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| Ramesh Makharia (Silk India International Ltd) |
मुंबई: बजट में टेक्सटाइल के लिए कुछ खास नहीं है। सरकार ने ७ टेक्सटाइल पार्क की घोषणा जरूर की, मगर पार्क में बेनीफिट तो इन्होंने कुछ दिया नहीं। सिल्क इंडिया इंटर्नेशनल तथा क्रियेटर्स के डायरेक्टर श्री रमेश माखरिया ने यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि हमलोगों को सरकार से एक सपोर्ट सिस्टम की जरूरत है। हमारे लाइन में सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि डूबत बहुत आ रही है। पार्टियां भाग जाती हैं। उससे आपने यदि गर्मागर्मी कर लिया तो वह अस्पताल में भर्ती हो जाता है और आप पर ही केस डाल देता है। मामला उल्टा हो जाता है। सरकार के पास व्यापारियों के लिए अच्छा सपोर्ट सिस्टम का अभाव है। दुनियां के कई देशों में कोई पैसा मार कर भाग नहीं सकता। वहां सरकार का सपोर्ट सिस्टम मजबूत है। सारा काम बैंक के माध्यम से होता है। तो क्या यहां नहीं हो सकता? सरकार तो देश में सबसे ताकतबर संस्था है। सरकार चाहे तो कुछ भी हो सकता है। तो क्या हम उधार देने वाले उत्पादकों को न्याय नहीं मिल सकता है?
उन्होंने कहा कि इसके अलावा हम व्यापारियों में भी एकता नहीं है। अगर कोई हमरा पैसा नहीं दे, तो हम उसका कुछ नहीं बिगार सकते हैं। अगर सरकार हमे यह सुरक्षा नहीं दे सकती तो हम सरकार को टैक्स क्यों देते हैं? सरकार को बदले में हमे सेफ्टी तो देनी चाहिए। सरकार के लिए यह आसान है। आम आदमी के लिए कठिन है कि वह अपना डूबा पैसा रिकोवर कर ले।
श्री माखरिया ने कहा कि सरकार ने जहां भी पार्क बनाए हैं, वहां न तो उन्होंने रोड अच्छी दी, न लेवर आसानी से मिले ऐसा कोई प्रवंध किया। पार्क में हमे क्या बेनीफिट है? उन्होंने कोई मारकेट बनाकर नहीं दी, कि वहां आकर सरलता से व्यापार हो सके। वहां एक्जीबिशन हो सके। वहां लेबर आए तो उसे सेल्टर मिल सके। कैजुअल्टी हो तो अस्पताल मिल सके।
उन्होंने कहा कि एक बड़ा बिल्डर जब कोलोनी बनाता है तो वह वहां बसने वालों की सभी सुविधाओं का प्रवंध साथ साथ करता है। वह निवास करने वालों को सारे साधन देता है, स्कूल हो, अस्पताल हो, प्लेयिंग ग्राउंड हो या अन्य जरूरियात हों। इसी तरह की सोच टेक्सटाइल पार्क बनाने में भी रखनी चाहिए। तब कहेंगे कि उसने डेव्हलप किया।
श्री माखरिया ने कहा कि सरकार पार्क तो डेक्लेयर कर देती है, मगर उसके साथ अनेक एक्सेसरीज जरूरियात हैं, जो साथ साथ मिलना चाहिए। मगर आप दे क्या रहे हैं? वहां लेवर आरम से पहुंच सके, उसे बसों की सुविधा भी चाहिए, ट्रेन की सुविधा होनी चाहिए, उसे एयर पोर्ट से नजदीक होना चाहिए, तब उस पार्क की कीमत है।
उन्होंने कहा कि सरकार ऐसी जगहों पर पार्क बना रही है जहां पहुंचने में अनेक परेशानी है। और हमे उसके लिए भारी कीमत भी अदा करनी पड़ती है। आप पत्थर को हीरे के भाव में बेच रहे हैं, हम खरीद रहे है। फिर उसे हमे ही डेव्हलप करना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि वहां आने जाने और वहां से माल भेजने का साधन होना चाहिए। तब टेक्सटाइल पार्क की कीमत है। सरकार ने अब तक जितने पार्क बनाए हैं उसमें से कितने सफल हुए हैं?
सरकार को पार्क बनाने के साथ ही एक संपूर्ण रूप से उत्पादन और उत्पाद के विपनण का कलचर भी बनाना चाहिए। उसे आधुनिक रूप से सुसज्जित टेक्सटाइल पार्क बनाना चाहिए। इस चेन में जुड़े सभी लोगों की समस्याओं के समुचित समाधान की योजना बनानी चाहिए। यदि हम उद्यमियों को सरकार का समुचित सहयोग मिलेगा तो हम देश की उनत्ति में बेहतर योगदान दे सकते हैं। हम ज्यादा मजदूरों को काम दे सकते हैं। हमें सरकार के सहयोग और समर्थन की जरूरत है।
श्री माखरिया ने कहा कि व्यापारियों को पार्क की जरूरत सेकेंड्री है। उसकी प्राथमिक जरूरत है कि उसके पैसे की सेफ्टी हो । हम जिनको माल बेचते हैं वे हमे समय पर पैसा चुका दें । यदि वो नहीं दे, तो हम उसके ऊपर एक्शन ले सकें। इससे हमे व्यापार बढ़ने की हिम्मत बढ़ती है।
जब हमारा पैसा डूब जाता है तो एसोसिएशन भी हमारी मदद नहीं कर पाता। वे आरविट्रेशन नहीं करा पाते, एक सर्टिफिकेट हमें थमा देते हैं। अब इसके आधार पर आप कोर्ट कचहरी में केस दाखिल करो। हमारे पास इतना समय नहीं होता कि हम अपना उत्पादन छोड़कर कोर्ट कचहरी और पुलिस के चक्कर लगाएं। व्यापार के लिए यह अच्छा संकेत नहीं है। और सरकार चाहे तो उसके लिए यह काम आसान है। और यह उसका दायित्व भी है।
उसे इस बात को गंभीरता से लेना चाहिए। इसके निदान के लिए मजबूत कानून बनाना चाहिए।






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