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 Textile Post

चीन से 1% बाजार हिस्सेदारी हासिल करने से भारत को टेक्सटाइल में 10 अरब डॉलर का अवसर मिलेगा: CII-Kearney रिपोर्ट

 

Pocketing even 1% market share from China means India gets a $10-billion opportunity in textiles: CII- Kearney Report

मुंबई: कपड़ा उद्योग कोविड की भयंकर महामारी के बीच अपने को बचाए रहने के लिए संघर्ष कर रहा है। इसके कारण श्रमिकों की भारी कमी और कपास की कीमतों में वृद्धि हुई है। वियतनाम और बांग्लादेश जैसे छोटे देश अब इस सेगमेंट में भारत से आगे निकल रहे हैं। हालांकि पिछले साल की तुलना में अप्रैल-दिसंबर 2021 में कपड़ा निर्यात में 41% की वृद्धि हुई है, लेकिन फिरभी इस क्षेत्र को अधिक प्रतिस्पर्धी और वैश्विक स्‍तर पर चुनौती देने वालों के बराबर बनाने में मदद करने के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है। भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry (CII)) और वैश्विक प्रबंधन परामर्श फर्म किर्नी(Kearney) की एक रिपोर्ट में ऐसा कहा गया था

 

भारतीय कपड़ा उद्योग का अगले पांच वर्षों में $ 65 बिलियन के निर्यात का लक्ष्य

CII-Kearney की रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत के कपड़ा उद्योग को अगले पांच वर्षों में निर्यात में $ 65 बिलियन का लक्ष्य रखना चाहिए, खासकर "चाइना प्लस वन" के साथ। "हालात भारत को एक अनुकूल स्थिति प्रदान करती हैं। वैश्विक कंपनियां "दुनिया के कारखाने", चीन के बाहर सोर्सिंग और विनिर्माण स्थलों को तलाश रही हैं।

 

भारत के लिए एक स्पष्ट अवसर मौजूद है। कपड़ा ब्रांड और खुदरा विक्रेता वैकल्पिक हब को देखकर अपनी आपूर्ति श्रृंखला को जोखिम में डालने को तैयार हैं। "चीन की लागत प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो रही है। उनकी बाजार हिस्सेदारी अभी भी 30% -36% है। यहां तक ​​​​कि 1% बाजार हिस्सेदारी में बदलाव से 10 अरब डॉलर का बाजार होगा। वैश्विक कपड़ा व्यापार $ 1 ट्रिलियन का है। भारत इसे  देख रहा है।

 

भारत का घरेलू कपड़ा और परिधान उत्पादन $140 बिलियन का

भारत का घरेलू कपड़ा और परिधान उत्पादन $140 बिलियन का है, जिसमें $40 बिलियन का कपड़ा और परिधान निर्यात शामिल है। वर्ष 2019-20 में भारत के टेक्‍सटाइल का निर्यात$ 34 बिलियन था। सरकार ने अगले पांच वर्षों में $ 34 बिलियन  से $ 100 बिलियन का निर्यात लक्ष्य निर्धारित किया है। भारत एक प्रमुख टेक्‍सटाइल प्‍लेयर है। उसके पास इस नाते इस सेगमेंट में अपनी उपस्थिति को व्यापक पैमाने पर बढ़ाने का अवसर है।

 

 

लक्ष्य पथ (Target path)

अगले पांच वर्षों में कपड़ा निर्यात में 100 अरब डॉलर का सरकार का लक्ष्य तभी हासिल किया जा सकता है जब भारतीय उद्यमियों द्वारा उचित ढांचा, लंबी अवधि की नीतियां और बेहतर योजना बनाई जाए। इसके अलावा, व्यापार करने में आसानी हो, इसकी आवश्यकता है ताकि हम उन ब्रांडों और खुदरा विक्रेताओं को आपूर्ति श्रृंखलाओं के सुचारू संचालन को सुनिश्चित कर सकें जो जोखिम से मुक्त संचालन की तलाश में हैं। साथ ही  भारत को अपनी कपास की आपूर्ति का पर्याप्त प्रबंधन करना होगा। कपास की आपूर्ति हमारे पास और अधिक हो सकता है।

 

 

अगर भारत अपनी कपास की आपूर्ति को अच्छी तरह से प्रबंधित करता है, तो हम कच्चे कपास या यार्न के निर्यात में अधिक मूल्यवर्धन कर सकते हैं, जो हमें परिचालन को बढ़ाने और अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने में सक्षम बना सकता है ।

 

वस्त्रों में रणनीतिक गहराई(strategic depth in textiles)

भारत के पास वस्त्रों में रणनीतिक गहराई(strategic depth in textiles) एक बड़ा लाभ है। हमारे पास सबसे बड़ा अवसर निर्यात में है। परिधान में कम से कम $16 बिलियन की वृद्धि का अवसर मौजूद है। चाइना प्लस वन का लाभ उठाने के लिए यह एकदम सही अवसर है। परिधान खरीदने वाली हर कंपनी चीन का विकल्प चाहती है। इसके अलावा एक अन्य अवसर फैब्रिक में है, जहां हम भारत को एक क्षेत्र के रूप में स्थापित करके $4 बिलियन की छलांग लगा सकते हैं।

 

मानव निर्मित फाइबर और यार्न में भी संभावना है, जिसमें भारत $2.5 बिलियन- $3 बिलियन की छलांग लगाने का लक्ष्य रख सकता है। घरेलू वस्त्र (होम टेक्‍सटाइल) में 4 अरब डॉलर की वृद्धि का लक्ष्य रखा जा सकता है। इस क्षेत्र में भारतीय कंपनियों का दबदबा है। तकनीकी वस्त्र में घरेलू मांग में वृद्धि के साथ-साथ $ 2 बिलियन की छलांग लगाने का लक्ष्य रखा जा सकता है।

 

 

CII-Kearney की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का होम टेक्सटाइल निर्यात FY20 में $4.1 बिलियन का था, जो वैश्विक होम टेक्सटाइल व्यापार का 7% है। 2015-2019 के दौरान भारत के बाजार में 9-10% सीएजीआर की मजबूत वृद्धि हुई है। परिधान, जो 2015 से 2019 तक लगभग 10% सीएजीआर से बढ़ा, भारत की खपत का बड़ा हिस्सा है। शेष बाजार तकनीकी वस्त्र (23%) और घरेलू वस्त्र (7%) है।

 

 

कैपेक्स दर्द (Capex pain)

एक अन्य बड़ी बाधा का उल्लेख करते हुए, CII-Kearney की रिपोर्ट कहता  है कि मशीनरी पर उच्च आयात शुल्क उद्योग के लिए एक निवारक के रूप में कार्य करता है। कपड़ा मशीनरी पर 27% GST और 18% आयात शुल्क है। मशीनरी आयात करते समय पूंजीगत व्यय में लगभग 45% अतिरिक्त वृद्धि होती है। जब तक नीति को युक्तिसंगत नहीं बनाया जा सकता या स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा नहीं मिलेगा।  हमें पूंजीगत व्यय को कम रखने का एक तरीका खोजना होगा।

 

डिजिटलीकरण, डिजाइन क्षमताओं के साथ-साथ स्थिरता (sustainability) और पता लगाने की क्षमता (traceability) जैसे पहलू इस क्षेत्र में वर्गीकरण (differentiation in the sector) के लिए महत्वपूर्ण उपकरण बन रहे हैं। ट्रेसबिलिटी अब एक बड़ा खेल है। लोग जानकारी चाहते हैं। वे जानना चाहते हैं कि उतपाद के लिए प्राकृतिक उर्वरकों का उपयोग किया जा रहा है या सिंथेटिक्स? खेत कैसा है? खेत पर लोगों की गुणवत्ता क्‍या है?  यह उत्पाद को कैसे प्रभावित करता है?  आदि। हमें यह देखना होगा कि हम इस तरह के पहलुओं को कैसे सक्षम कर सकते हैं। इसके अलावा होम टेक्सटाइल प्लेयर्स ने यहां अपने देश में बड़ी उपस्थिति दर्ज कराई है। उन्हें गुणवत्ता(quality) और  स्थिरता( sustainability) में सुधार चाहिए। जब भी वे भारत से उत्पाद खरीदते हैं,  उन्‍हें समय पर प्राप्त करने का आश्वासन मिलना चाहिए।

 

CII-Kearney की रिपोर्ट के विशेषज्ञ चाहते हैं कि केंद्रीय बजट में, टेक्सटाइल में प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना(Production-Linked Incentive (PLI) Scheme) अधिक व्यापक-आधारित (more broad-based) हो।  कार्यशील पूंजी के दबाव को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया जाए। योजनाओं को लागू करने के तरीके (ways to implement schemes) बताए जाएं और इस क्षेत्र के लिए पैमाने का निर्माण किया जाए(build scale for the sector)।

विनिर्माण सुविधाएं (manufacturing facilities)

पैमाना (scale) हमारे रसद और खरीद (logistics and procurement,) में मदद करेगा, और विनिर्माण(manufacturing) की हमारी लागत को कम करेगा। हमें बांग्लादेश और वियतनाम की पसंद के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होने के लिए विनिर्माण सुविधाएं (manufacturing facilities) बनाने की जरूरत है और हमारे उत्पाद को उनके बराबर करने की जरूरत है, CII-Kearney की रिपोर्ट में ऐसा कहा गया है।

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