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सुशांत सिंह राजपूत ने आत्‍महत्‍या क्‍यों की यह कई सवाल छोड़ गया



 
Sushant Singh Rajput Actor
Sushant Singh Rajput Actor





मुंबई: सुशांत सिंह राजपूत के मौत ने लोगों को स्‍तब्‍ध कर दिया है। आखिर उसने इतना बड़ा क़दम क्‍यों उठाया। यह कई सवाल छोड़ गया। वह एक उभरता हुआ सितारा था। उसने कई सफल फिल्‍मों में काम किया था और अपने बेहतरीन अभिनय का परिचय दिया था। सवाल तो यह खड़ा होता है कि आखिर वे कौन से कारण रहे होंगे कि सुशांत सिंह राजपूत ने यह कदम उठाया।

यह एक आत्‍म हत्‍या नहीं हैं यह एक हत्‍या है

एक तरह से देखें तो यह एक आत्‍म हत्‍या नहीं हैं यह एक हत्‍या है। यह बौलीवुड के सिस्‍टम के द्वारा एक सुनियोजि हत्‍या है । भारत में फिल्‍मों की जो धंधेवाजी हाती है, उसको पड़त दर पड़त समझना जरूरी है। ताकि उसके आत्‍महत्‍या की गुत्‍थी को आप समझ सकें।

बौलीवुड अंडरवर्ल्‍ड के द्वारा चलाया जाने वाला इंडस्‍ट्री

आपको इस संदर्भ में कुछ और लोगों का उदाहरण भी देखना चाहिए। सिंगर अरजीत, रणवीर कपूर, विवेक ओबेराय, आदि ने भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया मगर उनके पास काम नहीं है। दरअसल बौलीवुड अंडरवर्ल्‍ड के द्वारा चलाया जाने वाला एक इंडस्‍ट्री है। यहां जिनका वर्चस्‍व हैं, वे माफिया हैं, ड्रग एडिक्‍स है, हवाला दलाल हैं, गुंडे हैं। यहां ड्रग का धंधा होता है। इस इंडस्‍ट्री में प्रोपर्टी, पैसा, हवाला, हाइ लेवेल प्रोस्टिच्‍यूशन सहित दुनिया भर का काला धंधा होता है। यह एक तरह से, एक साथ अनेक बीमारियों से पीडित इंडस्‍ट्री है। यहां ओरगेनाइज्‍ड और सोफेस्टिकेटेड तरीके से फिल्‍मों में काम करने वाली महिलाओं, यहां तक कि सितारों का देह व्‍यापार चलता है। यहां ओरगेनाइज्‍ड तरीके से ड्रग का धंधा चलता है। यहां हवाला से पैसा आता है।  


दाउद इब्राहिम पाकिस्‍तान में बैठा है, मगर उसका स्स्टिम खत्‍म नहीं हुआ है। दाउद इब्राहिम के चेले चपाटों का आज इस इंडस्‍ट्री में वर्चस्‍व है। आज भी डी कम्‍पनी मुंबई में और खास कर फिल्‍म इंडस्‍ट्री को चलाती है। आज यह एक संस्‍था है। इसमें बाजाप्‍ता ऐसे लोगों की भर्ती होती है। उनको बाजाप्‍ता पगार मिलता है। धमकाने वाली की अलग सैलरी होती है, शार्प शूटर की अलग सैलरी होती है। वह अगर पकड़ा जाता है और जेल चला जाता है तो उसके परिवार को अलग से पैसे दिए जाते हैं। यह अंडरवर्ल्‍ड का तंत्र बहुत ही औरगेनाइज्‍ड तरीके से काम करता है। फिल्‍म निर्माण उसका एक डेरीवेटिव मात्र है।यह सबको पता है। वर्तमान में जो मुख्‍य मंत्री हैं उद्धव ठाकरे को भी मालूम है। एनसीपी के लीडरों को और भी अच्‍छी तरह पता है। उन्‍हें उनका राजनैतिक  संरक्षण प्राप्‍त है।

फिल्‍म निर्माण में इलिगल मनी इनवोल्‍व है

अभिनव कश्‍यप एक सफल डायरेक्‍टर हैं। उन्‍होंने एक ब्‍लोग लिखा है। उसमें उन्‍होंने कई मशहूर हस्तियों को कठधरे में खड़ा किया है। मुंबई में जो माफिया है उसके डिसीजन मेकर्स पाकिस्‍तान और दुबई में बैठे हैं। इस रैकेट को चलाने वाला मुंबई में हैं। लगभग ३० साल पहले दाउद इब्राहिम मुंबई छोड़कर पाकिस्‍तान चला गया। तबसे फिल्‍मों में जो पैसे लगाए जाते हैं वे दाउद इब्राहिम के गैंग के द्वारा लगाए जाते हैं। इसमें इलिगल मनी इनवोल्‍व है। यह ब्‍लैक मनी को ह्वाइट करने का तरीके के तहत चलता है। यह पूरी इंडस्‍ट्री ही गंदे तरीके से नेक्‍सस के माध्‍यम से चलती है।

लोग बताते कि बौलीवुड में नयी हिरोइनों को लांच होने से पहले दुबई जाना पड़ता था। वहां सप्‍ताह गुजारना पड़ता था। वहां उनके साथ क्‍या बेहूदगी होती थी यह पाठक अपने विवेक से समझ लें। 



दाउद इब्राहिम के फेमिली में किसी अदना का जन्‍म दिन होता था तो सारे बोलीवुड के कलाकार नाचते थे। आप उसके पैसे भी नहीं मांग सकते । आपको फिल्‍मों से बाहर कर दिया जाएगा। कौन हिरोइन  होगी यह तय अंडरवर्ल्‍ड वाले तय करते थे। धीरे धीरे इसी ने एक गैंग का स्‍वरूप धारण कर लिया। जिसे आप नेपोटिज्‍म या भाई भतीजावाद कहते हैं वह अंडरवर्ल्‍ड के कंट्रोल सिस्‍टम का एक डेरीवेटिव है।

भाई जान का फरमान है कि इस बंदे को फिल्‍में नहीं देनी है, तो उसे कोई बड़ा बैनर फिल्‍म नहीं देता है

अरजीत का हर गाना हिट हो रहा था। अचानक उसका समलान से झगरा हो जाता है और उसके बाद उसको गाना ही नहीं मिल रहा है। सलमान के गर्लफ्रेंड के साथ रणवीर कपूर का अफेयर हो जाता है। उसको फिल्‍में मिलना बंद हो जाता है। भाई जान का एक फरमान आ जाता है कि इस बंदे को फिल्‍में नहीं देनी है। तो उसे कोई बड़ा बैनर फिल्‍म नहीं देता है। इसके अनेक और उदाहरण उदाहरण हैं। ये सड़क छाप को म्‍यूजिक डायरेक्‍टर बना देते हैं, जो म्‍यूजिक डायरेक्‍टर है उसे बेरोजगार बना देता है। इनके विरुद्ध कोई कुछ नहीं बोल सकता है।

पुलिस को कहीं से कोई नशे का या ड्रग का सामान नहीं मिला


ये लोग जो अभिव्‍यक्ति की आजादी की लड़ाई लड़ने वाले गैंग हैं वे इस माफिया के सामने नत मस्‍तक हो जाते हैं। बोलीवुड कवर करने वाली मीडिया इसी माफिया के टुकड़ों पर पलती है। यह मीडिया भी धरियाली आंशू बहा रही है। वे कहते हैं कि वह डिप्रेशन में था।  पुलिस ने उसके फ्लैट के कोने कोने को छान मारा। कहीं से कोई नशे का या ड्रग का सामान नहीं मिला। डिप्रेशन वाली थ्‍योरी गलत है।  इसी तरह की कई कंसपिरेसी और बकबास थ्‍योरी दी जा रही है। जिसका कोई मतलब नहीं है।  

सुशांत सिंह राजपूत एक सुलझा हुआ आदमी था

ये जो सुशांत का मर्डर हुआ है वह इसलिए हुआ है क्‍योंकि वह इस गैंग के जितने लोग हैं उससे ज्‍यादा पढालिखा था। वह एक सुलझा हुआ आदमी था। AIEEE की परीक्षा में उसने ७वां स्‍थान प्राप्‍त किया था। उसने नैशनल पिजिक्‍स ओलंपियाड क्‍वालिफाई किया था। Stanford University से उसे Scholarship मिला था।  यहां तो अधिकांश स्‍टार्स  मूर्ख लोग हैं। उनका दिमागी स्‍कोप बहुत कम है। बेशक उनके पास पैसा बहुत है, ताकत बहुत है, रसूक बहुत है, नेक्‍सस बड़ा है। मगर पढे लिखों से उनको इर्ष्‍या होती है, जलन होता है। उसको सामने देखकर मुर्खों को परसोनैलिटी कल्‍ट हो जाता है।  

आज कोई आदमी ईमानदारी से फिल्‍म बनाकर भारत में रिलीज नहीं करा सकता है। हिट कराना तो दूर की बात है,  चाहे वह कितना भी अच्‍छा फिल्‍म मेकर क्‍यों न हो।

अभिनव कश्‍यप काफी टैलेंटेड फिल्‍म मेकर है। उसने दवंग को डाइरक्‍ट की और अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया। दबंग सुपरहिट फिल्‍म थी। उसके बाद उसका सलमान खान के परिवार के साथ झगड़ा हो गया और उसके बाद अभिनव कश्‍यप ने जिस किसी के साथ फिल्‍म साइन किया उसे धमकी दी गयी कि तुम इसके साथ काम नहीं करोगे। उसके फोन से बड़े बड़े प्रोड्यूसर डर जाते हैं। क्‍योंकि वो फोन दरअसल उस शक्‍स का नहीं होता है। उसके पीछे इसी नक्‍सस का सपोर्ट है। उसके पीछे कोई अदृरष्‍य भाई जान होते हैं।

सुशांत सिंह राजपूत से सात आठ फिल्‍में छीन ली गयीं

सुशांत के साथ भी ऐसा ही होता चला गया। उससे सात आठ फिल्‍में छीन ली गयीं। क्‍योंकि वह उस गैंग का सदस्‍य नहीं बन सकता था। उसके आत्‍महत्‍या के बाद कुछ लोग बेशर्मी से कह रहे हैं कि वह डिप्रेशन में था। अगर ऐसा था तो उसके डिप्रेशन के लिए तो ये गैंगवाले ही तो जिम्‍मेदार हैं। ये गैंग वाले तो हर तरह के गलत काम में शामिल हैं। ये महाराष्‍ट्र के नेताओं को व्‍यूरोक्रैट को खुश रखते हैं। ये लोग भले ही दिमाग से पैदल हैं मगर गंदगी फैलाने में इनका जोड़ नहीं है। कमाल खान ने २० फरवरी २०२० को एक ट्विट किया था। उसने लिखा था कि यशराज फिल्‍म्‍स, धर्मा फिल्‍म्‍स, बालाजी फिल्‍म्‍स, जैसे ६ प्रोडक्‍शन हाउसेस ने सुशांत सिंह राजपूत पर बैन लगा दिया था।

बौलीवुड में एक तरह का कौकस सक्रिय है। यहां बहुत सारे लोग हैं जिनको करांची से पैसा आता है,  सउदी अरब से पैसा आता है, दुबइ से पैसा आता है, और मुंबई में बैठकर ये अपना धंधा चलाते रहते हैं।

कुछ स्‍टार को लगा कि सुशांत सिंह राजपूत उनके स्‍टारडम के लिए थ्रेट है

यहां के कुछ स्‍टार को लगा कि यह उनके स्‍टारडम के लिए थ्रेट बनकर आ रहा है। इस लिए उन्‍होंने उसे नीचा दिखाना शुरू कर दिया। ये जितने तथा‍कथित स्‍टार हैं ये खान बंधु या अन्‍य। जाकर दखिए, वे धोनी जैसी फिल्‍म नहीं बना सकते। उसमें कमाल का काम किया है सुशांत सिंह राजपूत ने। उसकी फिल्‍म छिछोरे देखिए, क्‍या काम किया है उसने। मगर उसे किसी ने कोई अवार्ड नहीं दिया। मगर दर्शकों की नजर में वह लाइमलाइट लेकर चला गया। यह उन लोंगों से देखा नहीं गया।

सुशांत सिंह राजपूत पढालिखा था, अक्‍लमंद था, आत्‍म सम्‍मान से भरा आदमी था। लोगो में वह लोकप्रिय होने लगा था। दर्शक उसे काफी पसंद करते थे। उसके काम की सराहना होने लगी थी। उसके अभिनय को लोग एप्रीसिएट करने लगे थे।

कौन आदमी सुसाइड करता है? सेंसिटिव लोग सुसाइड करते हैं। सुशांत सिंह राजपूत एक स्पिरिचुअल आदमी था। उसको इस पूरे गैंग ने चारों तरफ से घेर लिया। इसकी फिल्‍मों को रिलिज होने की दिक्‍कत होने लगी।  उसको फिल्‍म मिलने में दिक्‍कत होने लगी। इसके फिल्‍मों के रिव्‍यू खराब छापे जाते थे।  

वह अंडरवर्ल्‍ड के नियम कानून में बंधने वाला नहीं था। इसलिए अंडरवर्ल्‍ड ने उसे कोरनर में ढकेल दिया। उसे उस जगह पहुचा दिया कि उसके पास कोई दूसरा चारा नहीं रह गया।

जब उसकी मौत हो गयी तो ये लोग बेशर्मी के साथ दिखावटी आंशू बहाने लगे। एक खास तरह के नैरेटिव सेट करने लगे। बौलीवुड को कवर करने वाले जो पत्रकार हैं वे लगभग तमाम लोग दलाल किस्‍म के लोग हैं। वे एक बोतल दारू और थोड़े से पैसे पे बिक जाते हैं। उनमें सच लिखने की औकाद नहीं है। वे इसी गैंग के चट्टेवट्टे बनकर पाठकों को पागल बनाते रहते हैं । उनकी लिखावट में न कोई गम्‍भीरता है, न समाज के प्रति उनकी जिम्‍मेदारी दिखती  है। बस चाटुकारिता दिखती है। वे विके हुए लोग हैं और वे उसी हिसाब से फिल्‍मों के रिव्‍यू छापते हैं। वे एक तरह का धंधा करते हैं। इस हत्‍या में उनकी भी भूमिका है।

अवार्ड सेरीमोनी ब्‍लैक मनी को ह्वाइट मनी करने का एक जरिया है

ये जो अवार्ड सेरीमोनी है, वह भी दाउद इब्राहिम के ब्‍लैक मनी को ह्वाइट मनी करने का एक जरिया है। नहीं तो आप सोचिए कि गुटका बनाने वाली कम्‍पनी का फिल्‍म अवार्ड देने का क्‍या तुक बनता है। फिल्‍म मेकिंग में उनकी क्‍या एक्‍सपर्टीज है ? फिल्‍म मेकिंग की उनको कितनी समझ है और इससे उनका क्‍या लेना देना है? उनकी एक्‍सपर्टीज तो इस फिल्‍ड की है ही नहीं। जो अवार्ड के हकदार हैं, उन्‍हे वे अवार्ड नहीं देते।  

सरकार को मालूम होना चाहिए कि बॉलीउड में कितना गंद फैला हुआ है

सरकार आख पर पट्टी बांधकर सोई हुयी है। उसको मालूम होना चाहिए कि बौलीउड में कितना गंद फैला हुआ है। ईडी का रेड क्‍यों नहीं होता इनके ऊपर? मगर ऐसा होगा नहीं क्‍योंकि नेता और व्‍यूरोक्रैट भी इसमें शामिल हैं।
प्रधान मंत्री और गृह मंत्री सेवेदना जाहिर कर रहे हैं, यह काफी नहीं है। अगर वे आगे इस इंडस्‍ट्री को बचाना चाहते हैं, तो इसकी सफाई करनी पड़ेगी। इस बौलीवुड इंडस्‍ट्री को ड्रग की बीमारी, हवाला की बीमारी, प्रोस्‍टीच्‍यूशन की बीमारी, गैंगवाजी की बीमारी, नेपोटिज्‍म की बीमारी, एक्‍सप्‍लोइटेशन की बीमारी से बचाना होगा।  कहां यह कभी कला का मंदिर हुआ करता था और कहां आज गंद का पहाड़ बन गया है। कीचड़ का झील है। यहां टैलेंटेड लोगों के साथ उचित व्‍यावहार नहीं होता है। उसे गुलाम बनाने की प्रवृत्ति पिछले कई दशक से बरकरार है। सुशांत सिंह राजपूत की आत्‍महत्‍या चीख चीख कर इन्‍हीं सच्‍चाइयों का रहस्‍योदघाटन करता है।

सुशांत सिंह राजपूत के आत्‍महत्‍या के मामले में यदि संबंधिक हस्तियों को नारको टेस्‍ट हो तो सत्‍य सामने आ जाएगा कि वे कौन लोग थे जिनकी इसमें प्रत्‍यक्ष या परोक्ष रूप से भूमिका थी। सुशांत सिंह राजपूत के आत्‍महत्‍या ऐसे बहुत सारे दुखद सवालों को  छोड़ कर जा रहा है जिसपर लोग बरसों सोचेंगे। 

  

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