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फिल्‍मी फिल्‍मोनियां वर्कशॉप का पहला नाटक हुआ तैयार



फिल्‍मी फिल्‍मोनियां एक्टिंग क्‍लासेज तथा वर्कशॉप का पहला नाटक तैयार हो चुका है। यह श्री दर्पन श्रीवास्‍तव और श्री अनिल चौधरी तथा लगभग २० कलाकारों की मिहनत, लगन और कोशिश का परिणाम है। आगामी २८ और  २९ फरवरी को इनका मंचन किया जाएगा । फिल्‍मी फिल्‍मोनियां परिवार के प्रमुख्‍ श्री दर्पन श्रीवास्‍तव यह जानकारी दी।


उन्‍होंने बताया कि गत माह २४ जनवरी को यह  वर्कशॉप आरंभ  किया था। इसमें हमने ४ नाटकों की तैयारी की। इसकी तैयारी में लगभग ३० दिन लगे हैं।  उन्‍होंने नाटक की तैयारी पर पूरे फिल्‍मी फिल्‍मोनियां  परिवार को बधाई दी। श्री श्रीवास्‍तव ने बताया कि इसमें कलाकारों ने अपना  बेहतरीन एफर्ट दिया और शानदार तैयारी की।  जो कैमरा के सामने कांपते थे, वे आज अत्‍म विश्‍वास के साथ महत्‍वपूण किरदार अदा कर रहे हैं। यह इसलिए संभव हो सका कि इन कलाकारों ने पूरी मिहनत की।
फिल्‍मी फिल्‍मोनियां ने आज की तारीख में एक आदर्श संस्‍था का रूप धारण कर लिया है। आज देश के विभिन्‍न भागों के लाखों कलाकार इस संस्‍था से जुड़ चुके हैं। इस संस्‍था के केंद्र में हैं एक्‍टर और प्रोड्यूसर श्री दर्पन श्रीवास्‍तव।

कुछ लोगों ने श्रीवास्‍तव साहब पर यह आरोप लगाया कि जो आदमी दुकान का विरोध करता था, उसीने खुद अपनी दुकान खड़ी कर ली । मगर सच यह है कि दर्पन उन्‍होंने कोई दुकान नहीं खोली। जिस काम के लिए दूसरे लोग लाखों वसूतते रहे हैं, वह काम उन्‍होंने साढे सात हज़ार रूपये में कर के दिखाया। और यह जरूरी भी था, क्‍योंकि यही इस बात का सबूत है, कि जो लोग इतनी कम रकम में यह काम नहीं कर सकते हैं या नहीं करते हैं, वेशक वे दुकान ही करते हैं।

एक तरह से उन्‍होंने अपनी बात का सबूत दिया है कि यह काम इतने कम पैसे में किया जा सकता है, यदि आपके भीतर उन ग्रूम होने लायक गरीब, मासूम कलाकारों के लिए सहयोग की भावना है। इन्‍होंने तो वही किया जो भरत मुनि या स्‍टानिसलावस्‍की ने किया। इन्‍होंने  एक आदर्श नाट्य विद्यालय खोला है। जिसमें शिक्षा देना प्राथमिकता है, धन कमाना प्राथमिकता नहीं है। यह दुकान नहीं है। दुकान वे हैं जो पैसे कमाने की नियत से खोले जाते हैं।

ज्ञातव्‍य है कि बहुत सारे एक्टिंग सीखने वाले आसपिरेंट ठगी के शिकार हो रहे हैं। वे लाखों रूपया देकर एक्टिंग स्‍कूल में सालों की पढ़ाई करते हैं और अंत में पता चलता है कि इसका उनको कोई लाभ नहीं मिला। शायद वे एक्टिंग के लिए बने ही नहीं थे। वहीं फिल्‍मी फिल्‍मोनियां एक  परिवार है, एक विराट संस्‍था है। जो ठगी में विश्‍वास नहीं करता। यह सहयोग और सदभाव के बंधन से बंधा है।

श्री श्रीवास्‍तव ने कहा कि यह तो बस शुरूआत है। हमारा लक्ष्‍य पैसा कमाने का नहीं है। हम अच्‍छे काम करने की इच्‍छा रखते हैं।  वे कलाकारों को कहते हैं कि आप को जहां अच्‍छा लगता है, आप वहां सिखीए। हम तो उन्‍हीं कलाकारों को आमंत्रित करते हैं जिनको हमपर और हमारे काम पर विश्‍वास है। हम ग्रूम कर सकते हैं, और उतना ही करते हैं। कलाकार बना नहीं सकते। इसलिए ऐसा दावा भी नहीं करते। उन्‍होंने कहा कि आगे भी मात्र ७५०० रूपये में हम यह ट्रेनिंग उपलब्‍ध करते रहेंगे। इसी तरह‍ आगे भी थिएटर होगा होगा और वर्कशॉप होगा।

श्रीवास्‍तव साहब ने आगे बताया कि उन्‍होंने सोचा क्‍यों न एक्टिंग की क्‍लास शुरू की जाय। एक्टिंग की वर्कशॉप ९० दिनो की होगी । इसमें कलाकारों की बहुत सारी चीजों पर काम किया जाएगा । औडिशन कैसे देना है। कैरेक्‍टर कैसे पकरना है ।  स्‍पीच, मूवमेंट, बडी लैंगुएज, भाषा आदि तमाम पहलुओं पर पर काम होगा। आपका ९० दिन आपके लिए ३६५ दिनो के बराबर होगा। उन्‍होंने कहा कि थिएटर वर्कशॉप उन के लिए है जो कलाकार तो हैं मगर उनमें झिझक है, डर है, घबराहट है। आपकी बाडी बंधी पड़ी है, उसे पहले खोल तो लो।

श्रीवास्‍तव साहब कलाकारों से आग्रह करते हैं कि आप जिस शहर में हो वहीं ग्रूम करो। मगर मुंबई में आओ तो तैयारी के साथ आओ। अधकच्‍चा अधपका मत आओ, नहीं तो काम भी नहीं मिलेगा और लोग लूट भी लेंगे। फिरभी  अगर मुंबई आकर ही निखारना है, तो आओ हम आपका स्‍वागत करते हैं। आओ ३० दिनों में हम एक  वर्कशॉप करते हैं। यही काम लोग सत्‍तर हजार में करते हैं वही हम ७ हज़ार ५०० में करते हैं।

इसके अलावा हम ३ महने का कम्‍पलीट एक्टिंग वर्कशॉप करने जा रहे हैं जिसके लिए ३ महीने का संपूर्ण  कोर्स होगा। उसके लिए हमने ३० हजार की फीस रखी है। हप्‍ते में ५ दिन का वर्कशॉप होगा और  सटरडे तथा सनडे औफ रहेगा। उन्‍होंने बताया कि वे एक्टिंग वर्कशॉप ७ मार्च से शुरु करेंगे। श्रीवास्‍तव साहब ३६ साल से फिल्‍म इंडस्‍ट्री में सकृय है। वे एक जाने माने और अति सम्‍मानित अभिनेता हैं।

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