दिल्ली विधान सभा चुनाव में केजरीवाल हिंदू, मुसलमान दोनो को झासा देने में सफल हुए

दिल्ली
में अरविंद केजरीवाल की पार्टी आम आदमी पार्टी ने भारी जीत दर्ज की। उसके पीछे कुछ
लोग बता रहे हैं कि बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दे पर आम आदमी
पार्टी जीती। कहा यह भी जाता है कि इस चुनाव में हिंदू मुसलमान नहीं चला। मगर
मुसलमान मुसलमान चल गया। यह अरविंद केजरीवाल की क़ामयाबी थी कि उसने शिक्षा स्वास्थ्य
आदि मसले को आगे रखा। और एक बड़े वर्ग को यह समझाने में कामयाब रहे उन्होंने
शिक्षा स्वास्थ्य आदि मसले पर कोई बड़ा काम किया है ।
मगर इसके
पीछे कुछ और चल रहा था। हिंदू मुसलमान नहीं चला मगर मुसलमान मुसलमान का कार्ड चला।
इसकी बुनियाद रखी गयी २०१९ के जनवरी में। दिल्ली वक्फ बोर्ड ने इमामों और
मुअज्जिनों की तनख्वाह बढ़ा दी। इसके लिए
एक बड़ा कारीक्रम किया गया। उसमें केजरीवाल सहित आम आदमी पार्टी के कई नेता शामिल
हुए। दिल्ली वक्फ बोर्ड के चेयरमैन हैं अमानुतुल्ला खान। वे आम आदमी पार्टी के
विधायक हैं।
दिल्ली
वक्फ बोर्ड के इस कारीक्रम में फैसला लिया गया कि इमान और मअज्जिन की तनख्वाह
बढा दी जाएगी। इमाम की तनख्वाह १० हज़ार से बढा कर १८ हज़ार और मुअज्जिन की ९
हज़ार से बढा कर १६ हज़ार कर दी गयी। दिल्ली
वक्फ बोर्ड के अंदर २०० मसजिद आते हैं मगर यह फैसला १५०० उन मसजिदों के लिए भी
हुआ जो दिल्ली में हैं मगर दिल्ली वक्फ बोर्ड के दायरे में नहीं आते हैं। देश
में पहली बार ऐसा हुआ कि १५०० मसजिदें जो वक्फ बोर्ड के दायरे में नहीं आती हैं
उन्हें भी सरकारी खजाने से पैसा देना तय किया गया।
इस
कारीक्रम के बाद इन तमाम प्रभावशाली मुसलमान आम और खास
मुसलमानों को यह समझाने में कामयाब रहे कि
यदि भाजपा से अलग अलग पार्टियां लड़ेगी तो भाजपा जीत सकती है। जनवरी २०१९ से
लगातार इमरान हुसैन और अमानुतुल्ला खान को अरविंद केजरीवाल ने इन मुसलमानों के
बीच इस प्रकार से प्रचार कार्य पर लगा दिया। अरविंद केजरीवाल परदे के पीछे रहकर यही काम करते रहे। जब मई २०१९
में लोकसभा का चुनाव आया तो ७ की ७ लोकसभा सीटों और उसके अंदर आने वाले ७० विधान
सभा सीटों पर आम आदमी का प्रत्यासी तीसरे स्थान पर रहा। इसमें भाजपा को ५६.६
प्रतिशत मत मिले, कांग्रेस को २२.५ प्रतिशत मत मिले, और आम आदमी
पार्टी को १८ प्रतिशत मत मिले। मगर इस हालिया विधान सभा चुनाव में आम आदमी पार्टी
को ५३.५७ प्रतिशत मत मिलता है। कांग्रस २२.५ प्रतिशत से लुढक कर ४.२६ प्रतिशत मत
पाती है। भाजपा का मत ५६.५ से घटकर ३८.५ प्रतिशत पर आ जाता है। अरविंद केजरीवाल ने लगातार इमरान
हुसैन और अमानुतुल्ला खान को मुसलमानों में भरोसा जीतने के लिए लगा दिया और वे
सफल भी रहे।
पिछले
साल भर से हर शुक्रवार को इमाम अपने भाषनों में लोगों केा आम आदमी पार्टी के पक्ष
में लाने में कामयाब रहे। दूसरी तरफ हिंदु मत हाथ से नहीं निकले इसलिए अरविंद
केजरीवाल इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रखा। एलेक्शन आते आते वे हनुमान भक्त भी हो
गये। यह अरविंद केजरीवाल का एक वर्ष का रणनैतिक कारीक्रम था। दिल्ली में बेशक
हिंदू बट गये और मुसलमान संगठित होकर आम आदमी पार्टी को जिताने में कामयाब हुए।

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