Header Ads Widget

 Textile Post

The third world war has stalled as long as there are Hindus on this earth: Samuel P. Huntington



तीसरा विश्‍वयुद्ध तब तक रुका हुआ है, जब तक इस धरती पर हिंदु हैं: सैमुएल पी हैंटिंगटन

हिंदू समाज के ४ बड़े शत्रु हैं। पहला मुसलमान, दूसरा इसाई, तीसरा कम्‍युनिष्‍ट और चौथा जो शत्रु है उसका जिक्र मैं बाद में करूंगा। विचित्र बात यह है कि हिंदू इस धरती पर किसी का शत्रु नहीं है। आज सभी बड़े समुदाय जिसके पास सत्‍ता है, शक्ति है, संख्‍या है, वे सभी हिंदु के शत्रु हैं।

किसी भी इसलामी देश में कोई इसाई मिसीनरी इसाइयत का प्रचार नहीं कर सकता । यदि वह ऐसा करने की कोशिश करेगा तो वह मार डाला जाएगा। किसी इसाई देश में कोई मुसलिम मजहब का प्रचारक इसलाम का प्रचार नहीं कर सकता । यदि वह ऐसा करने की कोशिश करेगा तो वह मार डाला जाएगा।

इसाई और मुसलमान किसी कौम्‍यूनिष्‍ट देश में अपने मजहब का प्रचार नहीं कर सकता। कोई कोम्‍यूनिष्‍ट इसाई या मुसलिम देश में कोम्‍युनिज्‍म के विचार धारा का प्रचार नहीं कर सकता।

इसलिए इन तीनो विचारधाराओं के पुरोधाओं  के पास एक ही खेल का मैदान बचता है। वह है भारत। वह है हिंदू समाज। हिंदू इन तीनो का सम्‍मलित शिकार है। ये तीनो शिकारी हैं।

दुर्भाग्‍य की बात यह है कि जो शिकार है उसे यह पता ही नहीं है कि कौन कौन शिकारी किस किस तरह से जाल विछा रहे हैं। वे किस किस तरह के षडयंत्र रच रहे हैं। हिंदू समाज बेहोश है, अपने में मगन है। हिंदू समाज इस विचार से, इस चिंतन से, इस चिंता से, इस देश, धर्म और संस्‍कृति और उसके आसन्‍न खतरे से बिलकुल बेखबर हैं। एक शताब्‍दी से ज्‍यादा समय तो आर्य समाज को हो गया। कितने लोग जगे?

इन तीनो का षडयंत्र एक दूसरे के देश में नहीं चल सकते। केवल हिंदुस्‍तान ही है, जहां इनका खेल चालू है।

एक अमेरिकन चिंतक  और समाज शास्‍त्री हैं, जिनका नाम है सैमुएल पी हैंटिंगटन। उनकी एक बेस्‍ट सेलर किताब है, The clash of Civilization अर्थात सभ्‍यताओं का टकराव। वे लिखते हैं कि दो विश्‍वयुद्ध हो चुके हैं। तीसरा विश्‍वयुद्ध होगा तो कोई मनुष्‍य और कोई जानवर यहां तक कि कोई पशु, पक्षी, पेड़, पौधा नहीं बचेगा। इस समय इसलाम और क्रिश्‍चन दोनों सभ्‍यताओं के पास एटोमिक विपोन हैं। इसलाम के मानने वालों के पास कम है। इसाइयत के मानने वालों के पास ज्‍यादा हैं।    

सैमुएल पी हैंटिंगटन लिखते हैं कि तीसरा विश्‍वयुद्ध इस धरती पर तब तक रुका हुआ है, जब तक इस धरती पर हिंदु है। क्‍योंकि हिंदु इसलाम और क्रिश्‍चनीटी के सीधे टकराव को रोका हुआ है। अभी इन दोनो का सीधा निशाना हिंदू है।

जिस दिन हिंदू मिट जाएगा, उस दिन उनका सीधा संघर्ष शुरू हो जाएगा।  सैमुएल पी हैंटिंगटन लिखते हैं कि यदि तीसरे विश्‍वयुद्ध से मनुष्‍यता को बचाना है, तो इस धरती पर गिरे पड़े दशा में ही सही, हिंदू का रहना आवश्‍यक है।
 
लेकिन यह बात इतनी आसान भी नहीं है। आज विश्‍व की जो राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक परिस्थितियां हैं, वह हिंदू के लिए बहुत चिंता जनक है। क्‍योंकि हिंदू समाज के तीन बड़े शत्रुओं के अलावा एक और बड़ा शत्रु है, जो भारत में पिछले ७० सालों से उपजाया गया है, वो है सेकुलरिस्‍टवह व्‍यक्ति जो धर्मनिर्पेक्ष है, और हिंदू है, उससे और भी ज्‍यादा खतरा है। वह आस्‍तीन के सांप की तरह है। क्‍योंकि ये किसी कट्टर मुसलमान या इसाई से ज्‍यादा खतरनाक हैं।  

इसाई और मुसलमान डंके की चोट पर कहता है कि सबसे अच्‍छा धर्म हमारा है। सबसे अच्‍छी धार्मिक विचारधारा हमारी है। और हम हर हाल में दुनिया के दूसरे धर्मावलम्बियों को अपने मजहब में तबदील करेंगे। वहीं ये सेकुलर कहलाने वाले लोग पूरी तरह छद्म लोग हैं । ये बाहर से उदारता या लिवरलिज्‍म की चादर ओढे रहते हैं और इनके भीतर जहर होता है, स्‍वार्थ होता है, चालाकी होती है।   

हर इसाई का विश्‍वास है कि वे पूरी धरती को कभी ना कभी इसाइयत में दीक्षित कर के रहेंगे। ये उनका संकल्‍प है। और यही संकल्‍प मुसलमान का भी है। इन दोनो ही मजहबों की विचार धारा जहरीली है। यही उनकी धार्मिक शिक्षा दिक्षा है और यही उनकी तरवियत है।  

सैमुएल पी हैंटिंगटन लिखते हैं कि इस धरती पर तबतक शांति नहीं स्‍थापित हो सकती, तब तक युद्ध और आतंकवाद समाप्‍त नहीं किया जा सकता, जब तक इन विचारधाराओं के मूल में जो जहर भरा है, उसे बाहर नहीं निकाला जाता। इसके लिए धार्मिक सुधार की जरूरत है। इन दोनो सभ्‍यताओं के धर्मगुरू फिर से विचार न करें। और इस जहर से इन धर्मो को बाहर नहीं निकाल दें। मगर इन धर्मो में सुधार का स्‍कोप नहीं है। उनके धर्म ग्रंथो में ही इस तरह के जहर भरे हुए हैं।  

इसाई को क्‍यों दिलचस्‍पी है  हिंदुओं को इसाई बनाने की ? क्‍योंकि ऐसा करके उसे स्‍वर्ग में आरक्षण मिलेगा। पोप ने कहा कि हमने यूरोप को क्रिश्‍चन बना लिया, हमने यूरोप को क्रिश्‍चन बना लिया, हमने यूरोप को क्रिश्‍चन बना लिया, हमने उत्‍तरी अमे‍रिका को क्रिश्‍चन बना लिया, हमने दक्षिणी अमेरिका  को क्रिश्‍चन बना लिया, हमने आस्‍ट्रेलिया को क्रिश्‍चन बना लिया। अब बारी एशिया की है, हम इसे भी क्रिश्‍चन बना लेंगे। २१ वी शताब्‍दी में हम एशिया को इसाइयत में दिक्षित कर लेंगे।

क्‍यों आप की ऐसी इक्षा है ? लोगों को अपने अपने धार्मिक पद्धति  से जीने दो तो इसमें तुम्‍हें क्‍या दिक्‍कत है? उनकी दिक्‍कत उनकी धार्मिक शिक्षा है। क्‍योंकि उन्‍हें यह समझाया गया है कि जबतक आप दूसरे धर्मावलम्‍बी को जीसस के शरण में नहीं लाते तबतक आपको स्‍वर्ग में रिजरवेशन और स्‍पेशल फैसिलिटी नहीं मिलेगी। इस लालच में वे धर्म परिवर्तन करवाते हैं।

इसलाम उससे भी एक कदम आगे है। इसलाम कहता है कि जबतक तुम दूसरे धर्मावलम्‍बी को अल्‍लाह पर इमान लाने को मजबूर नहीं करते तबतक तुम अल्‍लाह के गुनहगार हो। तुमको इसकी सजा मिलेगी। इसलिए वह जिहाद के लिए भी तैयार हो जाता है। अगर तुम इसलाम के लिए कुर्बान हो जाते हो तो तुम्‍हे जन्‍नत में ७२ हूर मिलेगी।

ये सभी एब्राहमिक मजहब एक दूसरे के कट पेस्‍ट हैं। वास्‍तव में इसमें से कोई भी धर्म की कसौटी पर टिकता ही नहीं है। यहूदी, क्रिश्‍चन और इस्‍लाम ये तीनो ही ऐसी फिलोसोफी हैं जो लोगों को लालची बनाना है। अंधविश्‍वसी बनाता है। और चरित्रहीन बनाता है। ये गुलामी की वकालत करता हैं। लूट की वकालत करता हैं। बलात्‍कार की वकालत करता हैं। दूसरों का हक छीनने की वकालत करता हैं। ये सभी वास्‍तव में अधर्म हैं।  

हिंदू में व्‍यापक रूप से एक गलत फहमी पैदा की गयी है कि सब धर्म अच्‍छे हैं। मगर ऐसा है नहीं । यह हिंदू और हिंदू से निकली धार्मिक शाखाओं जैसे जैन, बौद्ध, और सिक्‍ख धर्मों तक तो सही है। मगर यह एब्राहमिक रिलि‍जन के साथ कतई लागू नहीं होता । क्‍योंकि वे सब मूलत: धर्म हैं ही नहीं। वे कल्‍ट हैं। वे सब कोई धार्मिक समुदाय नहीं हैं । वे सभी लुटेरे किस्‍म के संप्रदाय है़। यही उनका इतिहास भी है।  वे सब एक विशेष तरह के गिरोह हैं। उनकी बेसिक फिलोसोफी है कि हमारे गिरोह या हमारे संप्रदाय के  स्तित्‍व में रहने के लिए दूसरे गिरोह का खात्‍मा जरूरी है।

हिंदू ऐसा नहीं सोचता है। हिंदू के लिए ईश्‍वर तक पहुचने का मार्ग ही  धर्म है। हिंदू फलसफे के चार आधार हैं धर्म, अर्थ, काम, मौक्ष।  दर असल जिसे हम हिंदू धर्म कहते हैं वह सनातन धर्म है। यही वास्‍तविक धर्म है।

हिंदुओं  का दूसरे धर्म को अपनाना एक खतरनाक परंपरा है। सावरकर कहते थे कि जब एक हिंदू दूसरा मजहब स्विकार करता है तो न सिर्फ एक हिंदू कम होता है बल्कि हमारा एक दुश्‍मन बढता है।

भारत में जो धर्म परिवर्तन हो रहे हैं उसमें विदेशी फंड काम करता है। हमें सावधान रहने की जरूरत है। हमे इसे रोकना पड़ेगा। तभी हम इस षडयंत्र से बच सकते हैं।  

हिंदू दूसरे धर्मावलंबियों को हिंदू बनाने में विश्‍वस नहीं करता। मगर हिंदुओं का दूसरे धर्म में जाना तो हमारे लिए खतरा है। हमे हर हालत में धर्म परिवर्तन के इस षडयंत्र को रोकना होगा। अन्‍यथा हिंदुओं का स्तित्‍व खतरे में है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ