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| Local residents are opposing. |
नयी दिल्ली, ३० जनवरी: देश विरोधी शक्तियां आज भी दंगा कराने पर आमादा हैं। आज कई जगह पुलिसवालों पर क्रिपान से और तलवारों से वार किए गये। कई पुलिस के हाथ तलवार से कटे हैं या जख़्म आऐ हैं। लाठियां बरसायी गयी हैं। इसमें कई पुलिसवाले जख़्मी हुए हैं। वहां पर जो किसान नेता थे, वे भड़काने की कोशिश कर रहे थे। लोगों को नशा कराके, ड्रग्स देकर हमला कराया जा रहा हैं। उनकी मंशा है कि पुलिसवाले किसी तरह गोली चला दे।
पुलिस को सैल्यूट है
पुलिस को सैल्यूट है कि वे इतना संयम रखे हुए हैं। सिंधू बोर्डर पर कल १५ गांवों के लोगों ने अल्टीमेटम दे दिया था कि भैया तुमलोग इस गजह को छोड़कर जाओ नहीं तो हमसे तुम्हारा सामना होगा। आज वहां ४० गांवों की भीड़ ने उनको हटाने के लिए जमकर नारेवाजी की। अभी तक लोकल रेजीडेंट विरोध कर रहे थे, अब आस पास के चालीस गांवों के लोग जुट गये। लोगों ने नारेबाजी की। फिर दोनो तरफ से पत्थरवाजी भी हुयी। किसान नेता एक तरफ और प्रोटेस्टर्स दूसरी तरफ थे। पुलिस ने रोकथाम की।
अब आम लोगों में इनका विरोध शुरू हो गया है
अब आम लोगों में इनका विरोध शुरू हो गया है। अब ये कल भी आएंगे, परसो भी आएंगे। आज दोनो तरफ से पत्थरे चले मगर तमाम विडियो सूटिंग जो आज मीडिया में चल रहे हैं, उससे यह साफ है कि पथ्थर पहले इन राष्ट्र विरोधी, फर्जी किसानों की तरफ से चले हैं।
यह खालिस्तानियों का आंदोलन है। ये नहीं रूक पाएंगे। ये हमला करते रहेंगे। आज ४४ अफरात को इसके लिए गिरफ़्तार कर लिया गया है। थाने में उनकी सेवा की जा रही है। जारा का मौसम है। उन्हें गर्मी प्रदान की जा रही है। सभी अपराधियों को सज़ा मिलनी चाहिए।
इन आंदोलनो की आर में पाकिस्तान के आतंकवादी दिल्ली में धुस आए हैं। उनको स्पेस मिल गया। दिल्ली में इजरायल दूतावास के करीब धमाका हुआ है। बम फटा है। गृह मंत्री ने अपना बंगाल दौरा रद्द कर दिया है। जो लोग पाकिस्तान जाकर अपील कर रहे थे कि आप मोदी जी को हटाइए और हमे लाइए, वे इसमें शामिल तो नहीं हैं? इस आंदोलन में फौरेन फंडिंग का बड़ा हाथ है। यह धमाका वीवीआइपी इलाके में हुआ है। कार के परखचे उड़ गये। वहां से थोड़ी ही दूरी पर बिटिंग द रिट्रीट कारीक्रम चल रहा था। वहां फौरेंसिक टीम पहुंच चुकी है। उन्हें बहुत सारे सबूत भी मिल चुके हैं। कुछ लिंकअप्स भी मिलें हैं। प्रदशर्न वाली जगहों के कॉल रेकार्डस खंगाले जा रहे हैं। यह मामला अब आंदोलन का नहीं रहा। यह सीधे आतंकवाद का मामला है। जो बचे हुए किसान हैं उन्हें भी घर जाना चाहिए।
यह मामला देश में तख्ता पलट का है
यह मामला देश में तख्ता पलट का है। वे मोदी साहब का तख्ता पलट करना चाहते हैं जिनको १३५ करोड़ की आवादी ने ३०३ सीटें देकर जिताया है। इन आंदोलनकारियों के पास दो पांच हजार लोग हैं । क्या ये तख्ता पलट कर लेंगे? ये ग़लतफ़हमी में हैं। देश का सपोर्ट मोदी के साथ है। देश का मैंडेट मोदी के साथ है। उसकी लोकप्रियता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। देश के वे सभी राजनैतिक पार्टियां जो इस फर्जी आंदोलन के समर्थन में खड़े हैं वे जानते है कि अब बोट से तो आप मोदी को हटा नहीं पाएंगे। चला कू करके ही हटाते हैं।
इस आंदोलन के अगुआ चाहते हैं कि गोली चले। पुलिस की तरफ से चले। और उन लाशों पर वे अपनी राजनैतिक रोटियां सेक सकें। सैल्यूट है पुलिस को कि उसने अत्यधिक धैर्य और संयम का परिचय दिया है।
अब इन फर्ज़ी किसानो के पास एक ही ऑप्सन है कि वे खुद ही गोली चलाए। वे ऐसा भी करेंगे । ऐसा भी समय आएगा। किसानों के भेष में बैठे खालिस्तानी इससे भी गुरेज नहीं करेंगे। तब क्या होगा, मालूम नहीं।
जो सच्चे किसान हैं, वे पहले ही घर जा चुके हैं
जो सच्चे किसान हैं, वे पहले ही घर जा चुके हैं। वे लोग जो खाने और दारू के चक्कर में रुके हैं उनको सलाह है कि भैया, निकल लो। निकलो वहां से । अब वह सेफ नहीं बची। अब वहां का कोई भरोसा नहीं। कल किसने देखा है ?






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