![]() |
| Prime Minister Narendra Modi |
15 अगस्त को
इस देश में कोई बड़ा बबाल होने वाला है। एक तरफ देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा होगा
दूसरी तरफ कुछ लोग देश को बदनाम करने की साजिश रच रहे होंगे। इस तरह की खुफिया
रिपोर्ट आयी है।
राष्ट्र विरोधी शक्तियां एकजुट हो रही हैं
जिन लोगों ने शाहीनबाग में सीएए विरोध के
नाम पर देश में दंगा भड़काने और माहौल बिगाड़ने की कोशिश की थी और एक्सपोज्ड और
विफल हो गये, वे तमाम राष्ट्र विरोधी शक्तियां एकजुट
हो रही हैं। ये लोग शाहीनबाग २ शुरू करने वाले हैं। उन्होंने इसे आजादी की दूसरी
लड़ाई का नाम दिया है। यह १५ अगस्त को शुरू किया जाएगा। इसमें वे पोलिटिकल
पार्टियां हैं, जो शाहीनबाग में पीछे से मदद कर रही थीं, जैसे कांग्रेस पार्टी, आम आदमी पार्टी, वामपंथी दल, अरबन नक्सल्स, टुकड़े टुकड़े गैंग, जेएयू, जामियां इस्लामियां, अल्ट्रा लेफ्ट के लोग, पीएफआई, तथा वे सभी लोग जो चीन, पाकिस्तान, साउदी अरेबिया तथा अमेरिका के कुछ
लेफ्टिस्ट औरगेनाजशन से पैसा लेकर भारत में शाजिश रचने का काम करते हैं, वे तमाम लोग शामिल हैं। ये तमाम लोग इस बार एक जुट हुए हैं। यह एक
भयानक खबर है। इनकी मंशा साफ है। वे स्वतंत्रता दिवस पर अशांति फैलाना चाहते हैं।
इनको अमेरिका मे हुए दंगे से प्रेरणा मिली है
इनको अमेरिका मे हुए दंगे से प्रेरणा मिली है। ये तमाम
देश विरोधी तकतें जो आरटिकल लिख रहे हैं कि भारत में अमेरिका की तरह का विरोध क्यों
नहीं हो रहा है।
अमेरिका में एक जॉर्ज फ्लोइड नामक काले अमरिकी की पुलिस
ने हत्या कर दी। और वहां इसके विरोध में दंगा भड़क गया। आगजनी की गयी और लूटपाट
की भी खबड़े हैं। भारत के राष्ट्र विरोधी शक्तियां यह कह रही हैं कि यह अमेरिका
में हो सकता है तो भारत में क्यों नहीं हो सकता है।
राष्ट्र विरोधी शक्तियों का सोशल साइंस और फलसफा
इन राष्ट्र विरोधी शक्तियों का यह मानना
है कि १५ अगस्त आते आते भारत की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो चुकी होगी। बहुत लोग
बेरोजगार हो चुके होंगे।
ये वही लोग हैं जो अपने को सोशल साइंटिस्ट कहते हैं। इनकी थ्योरी है कि १९७० के दशक में जो जेपी आंदोलन के समय में क्लास डिविजन देखा गया था, उसी तरह की स्थितियां इस बार बन रही हैं।
इनकी थ्योरी है कि सरकार के पास पैसे नहीं
होंगे हैं, इकोनामी गिर चुकी होगी, सरकार की साख भी गिर चुकी होगी, यही मौका होगा कि हम सब राष्ट्र विरोधी
शक्तियां इतनी हिंसा फैलाएंगे, इतना बबाल
करेंगे कि सरकार घुटने टेक देगी और हम हिंदुस्तान को पंगू बनाने में सफल हो
जाएंगे। इनकी पूरी साजिश का खुलासा हो गया है।
राष्ट्र विरोधी शक्तियों का गठबंधन ने प्लैनिंग शुरू कर दिया है
ज्ञातव्य है कि पिछली बार जब शाहीनबाग
शुरू हुआ तो उसमें एक राय नहीं थी। वह दो फार में बटा था। उसमें कुछ बामपंथी थे, कुछ इसलामिस्ट थे, कांग्रेस पार्टी थी, आम आदमी पार्टी थी। कुछ कनटीन्यू
करना चाहते थे कुछ इसके पक्ष में नहीं भी थे। कुछ लोग कोर्ट की बात मानना चाहते थे
और कुछ कोर्ट के खिलाफ जाना चाहते थे। पूरा कनफ्यूजन था। इस बार ये सारे मोदी
विरोधी, हिंदू विरोधी, देश विरोधी एलीमेंट्स ने पहले से
कंप्रहेंसिब प्लैनिंग बनाना शुरू कर दिया है।
जल्द बहुत सारे ट्विटर एकाउंट खुलेंगे और मीडिया में कैंपेन चालू होगा
बहुत जल्द बहुत सारे ट्विटर एकाउंट खुलेंगे। मीडिया में
कैंपेन चालू होगा। इस तरह का प्रोपेगैंडा शुरू होगा कि कि बहुत हो गया। अब मोदी का
शासन बरदास्त नहीं करेंगे। कोई भी चलेगा मगर मोदी नहीं चलेगा। इस तरह का
प्रोपेगैंडा चलेगा कि मोदी हर तरह से फेल हो गये हैं।
ये सारे षडयंत्र तब चल रहे हैं जब हमारे बोरडरों पर परेशानी है
मजे कि बात यह है कि ये सारे षडयंत्र तब
चल रहे हैं जब हमारे बोरडरों पर परेशानी है। बोरडर पर चीन के साथ हमारी सेना आमने
सामने है। पाकिस्तानी एलओसी पर लगातार बमबारी कर रहा है। ऐसा लग रहा है कि चीन और
पाकिस्तान एक साथ दोनो ही फ्रंट खोलने वाले हैं। देश इस मुसीबत में फसा है। ऐसे
समय में भारत का विपक्ष, वामपंथी, लुटियन गैंग, टुकड़े टुकड़े गैंग सहित तमाम राष्ट्र
विरोधी शक्तियां देश में बबाल करने की प्लैनिंग कर रही हैं।
पैसे चीन, पाकिस्तान, साउदी अरब और अमेरिका से आएंगे
इस आंदोलन में जो पैसा लगेगा वह कहां से
आएगा ? पीछली बार के शाहीनबाग मामले में पीएफआइ का २५० करोड़ रुपया खर्च हुआ
था। ताहिर हुसैन ने ५ अलग अलग फर्जी कंपनियों
के जरिए इन प्रदर्शनकारियों को पैसा पहुंचाया। इस बार का प्लान बहुत बड़ा है। इस बार
देश भर में गड़बडी करनी है। इसके लिए और भी बड़ी रकम चाहिए। ये पैसे चीन से आएंगे।
पाकिस्तान से आएंगे। साउदी अरब से आएंगे। अमेरिका के विभिन्न फाउंडेशनों से
आएंगे। हिंदुस्तान को तबाह और बरबाद करने की साजिश का खुलासा हुआ है।
इन राष्ट्र विरोधी शक्तियों ने इस खुराफात के लिए १५ अगस्त की तारीख मुकर्रर कर रखी है। ताकि प्रधान मंत्री मोदी शांति से लाल किला के ऊपर झंडा नहीं फहरा सकें। इनलोगों का प्लान है कि इतना ज्यादा सवाल उठाओ, हंगामा कर दो, सड़कों को जाम कर दो, लूटमार और आगजनी कर दो, बिजनेस सेंटरों पर तालाबंदी की नौबत खड़ी कर दो, इतनी हिंसा करो कि यहां अमेरिका जैसा ही मामला बन जाय। सरकार कुछ न कर पाय और वह पंगू हो जाए। सरकार बैक फुट पर आ जाय। पौलीसी डेडलौक की स्थिति बन जाय।
इन राष्ट्र विरोधी शक्तियों ने इस खुराफात के लिए १५ अगस्त की तारीख मुकर्रर कर रखी है। ताकि प्रधान मंत्री मोदी शांति से लाल किला के ऊपर झंडा नहीं फहरा सकें। इनलोगों का प्लान है कि इतना ज्यादा सवाल उठाओ, हंगामा कर दो, सड़कों को जाम कर दो, लूटमार और आगजनी कर दो, बिजनेस सेंटरों पर तालाबंदी की नौबत खड़ी कर दो, इतनी हिंसा करो कि यहां अमेरिका जैसा ही मामला बन जाय। सरकार कुछ न कर पाय और वह पंगू हो जाए। सरकार बैक फुट पर आ जाय। पौलीसी डेडलौक की स्थिति बन जाय।
इससे चीन और उन देशों का फायदा होगा जहां ये कंपनियां सिफ्ट करेंगी
इनको दुख है कि मोदी साहब अलग फेज में जा
रहे हैं। मोदी सरकार अलग किस्म की पौलीसी पर चल रही है। सरकार इकोनोमी को बढाने
की हर संभव कोशिश कर रही है।
ये इसलिए मोदी सरकार की घेराबंदी करना
चाहते हैं कि भारत की इकोनोमी का रिवाइवल न हो सके। वे चाहते हैं कि इतना बबाल
मचाओ कि ये जो चीनी कंपनियां भारत आना चाहती हैं, उसको यह मैसेज चला जाय कि भारत सेफ
डेसटीनेशन नहीं है। यह की डेमोक्रेसी स्मूथ नहीं है। यहां पूंजी लगाकर आप फंस
सकते हैं। इससे बेशक चीन का फायदा होगा। इससे फायदा उन देशों का होगा जहां ये
कंपनियां सिफ्ट करेंगी।
मोदी को फेल कराना ही उनका अंतिम उद्देश्य है
इनको डर इस बात का है कि यदि मोदी ने इस समय भारत को
मुसीबत से निकाल लिया, यदि भारत की इकोनोमी रिवाइव हो गयी, यदि
मोदी ने भारत को गरीबी के चक्र से निकाल लिया तो मोदी ऐतिहासिक पुरुष हो जाएंगे।
इनका नाम तो सुनहरे अंक्षरों में लिखा जाएगा, कि इतनी
मुसीबतों में, कोरोना जैसी महामारी में, मोदी
सरकार ने देश को मुसीबत से निकाल लिया। लोगों की जान भी बचायी, और इकोनोमी को भी रिवाइव कर लिया। यही इनकी सबसे बड़ी दिक्कत है। इसीलिए ये मोदी को
फेल कराना चाहते हैं।
इंडिकेशंस आ रहे हैं कि हमारी इकोनोमी रिवाइव कर रही है
इंडिकेशंस आ रहे हैं कि हम रिवाइव करने जा रही है। हमारा फौरन रिजर्व पीक पर चला गया है। हमारे यहां इनवेस्टमेंट बढ़ रहा
है। कुछ एजेंसियों का रिपोर्ट है कि २०२१ तक हमारा जीडीपी ६ से ७ फीसदी तक जा सकता
है। यह बात राष्ट्र विरोधियों को नागबार गुजर रही है। कैसे इसको रोका जाय। कैसे भारत को गरीब ही रखा जाय। यही इनका उद्देश्य है।
इनलोगों ने इस उकपात के लिए १५ अगस्त का दिन चुना है
इनलोगों ने इस उकपात के लिए १५ अगस्त का
दिन चुना है। इनका क्या प्लान है, इनकी क्या तैयारी है, कौन कौन से लोग इसमें शामिल होने वाले
हैं, कहां कहां से पैसा आ रहा है इसके लिए, देश के अंदर वे कौन कौन सी राष्ट्र
विरोधी शक्तियां इसमें शामिल हैं, इसके बारे
में तहकीकात चालू हो गयी है। जल्द ही इनकी पकड़ धकड़ भी शुरू होगी।
क्यों इनका सब दाव उल्टा पड़ जाता है
एक बात इन राष्ट्र विरोधी शक्तियों को
समझ में नहीं आता है कि क्यों इनका सब दाव उल्टा पड़ जाता है। बात यह है कि राष्ट्र
विरोधी लोगों की संख्या ज्यादा नहीं है जबकि मोदी के समर्थक देश की लगभग वे ८० प्रतिशत आवादी है, जिसे मोदी के सत्ता में आने के बाद एक आशा जगी है कि अब गरीबों, कमजोरों का
समय पलट रहा है, और आगे एक उज्वल भविष्य दिखाई
देता है। मोदी कहते हैं सब का साथ मगर ये राष्ट्र विरोधी शक्तियां तो उनके साथ कभी
नहीं आ सकती, यह स्पष्ट हो चुका है। इन राष्ट्र विरोधी शक्तियों को तो देश के बाहर
से पैसा आता है। देश के अर्थव्यवस्था के गिरने का उन्हें कोई मलाल नहीं होता। मगर
मुझे लगता है कि इनका मंसूबा पूरा नहीं होगा। देश जग चुका है।


.jpg)
.jpg)










.jpg)
.jpg)

0 टिप्पणियाँ
Please do not enter any spam links in the comment box.