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सुशांत सिंह राजपूत ने आत्‍महत्‍या नहीं की

Sushant Singh Rajpoot Actor
Sushant Singh Rajpoot Actor






मुंबई: सुशांत सिंह राजपूत के मौत ने लोगों को स्‍तब्‍ध कर दिया है। वह एक उभरता हुआ सितारा था। उसने कई सफल फिल्‍मों में काम किया था और अपने बेहतरीन अभिनय का परिचय दिया था। सबसे बड़ी त्रासदी उसके पिता के साथ हुई। सुशांत १६ वर्ष की उम्र में अपनी मां को खो चुका था। उसकी तीन बहने थीं और वह अपने माता पिता का अकेला बेटा था।

टेलीविजन से फिल्‍म में ट्रांजिसन

उसने टेलीविजन से फिल्‍म में ट्रांजिसन किया जो कठिन काम है। कहते हैं कि Once a television actor is always a television actor. मगर शाहरूख खान के ३० सालों बाद एक दुसरा एक्‍टर था जिसने इस मिथ को डिसप्रूभ किया। उसने अपनी पहली फिल्‍म को १०० करोड़ क्‍लब में लाया। मगर उसको कभी उसके टैलेंट का एक्‍नोलेजमेंट नहीं मिला। न रिवार्ड मिला, न अवार्ड मिला, न रिकोगनिशन मिली।

सुशांत सिंह राजपूत ने आत्‍महत्‍या नहीं की

जो तथ्‍य सामने आए वे इस तरह हैं। उससे ऐसा लगता है कि उसने आत्‍महत्‍या नहीं की। ९९ प्रतिशत जो तथ्‍य हैं वे इस बात का इशारा करता है कि आत्‍महत्‍या की थ्‍योरी में १ प्रतिशत से ज्‍यादा दम नहीं है। जबकि ९९ प्रतिशत आशंका इस बात का है कि उसकी जानबूझकर हत्‍या की गयी है जिसमें शक्तिशाली और धनपशुओं की मिलीभगत है। पुलिस की चांच चालू है मगर जो तथ्‍य सामने आ रहे हैं उसे देखते हुए यह आत्‍महत्‍या का मामला नहीं लगता है।

एक डुपलीकेट चाभी थी। वह मिसिंग है। सुशांत सिंह जितना जीवट और कर्मठ था, जितना होशियार था, जितना जिम्‍मेदार था, अगर वह आत्‍महत्‍या करता तो एक सुसाइड नोट जरूर छोड़ जाता। वह इतना तो अपनी डायरी में जरूर लिखता कि मैं अपनी मर्जी से अपनी परेशानियों के कारण आत्‍म हत्‍या कर रहा हूं । इसके लिए किसी को दोषी न ठहराया जाय। ताकि कोई भी निर्दोष आदमी शक के दायरे में न आ जाय। एक जिम्‍मेदार आदमी की यह आदत होती है कि वह दूसरों को नाहक मुश्किल में नहीं डालता है। और वह एक जिम्‍मेदार आदमी था। 

मगर कोई सुसाइड नोट नहीं पाया गया। इसलिए कई सवाल खड़े होते हैं। जो लड़का रात को पार्टी कर रहा था, जो सुबह उठकर प्‍लेस्‍टेशन पर था, जो एक ग्‍लास जूस मांगता है, आकर घर में बैठता है, मौत से ठीक पूर्व १०.१५ एएम पर  वह गुगल पर अपना नाम लिखकर टाइफ करता है। और कुछ आर्टिकल सर्च करता है। उसके मन में अचानक क्‍या बात कौंधती है कि वह सोचता है कि चलो अब आत्‍महत्‍या कर लेते हैं? यह बात हजम नहीं होती है।सीसी टीवी कैमरा से एक दिन पहले छेड़छाड़ की जाती है।
सुशांत सिंह ने पिछले महीने लगभग ५० सिमकार्ड चेंज किए। आदमी तब सिमकार्ड चेंज करता है जब वह किसी को अभ्‍वाइड करना चाहता है। जब वह किसी से बचने की कोशिश करता है। जब उसको कोई खौफ हो।
फिर जो  पंखे की ऊंचाई है वह भी सवाल के घेरे में है। सुशांत सिंह की अपनी ऊंचाई ६ फीट थी। उसके बेड के ऊपर पंखा है फिर इतनी जगह ही नहीं बचती है कि वह लटक कर फांसी लगा सके। फिर एक कुर्ते से लटक कर फांसी लगाना इसलिए भी समझ में नहीं आता कि यदि ८० किलो का भार लटकते ही कुर्ता फट जाएगा। मगर वह कुर्ता साबूत है। ये बातें जो निकल रही हैं वह यकीन के लायक नहीं है।
गले में जो निशान है वह एक रस्‍सी का निशान लगता है। वह कुर्ते से मेल नहीं खाता। कोई खुदकुशी करता है तो गले में V का निशान बनना चाहिए क्‍योंकि रस्‍सी तो उपर की तरफ जाएगा। मगर इस केस में साइमेट्रिकल गोल निशान है। ऐसा लगता है कि आदमी को पटक कर रस्‍सी से गला दबाया गया है।  

आदमी जब खुदकुशी करता है तो उसका चेहरा डिसटौर्ट हो जाता है।  उसका चेहरा विकृत  हो जाता है। आंखें बाहर आ जाती हैं। जीभ बाहर आ जाती है। मुंह से स्‍लाइवा निकल जाता है। गर्दन टूटता है। पंखे का जो ब्‍लेड है वह टेढा मेढा हो सकता है। मगर इस मामले में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। पंखे से तो काई छेड़छाड़ नहीं दिखायी देती है।

उसके घर में जो नौकर था उसने पुलिस को जो बयान दिया वह उसपर कायम नहीं है। पुलिस ने इस घटना के चार घंटे के भीतर ही इसे आत्‍महत्‍या कैसे करार दिया? यह फौरेंसिक जांच से पहले कैसे कहा जा सकता है?

ज्ञातव्‍य है कि अबतक अबतक २९ लोगों से पूछताछ की जा चुकी है। मगर जो प्राइम ससपेक्‍ट हैं उनसे पूछताछ नहीं हो रही है। फिर राज्‍य सरकार इस मामले को सीबीआई को सौंपने से बच भी रही है।

अगर यह आत्‍महत्‍या है तो इसके पीछे की वजह क्‍या है?

सवाल तो यह खड़ा होता है कि अगर यह आत्‍महत्‍या है तो इसके पीछे की वजह क्‍या है? आखिर वे कौन से कारण रहे होंगे कि सुशांत सिंह राजपूत ने यह कदम उठाया। हमारे कानून में ऐसी धाराएं हैं जिसके अनुसार यदि कोई किसी को आत्‍महत्‍या करने को मजबूर करता है तो वह अपराधी है।

एक तरह से देखें तो यह एक आत्‍म हत्‍या नहीं हैं यह एक हत्‍या है। यह बौलीवुड के सिस्‍टम के द्वारा एक सुनियोजि हत्‍या है । भारत में फिल्‍मों की जो धंधेवाजी हाती है, उसको पड़त दर पड़त समझना जरूरी है। ताकि उसके आत्‍महत्‍या की गुत्‍थी को आप समझ सकें। हमारी फिल्‍म इंडस्‍ट्री में नेपोटिज्‍म नहीं बल्कि गैंगिज्‍म है। एक कौकस है, एक क्‍लैन है, एक सिंडिकेट है, एक माफिया है, जो चीजों को कंट्रोल करता है। वही डिसाइड करता है कि कौन रहेगा और कौन खत्‍म हो जाएगा। यह अंडर वर्ल्‍ड का गैंग नहीं है, यह वेस्‍टेड इंटरेस्‍ट का गैंग है। यह पूरी इंडस्‍ट्री को अपने कब्‍जे में रखना चाहता है, बल्कि रखता भी है। यह टैलेंट को दबोच कर रखता है। अपने साथ बांध कर रखता है। 

जो टैलेंट बाहर से आता है उनसे इन लोगों को खतरा होता है

जो टैलेंट बाहर से आता है उनसे इन लोगों को खतरा होता है। उसे पहले तो तबज्‍जो नहीं दी जाती है। उन्‍हें लगता है कि यह उस स्‍पेस को अकुपाइ करेगा जो हमारा है। उसे या तो मिटा दिया जाता है या उसे अपने क्लिक में शामिल कर लिया जाता है।  अगर वह चापलूस और चाटुकार बन गया तब तो वह यस मैन बनकर जीहुजुरी करके  उनके टुकड़ों पर पलने लगता है और सरबाइब भी कर जाता है। मगर जिस दिन उसने ना कहने की जुर्रत की उस दिन उसका हस्र बहुत खराब होता है। आखिरी दिनों में सुशांत सिंह की सारी फिल्‍में उससे छीन ली गयीं।



बौलीवुड अंडरवर्ल्‍ड के द्वारा चलाया जाने वाला इंडस्‍ट्री है

आपको इस संदर्भ में कुछ और लोगों का उदाहरण भी देखना चाहिए। सिंगर अरजीत, रणवीर कपूर, विवेक ओबेराय, आदि ने भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया मगर उनके पास काम नहीं है। दरअसल बौलीवुड अंडरवर्ल्‍ड के द्वारा चलाया जाने वाला एक इंडस्‍ट्री है। यहां जिनका वर्चस्‍व हैं, वे माफिया हैं, ड्रग एडिक्‍स है, हवाला दलाल हैं, गुंडे हैं। यहां ड्रग का धंधा होता है। इस इंडस्‍ट्री में प्रोपर्टी, पैसा, हवाला, हाइ लेवेल प्रोस्टिच्‍यूशन सहित दुनिया भर का काला धंधा होता है। यह एक तरह से, एक साथ अनेक बीमारियों से पीडित इंडस्‍ट्री है। यहां ओरगेनाइज्‍ड और सोफेस्टिकेटेड तरीके से फिल्‍मों में काम करने वाली महिलाओं, यहां तक कि सितारों का देह व्‍यापार चलता है। यहां ओरगेनाइज्‍ड तरीके से ड्रग का धंधा चलता है। यहां हवाला से पैसा आता है।


दाउद इब्राहिम पाकिस्‍तान में बैठा है, मगर उसका स्स्टिम खत्‍म नहीं हुआ है। दाउद इब्राहिम के चेले चपाटों का आज इस इंडस्‍ट्री में वर्चस्‍व है। आज भी डी कम्‍पनी मुंबई में और खास कर फिल्‍म इंडस्‍ट्री को चलाती है। आज यह एक संस्‍था है। इसमें बाजाप्‍ता ऐसे लोगों की भर्ती होती है। उनको बाजाप्‍ता पगार मिलता है। धमकाने वाली की अलग सैलरी होती है, शार्प शूटर की अलग सैलरी होती है। वह अगर पकड़ा जाता है और जेल चला जाता है तो उसके परिवार को अलग से पैसे दिए जाते हैं। यह अंडरवर्ल्‍ड का तंत्र बहुत ही औरगेनाइज्‍ड तरीके से काम करता है। फिल्‍म निर्माण उसका एक डेरीवेटिव मात्र है।यह सबको पता है। वर्तमान में जो मुख्‍य मंत्री हैं उद्धव ठाकरे को भी मालूम है। एनसीपी के लीडरों को और भी अच्‍छी तरह पता है। उन्‍हें उनका राजनैतिक  संरक्षण प्राप्‍त है। 

फिल्‍म निर्माण में इलिगल मनी इनवोल्‍व है

अभिनव कश्‍यप एक सफल डायरेक्‍टर हैं। उन्‍होंने एक ब्‍लोग लिखा है। उसमें उन्‍होंने कई मशहूर हस्तियों को कठधरे में खड़ा किया है। मुंबई में जो माफिया है उसके डिसीजन मेकर्स पाकिस्‍तान और दुबई में बैठे हैं। इस रैकेट को चलाने वाला मुंबई में हैं। लगभग ३० साल पहले दाउद इब्राहिम मुंबई छोड़कर पाकिस्‍तान चला गया। तबसे फिल्‍मों में जो पैसे लगाए जाते हैं वे दाउद इब्राहिम के गैंग के द्वारा लगाए जाते हैं। इसमें इलिगल मनी इनवोल्‍व है। यह ब्‍लैक मनी को ह्वाइट करने का तरीके के तहत चलता है। यह पूरी इंडस्‍ट्री ही गंदे तरीके से नेक्‍सस के माध्‍यम से चलती है।

लोग बताते कि बौलीवुड में नयी हिरोइनों को लांच होने से पहले दुबई जाना पड़ता था। वहां सप्‍ताह गुजारना पड़ता था। वहां उनके साथ क्‍या बेहूदगी होती थी यह पाठक अपने विवेक से समझ लें। 

दाउद इब्राहिम के फेमिली में किसी अदना का जन्‍म दिन होता था तो सारे बोलीवुड के कलाकार नाचते थे। आप उसके पैसे भी नहीं मांग सकते । आपको फिल्‍मों से बाहर कर दिया जाएगा। कौन हिरोइन  होगी यह तय अंडरवर्ल्‍ड वाले तय करते थे। धीरे धीरे इसी ने एक गैंग का स्‍वरूप धारण कर लिया। जिसे आप नेपोटिज्‍म या भाई भतीजावाद कहते हैं वह अंडरवर्ल्‍ड के कंट्रोल सिस्‍टम का एक डेरीवेटिव है।

भाई जान का फरमान 

अरजीत का हर गाना हिट हो रहा था। अचानक उसका समलान से झगरा हो जाता है और उसके बाद उसको गाना ही नहीं मिल रहा है। सलमान के गर्लफ्रेंड के साथ रणवीर कपूर का अफेयर हो जाता है। उसको फिल्‍में मिलना बंद हो जाता है। भाई जान का एक फरमान आ जाता है कि इस बंदे को फिल्‍में नहीं देनी है। तो उसे कोई बड़ा बैनर फिल्‍म नहीं देता है। इसके अनेक और उदाहरण उदाहरण हैं। ये सड़क छाप को म्‍यूजिक डायरेक्‍टर बना देते हैं, जो म्‍यूजिक डायरेक्‍टर है उसे बेरोजगार बना देता है। इनके विरुद्ध कोई कुछ नहीं बोल सकता है। 

पुलिस को कहीं से कोई नशे का या ड्रग का सामान नहीं मिला

ये लोग जो अभिव्‍यक्ति की आजादी की लड़ाई लड़ने वाले गैंग हैं वे इस माफिया के सामने नत मस्‍तक हो जाते हैं। बोलीवुड कवर करने वाली मीडिया इसी माफिया के टुकड़ों पर पलती है। यह मीडिया भी धरियाली आंशू बहा रही है। वे कहते हैं कि वह डिप्रेशन में था।  पुलिस ने उसके फ्लैट के कोने कोने को छान मारा। कहीं से कोई नशे का या ड्रग का सामान नहीं मिला। डिप्रेशन वाली थ्‍योरी गलत है।  इसी तरह की कई कंसपिरेसी और बकबास थ्‍योरी दी जा रही है। जिसका कोई मतलब नहीं है। 

सुशांत सिंह राजपूत एक सुलझा हुआ आदमी था

ये जो सुशांत का मर्डर हुआ है वह इसलिए हुआ है क्‍योंकि वह इस गैंग के जितने लोग हैं उससे ज्‍यादा पढालिखा था। वह एक सुलझा हुआ आदमी था। AIEEE की परीक्षा में उसने ७वां स्‍थान प्राप्‍त किया था। उसने नैशनल पिजिक्‍स ओलंपियाड क्‍वालिफाई किया था। Stanford University से उसे Scholarship मिला था।  यहां तो अधिकांश स्‍टार्स  मूर्ख लोग हैं। उनका दिमागी स्‍कोप बहुत कम है। बेशक उनके पास पैसा बहुत है, ताकत बहुत है, रसूक बहुत है, नेक्‍सस बड़ा है। मगर पढे लिखों से उनको इर्ष्‍या होती है, जलन होता है। उसको सामने देखकर मुर्खों को परसोनैलिटी कल्‍ट हो जाता है। 

आज कोई आदमी ईमानदारी से फिल्‍म बनाकर भारत में रिलीज नहीं करा सकता है। हिट कराना तो दूर की बात है,  चाहे वह कितना भी अच्‍छा फिल्‍म मेकर क्‍यों न हो।

अभिनव कश्‍यप काफी टैलेंटेड फिल्‍म मेकर है। उसने दवंग को डाइरक्‍ट की और अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया। दबंग सुपरहिट फिल्‍म थी। उसके बाद उसका सलमान खान के परिवार के साथ झगड़ा हो गया और उसके बाद अभिनव कश्‍यप ने जिस किसी के साथ फिल्‍म साइन किया उसे धमकी दी गयी कि तुम इसके साथ काम नहीं करोगे। उसके फोन से बड़े बड़े प्रोड्यूसर डर जाते हैं। क्‍योंकि वो फोन दरअसल उस शक्‍स का नहीं होता है। उसके पीछे इसी नक्‍सस का सपोर्ट है। उसके पीछे कोई अदृरष्‍य भाई जान होते हैं।

सुशांत सिंह राजपूत से सात आठ फिल्‍में छीन ली गयीं

सुशांत के साथ भी ऐसा ही होता चला गया। उससे सात आठ फिल्‍में छीन ली गयीं। क्‍योंकि वह उस गैंग का सदस्‍य नहीं बन सकता था। उसके आत्‍महत्‍या के बाद कुछ लोग बेशर्मी से कह रहे हैं कि वह डिप्रेशन में था। अगर ऐसा था तो उसके डिप्रेशन के लिए तो ये गैंगवाले ही तो जिम्‍मेदार हैं। ये गैंग वाले तो हर तरह के गलत काम में शामिल हैं। ये महाराष्‍ट्र के नेताओं को व्‍यूरोक्रैट को खुश रखते हैं। ये लोग भले ही दिमाग से पैदल हैं मगर गंदगी फैलाने में इनका जोड़ नहीं है। कमाल खान ने २० फरवरी २०२० को एक ट्विट किया था। उसने लिखा था कि यशराज फिल्‍म्‍स, धर्मा फिल्‍म्‍स, बालाजी फिल्‍म्‍स, जैसे ६ प्रोडक्‍शन हाउसेस ने सुशांत सिंह राजपूत पर बैन लगा दिया था।

बौलीवुड में एक तरह का कौकस सक्रिय है। यहां बहुत सारे लोग हैं जिनको करांची से पैसा आता है,  सउदी अरब से पैसा आता है, दुबइ से पैसा आता है, और मुंबई में बैठकर ये अपना धंधा चलाते रहते हैं।

कुछ स्‍टार के स्‍टारडम के लिए सुशांत सिंह राजपूत थ्रेट था

यहां के कुछ स्‍टार को लगा कि यह उनके स्‍टारडम के लिए थ्रेट बनकर आ रहा है। इस लिए उन्‍होंने उसे नीचा दिखाना शुरू कर दिया। ये जितने तथा‍कथित स्‍टार हैं ये खान बंधु या अन्‍य। जाकर दखिए, वे धोनी जैसी फिल्‍म नहीं बना सकते। उसमें कमाल का काम किया है सुशांत सिंह राजपूत ने। उसकी फिल्‍म छिछोरे देखिए, क्‍या काम किया है उसने। मगर उसे किसी ने कोई अवार्ड नहीं दिया। मगर दर्शकों की नजर में वह लाइमलाइट लेकर चला गया। यह उन लोंगों से देखा नहीं गया।

सुशांत सिंह राजपूत पढालिखा था, अक्‍लमंद था, आत्‍म सम्‍मान से भरा आदमी था। लोगो में वह लोकप्रिय होने लगा था। दर्शक उसे काफी पसंद करते थे। उसके काम की सराहना होने लगी थी। उसके अभिनय को लोग एप्रीसिएट करने लगे थे।

कौन आदमी सुसाइड करता है? सेंसिटिव लोग सुसाइड करते हैं। सुशांत सिंह राजपूत एक स्पिरिचुअल आदमी था। उसको इस पूरे गैंग ने चारों तरफ से घेर लिया। इसकी फिल्‍मों को रिलिज होने की दिक्‍कत होने लगी।  उसको फिल्‍म मिलने में दिक्‍कत होने लगी। इसके फिल्‍मों के रिव्‍यू खराब छापे जाते थे। 

वह अंडरवर्ल्‍ड के नियम कानून में बंधने वाला नहीं था। इसलिए अंडरवर्ल्‍ड ने उसे कोरनर में ढकेल दिया। उसे उस जगह पहुचा दिया कि उसके पास कोई दूसरा चारा नहीं रह गया।

जब उसकी मौत हो गयी तो ये लोग बेशर्मी के साथ दिखावटी आंशू बहाने लगे। एक खास तरह के नैरेटिव सेट करने लगे। बौलीवुड को कवर करने वाले जो पत्रकार हैं वे लगभग तमाम लोग दलाल किस्‍म के लोग हैं। वे एक बोतल दारू और थोड़े से पैसे पे बिक जाते हैं। उनमें सच लिखने की औकाद नहीं है। वे इसी गैंग के चट्टेवट्टे बनकर पाठकों को पागल बनाते रहते हैं । उनकी लिखावट में न कोई गम्‍भीरता है, न समाज के प्रति उनकी जिम्‍मेदारी दिखती  है। बस चाटुकारिता दिखती है। वे विके हुए लोग हैं और वे उसी हिसाब से फिल्‍मों के रिव्‍यू छापते हैं। वे एक तरह का धंधा करते हैं। इस हत्‍या में उनकी भी भूमिका है। 

अवार्ड सेरीमोनी ब्‍लैक मनी को ह्वाइट मनी करने का एक जरिया है

ये जो अवार्ड सेरीमोनी है, वह भी दाउद इब्राहिम के ब्‍लैक मनी को ह्वाइट मनी करने का एक जरिया है। नहीं तो आप सोचिए कि गुटका बनाने वाली कम्‍पनी का फिल्‍म अवार्ड देने का क्‍या तुक बनता है। फिल्‍म मेकिंग में उनकी क्‍या एक्‍सपर्टीज है ? फिल्‍म मेकिंग की उनको कितनी समझ है और इससे उनका क्‍या लेना देना है? उनकी एक्‍सपर्टीज तो इस फिल्‍ड की है ही नहीं। जो अवार्ड के हकदार हैं, उन्‍हे वे अवार्ड नहीं देते।  

बॉलीउड में कितना गंद फैला हुआ है 

सरकार आख पर पट्टी बांधकर सोई हुयी है। उसको मालूम होना चाहिए कि बौलीउड में कितना गंद फैला हुआ है। ईडी का रेड क्‍यों नहीं होता इनके ऊपर? मगर ऐसा होगा नहीं क्‍योंकि नेता और व्‍यूरोक्रैट भी इसमें शामिल हैं।
प्रधान मंत्री और गृह मंत्री सेवेदना जाहिर कर रहे हैं, यह काफी नहीं है। अगर वे आगे इस इंडस्‍ट्री को बचाना चाहते हैं, तो इसकी सफाई करनी पड़ेगी। इस बौलीवुड इंडस्‍ट्री को ड्रग की बीमारी, हवाला की बीमारी, प्रोस्‍टीच्‍यूशन की बीमारी, गैंगवाजी की बीमारी, नेपोटिज्‍म की बीमारी, एक्‍सप्‍लोइटेशन की बीमारी से बचाना होगा।  कहां यह कभी कला का मंदिर हुआ करता था और कहां आज गंद का पहाड़ बन गया है। कीचड़ का झील है। यहां टैलेंटेड लोगों के साथ उचित व्‍यावहार नहीं होता है। उसे गुलाम बनाने की प्रवृत्ति पिछले कई दशक से बरकरार है। सुशांत सिंह राजपूत की आत्‍महत्‍या चीख चीख कर इन्‍हीं सच्‍चाइयों का रहस्‍योदघाटन करता है।

सुशांत सिंह राजपूत के आत्‍महत्‍या या हत्‍या के मामले में यदि संबंधिक हस्तियों को नारको टेस्‍ट हो तो सत्‍य सामने आ जाएगा कि वे कौन लोग थे जिनकी इसमें प्रत्‍यक्ष या परोक्ष रूप से भूमिका थी। सुशांत सिंह राजपूत के आत्‍महत्‍या ऐसे बहुत सारे दुखद सवालों को  छोड़ कर जा रहा है जिसपर लोग बरसों सोचेंगे। 

संदीप सिंह सुशांत सिंह के मामले में मुख्‍य अभियुक्‍त हो सकता है

अब तक मीडिया में जो लेटेस्‍ट अपडेट हैं उससे ऐसा लगता है कि उसकी हत्‍या की गयी है। और उसमें उसके दो नौकर और उसका दोस्‍त संदीप सिंह, उसका एक स्‍टॉफ सिद्धार्थ विठारी, सोबित चक्रवर्ती शक के दायरे में आते हैं। संदीप सिंह इस बात पर बल दे रहा है कि सुशांत सिंह ने आत्‍म हत्‍या की है। उसने अपने इंटरव्‍यू में यह भी कहा है कि नेपोटिज्‍म का मामला जो मीडिया उठा रहा है वह मीडिया के दिमाग की उपज है, फिल्‍म इंडस्‍ट्री में ऐसी कोई बात है नहीं। यह जो फिल्‍में छीने जाने का मामला है यह मीडिया के दिमाग की उपज है। इन सब बातों पर ध्‍यान नहीं दिया जाना चाहिए।  

संदीप सिंह ने जैसे यह वयान मीडिया को दिया तो सुशांत सिंह राजपूत के परिवार से दो लोग काउंटर करने के लिए सामने आए हैं। पहले हैं नीरज कुमार जो सुशांत सिंह राजपूत के कजन हैं। वे कह रह रहे हैं कि मुंबई पुलिस संदीप सिंह के बयान को गंभीरता से न ले। दूसरे सुशांत सिंह राजपूत के करीबी हैं नीलोत्‍पल जो कहते हैं  कि संदीप सिंह के मोबाइल फोन की जांच होनी चाहिए। सुशांत सिंह राजपूत के मौत के बाद उसके सोशल मीडिया अकाउंट से करण जौहर  को फौलो किया जाता है। नीलोत्‍पल म्रिणाल का कहना है कि संदीप के पास सुशांत सिंह राजपूत के सोशल मीडिया अकाउंट का पास वर्ड हो सकता है और ऐसा संभव है कि वह उस सोशल मीडिया अकाउंट को ऑपरेट करता हो। अत संदीप सिंह के मोबाइल फोन की फोरेंसिक जांच करायी जाय। वह सुशांत सिंह के मरने के बाद उसका इंस्‍टाग्राम एकाउंट चला रहा है। संदीप सिंह सुशांत सिंह राजपूत के सबसे नजदीकी दोस्‍त थे वह नेपोटिज्‍म को खारिज करता है, वह सबको किस आधार पर क्लिन चिट दे रहा है।‍ संदीप सिंह सुशांत सिंह राजपूत के मामले में मुख्‍य अभियुक्‍त हो सकता है।                                                                                                                                                                                                                                                 

पूर्व एमएलए बाबा सिद्दकी की इस मामले में दखलअंदाजी

सुशांत सिंह राजपूत की बहन स्‍वेता के स्‍वसुर हैं द्वेष नारायण ने ट्विट किया है कि बांद्रा के पूर्व एमएलए बाबा सिद्दकी इस मामले में दखलअंदाजी कर रहे हैं। उनका कहना है कि सलमान खान और उनकी फैमिली इस मामले में इनवोल्‍व हो सकते हैं।
इसमें महेश भट्ट, की भूमिका भी संदेहास्‍पद है। करण जौहर और आदित्‍य चोपरा की भूमिका दिखायी देती है। यश फिल्‍म ने सुशांत सिंह राजपूत को ३ फिल्‍मों के लिए साइन कर उन्‍हें लॉक कर दिया था कि जबतक उनकी ये तीन फिल्‍में पूरी नहीं होती तबतक वे किसी अन्‍य के साथ काम नहीं कर सकते। ऐसा ही एग्रीमेंट तो उन्‍होंने रणवीर सिंह के साथ भी किया था मगर उसे उन्‍होंने छूट दी और वह संजय लीला भंसाली के साथ काम कर पाया और सुशांत सिंह को उसी ने उलझा कर रखा और उसके हाथ से कई ऑफर निकल गये। संजय लीला भंसाली उसे रामलीला में लेना चाहते थे मगर ऐसा नहीं हुआ। बाजीराव मस्‍तानी के लिए भी सुशांत सिंह राजपूत उनकी पहली पसंद थे मगर यशराज फिल्‍म के कॉन्‍ट्रैक्‍ट और साजिश के कारण वह फिल्‍म उसके हाथ से निकल गयी जबकि उसने रणवीर सिंह को बाहर काम करने में उन्‍हें कोई ऐतराज नहीं हुआ। इसलिए देखा जाय तो ये सभी लोग आरोपी के दायरे में आते हैं                                                                               
शिवसेना का मुवी माफिया के बचाव में उतरना

शिवसेना का मुखपत्र सामना के एक्‍सक्‍यूटिव एडिटर संजय राउत ने एक ऐसा लेख लेख प्रकाशित किया है जिससे लगता है कि महाराष्‍ट्र सरकार इस मामले को दबाना चाहती है। वह फिल्‍म माफिया के बचाव में उतर आयी है।  वे लिखते हैं कि हम बाला ठाकरे के बायोपिक के बाद जार्ज फर्नांडिस पर बायोपिक बनाने जा रहे थे। हमारी नजर में सुशांत सिंह राजपूत थे। लेकिन हमे बताया गया कि उनकी मानसिक स्थिति खराब है, वे डिप्रेशन में हैं। उनका व्‍यवहार प्रोडक्‍शन हाउस के साथ अच्‍छा नहीं है। वे अपने आर्टिकल में सुशांत सिंह राजपूत की छवि एक आमेनाइजर की तरह पेश करते हैं। अपने लेख में वे लिखते हैं कि सुशांत सिंह राजपूत के कम से कम दस अभिनेत्रियों से लफरों (गलत संबंध) का खुलासा हुआ है। कई लड़कियों से उसका ब्रेकअप हुआ जिससे वह निराश हो गये। दरअसल इस लेख से लगता है कि महाराष्‍ट्र प्रशासन स्‍वयं मुवी माफिया के बचाव में उतर गया है।

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