मुंबईः कोरोना महामारी
के भारत में आने से टेक्सटाइल जगत अस्तव्यस्त हो गया है। टेक्सटाइल का पूरा
चेन चरमरा गया है। उत्पादन से रिटेल शॉप तक टेक्सटाइल वैल्यू चेन के सभी हिस्से
को छति पहुची है। टेक्सटाइल व्यापारी आज भ्रम की दशा में हैं। ये एक चक्र है।
दुनियां में ऐसा चक्र आता रहता है। विनिता सूटिंग्स के डायरेक्टर
श्री अरविंद गाडिया ने यह जानकारी दी। विनीता सूटिंग्स भारत
के सूटिंग फैब्रिक के उत्पादन में एक
अग्रणी कंपनी है।
रिटेल स्टोर्स खुल रहे हैं मगर वहां १० प्रतिशत ग्राहकी है
श्री
अरविंद गाडिया ने कहा कि फिलहाल तो कपड़ा व्यापार बंद ही जैसा है। रिटेल स्टोर्स
खुल रहे हैं मगर वहां १० प्रतिशत ग्राहकी है। टेक्सटाइल व्यापार में महीनो का
बैकलॉग हो गया है। उपर से स्टॉफ का जो बेतन है वह उसके गले में पड़ रहा है। सरकार
भी कोई रियायत दे नहीं रहा है। सरकार भी क्या करे? सरकार भी मजबूर है। उस पर भी
आकस्मिक कोरोना महामारी के कारण बड़ा फाइनांनसियल बोझ आ गया है।
कार्यालय ८ जून से खुल गया है, मूवमेंट थोड़ा बहुत शुरू हुआ है
उन्होंने कहा कि
हमलोगों का कार्यालय ८ जून से खुल गया है। कर्मचारी भी आ रहे हैं। हमलोग अपना
कार्यालय थोड़े समय के लिए खोलते हैं। काम काज थोड़ा थोड़ा होने लगा है। मूवमेंट
थोड़ा बहुत शुरू हुआ है। हर आदमी यदि सब कुछ बंद कर के बैठा रहेगा तो यह चक्र ही
रूक जाएगा। इसलिए कम काम काज होने के बावजूद हमलोगों ने अपना काम काज चालू कर दिया
है।
उम्मीद है कि दबाई निकल जाय, तब आदमी रिलैक्स होके काम पर आएगा
श्री
अरविंद गाडिया ने कहा कि हमे यह उम्मीद है कि इसकी कोई दबाई निकल जाय। दबाई बन
जाने के बाद आदमी रिलैक्स होके काम पर आएगा। आदमी सोचेगा कि यदि कोरोना किसी को
हो जाता है तो दबा तो है। अभी लोगों में डर है कि इसकी कोई दबाई नहीं है। यदि खुदा
न खास्ता कोरोना पोजिटिव हो गये तो क्या हो गये तो क्या होगा।
टेक्सटाइल इंडस्ट्री को रिकोवर करने में दो तीन साल लगेगा
विनिता सूटिंग्स के
डायरेक्टर ने कहा कि टेक्सटाइल इंडस्ट्री दो तीन साल पिछड़ गया है। इसको रिकोवर
करने में दो तीन साल लगेगा। अगले दो तीन साल तो इस इंडस्ट्री के लिए तकलीफ का समय
जाएगा।
श्री
अरविंद गाडिया ने कहा कि मजदूर तो यहां की पैनिक की वजह से मजबूर होकर भाग गया है।
जैसे काम सुचारू रूप से चलने लगेगा वे लौट आएंगे। वास्तव में एक भेड़चाल का
वातावरण बन गया था । अगल बगल वाला जा रहा है तो क्यों न मैं भी चलूं। यही सोच कर
बड़ी संख्या में मजदूर पलायन कर गये। उन्होंने कहा कि मजदूर गांव लौट तो गये, मगर वहां भी तो उनके लिए कोई काम नहीं है। व्यापार तो
गांव में भी कमजोड़ हुआ है।
लेबर तो लौटने के लिए तैयार हैं मगर अभी उनको बुलाकर क्या करेंगे
श्री अरविंद गाडिया ने
कहा कि लेबर तो लौटने के लिए तैयार हैं। मगर टेक्सटाइल उत्पादक यह सोच रहे हैं
कि अभी उनको बुलाकर क्या करेंगे। उन्होंने कहा कि दो तीन महीने में काम काज के
लिए माहौल नौरमल हो जाएगा। अभी टेक्सटाइल उत्पादकों ने थोड़ा थोड़ा काम शुरू हो
कर लिया है। क्योंकि काम पूरी तरह रुकने का ज्यादा नुकसान होगा। मशीने कुछ हद तक
ही सही चालू रहना चाहिए।


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