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वित्त वर्ष 2022 में भारत की आधारभूत वास्तविक जीडीपी में 8.5% की वृद्धि होगी: अदिति नायर

 

Aditi Nayar, ICRA


मुंबई भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वित्त वर्ष 2021-22 में 8.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा। इन्वेस्टमेंट इंफॉर्मेशन एंड क्रेडिट रेटिंग एजेंसी की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने एक प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी दी।

ICRA Limited एक भारतीय स्वतंत्र और पेशेवर निवेश सूचना और क्रेडिट रेटिंग एजेंसी है। यह 1991 में स्थापित किया गया था।  इसे इन्वेस्टमेंट इंफॉर्मेशन एंड क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ऑफ इंडिया लिमिटेड का नाम दिया गया था।

 


Icra रेटिंग्स के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में  बुनियादी कीमतों के 7.3 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। 2020-21 में देश की जीडीपी में 7.3 फीसदी की गिरावट आई है।

 

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने कहा कि यदि पुन: केंद्रीकृत खरीद नीति के बाद वैक्सीन कवरेज में तेजी आती है, तो इस वित्त वर्ष में जीडीपी का विस्तार 9.5 प्रतिशत तक हो सकता है,  जिसमें तीसरी और चौथी तिमाही में व्यापक वृद्धि होगी।

 

पिछले हफ्ते, भारतीय रिजर्व बैंक(RBI)  ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।

 


विभिन्न उच्च आवृत्ति संकेतकों में कोविड -19 की दूसरी लहर और आगामी राज्य-वार प्रतिबंधों का प्रभाव अप्रैल-मई 2021 में देखा गया। अब जब ताजा मामले कम हो गए हैं, और प्रतिबंधों में ढील दी जा रही है।  वित्त वर्ष 2022 के लिए हमारी आधारभूत जीडीपी वृद्धि का अनुमान 8.5 प्रतिशत पर रहेगा।

 

नायर ने कहा, कि सरकार द्वारा सब्सिडी जारी करने के मासिक पैटर्न का वर्तमान में पता नहीं लगाया जा सकता है। इसलिए, हम सावधान करते हैं कि सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में त्रैमासिक प्रवृत्ति हमारी आधारभूत धारणा से भिन्न हो सकती है (FY2022 के Q1 में +14.9 प्रतिशत, Q2 में +8 प्रतिशत Q3 में +5.6 प्रतिशत और Q4 में +7 प्रतिशत)  कब सब्सिडी पे-आउट बुक किया जाता है,  इसपर यह निर्भर करेगा।

 


इक्रा को उम्मीद है  कि  उपभोक्ता भावना और मांग पर दूसरी लहर के लंबे समय तक नकारात्मक प्रभाव रहेगा।   वित्त वर्ष २०२२ में वित्त वर्ष २०२१ से कम प्रतिस्थापन मांग की उम्‍मीद है।

 

2020 की तुलना में 2021 में सामान्य मानसून बफरिंग और फसल उत्पादन और कम रिवर्स माइग्रेशन की संभावनाओं है। फिरभी  ग्रामीण संक्रमणों में तेज वृद्धि, रोजगार के नुकसान के के कारण मांग कमजोर रहेगा।

 

इसने कहा कि भले ही देश में COVID-19 संक्रमण की दूसरी लहर ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए निकट अवधि में विकास को कम कर दिया है, मगर  वैक्सीन के कारण  आशावाद की लहर ने जोर पकड़ा और इससे वैश्विक कमोडिटी की कीमतों में वृद्ध होगी।

 

एजेंसी को उम्मीद है कि घरेलू मांग में कमी होगी। इसके कारण मूल्य निर्धारण शक्ति बाधित होगी। इससे कई क्षेत्रों में मार्जिन कम होगा।

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