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Islam is a crisis for the world: Prsident Macron

 

Macron and Modi



 

फ्रांस के सदर इमैनुएल मैक्रोन ने कहा कि इस्‍लाम पूरी दुनियां के लिए खतरा है। इससे निपटने के लिए पूरी दुनियां को साथ आना चाहिए। जहां दुनियां के दूसरे राष्‍ट्राध्‍यक्ष पोलिटिकली करैक्‍ट होने का पोस्‍चर धारण कर रहे हैं वहीं भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी सबसे पहले सामने आकर मैक्रोन के समर्थन में खड़े हुए और उन्‍हे हर तरह का समर्थन का वादा किया।

श्री मैक्रोंन ने कहा कि इस्‍लाम कोई धर्म नहीं है, यह एक पोलिटिकल आइडियोलॉजी है। यह पूरी दुनियां के लिए खतरा है। इस आइडियोलॉजी की मान्‍यता है कि दूसरे धर्म के लोगों को खौफ में रखो।

फ्रांस बदलाव से गुजर रहा है

फ्रांस बदलाव से गुजर रहा है। उसने इसलाम को बैन करना शुरू कर दिया है। डेनमार्क में काफी पहले हजरत मुहम्‍मद का कार्टून बना था। उसके बाद चार्ली हैबडो में बना। मगर इसबार फ्रांस में जो कुछ हुआ और पूर्व की घटनाओं में फर्क है। पूर्व में किसी राष्‍ट्राध्‍यक्ष ने इस सिद्दत से इसका विरोध नहीं किया था।

 

फ्रांस में एक टीचर अपने बच्‍चों को कैरीकूलम के अंतर्गत फ्रीडम ऑफ स्‍पीच पढा रहे थे। उसके बाद उनका कत्‍ल हो गया। उसके बाद जो फ्रांस में हुआ उसमें कुछ खास बात है।

 

ये जो शिक्षक थै श्री पैटी, वे कैरीकूलम के तहत फ्रीडम ऑफ स्‍पीच पढा रहे थे। उन्‍होंने खुद कार्टून नहीं बनाया था। वे पूर्व के बने कार्टून ही दिखा रहे थे। उस समय उन्‍होंने यहां तक कहा कि जिन लोगों को यह ऑब्‍जेक्‍शनेबल लगे वे क्‍लास से बाहर चले जांय।

 

इसके बावजूद इतनी बर्बरता से उनका सर कलम नकीचप किया गया। इतना ही नहीं पाकिस्‍तान के पीए इमरान खान, तुर्की के सदर अर्दोगान, और मलेसिया के सदर महातिर मुहम्‍मद की प्रतिक्रिया उससे भी नकारात्‍मक आयी। महातिर मुहम्‍मद, अर्दोगान, इमरान ने वही बात कही जो बहुत से अन्‍य मुसलमान बोलना चाहते हैं। पूरे इस्‍लामिक दुनियां में एक जैसी मानसिकता है। भारत में भी आप इसका रिजोनेंस देख सकते हैं। इनका भी उद्देश्‍य वही है। इनकी भी मानसिकता वही है।

 

इस घटना के बाद फ्रांस के राष्‍ट्रपति मैक्रोन ने यह फैसला लिया कि उनके शाहरों में हजरत मुहम्‍मद के कार्टूनों को लेजर बीम से दिखाया जाय। दीवारों पर उनके पोस्‍टर लगाएं जांए। उन्‍होंने कहा कि फ्रांस पूरी ताकत से अपने उस टीचर के साथ खड़ा है। फ्रांस इससे डरा नहीं। मसजिदों पर बैन लगाए गये। कुरान पढाने पर बैन लगाया गया।  

इस्‍लामी जिहादियों की संस्‍कृति कई सालों से पनप रही है

फ्रांस में इस्‍लामी जिहादियों को लेकर एक खास तरह की संस्‍कृति कई सालों से पनप रही है। वे अपने विशिष्‍ट मोहल्‍लों में रहते हैं। वहां सरिया कानून चलता है। वे अनजान लोंगों से छीन झपट करते हैं। खासकर विदेशी लोगों से वे पैसे मांगते हैं और आप नहीं देते हैं तो वे वायोलेंट हो जाते हैं। फ्रांस में यह आम बात है। पूरे यूरोप में बोटबैंक राजनीति के तहत वहां के बामपंथी किस्‍म के लोगों ने मुस्लिम शरणार्थिओं को बसाना आरंभ किया था।

भारत में यह समस्‍या और भी पुरानी है

भारत में यह समस्‍या तो और भी पुरानी है। स्‍वामी श्रद्धानंद की हत्‍या तो सौ साल पहले १९२० में इन्‍हीं कारणों से हो चुकी है। वहां से चलकर कमलेश तिवारी तक की हत्‍या इसी मानसिकता की उपज है। हाल में बल्‍लभगढ में भी ऐसा ही कुछ हुआ था। एक मुसलमान लड़के ने एक हिंदू लड़की को इसलिए गोली मार दी कि लड़की ने मुसलमान इश्‍कबाज लड़के से शादी करने और कनवर्ट होने से मना कर दिया। आए दिन भारत के अनेक हिस्‍सों में ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। भारत के लिए यह नयी घटना नहीं है। यहां का मुसलमान पिछले सौ सालों से यह काम कर रहा है। और हम झेल रहे हैं।

सदर मैक्रोन ने इस पर एक स्‍ट्रांग डिसिजन लिया

फ्रांस के सदर मैक्रोन ने इसपर एक स्‍ट्रांग डिसिजन लिया। मसजिदें बंद कर दी। बीजा पर पावंदी और मुसलिमों को डिपोर्ट करने की बात चल रही है। इस मसले पर भारत सरकार फ्रांस के साथ खड़ी है। भारत में मुसलमानों को इस पर गुस्‍सा है।

 

इसलाम में यह कहा गया है कि आपको काफिर को गला रेत कर मारना है। इससे काफिरों में डर पैदा होगा। यही वे चाहते हैं। हमारे यहां यह सिलसिला सदियों से चला आ रहा है। हमारे यहां हजारों ऐसे किस्‍से हैं । भारत में सदियों से लगातार ऐसा होता आ रहा है। अंकित सक्‍सेना हो, राहुल राजपूत हो, या अन्‍य अनेक बारदात हो । हमारे यहां यह कोई नयी बात नहीं है।

नरेंद्र मोदी सदर मैक्रोंन के साथ खड़े हैं

नरेंद्र मोदी भारत के पहले प्रधान मंत्री हैं, जिसने सदर मैक्रोंन के उस जेसचर को, उसके एक्‍शन को जसटिफाइड ठहराया है, जिसमें उन्‍होंने हजरत मुहम्‍मद के कार्टून को देश भर में दीवारों पर लगाए। यह भारत का एक बदला हुआ नैरेटिव है।

मुसलमानों को अपने पूर्वज, अपनी मिट्टी, अपने वतन, अपनी भाषा, अपनी मूल संस्‍कृति से दुश्‍मनी है

चाहे वह यूरोप हो, चाहे वह अफ्रीका हो, चाहे वह अरब हो, चाहे वह चेचिनिया हो, चाहे वह अमेरिका हो, चाहे वह अस्‍ट्रेलिया हो, चाहे वह भारत हो, जहां भी मुसलमान रहते हैं, पैटर्न एक जैसा है, मानसिकता एक जैसी है, जिहाद का स्‍वरूप एक जैसा है। उनको अपने पूर्वज, अपनी मिट्टी, अपने वतन, अपनी भाषा, अपनी मूल संस्‍कृति से दुश्‍मनी है। इस्‍लाम का इतिहास इसका गवाह है।

 

अंकित सक्‍सेना को २०० बार चाकू मारा गया। कमलेश तिवारी को गोली भी मारी और कई बार उनको चाकू धोंपा गया। फ्रांस में भी इसी तरह की बर्बरता के साथ उस शिक्षक की हत्‍या की गयी।

मुसलमानों के जेहन में दहशतगर्दी कूट कूट कर भरी हुयी है। रैडिकलैजेशन दुनिया के कुछ और मजहबों में भी है, मगर सबसे कम उम्र में इसलाम में रैडिकलैजेशन होता है।

मुसलमानों  में कारैडिकलैजेशन अल्‍पावस्‍था में शूरू हो जाता है

मुसलमान के बच्‍चे का रैडिकलैजेशन तीन साल से, जब वह बोलने लगता है, शूरू हो जाता है।  तीन साल के बच्‍चे के सर से टोपी नहीं उतरेगी। उसको इस बात का ऐहसास दिलाना शुरू हो जाता है कि यह उसका बतन नहीं है। उसका तआल्‍लुक किसी और दुनिया से है।

 

कुछ लोग यह भी कहते हैं कि इसलाम में रेडिकलाइजेशन बढ रहा है। मगर सच तो यह है कि उसका जो मजहबी आधारभूत किताब है, उसका आधार रेडिकलाइजेशन ही है। कुछ लोग यह फ्रॉड करते हैं कि कट्टर मुसलमान और लिबरल मुसलमान के नाम से मुसलमानों की दो श्रेणी बनाते हैं। लिबरल मुसलमान जैसा कुछ नहीं होता है। आपको बाहर से यह धोखा होता है। प्रोबलैम मुसलमान नहीं है। प्रोबलेम उनकी किताब कुरान है। इसलिए पूरी दुनियां में मुसलमानों ने प्रोबलेम खड़ा किया है, वह एक जैसा है, क्‍योंकि उनकी किताब एक है। जितने रेडिकलाइज्‍ड लोग हैं, उन्‍होंने कुरान को ठीक से पढा है। वे इस किताब के सही फौलोअर हैं।  

 

केबल एक हमले से उनको सं‍तुष्टि नहीं होती है। इसीलिए कभी आप देखेंगे कि किसी को वे २०० बार चाकू मारते हैं, किसी को गोली मारने के बाद चाकू मारते हैं। आप देखेंगे कि,  किसी स्‍क्‍वाड्रन लीडर आहूजा का वे दांत तोड़ देंगे, किसी हेमराज का सर काट देंगे। इनको यह शिक्षा मिली है कि खौफ कैसे पैदा की जाती है, टेरर कैसे पैदा किया जाता है।

फ्रांस का असर पूरी दुनियां में दिख रहा है

फ्रांस में जो हुआ आज पूरी दुनियां में उसका रिपल्‍स दिख रहा है। पूरी दुनियां में इसका असर दिख रहा है। क्‍या किसी निरपराध शिक्षक को इतनी बेरहमी से सिर कलम कर दिया जाय । इतने से भी नहीं मन भरा तो नाइस के एक चर्च में उन्‍होंने हमला किया। तो क्‍या देश के सदर को दुखी होने का भी हक नहीं है?  

 

आप याद करें २०१५ में चार्ली हैबडो के कार्यालय में घुस कर इन्‍होंने दर्जनो लोगों को मारा था। उसके बाद भी नाइस में हमला हुआ था। जुलाई २०१६ में फ्रांस के नोर्टन में एक ट्रक चला कर ३६ लोगों को कुचल कर मार दिया गया। उनको दरिंदगी का पाठ बचपन से पढाया जाता है। १४०० साल पहले अली को भी चाकू से मारा गया था।

 

१९२९ की एक घटना है, लौहौर में एक पंडित लाल थे। उन्‍होंने एक किताब लिखी, रंगीला रसूल। राजपाल पबलिसर ने उसे छापा था। उसके बाद कुछ हंगामा हुआ। एक इल्‍मुदिन नामक लड़के ने राजपाल के छाती में खंजर घोंप दिया। उस लड़के का मुकदमा मुहम्‍मद अली जिन्‍ना ने लड़ा। उस लड़के को फांसी हो गयी। उसके जनाजे में मुसलमानों की भीड़ उमर पड़ी । उसमें सबसे आगे चलने वालों में लोकप्रिय शायर इकबाल शामिल थे। इकबाल ने उसके जनाजे को अपने हाथों से कब्र में रखा। उन्‍होंने कहा था कि इस लड़के ने हम पढ़े लिखे लोगों को रास्‍ता दिखाया है।

इसलाम पूरी दुनिया के लिए खतरा है

 

इसलाम पूरी दुनिया के लिए खतरा है। यही फ्रांस के सदर मैंक्रोन का कहना है। इसलाम कोई धर्म नहीं है। यह एक पोलिटिकल आइडियोलॉजी है। जिसकी मान्‍यता है कि दूसरे धर्म के लोगों को खौफ में रखो। अब अन्‍य धर्म के लोगों को सोचना है कि उनको कैसे रहना है।

 

 

कुरान में गैर मुसलिमों के लिए मुसलमानों को जो उपदेश दिए गये हैं उसमें से कुछ आयतों का मैं यहां उल्‍लेख करता हूं:

 

कुरान की शिक्षा और उपदेश :

 

१०-९-५: हुरमत वाले महीने के खत्‍म होते ही (ईद के बाद) मूर्तिपूजकों की ताक में हर गली कूचे में बैठ जाओ, उनका घेराव करो, उनको जहां पाओ वहीं कत्‍ल करो, नहीं तो उन्‍हें बंदी बनाओ और अगर वे मूर्तिपूजा से तौबा कर लें या जकात देने पर राजी हो जायें या नबाज पढने लगें तो उनको छोड़ दो।

०६-५-३५: हे मुसलमानो, अल्‍हाह ताला से डरो और उसकी नजदीकी हासिल करने की कोशिश  करो। उसकी राह में जिहाद करो। इसी में तुम्हारी भलाई है।

१०-८-६९: तुम जो धन लड़ाई से हासिल करते हो वह हलाल और पाक (पवित्र) है। उसे खाओ और अल्‍लाह से डरते रहो।

०६-५-३३: यहूदी की सजा अल्‍लाह ताला ने यह तय की है कि उसे मार दिया जाय या फांसी पर लटका दिया जाय।

०५--४-१०१: काफिर (जो इसलाम को नहीं मानते हैं) तुम्‍हारे खुले दुश्‍मन हैं। उनको मारो।

११-९-१२३: ऐ इमान वालों, पहले उन काफिरों से लड़ो और उनको मारो जो तुम्‍हारे आस पास हैं। उनको लगना चाहिए कि तुम उनके लिए सख्‍त हो।

-४-५६: जो लोग हमारी (कुरान की) आयतों से इनकार करते हैं, उस पर यकीन नहीं करते हैं, उन्‍हें आग में जला दो ताकि वे अजाब का मजा चखें।

१०-९-१४: मुसलमानों तुम काफिरों से जंग करो, उनको तकलीफ दो, उन्‍हें जलील करो, उनको बेइज्‍जत करो। अल्‍लाह तुम्‍हारी मदद करेगा।

१०-९-२९: मुसलमानोंउनलोगों से लड़ो जो अल्‍लाह और आखिरत (कयामत आने वाला है) और रसूल (हजरत मुहम्‍मद) पर विश्‍वास नहीं करते हैं। उनसे लड़ो जो रसूल द्वारा जो चीजें हराम घोषित की गयी हैं उसे हराम नहीं मानते। उनसे लड़ो जो सच्‍चे दीन (इसलाम) को कबूल नहीं करते हैं। उनको जलील करके उनसे जजिया वसूल करो।

 

२२-२३-६१: मुनाफिक अर्थात मिथ्‍याचारी (जो इसलाम का मजाक उड़ाते हैं) को जहां भी पकड़ो उसके टुकड़े टुकड़े कर दो।

१०-८-६९: काफिरों से लड़ो, उसको मारो, उसका धन लूटो, और उसे आपस में बांट कर खाओ। यह हलाल का माल है। बेशक अल्‍लाह रहम करेगा, और तुम्‍हें बक्‍श देगा।

२८-६६-९: हे नबी, काफिरों और मुनाफिकों से जिहाद करो और उनसे कड़ाइ से निपटो। उनको नरक में पहुचाओ।

२४-४१-२७: बेशक काफिरों को सख्‍त अजाब का मजा चखाओ। उनसे उनके बुरे अमल (मूर्तिपूजा) का बदला जरूर लो।

२४-४१-२८: काफिर अल्लाह के दुश्‍मन हैं। उनका बदला नरक की आग है।  हमारी आयतों के इनकार का यह बदला है

११--११: अल्‍लाह ने मुसलमानो के जान और माल को खरीद लिया है। वह उसे इसके एबज में जन्‍नत अता करेगा। अगर वह अल्‍लाह की राह में कत्‍ल करता है या कत्‍ल होता है तो दोनो ही हालात में अल्‍लाह का वादा है कि उसे वह जन्‍नत अता करेगा। अल्‍लाह तौरात एंजिल और कुरान की कसम खाता है।

 

१०--६८: अल्‍लाह का वादा है कि वह मुनाफिक और काफिर मर्दों और औरतों को जहन्‍नुम मे पहुचाकर ही दम लेगा। उनको हमेशा वहीं रहना पड़ेगा। अल्‍लाह ने उनको लानत भेजा है।

--५१: हे इमानवालों (मुसलमानों) तुम यहूदी और इसाइयों को अपना दोस्‍त मत बनाओ। वे लोग जालिम होते हैं और अल्‍लाह ताला जालिमों को हिदायत नहीं देता।

--१४: जो लोग अपने को ईसाइ कहते हैं, हमने उनके बीच आपस में दुश्‍मनी और नफरत डाल दिया है। यह उनके बीच कयामत तक रहेगी।

--८८ तथा ८९: काफिरों को खुद अल्‍लाह ने गुमराह कर दिया है। उससे तुम बाह‍र से चाहो तो दास्‍ती करो मगर उसे हकीकी दोस्‍त मत बनाओ। अगर हो सके तो उसे अल्‍लाह की राह पर लाओ और अगर वह मुंह फेर ले तो उसको बहला फुसला कर घर लाओ और कत्‍ल कर दो।     

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