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लौकडाउन का दूसरा राउंड चलेगा ३ मई तक


लौकडाउन का दूसरा राउंड चलेगा ३ मई तक
मुंबई मे यह दौर और भी लंबा चलने की है आशंका 


मुंबई: कोरोना महामारी के चलते जैसे जैसे लौकडाउन आगे बढाया जा रहा है, वैसे वैसे व्‍यापार की गाडी के पटरी पर आने आशा भी क्षीण होती जा रही है ।
फिलहाल यान का उत्‍पादन बंद है, लूमों का चलना बंद है, ग्रे फैब्रिक का उत्‍पादन बंद है, फैब्रिक की डाइंग एवं प्रोसेसिंग बंद है, फिनिश फैब्रिक की कटिंग, पैकिंग एवं डिस्‍पैचिंग भी बंद है । इससे सेल बंद है और देशावरी मंडियों से रूपयों का आना भी बंद है । इस लौकडाउन  के माहौल में सारा का सारा काम काज बंद और इसके खुलने के कोई आसार भी नहीं नज़र आ रहे हैं।
इस बढ़ते जा रहे लौकडाउन के चलते पहले से ही डगमगाती टेक्‍सटाइल इंडस्‍ट्री की हालत काफी नाजुक होती जा रही है। कपड़ा उत्‍पादकों एवं ट्रेडर्स के करोड़ो रूपये जो देशावरी मंडियों में बकाया है, उनके आने की उम्‍मीदें दीपावली के पश्‍चात ही की जा सकती है, और वह भी इस हालात में कि इस कोरोना महामारी से हमारा देश मई अथवा जून माह तक मुक्‍त हो जाय।
फिलहाल तो हम सब अपने अपने घरों में बंद हैं और कपड़ा बाज़ार भी अपने आप में बंद ही है, साथ ही इस बंदी के जो असर आगे चलकर देखने को मिलेंगे, वह खट्टे मीठे होंगे, जो बुरे तो यकीनन ही होंगे। लेकिन साथ ही अच्‍छे भी होंगे।
कामगारों का पलायन: मुंबई की टेक्‍सटाइल इंडस्‍ट्री में उत्‍तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा एवं राजस्‍थान के काफी कामगार काम करते हैं। इस कोरोना महामारी के प्रारंभ होने के समय २० से ३० प्रतिशत कामगार अपने वतन की ओर रवाना हो चुके थे और अब जो बचे हुए हैं वह भी जाने की फिराक में है। जैसा कि हमने सूरत (गुजरात) और बांद्रा (मुंबई) में देखा। इसका मतलब साफ है कि जैसे ही सबकुछ सामान्‍य होगा, कामगार अपने अपने वतन का रुख करेंगे इसके चलते टेक्‍सटाइल इंडस्‍ट्री में कामगारों की कमी होगी। टेक्‍सटाइल के प्रोडक्‍शन क्षेत्र में मुख्‍य रूप से उत्‍तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा के कारीगरों की अधिकता है। और इस क्षेत्र में आगे चलकर कामगारों की कमी आएगी।
बेरोजगारी: सबकुछ सामान्‍य होते होते छोटे एवं मध्‍यम वयापारियों की वित्‍तीय हालत खराब होती जाएगी। इसके चलते कई लोग अपना काम काज बंद करेंगे और कई लोग खर्चो में कटौती, क्‍योंकि कपड़ा व्‍यापार सालों से उधारी पर चलते आया है, और सभी का कलेक्‍शन देशावरी मंडियों में पड़ा रहता है, जहां से नवम्‍बर माह के पहले रूपयों के आवक की कोई संभावना नहीं है, और मार्च माह से लौकडाउन झेल रहे लोग नवंबर माह तक ८ से ९ महीने का समय बगैर काम काज एवं रूपयों से गुजारने में सक्षम नहीं होंगे, और काम काज बंद होने से एवं खर्चे कम करने के उद्देश्‍य से जो फैसले लिए जाएंगे, उससे बेरोजगारी बढ़ेगी।
स्‍टॉक का फायदा: लौकडाउन के चलते टेक्‍सटाइल के सारे सेगमेंट्स में काम काज बंद है, जिसके चलते नये माल का प्रोडक्‍शन रुक सा गया है, और जैसे ही बाज़ार खुलेगा तब नये प्रोडक्‍शन को बाज़ार में आने में समय लगेगा। तब तक जिन कपड़ा उत्‍पादकों एवं ट्रेडरों के पास कपड़े का रेडी स्‍टॉक उपलब्‍ध होगा उनके पास काम काज अच्‍छा रहेगा, क्‍योंकि नये प्रोडक्‍शन में समय लगेगा, साथ ही कामगारों के पलायन के चलते प्रोडक्‍शन को रेगुलराइज होने में काफी वक्‍त जाएगा और आगे त्‍योहारों की तैयारियां प्रारंभ हो जाएगी, जिससे प्रतीत हो रहा है कि रेडी स्‍टॉक रखने वालों को अच्‍छा काम काज प्राप्‍त होगा।
रूपयों की आवक: दीपवली की सीजन के पश्‍चात ही बाजार में रूपयों की आवक दिखलाई पड़ेगी, क्‍योंकि तबतक जीवन सामान्‍य हो चुका होगा, सारी चीजें समयानुसार चलनी प्रारंभ हो चुकी होगी और अगस्‍त माह से त्‍योहोरों का दौर प्रारंभ हो जाता है, जैसे कि दीपावली का त्‍योहार पूरे देश में मनाया जाता है, उसी के हिसाब से दीपावली पश्‍चात ही बाजार में रूपयों की आवक देखने को मिलेगी।

तुरंत फायदा:  यह फायदा युनीफार्म फैब्रिक के उत्‍पादकों को प्राप्‍त होने की पूरी संभावना है, क्‍योंकि अगर ३ मई के पश्‍चात लौकडाउन समाप्‍त होता है, तब भी कपड़ा बाजार हेतु युनीफार्म फैब्रिक की सीजन बची रहती है, जिसमें रेडी स्‍टॉक रखने वाले व्‍यापारियों को सीजन का ४० से ५० प्रतिशत जितना सेल प्राप्‍त हो जाएगा, बशर्ते उनके पास उतना माल रेडी हो, क्‍योंकि साधारणत: स्‍कूली  युनीफार्म फैब्रिक का सीजन जुलाई माह तक चलता है।
वर्क फ्रॉम होम: कपड़ा जगत में वर्क फ्रॉम होम का कलचर कार्य नहीं करता है, किंतु जो डिजायनिंग के क्षेत्र में कार्यरत है, वे लोग कंप्‍यूटर पर नये डिजायनो के डेव्‍हलपमेंट कर रहे हैं। जैसा कि ज्ञात है, समर एवं मैरेज तथा रमजान का सीजन तो चौपट हो ही चुका है, लेकिन जैसा कहते हैं न कि उम्‍मीद पर दुनियां कायम है, और यह कहावत टेक्‍सटाइल इंडस्‍ट्री और विशेषकर मुंबई की टेक्‍सटाइल इंडस्‍ट्री पर काफी हद तक लागू होती है, जिसके चलते  टेक्‍सटाइल क्षेत्र के फैब्रिक डेजायनर इस लौकडाउन के समय का सदुपयोग डिजायनों के डेव्‍हलपमेंट में कर रहे हैं।

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