१९९४ में जम्मू में केवल ३ मसजिदें होती
थी, आज वहां हैं १०० से अधिक मसजिदें
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जम्मू प्रोविंस, जम्मू सिटी और जम्मू के एडज्वाइनिंग जिलों
में स्टेट स्पोंसर तरीके से उसकी डेमोग्राफी बदली जा रही है।
कानून बना कर एक
धर्म विशेष के लोगों को जम्मू में स्थापित किया गया है। इस कानून का नाम है
रौशनी एक्ट। २० लाख कैनाल जमीन पर एक धर्म विशेष के लोगों को नाजायज बसाया गया।
रौशनी एक्ट
मुसलमानो को यह अधिकार देता है कि वह कोई भी खाली जमीन को कब्जा कर सकता है। इसके
पीछे जम्मू जो अबतक हिंदू बहुल इलाका है, उसे मुस्लिम बहुल
बनाने की मंसा है। इस षडयंत्र में फारूख अबदुल्ला और गुलाम नबी आज़ाद की मुख्य
भूमिका है। एकजुट जम्मू नामक एनजीओ ने इसका खुलासा किया है। इसके प्रवक्ता अंकुर
शार्मा ने बताया कि
स्टेट स्पोंसर
तरीके से जम्मू जो अबतक हिंदू बहुल इलाका है उसकी डेमोग्राफी बदलने को काम काफी
समय से चालू है।
उस डेमोग्राफिक चेंज
को, इनवेशन को, डेमोग्राफिक जिहाद
को डक्यूमेंट करने के लिए एक जुट नामक एनजीओ ने एक्सपर्ट की एक कमीटी बनायी।
उसकी जो अब रिपोर्ट
आयी है उसके अनुसार फारूक अबदुल्ला, और गुलाम नबी आजाद
ये लोग हैं, जिसने जम्मू के डेमोग्राफी बदलने के मुहिम की
अगुआई की। जम्मू कश्मीर की सो कौल्ड सेकुलर पार्टियां, पीडीपी, नैशनल कानफ्रेंस, कांग्रेस, ने इस मूवमेंट को
स्पेयर हेड किया। अनुसार फारूक अबदुल्ला, और गुलाम नबी आजाद ने
जम्मू के पास भटिंडी के लस ग्रीन फौरेस्ट पर पहले स्वयं कब्जा किया। अपने घर
बनाए। और औरगेनाइज्ड तरीके से एक धर्म विशेष के लोगों को बसाना शुरू किया। उन
दिनों जब यह काम शुरू हुआ, इन्हीं पार्टियों की सरकारें थीं। ये जम्मू को
एक मुसलिम मैजोरिटी सीटी और जम्मू के आस पास के इलाकों को भी मुसलिम मैजोरिटी
एरिया बनाने के लिए स्टेट की तरफ से स्पोंसर शिप किया।
लेजिस्लेटिव लेवेल
पर और एक्सक्यूटिव लेवेल पर कुछ एमेंडमेंट की गयीं। फारूक अब्दुल्ला ने रौशनी
एक्ट लाया। जम्मू प्रदेश में जितनी भी
स्टेट लैंड है, उनपर एक धर्म विशेष के लोगों को एनक्रोच करने का
अधिकार दिया गया। यह पूरा प्राजेक्ट सरकार के द्वारा प्रायोजित किया गया। एक धर्म विशेष के लोगों को लीगल इम्यूनिटी दी
गयी। इसके अलावा माइग्रेशन को इनड्यूस किया गया। ५०० ऐसे परिवारों को जो माइग्रेशन
के लिए एलीजिबल नहीं थी उसे ला कर सरकार के द्वारा सेटल किया गया।
कुछ एनजीओ की मदद से
इस्लामिक देशों से पैसे आए और उससे सरकारी सबसीडी के तहत
जमीन खरीदे गये। आप यदि धर्म विशेष के लोग हैं और हिंदु मैजोरिटी कालानियों में
जमीन लेंगे तो सरकार आपको ३० प्रतिशत सबसीडी देगी। विदेशों से हबाला से पैसे आते
थे। स्टेट गहमेंट उसे इनऐक्टिव सपोर्ट देती थी। इससे होलसेल लैंड कैप्चर हुआ।
इसके परिणामस्वरूप
जम्मू सिटी के चारों ओर मुस्लिम कालानियों का एक रिंग बन गया। जम्मू के चारों ओर
के फौरेस्ट लैंड कैपचर कर लिए गये। तमाम रिवर वेड कैपचर कर लिए गये।
इसके अलावा पचासो
साल से जिस जमीन पर हिंदू लोग खेती कर रह थे उसे वकफ बोर्ड ने क्लेम करना शुरू कर
दिया। वकफ बोर्ड में एक क्लाउज है कि उसमें इलजाम भी वकफ बोर्ड लगाती है और फैसला
करने वाले भी वही हैं। वकफ बोर्ड ने यदि मेरी जमीन पर क्लेम किया तो मुभे उन्हीं
के पास अपना केस लेकर जाना होगा कि यह जमीन आपकी नहीं है यह मेरी है। इसपर उन्हीं
का फैसला दुरुस्त माना जाएगा।
इसका रिजल्ट आप समझ
सकते हैं। ऐसे हजारों मामले हुए। जम्मू, साम्बा, कटुआ, उधमपुर, आरसपुरा, बिछरा, आदि इलाके के गरीब किसानों से वकफ बोर्ड ने
विसियों हजार एकड़ जमीन छीन ली। बाद में उसे एक धर्म विशेष के लोगों को आवंटित कर
दिया। ये काम १९९० से ही चल रहे हैं। तब से २०२० तक जम्मू सिटी, और उसके गिर्दो नबा
में लाख नये मुस्लिम एकोमोडेशन खड़ी की गयी।
इस हिसाब से जम्मू
प्रोविंस का जो रेट ऑफ चेंज ऑफ डेमोग्राफी है, यह सिरियसली एलारमिंग
कैटेगोरी है। ऐसे में आने वाले कुछ ही सालों में जम्मू का टोटल चरित्र बदल जाएगा।
आने वाले कुछ दशक में यह हिंदू मेजोरिटी प्रोविंस से मुस्लिम मेजोरिटी प्रोविंस हो
जाएगा।
१९९४ में जम्मू में केवल ३ मसजिदें होती थी। आज
वहां १०० से अधिक मसजिदें हैं। ऐसे कई इलाके हैं, जैसे
भटींडी, नरवाल, भुजवां, कालूचक, पीरबाबा मुहल्ला,
पुंछी मुहल्ला, चन्नी मामा, चन्नी
हिम्मत, रैका, रंगूरा, तानपुर, गुजरोटा, गुज्जर मुहल्ला, पल्ला , कासिमनगर आदि जहां इलिगल तरीके से मुस्लिम
सेटलमेंट हुयी है। पहले ये इलाके थे ही नहीं। इस एरिया से नेशनल हाई वे ४४ गुजरता
है। यह ट्रेंड जम्मू के लोगों के खिलाफ एलारमिंग है।
जम्मू अखनूर हाई वे पे लद्दाखी कालोनी , अपर फाटक, पूंछ कोलोनी, हैदर
पुरा, गुजर मोहल्ला, चिनोरा, पूंछ कोलोनी, आदि एरिया में नयी ३० मसजिदें बन कर
आयी हैं। यह डेमोग्राफिक जिहाद का प्रूफ है।


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