष तो रहा नहीं। सब जगह बंद है। जब त‍क लाकडउन खुलेगा नहीं तब तक स्थिति ऐसी ही रहेगी। स्‍पर्श फैब टेक्‍सटाइल के डायरेक्‍टर श्री गिरीश तोदी ने यह जानकारी दी।

उन्‍होंने कहा कि  शहर तो रिकोवर कर रहा है मगर ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना के केस बढ़ रहे हैं। वहां लोगों में समझदारी नहीं है। जांच भी नहीं हो पाती है। इसका व्‍यापार पर असर हो रहा है। 


 

उन्‍होंने कहा कि बंगाल उरीसा आदि में लॉकडाउन लेट से हुआ। वहां असर आने भी देर लगेगा। वहां अभी कोरोना के केसेज डाउन नहीं हुए हैं।  तमिलनाडु और अंध्राप्रदेश की हालत भी नरम ही है। बाजार वेट एंड वाच की स्‍थिति में चल रही है।

श्री तोदी ने कहा कि यार्न का रेट बढ़ता ही जा रहा है। यार्न में तेजी है कपड़ा में मंदी है। यार्न बाजार अलग ही तरह से चला रहा है।

उन्‍होंने कहा कि पेमेंट स्‍लो ही आ रहा है। रोटेशन तो गांवों की तरफ से आता है। अत: वो स्‍लो चल रहा है। २० से ३० प्रतिशत पेमेंट आ रहा है। कुछ एरिया से शुन्‍य पेमेंट है क्‍योंकि वे टोटल लॉकडाउन का सामना कर रहे हैं।

 


श्री तोदी ने कहा कि अगले सीजन की तैयारी करने का मन ज्‍यादा नहीं कर रहा है। अब जो सामने सीजन है वह है दुर्गापूजा । ईद के समय से पहले लॉकडाउन हो गया। हर किसी के पास पाइपलाइन में काफी माल है। तीज खतम, लगन खतम और अब बारिस का समय आ गया। अभी सीजन तो कोई खास है नहीं। अब दीवाली की सीजन ही लगेगी। दीवाली के सीजन के पहले कोई सीजन लगेगी नहीं।

 

उन्‍होंने कहा कि जुलाई के बाद रक्षा बंधन आएगा मगर उसमें ज्‍यादा व्‍यापार की उम्‍मीद नहीं है। क्‍योंकि डर के माहोल को खत्‍म होते होते समय लगेगा। जब तक कोरोना के केसेज कम नहीं होंगे तब तक यही स्थिति बनी रहेगी।

 

श्री तोदी ने कहा कि युनिफार्म का व्‍यापार तो इस साल इतना चलेगा नहीं। स्‍कूल खुल नहीं रहे हैं। इससे ज्‍यादा उम्‍मीद नहीं है।  कपड़े की डिमांड तो बहुत कम है। मगर उम्‍मीद है कि जैसे जैसे लॉक डाउन खुलेगा मांग आएगी।

 

उन्‍होंने कहा कि गुजरात के अहमदाबाद साइड में ९ बजे सुबह से ३ बजे दिन तक खुल रहा है। उधर से थोड़ी मांग आएगी। इसमें बाहर गांब के लोगों के लिए मारकेटिंग थोड़ा मुश्किल है।

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