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पुलवामा हमले के एक साल होने पर राहुल गांधी का मौजूदा सरकार से सवाल




पुलवामा हमले के एक साल होने पर राहुल गांधी का मौजूदा सरकार से सवाल  



14 फरवरी का दिन हर भारतीय के लिए एक काला दिन है। आज से ठीक एक साल पहले २०१९ को पुलवामां हमला हुआ था, जिसमें हमने अपने ४० सीआरपीएफ जांबाजों को हमेशा के लिए खो दिया। यह धटना लगभग साढे तीन बजे घटी थी। ७८ बसों का काफिला श्रीनगर से जम्‍मू की ओर नेशनल हाई वे नम्‍बर ४४ से गुजर रहा था। बसों में बैठे कई जवान छुट्टी पर अपने अपने घर जा रहे थे। तभी सामने से आती हुयी एक कार ने उन्‍हें जोरदार टक्‍कर मार दी। इसके साथ ही एक जबरदस्‍त धमाका हुआ। उस बस के तो परखचे उड़ गये। जवान जब तक सम्‍हल पाते इसके पहले ही उनपर सड़क के किनारे छिपे आतंकवादियों ने गोली चलाना शुरू कर दिया। हमारे जवानों ने जवावी कार्रवाई की मगर आतंकवदी वहां से भागने में कामयाब हो गये। हर तरफ धुएं का अम्‍बार था। वहां का नजारा दिल दहला देने वाला था। जवान अपने साथी जवानो को तलाश रहे थे।

थोड़ी देर में यह खबर देश भर में आग की तरह फैल गयी। जवानों को तुरत श्री नगर के आर्मी बेस ले जाया गया। और इनका उपचार आरंभ हुआ। इस आतंकवादी कार्रवाई की जिम्‍मेवारी जैसे मुहम्‍मद ने ली। आदिल अहमद डार आरडएक्‍स से भरी गाड़ी जवानों की बस से टकरा देता है। इसके फौरन बाद घंटे भर के भीतर पाकिस्‍तान ने एलान कर दिया कि पुलवामा में पाकिस्‍तान का कोई हाथ नहीं है। चोर की दाढी में तिनका, एक कहाबत है। उसने कहा कि भारत ने खुद अपने सैनिकों को मरवाया है। यहां भारत में अपोजिशन पाकिस्‍तान के इस दावे को सही मानकर अपनी प्रतिक्रिया देने लगी। इसमें राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, सीताराम येचुरी, आदि कई लीडरान प्रमुख हैं।

पुलवामा हमले के १२ दिनों बाद भारतीय सेना ने बदले की कार्रवाई की। २६ फरवरी को तरके भारतीय सेना के मिराज २००० ने नियंत्रण रेखा की दूसरी ओर बालाकोट में जैसे मुहम्‍मद के आतंकवादी शिविरों पर बम से हमला कर २०० से ३०० आतंकवादियों को मार गिराया । तब जाकर देश के लोगों का गुस्‍सा थमा।

आज १४ फरवरी को उनको सलामी देने का दिन है। आज सुबह राहुल गांधी का ट्विट आया । वह इस तरह है: 
Today as we remember our 40 CRPF martyrs in the , Pulwama Attack, let us ask:
2. Who benefitted the most from the attack?
3. Who in the BJP Govt has yet been held accountable for the security lapses that allowed the attack ?
पुलवामा हमले के एक साल होने पर राहुल गांधी ने अपने   ट्विट में  मौजूदा सरकार से यही कुछ सवाल पूछा है।  राहुल गांधी वो हैं जो कभी प्रोपर नाउन रहा होगा मगर आज वह कौमन नाउन में तबदील हो चुका है। वे लिबरलों और वामपंथियों के लिए बौद्धिक क्षमता  तथा आइक्‍यू के बेंचमार्क हैं।

अपने ट्विट में उन्‍होंने मौजूदा सरकार से कुछ सवाल पूछा है। सवाल सुनकर ही आपको लगेगा कि राहूल गांधी आखि़र यह सवाल क्‍यों पूछते हैं।

पहला सवाल है कि इस एटैक से सबसे ज्‍यादा फायदा किसको हुआ ?

पहली बात यह है कि आतंकी हमले से किसी का फायदा नहीं होता है। इसमें राहुल जी यह इंगित करना चाहते हैं कि इससे भाजपा को फायदा पहुंचा है। पिछले साल कांग्रेस के कई नेताओं ने यह बक्‍तव्‍य दिया था कि इसमें मोदी साहब और इमरान खान की मिलि भगत है। किसी ने यह कहा कि चुनाव में फायदा के लिए भाजपा ने स्‍वयं पुलवामा हमले को अंजाम दिया है, ताकि देश का सेंटीमेंट बदल जाय।

सरकार ने जो बालाकोट पर बदले की कार्रवाई की यह भारतीय सेना के सौर्य  और नरेंद्र मोदी के सरकार की इच्‍छाशक्ति के संयोग के कारण संभव हुआ। मगर २००८ में जब मनमोहन सिंह की सरकार थी तो भी आतंकवादी हमला हुआ था, मगर वे काउन्‍टर ऐटैक नहीं कर सके।

उल्‍टे जब मादी सरकार ने पुलबामा एटैक का बदला लिया तो राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि यह खून की दलाली है। जबकि भारत द्वारा किये गये काउंटर ऐटैक में भारत के सभी सैनिक सुरक्षित लौटे थे।

आतंकवाद से मात्र फसादी किस्‍म के मुसलमानों का एजेंडा पूरा होता है। इसमें और किसी का लाभ नहीं है। कुछ मीडिया जब इसे जसटीफाई करती है तो यह एजेंडा और आगे बढ़ता है। वे आतंकियों को जब जिहादी कहते हैं तो वे उसमें गर्व मेहसूस करते है। जिहाद इकने लिए एक पाक चीज है। ये आतंकवदी लोग दर हकीकत सूआरेां से भी गये गुजरे हैं। राहुल जी ने आज से एक साल पहले भी यही सवाल पूछा था।

देशभक्ति की भावना नैसर्गिक होती है। जब भी कोई इस तरह का हमला होता है तो वह देश पर होता है, वह सत्‍ता में बैठी पार्टी पर नहीं होता है। ऐसे हालात में सत्‍तारूढ और विपक्षियों को एक साथ खड़ा  रहना चाहिए।

कांग्रेस पार्टी दिल्‍ली जैसे शहर में ४ प्रतिशत वोट पर सिमट गयी है, वह पूछती है कि एयर स्‍ट्राइक का वि‍डियों दिखाओ। राहुल जी कभी जुडिसियरी पर सवाल उठाते हैं कि अफजल गुरू को क्‍यों फांसी दिया।  इन्‍होंने कसाब की फांसी को पोलिटिकल माइलेज के लिए काफी देर तक टाला। याकूब मेनन की फांसी पर भी इन्‍हें आपत्ति हुयी।

पाकिस्‍तान से लड़ने की हमपरी हमेशा कैपेसिटी है। २००८ में हमे ऐसा करना चाहिए था। इन बलिदायों की सहादत से फायदे की बात राहुल ही सोच सकते हैं। यह बात तो वास्‍तव में हमारे सभी भारतीयों के लिए पीड़ा का विषय है। यह उनका घटिया सोंच बताता है।

इनका दूसरा सवाल यह है कि इसमें जो जांच हो रही थी उस इनक्‍वाइरी से क्‍या निकल कर आया ?

इसके एक साल आज पूरे हुए। इनक्‍वाइरी चालू है। यह वही कांग्रेस है, जिसने सिक्‍खों का नरसंहार किया था। सिक्‍ख एक रिलिजियस माइनोरिटी है। १९८४ के सिक्‍ख नरसंहार दंगे की आज भी इनक्‍वाइरी चल रही है। इन्‍होंने  इस पर कुछ नहीं किया। ये यह सवाल पूछ रहे हैं।

९४ प्रतिशत दंगे और एटैक कांग्रेस रूल्‍ड सरकारों  के काल में हुए हैं। क्‍या उनसबकी इनक्‍वाइरी एक साल के भीतर हो गयीं?

पूलवामा एटैक की जिम्‍मेवारी जैसे मुहम्‍मद ने ली। गत सितम्‍बर में एन आइ ए ने उसकी जार्जशीट फाइल की । दो दिन पहले उसकी सपलीमेंटरी जार्जशीट फाइल की गयी।  सारी चीजें पबलिक डोमेन में है। अब आप ही बताइए कि यह सबाल कितना जायज है?  एनआइए एक निष्‍पक्ष एजेंसी है। इसकी प्रतिवद्धता पर राहुल जी सवाल उठा रहे हैं।

अधिकारियों ने पूर्व में बताया है  कि इसमें लिप्‍त अधिकांश अपराधियों को मारा जा चुका है। इसमें जिस कार का इस्‍तेमाल हुआ था वह बहुत सारे हाथों से गुजरते हुए वहां पहुची थी। तहकीकात एक तबील प्रक्रिया है।

तीसरा सवाल है कि इस बारदात में जो सेकुरिटी लैप्‍स हुआ उसके लिए भाजपा का कोन अर्थात प्रदेश के गृह मंत्री जिम्‍मेवार हैं?
हकीतन, कांग्रेस के जमाने इस देश में अनेको टेरर एटैक हुए हैं। आप क्‍या यह बता सकते हैं कि २००८ में आपने टेरर एटैक के लिए किसको एकाउनटेबल ठहराया था ?

आम तौर पर इन अबसरों पर आप मंत्री से उम्‍मीद करते हैं वह बलिदानियों को श्रद्धांजलि देता है, और दुर्घटना की कड़ी निंदा करता है । इसके अलावा उसके बस का और कुछ होता भी नहीं है।
ा ाासूलकि जबेशक ऐसी घटनाओं में इनटेलीजेंस फेलयोर होते हैं। मगर यही तो अनेकों बार इंटेलीजेंस के सफल प्रयोग से इन्‍हें बचाते भी हैं।  

लंडन पेरिस न्‍यूयार्क जैसे  शहरों में भी तो इनटेलीजेंस फेलयोर की धटनाएं हो रही हैं। दुनियां में कहीं न कहीं मास मरडर की धटनाएं हो रही है।   भारत साइज में कितना बड़ा है ! लंडन में चाकूबाजी हुयी , पेरिस में लोगों पर बस चढा दिया गया। वे तो काफी विकसित देश हैं। वे भी सभी वारदातों से बच नहीं पाते। वहां भी लैप्‍स होते हैं। क्‍या राहुल जी को हक बनता है कि कोई रिपोर्ट सरकार से पहले उन्‍हें सौंपी जाय।

अधिकतम यही होता है कि आप उसका बदला लेते हैं। वह सरकार ने लिया भी। बालाकोट पर जब हमारी सेना ने बम गिराया तो यही लोग बोल रहे थे कि आप तो पेड़ों पर बम गिरा कर आ गये। 
हमारे पास प्रूफ है कि इसमें आरमी और एयर फोर्स ज्‍वायंट ओपरेशन हुआ था।


राहुल का यह ट्विट कि पुलवामा एटैक से किसको लाभ मिला? से वे यही कहना चाहते हैं कि स्‍वयं प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद पुलवामा स्‍ट्राइक करवाया और प्रतिक्रिया में उन्‍होंने बालाकोट पर भी स्‍ट्राइक कर दिया। और भारत ने इस तरह इनटरनैशनल कम्‍युनीटी से दुश्‍मनी ले ली।



आप जरा सोचिए यदि यह सच होता तो क्‍या दुनियां भर की एजेंसियां आज भारत से दूसरी तरह से व्‍यवहार कर रही होती।

सारी दुनियां आज मुतमईन है कि यह पाकिस्‍तान ने करवाया था मगर राहुल आज भी वही दुहरा रहे हैं जो आरोप उन्‍होंने साल भर पहले लगाया था। वे अदभुत बेवकूफ हैं। मुजस्सिर अहमद खान जो उसका मास्‍टरमाइंड था, मारा गया। इसके लिंक्‍स पकड़े जा चुके हैं। मगर राहुल आज भी वही दुहरा रहे हैं। क्‍या इस तरह की धटिया राजनीनिति होनी चाहिए। सेना को आप कठघरे में खड़ा करेंगे? राहुल नहीं समझ पा रहे हैं कि वे शर्मनाक तरीके से उसे मुद्दा बना रहे हैं जो गलत शाबित हो चुका है।  



वे कांगेंस का राजनीतिक भविष्‍य खत्‍म कर रहे हैं। कांग्रेस गर्त में जा रही है। अगर वे इसी तरह बकबास करेंगे तो पोलिटिकिकल अपोजिशन का स्‍पेश उनके लिए खत्‍म हो जाएगा। आतंकवादी घटनाओं से किसी को लाभ नहीं मिलता, राहुल जी।
 

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