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| Swami Vivekanand | 
भारत को हिंदु राष्ट्र होना चाहिए। आम तौर से हिंदु ऐसा कहने से शर्माते हैं। पाकिस्तान कहता है कि हम इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान हैं मगर भारत सेकुलर रहे।
फंडामेंटलिस्म
वामपंथी कहते हैं कि फंडामेंटलिस्म एक खराब विचार है। मैं कहता हूं कि ऐसा नहीं है। अगर फंडामेंटल अच्छा होगा तो फंडामेंटलिस्ट भी अच्छा होगा। अगर फंडामेंटल खराब होगा तो फंडामेंटलिस्ट भी खराब होगा।
सनातन धर्म सबको समाहित करनेवाला धर्म
हिंदुओं का जो सनातन धर्म है, वह सबको समाहित करनेवाला धर्म है, युनिवर्सल है, ऐंथ्रोपोसेंट्रिक है। यह हेयर एंड नाउ पर केंदित है। यह किसी काल्पनिक दुनियां की बात नहीं करता है।
इस्लाम तो कहता है कि जो कुछ है, वह इस जीवन के बाद है, आखिरत के बाद है। क्रिश्चन कहता है कि जीवन पाप है। पाप से ही जीवन की शुरुआत भी हुयी है। बुद्धिज्म कहता है कि जीवन कष्ट है।
वहीं सनातन धर्म में मुक्ति और मौक्ष का कांसेप्ट है। वह कहता है कि आप जो कुछ प्राप्त करना चाहते हैं, वह इसी जन्म में प्राप्त कर सकते हैं। सनातन का फंडामेंटल्स तो साउंड है। इसलिए हिंदु फंडामेंटलिज्म तो बहुत अच्छा है। यहां तो किसी को जिम्मी (दूसरे दर्जे का नागरिक) होना नहीं है। फिर इसमें दिक्कत क्या है?
सनातन धर्म जीवन की सर्वोत्तम आइडियोलॉजी है। यह समानता पर आधारित है। भारत के प्रोब्लेम का हल ही हिंदुराष्ट्र है। जब हिंदुराष्ट्र होगा तो सबको बराबर अधिकार मिलेंगे।
भारत का स्यूडो सेकुलरिज्म
आज भारत सेकुलर है। इसकी ८० प्रतिशत आवादी जो हिंदु है, उसको समान अधिकार नहीं है। वह अपने ही देश में दूसरे दर्जे का नागरिक है। वह सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक शोषण का शिकार है।
यहां ७० सालों से तुष्टीकरण की नीति फौलो की जा रही है। तथाकथित माइनोरिटी इसका फायदा उठाते हैं। आज भारत की राजनैतिक संरचना दुनिया भर में सबसे खराब है। इसका एक मात्र उपाय सनातन धर्म और उसकी शिक्षा है, जो इस देश को इस बुराई से निजात दे सकता है। हिंदु राष्ट्र समानता पर आधारित है।
भारत का संविधान की पहली कॉपी देखें तो यह हिंदुराष्ट्र की बात करता हुआ दिखता है। उसके पहले ही पेज पर भगवान राम हैं, माता सीता हैं । बाद में जो प्रतियां छपीं उससे उसे हटा दिया गया। यह राष्ट्र के साथ कांग्रेस का एक षडयंत्र है।
भारत की जमीन पिछले हजारों साल से हिमालय और समंदर की वजह से आक्रांताओ से सुरक्षित रहा है। यहां के लोगों ने ना किसी पर हमला किया है। दरियाए सिंध ही तो हिंद है। आज हिंदुओं को निकाल बाहर कर सिंध पर मुसलमानों का कब्जा है। लाहौर कभी सिक्खों और हिंदुओं का गढ हुआ करता था । आज वे खोजने से भी वे नहीं मिलते हैं। लाहौर हिंदुओं का मक्का हुआ करता था। कसूर राम के पुत्र लव कुश का शहर था। स्वाद घाटी हिंदुओं की घाटी थी। तक्षशिला में हिंदुओं का विश्वविद्यालय था। आज सब भारत के हाथ से निकल चुका है।
भारत की शिक्षा नीति
भारत के जो पहले शिक्षा मंत्री थे, मौलाना अबुल कलाम आजाद हुए, वे पैन इस्लामिस्ट थे। भारत में ऐसे लोगों को इतिहास लिखने का ठेका दिया गया जो कोम्यूनिस्ट थे। वे यह मानने को ही तैयार नहीं हैं कि भारत हिंदुओं का मुल्क है। वे तो यह कहते हैं कि अंग्रेजों के आने से पहले भारत था ही नहीं। अंग्रेजों ने भारत को एकीकृत किया।
यदि हिंदुस्तान हिंदुओं का मुल्क नहीं है तो हिंदु कहां जाकर बसे
आप जरा सोचें कि यदि हिंदुस्तान हिंदुओं का मुल्क नहीं है तो हिंदु कहां जाकर बसे। आज ५७ देश मुसलमानों का देश हैं। ब्रिटेन प्रोटेस्टेंट क्रिश्चन का देश है। जर्मनी को आप देखे क्रिश्चन डेमोंक्रेटिक पार्टी हमेशा से मुख्य धारा में है। इटली और स्पेन के अंदर कैथोलिस्म है। ग्रीक की अपनी सिविलाइजेशन है। यह हमारी बदनसीबी है कि हम भारत में रहकर भी हिंदुत्व को गाली दें। सावरकर को गाली दें और नेहरू जैसे फ्रॉड, जिसने भारत का कुर्सी के लिए सत्यानाश किया, उसके लिए कसीदे पढें। नेहरू एक कोम्यूनिस्ट थे। कोम्यूनिस्ट एक सेट दायरे के बाहर देखना ही नहीं चाहते हैं। उनका नजरिया बहुत संकुचित होता है। उनमें भयानक दोहरापन होता है। उनका कोई देश नहीं होता है। उनका कोई धर्म नहीं होता । उनको अपने स्वार्थ के अलाबा कुछ दिखाई नहीं देता है। इस देश को मुसलमानों ने और कोम्यूनिस्टों सत्यानाश किया है।
भारत में इतिहास लेखन
भारत
में जिन कोम्यूनिस्टों ने इतिहास लिखा उन्हें हिंदु सिविलाइजेशन से चिढ़ है। उन्होंने
इतिहास  को तोड़ मरोड़कर लिखा। भारत के
इतिहास में राजा दाहिर का जिक्र तक नहीं है। वह पहला भारतीय राजा था, जिसने अरबों
से जंग लड़ी। उस लड़ाई में वे हार गये । मुहम्मद कासिम जीत गया। वह राजा दाहिर की बेटियां
सहित ३० हजार भारतीय स्त्रियों को उठा कर ले गया और दमिस्क के बाजारों में बेच
दिया। हमे यह पढाया ही नहीं जाता, क्योंकि
इससे गंगा जमूनी तहजीब का चूरण नहीं बिक पाएगा। नेहरू और नेहरूवादी आस्तीन के
सांप हैं। ये हिंदुस्तान के दुश्मन हैं। उल्टे वही लोग बड़े बड़े आहदे पर फायज
हैं। जिनलोगों ने हमें लूटा उनके नाम पर गार्डेन है, सड़कें हैं, शहर हैं। यह नेहरू जी की देन है।
भारत बाइ डिफौल्ट एक हिंदु राष्ट्र है
भारत बाइ डिफौल्ट एक हिंदु राष्ट्र है। मगर भारत में पहले तो यह बात भी नहीं होती थी। कम से कम सामने नहीं आती थी। यह नरेंद्र मोदी की बरकत से अब बहुत तेजी से फैल रही है। और लोग खुलकर बात करने लगे हैं।
२०१५ में कनाडा के एक नागरिक तारिक फतह भारत आए थे। उन्होंने इस देश में कुछ तकरीरें की। कुछ मीडिया हाउस में वे आमत्रित हुए और भारत के बारे में कुछ बाते की तो उससे भारत के बहुत सारे हिंदुओं को झटका लगा कि यह बात अब तक दबी और छुपी क्यों है। यहां अगर उन विषयों पर कोई बात भी करता था तो बहुत लिहाज रखकर या दबे छुपे करता था।
नेहरू का षडयंत्र
नेहरू ने जो हमारा पहला शिक्षा मंत्री नियुक्त किया वह एक जाहिल आदमी था। वह कभी किसी फौरमल एडुकेशन का पार्ट नही रहा। उसने मुश्किल से मदरसे के आलिम उलेमा से कुछ तालीम हासिल की थी। वह एक पैन इस्लामिक था। आधुनिक शिक्षा से उसका कोई लेना देना नहीं था। भारत के बटबारे में मौलाना आजाद, जिन्ना और पंडित नेहरू का अहम किरदार था। मौलाना आजाद ने हिंदु स्क्रिप्चर पर बैन लगा दिया। किसी भी कैरीकूलम में हिंदुत्व के बारे में नहीं पढाया जाता था। जबकि इस्लामिक स्टडी और क्रिश्चनीटी की स्टडी के लिए कालेजों आर विश्वविद्यालयों में फेकैलीटिज बनायी गयीं।
कोम्यूनिस्टों का दोहरा चरित्र
भारत में जो कोम्यूनिस्ट हैं वे बात गरबों की करते हैं मगर वे खुद एलीट क्लास से आते हैं। उनका चाल चरित्र और चेहरा दोहरा है। वे बहुत बड़े मुनाफिक हैं, हाइपोक्रिट हैं। यह इकोसिस्टम इन्होंने ७० सालों में बनाया है। वे कहते हैं हमारा कोई धर्म नहीं है। हमारा कोई मुल्क नहीं है। राष्ट्र के प्रति हमारी कोई निष्ठा नहीं है। और देश में वे बड़े बड़े पदों पर फायज हैं। उनके पास विदेशों से चंदा आता है। वे दुश्मन मुल्कों के लिए जासूसी तक करते हैं। देश से उन्हें कोई लगाव नहीं है। इस इकोसिस्टम को बनाने में हमारे सोशलिस्ट, पैनइस्लामिस्ट, कोमुनिस्ट, आदि शामिल हैं।
इंदिरा गांधी तो नेहरू से भी आगे निकल गयी। उनका कोमुनिस्टों से पैक्ट हो गया और उसने हमारे सारी की सारी एडुकेशन सिस्टम को बाकायदा आउटसोर्स कर दिया।
हिंदु राष्ट्र क्या है?
जो यहां हिंदु राष्ट्र की बात करते हैं, उनकी मुराद हिंदु सिविलाइजेशन से है। युरोप या क्रिश्चेनिटी में इससे इसका अर्थ एथनिक है और इसलाम में वह रिलिजियस है। इसलिए इनको घालमेल करने से कंफ्यूजन पैदा होता है।
भारत में राष्ट्र एक सिविलाइजेशनल कांसेप्ट है। यह यूनिवरसलीटी की बात करता है। इसमें एक्सक्लूशनलिज्म नहीं है। यह युनिवरसल है। यह एंथ्रेपोसेंट्रिक है। यह थियो सेंट्रिक नहीं है। यह सर्वे भवंतु सुखिन: की बात करता है। फिर हिंदु राष्ट्र से किसी को क्या परेशानी है?

 

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