बालासोर:
२०२३/०६/०६: बालासोर रेल हादसे ने हर किसी को हिला कर रख दिया है। लगभग पौने तीन
सौ लोगों की जान चली गई। उसका मंजर देखकर दिल भर आया। बालासोर रेल हादसे में मोदी सरकार को साजिश दिख रही है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने ट्रेन दुर्घटना से संबंधित रेल
मंत्रालय के अनुरोध पर मामला दर्ज किया है
प्रधान मंत्री को
लगता है कि इसके पीछे कोई बड़ी साजिश हो सकती है। रेलवे ने पूरे देश में एक हप्ते का सिंगलिंग
सिस्टम का सेफ्टी ड्राइव का आदेश दिया है। ट्रैक खाली करा लिया गया है। ट्रेनो की
आवाजाही शुरू हो गयी है।
अभी वहां से लाशें
निकली भी नहीं हैं। घायलों का इलाज चल रहा है। और ये वो लोग हैं जिनको इस्तिफा
चाहिए। ममता बैनर्जी, नितीश कुमार और लालू यादव सहित विपक्ष रेल मंत्री के इस्तिफ़े की मांग
कर रहा है।
ममता जब रेल मंत्री
थी तो ५४ रेल कोलीजन हुए थे। ८३९ डिरेलमेंट हुए थे। १४५१ लोगों की जाने गई थी।
नितीस जब रेल मंत्री
थी तो ७९ रेल कोलीजन हुए थे। १००० डिरेलमेंट हुए थे। १५२७ लोगों की जाने गई थी।
जब लालू रेल मंत्री
थी तो ५१ रेल कोलीजन हुए थे। ५५० डिरेलमेंट हुए थे। ११५९ लोगों की जाने गई थी।
आस्वनी
वैष्नव ने क्या किया?
नरेंद्र मोदी काल
में ट्रेन हादसों का रेकार्ड देखिए।
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ट्रेन हादसा |
मरने वालों की संख्या |
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१९१४-१५
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५ |
२९२ |
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१९१५-१६
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५ |
१२२ |
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१९१६-१७
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५ |
२१८ |
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१९१७-१८
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३ |
५८ |
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१९१८-१९
|
० |
३७ |
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१९१९-२०
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५ |
५ |
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१९२०-२१
|
१ |
४ |
|
१९२१-२२
|
२ |
१७ |
|
१९२१-२३ |
६ |
८ |
नरेंद्र मोदी की सरकार में सबसे कम रेल हादसे हुए हैं।
रेल मंत्री पिछले तीन दिनों से दुर्घटनास्थल पर
डेरा डाल रखा है। एक एक काम अपनी आंखों के सामने करवा रहे हैं।
मगर
इन सभी लोगों को, तमाम विपक्षियों को रेल मंत्री का इस्तिफा चाहिए। लोगों के बचाना बाद
में।
मोदी
सरकार को इसमें साजिश दिख रही है। सरकार ने इसपर सीबीआई जांच के आदेश दिया
है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का प्रधान मंत्री को पत्र
आज
एक खबर आयी कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन
खड़गे ने प्रधान मंत्री को पत्र लिखा है। वे कह रहे हैं कि सीबीआई क्राइम
को जांचने के लिए है। यह रेल हादसे की जांच करने के लिए नहीं है। कांग्रेस अध्यक्ष
को क्या दिक्कत है यदि सीबीआई जांच हो रही है तो ?
सीबीआई जांच का मोदी सरकार का फैसला
यह
सीबीआई जांच का मोदी सरकार का फैसला यह एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। नरेंद्र मोदी
को इस बात की आशंका है कि इसके पीछे कोई साजिश हो सकती है। बरना सीबीआई रेल हादसों
की जांच नहीं करती है। उन्होंने यह आदेश सोच समझ कर दिया होगा।
इंटरलॉकिंग सिस्टम फेल
इंटरलॉकिंग सिस्टम फेल करने से कोरोमंडल एक्सप्रेस का हादसा हुआ। वहां एक ट्रैक है अपलाइन । दूसरा है डाउन लाइन। तीसरा है लूप लाइन। लूप लाइन पर मालगाड़ी खड़ी थी। कोरोमंडल एक्सप्रेस १७ ए अपलाइन से गुजरने का सिगनल मिल चुका था। गाड़ी पहले सिगनल को पार कर चुकी थी और दूसरे को पार करने ही वाली थी कि सिगनल लाल हो गया। ड्राइवर के पास इतना समय नहीं था कि वह गाड़ी रोक पाता। इतना ही नहीं बल्कि गाड़ी १३० कि मी प्रति घंटा की स्पीड से लूप लाइन में घुस गई । वहां पहले से एक माल गाड़ी खड़ी थी । कोरोमंडल एक्सप्रेस उस माल गाड़ी से टकरा गई । उसके कई डब्बे उलट गए। तभी डाउन लाइन में एक ट्रेन आ रही थी। जो कोरोमंडल एक्सप्रेस के डब्बों से टकरा गई । इस तरह भीषण दुर्घटना हुई । इसमें २८० से ज्यादा लोग मारे गए।
ये
कोई मामूली बात नहीं है कि जिस गाड़ी को सीघा जाना था वह मुड़कर लूप लाइन पर चली
जाए। इंटरलॉकिंग सिस्टम में छेड़छाड़ के कारण हुआ। छेड़छाड़ कैसे हुआ यह जांच का
विषय है।
रेल
मंत्री ने अपने इंटरव्यू में कहा है कि जिसने भी यह किया है उसने प्वाइंट मशीन
में कनफिग्रेशन बदला है। वे बड़ी बात कह रहे हैं।
इस पूरे हादसे में ट्रेन की गति जिम्मेदार नहीं है। ट्रैक की लाइफ जिम्मेदार नहीं है। ड्राइवर जिम्मेदार नहीं है। सवाल उठता है कि जो ट्रेन सीधा जा रहा था, उसे डाइवर्ट करने का अघिकार किसने दिया। अगर वह ऑटोमेटिक होता है तो उस सिस्टम में गड़वड़ी किसने की। क्या यह ख़ुद व ख़ुद हो गया?
नरेंद्र
मोदी सरकार इसकी सीबीआई जांच करवा रही है। ज्यादातर लोगों को यह पता ही नहीं है
कि यह हादसा हुआ कैसे। नरेंद्र मोदी के विरोधी लोग यह चाहते ही नहीं हैं कि जनता
को यह पता चले। वे कह रहे हैं कि मोदी राज में ट्रेन तेज चलती हैं इसलिए यह हादसा
हुआ है।
इंटरलॉकिंग सिस्टम है जो सिगनलिंग के पूर्व सेट हो जाता है। जब गाड़ी उस ट्रैक से पास कर जाती है तभी कोइ उस खोल सकता है। वह चेंज कैसे हो गया। यह जांच का सबसे बड़ा प्रश्न है।
विपक्ष का स्टैंड
विपक्ष को यह नहीं दिख रहा कि उन परिवारों पर क्या गुज़र रही होगी जिन्होंने अपनो को गवाया है। अस्पताल में मरीज किस हालत में होंगे। राहत काम कैसी चल रही है। उसे लोगों की लाशें, उनका दर्द नहीं दिख रहा है। उसे रेल मंत्री का इस्तिफे से कम कुछ नहीं चाहिए।
कौन हो सकता है इस साजिश के पीछे?
यह मोदी सरकार के विरुद्ध एक टूल किट का हिस्सा हो सकता है। भारतीय सेन के पूर्व मेजर जेनेरल एस पी सिंहा ने संदेह व्यक्त किया है कि यह एक सैबोटाज है जिसमें देश बाहर स और देश के भीतर से लोग शामिल हो सकते हैं। इसमें सिगनलिंग को कुछ इस तरह मैनीपुलेट किया गया ताकि लूप लाइन में खड़ी माल गाड़ी जिसमें आयरन ओर लोडेड था उससे वह टकरा जाए।
रेलवे के इंटेरिम रिपोर्ट ने बताया है कि यह एक षडयंत्र है। सोलेनाइड एक फुल प्रुफ सिस्टम है । उसके मालफंगशनिंग से यह हादसा नहीं हो सकता। उसमें तीन स्टेजेज पर अर्थात तीन लेवल की सेफ्टी चेक होता है। इस तीनों लेवेल पर इसका खराब हो जाना मुमकिन नहीं है। उसमें ऐसा सिस्टम है कि खराबी होती है तो एलार्म बजता है। रेड सिगनल आ जाता है। सिस्टम में निश्चित रूप से ह्युमन इंटरवेंशन हुआ है। मतलब यह साजिश है। सैबोटाज है।
सवाल उठता है कि यह साबोटाज क्यों?
लगता
है कि यह अंतराष्ट्री स्तर पर प्लान किया हुआ सैबोटाज़ है। चीन को आज भारत के
विकास से परेशानी है। भारतीय व्यवसायी अडानी हाइफा का बंदरगाह बना रहा है। चीन को
परेशानी है ।
अस्विनी
वैष्णव के आने के बाद रेल का काफी अच्छा विकास हो रहा है। रेल में कई सुघार किए
गए हैं। ट्रेन की स्पीड बढ़ाई जा रही है। बंदे भारत चालू हुआ है। आज भारत रेल एक्सपोर्ट
करने लगा है। अमेरिका से कोचेज का डिमांड आ रहा है। हमारे दुश्मन यह दिखाना चाहते
हैं कि भारतीय रेल सेफ ट्रैवेल नहीं है। वे चाहते है कि हमें विदेश से आर्डर न
मिले। इसमें देश के भीतर के कुछ राजनैतिक पार्टी भी शामिल हैं। किसान आंदोलन, अगनीवीर आंदोलन आदि इसके सबूत हैं। रेल इनका ईजी
टारगेट होता है। बिहार और बंगाल में रेल जलाए गए। ६०० करोड़ का नुकसान उठाया रेल ने।
बंगाल में बंदे भारत पर स्टोन पेल्टिंग हुई। केरला में बैक टू बैक ट्रेन एटैक
हुआ। कन्याकुमारी एक्सप्रेस में लालगुडी और कुलनकुंडू के बीच रेल लाइन पर टायर
रख दिया गया। वहां एक मेजर एक्सीडेंट को एभ्वाइड किया गया। उदयपुर में रेलवे ट्रैक पर जिलेटिन पाया गया।
केरला में गोदरा की तरह कांड करने का प्रयत्न किया गया। गुजरात में हादसे की
कोशिश की गयी। कानपुर में भी हादसे की साजिश की गयी। एनआई की रिपोर्ट है कि उत्तर
प्रदेश में मार्च २०१७ में मार्च में भोपाल उज्जैन ट्रेन में ईआइईडी इंप्लॉइड
एक्सप्लोसिव डेवाइस प्लांट किया गया था।
इसमें
ह्युमन एरर है। स्टेशन मास्टर फरार है। अगर वह निर्दोष था तो उसे भागने की क्या
जरूरत थी?
कौन हो सकता है इसके पीछे
बालासोर
के आसपास बड़ी संख्या में रोहिंगिया बस गए हैं। यह नक्सलियों का इलाका भी है।
इसमें वे लोग भी शामिल हो सकते हैं मगर इसमें रेलवे के लोग तो जरूर शामिल दिखते
हैं। यह प्रोफेशनल लोग ही कर सकते हैं। यह टेक्नीकल ज्ञान इनसाइडर को ही होता है।
आतंकियों को इतना ज्ञान नहीं होगा कि किस बटन को दबाएं तो गाड़ी किधर को जाएगी। यह
ज्ञान तो केवल रेलवे स्टाफ को होता है। स्टेशन मास्टर भाग गया। उसको पता था कि
वह पकड़ा जाएगा।
आज भारत के विरुद्ध कई अंतराष्ट्रीय गिरोह काम कर रहे हैं। जार्ज सौरस नरेंद्र मोदी को बेदखल करने को अरबो डालर का फंड बना चुका है। आइएसआइ (पाकिस्तान) को भारत से भयानक दुश्मनी है।
२०१४
के बाद भारत के स्टेटस बढ़ने लगा। मोदी जी
छवि बढ़ने लगी। अर्थव्यवस्था में भारत दुनियां का पांचवां देश हो गया। हमारा
फार्मा इंडस्ट्री आगे बढ़ रही है। हमारा इंफ्रास्ट्रक्चर विकास कर रहा है। दुनियां
के तमाम देशों में इनफ्लेशन का रेट काफी ज्यादा है। भारत में यह नियंत्रण में है।
हमारा जीडीपी ७.२ प्रतिशत की दर से विकास कर रहा है।


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