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हेंकडी निकल गयी फर्जी किसान आंदोलन के नेताओं की

 

Rakesh Tikait


 

यह स्‍पष्‍ट नज़र आ रहा है कि क्‍यों लोक तंत्र पर हमारे देशवासियों का भरोसा कायम है। सरकार दृढ़ता से अराजक तत्‍वों पर काबू पा रही है। गाजीपुर के टेंट उखड़ने लगे हैं। देश भर में इन गुंडों के पांव उखड़ चुके हैं। राकेश टिकैत कल तक सबसे बड़ा गुंडा दिख रहा था। वह कह रहा था कि मैं दिल्‍ली को आग लगा दुंगा। अब टिकैत भोकार छोड़कर रो रहा है।

 



योगी जी की पुलिस भारी संख्‍यां में गाजीपुर बोर्डर पर पहुंच चुकी है। जहां दिल्‍ली और उत्‍तर प्रदेश मिलता है उस चौक पर टिकैत दो महीने से बैठे थे।  गाजियाबाद के डिस्ट्रिक्‍ट मजिस्‍ट्रेट वहां पहुंच गये हैं। एडीजीपी पहुंच गये हैं। वहां आइजी पहुंच गये हैं। एसपी पहुंच गये हैं। दिन को इनको नोटिस इसू कर दिया गया। शाम को चेतावनी दे दी गयी कि इस जगह को खाली कर दें।   

 

सिंहू , टिकरी, चिल्‍ला, शाहांपुर, आदि सभी बोर्डरों को खाली कराया जा रहा है। कल तक इन नेताओं के साथ अपार जनसमूह था। उस जन समूह के साथ सरकार की सहानुभूति थी, क्‍योंकि उसमें बड़ी संख्‍या में वे भोले भाले किसान भी थे, जिसे ये लोग बरगला कर दिल्‍ली ले आए थे। सरकार की सहानुभूति को ये नेता अपने हथियार के तौर पर इस्‍तेमाल कर रहे थे। योगेंद्र यादव, गुरनाम सिंह चढूनी, सतनाम सिंह पन्‍नू, राकेश टिकैत, इस तरह बात कर रहे थे, जिस से लग रहा था कि देश ने इन्‍हें अपना नेता चुना है।

 

देश भर में इनका पर्दाफास हो चुका है। अब ये अपना मुंह छुपाते फिर रहे हैं। इन्‍होंने लोगों को भावनात्‍मक रूप से भड़काया था। जब इन्‍हें उसमें उवाल वढ़ता हुआ  दिखा तो इन सबों ने उसकी आड़ में देश को जलाने की तैयारी कर डाली। दिल्‍ली की सड़कों पर सामूहिक नरसंहार की योजना बनायी गयी। ऐसी तैयारी थी कि गोली चले और लोग मरें,  किसान मरे, मिडिया कर्मी मरें। और उसके बाद ये लोग उनकी लाशों पर तमाशा करें। मगर यह योजना फ्लप हो गयी।

 

केंद्र की मोदी सरकार और दिल्‍ली पुलिस ने संयम बरता। नहीं तो आज एक और जलियांबाला बाग २ दिखायी देता। दिल्‍ली पुलिस ने अपने ऊपर हमले सहन किए। पर गोली नहीं चलायी। इससे इनकी योजना फेल कर गयी। अब लोगों के समझ में आ गया कि ये खून खराबा चाहते थे और सरकार हर हाल में इससे बचना चाहते थे। पुलिस ने मार खाया मगर गोली नहीं चलायी। शाम तक इनका परदाफास हो गया। अब सब नदारत हैं।  

 

अब पुलिस इन्‍हें तलाश रही है। अधिकांश नेता फरार या अंडरग्राउंड हो गये हैं। राकेश टिकैत रोते हुए अनसन पर बैठ गया है। मतलब यह है कि इस आदमी के भीतर साहस नहीं है। यह कल तक का गुंडा आज गुब्‍बारा साबित हुआ जो अब फूट चुका है। बाक़ी भी गुब्‍बारे ही हैं। सब अब पुलिस से बचने की कोशिश कर रहे हैं।    

 

लोकतंत्र में जनता सबसे ऊपर है। ये लोग जहां भी बैठे थे वहां की जनता इनसे हाथ जोर कर विनती करती थी कि भैया ये तमाशा ख़त्‍म करो। हमें आने जाने में दिक्‍कत होती है। अब वही जनता इनकी पिटाई करने पर आमदा है।

 

दीप सिद्धू भागकर पंजाब में कहीं छुपा है। वह कल तक चैनलों पर जो बड़ी बातें कर रहा था, लगता है भूल गया है। अब वह विडियो बनाकर एकता की बातें कर रहा है। क्‍या उसे कैपटेन अमरेंदर की सरकार का समर्थन है? वह राहुल पियंका रौवर्ट का घनिष्‍ट है। इन सभी लुक्‍खों पर यूएपीए अर्थात  अनलॉफुल ऐक्‍टिवीटी प्रीवेंशन एक्‍ट लगे हैं। राकेश टिकैत कल तक कहता था कि पुलिस की बक्‍कल उतार लेंगे। आज उसकी अपनी चर्वी उतर गयी। 

 

अब बातें सामने आ रही है। जहां जहां ये लोग बैठे थे वहां नशा का कारोबार चल रहा था। दूसरे तरह की अैयाशियां भी  चल रही थीं। दूध बादाम पिस्‍ता चल रहे थे। मशीनो से रोटियां पकायी जा रही थीं। आंदोलनकारयों के कपड़े ड्राई क्लिन हो रहे थे। घुड़सवारी, तलवारवाजी, पहलवानी की तरवीयत चल रही थी। बाक़ी भी कई किस्‍म के चूचिआपे चल रहे थे।

 

पुलिस ने इन्‍हें जगह ख़ाली करने का अल्‍टीमेटम दे दिया है। इनके खिलाफ एफआइआर हो चुकें हैं। पुलिस इनकी तलाश में है। देश भर के लोगों के मन में खुशी है। पंजाब के गांवों में भी खुशी है। लोग चाहते हैं कि इन गुंडों के साथ कोई रियायत नहीं बरती जानी चाहिए। इन पर यूएपीए के अंतर्गत देश द्रोह का मामला दर्ज हो गया है। एक बार जब इन्‍हें जेल होगा तो शायद वापस आने का मौका नहीं मिलेगा। दिल्‍ली पुलिस के पास इनका कच्‍चा चिट्ठा है। उस डर की वजह से राकेश टिकैत रो रहा है।

 

अब सरकार को चाहिए कि उन कानूनो का कड़ाइ से लागू करे। अब डेढ़ साल स्‍थगित करने का मामला खत्‍म हो गया। अब यह स्‍पष्‍ट हो गया है कि ये लोग किसी भी हालत में किसानों का भला चाहते ही नहीं थे। ये किसान थे ही नहीं। ये सरकार को और सरकार के बहाने देश को अपमानित करना चाहते थे।

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