Hanuman Prasad Bagadia |
मुंबई: श्री हनुमान प्रसाद बगड़िया मुंबई के टेक्सटाइल से ५२ सालों से जुड़े हैं। वे साल १९६८ से यार्न की एजेंसी कर रहे हैं। वे कॉटन यार्न, पीवी यार्न, पीसी यार्न, पीवी डायड यार्न, पोलिस्टर यार्न, निटिंग, विविंग सहित हर तरह के यार्न का काम काज करते आ रहे हैं। उनका कामकाज मुख्यरूप से वे मुंबई टेक्सटाइल मारकेट, साउथ के टेक्सटाइल मारकेट और एक्सपोर्ट मार्केट में फैला हुआ है। उन्होंने हमेशा इमानदारी के साथ काम किया है। यही उनकी सफलता का रहस्य है। इसी कारण से उनको हमेशा मिलों का सहयोग मिलता रहा है। बायर्स ने उन्हें हमेशा अच्छा सपोर्ट किया है।
अब उनकी लिगेसी उनका पुत्र विवेकानंद बगड़िया सम्हाल रहे हैं। वे गत २६ साल से उसे कैरी फॉरवार्ड करते जा रहे हैं। उनका यार्न शर्टिंग, सूटिंग, फर्निशिंग, टेक्निकल टेक्सटाइल, निटिंग आदि सब के लिए जा रहा है। यह व्यापार पूरी तरह एजेंसी बेस्ड है। वे ब्रोक्रेज अर्थात कमीशन बेसिस पर अपना विजनेस करते हैं।
इसके अलावा श्री हनुमान प्रसाद बगड़िया लक्ष्मी नारायण मंदिर से जुड़ कर समाज सेवा का काम भी करते हैं। वे मंदिर की रोज की देखरेख करते हैं। उन्होंने मुंबई में कई स्थानों पर प्याउ बनवाए, बेंचेज लगवाए। कोविड महामारी के दौरान बाप-बेटे ने समाज की बड़ी सेवा की। गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद करना उनके स्वभाव में निहित है। बीमारी संबधी परेशारिनयों में वे हमेशा जरूरत मंदों की मदद करते हैं।
कोरोना महामारी के कारण अन्य उद्योग के साथ साथ जब टेक्सटाइल उद्योग भी बुरी तरह प्रभावित हुआ तो श्री हनुमानप्रसाद बिहरीलाल बगड़िया ने समय के सकारात्मक पहलू को ढूंढ लिया। एक तरफ जहां ज्यादातर लोग महामारी से बचने के लिए अपने घर में दुबक कर बैठ गए, वहीं श्री बगड़िया अपनी समृद्धि और साधन का उपयोग कर गरीबों की मदद करने में लग गए।
उनका कहना था कि अभी सबसे महत्वपूर्ण है कि हम सभी को आगे आना चाहिए और मौजूदा संकट में गरीबों की मदद करनी चाहिए।
श्री हनुमानप्रसाद बिहरीलाल बगड़िया कोविद महामारी के संकट में सैनिटाइजर, मास्क, गर्म पानी की मशीन और विटामिन सी की गोलियां और भोजन के पैकेट उपलब्ध कराकर जरूरतमंद लोगों की निर्बाध रूप से मदद करते रहे।
वे कहते हैं कि समाज को ऐसे समय में आगे आना चाहिए और राष्ट्र को इस संकट से उबारने में मदद करनी चाहिए। इस तरह हम एक मजबूत भारत का निर्माण कर सकते हैं।
पैत्रिक उपलब्धि
श्री हनुमानप्रसाद बिहरीलाल बगड़िया के पिता श्री बिहारीलाल बगड़िया महान व्यक्ति थे। लोग बताते थे कि वह संत की तरह थे। उनका जीवन भगवान को समर्पित था। श्री बिहारीलाल बगड़िया की एक तस्वीर उनके मूल स्थान पर मंदिर में भक्त और भगवान के रिश्ते के प्रतीक के रूप में रखा गया है।
कर्म ही एकमात्र तरीका है, जिससे हम खुशहाल जीवन का नेतृत्व कर सकते हैं, ऐसा उनका विचार है। वह कहते हैं कि निष्काम कर्म करना और ओम नमो नारायण का जाप करना उन्हें खुशी देता है।
हनुमान प्रसाद बगड़िया की धार्मिक झुकाव
नवलगढ़ राजगृह में 1938 में जन्मे श्री हनुमान प्रसाद बिहारीलाल बगड़िया वर्तमान में लक्ष्मीनारायण मंदिर जेबी नगर मुंबई के दिन प्रतिदिन मामलों की देख रेख करते हैं और विभिन्न सामाजिक गतिविधियों में शामिल रहते हैं।
81 वर्ष की आयु के बावजूद उनका उत्साह और सामाजिक कारणों के लिए काम करना अकल्पनीय है। अभी भी वे 40 वर्षीय व्यक्ति की तरह काम करते हैं।
वे लगभग ५२ वर्षों से कपड़ा उद्योग से जुड़े हुए हैं। अभी भी वे बहुत उत्साह के साथ काम करते हैं। अब उनका व्यापारिक काम काज उनके बेटे श्री विवेकानंद बगड़िया सम्हालते हैं और उनको अधिकांश समय धार्मिक और सामाजिक कार्यों में बीतता है। उनका जीवन लक्ष्मीनारायण मंदिर जेबी नगर वार्डों के प्रति समर्पित है।
किसी भी मौसम में वे पूरी सिद्दत से काम करते हैं और पूरे मनोयोग के साथ और अपने स्वास्थ्य के मुद्दे के बावजूद वे 40 वर्षीय व्यक्ति की तरह काम करते हैं।
उनका कहना है कि मनुष्य को अपने जीवन के आखिरी पड़ाव पर काम को कभी नहीं टालना
चाहिए क्योंकि भगवान ने मनुष्य को इसलिए बनाया है कि हमें सभी
को खुश करके समाज को वापस देने के लिए समान रूप से जिम्मेदार होना चाहिए।
हनुमान प्रसाद बगड़िया के बारे में व्यापारियों की धारणा
श्री हनुमान प्रसाद बिहारीलाल बगड़िया के बारे में उनसे जुड़े कुछ व्यापारियों से मेरी बात हुई। बगड़िया साहब के बारे में उनकी धारणा को उधृत करना इस लेख की पूर्णता के लिए आवश्यक समझता हूं जो निम्नलिखित हैं।
१. मुझे कुछ समाचार पत्र मिले और हमारे श्री हनुमान प्रसाद जी बगड़िया की परोपकारी गतिविधियों के बारे में पढ़कर मुझे खुशी हुई। मुझे 1976 से श्री हनुमान प्रसाद जी बगड़िया का सहयोगी होने का सौभाग्य मिला है और मुझे विभिन्न फाइबर और फिलामेंट्स के सभी प्रकार के काते धागों के विपणन में उनकी शैली और ईमानदारी को स्पष्ट रूप से याद है। उन्होंने उद्योग का विश्वास अर्जित किया। उनके शब्दों को हमेशा हितधारकों द्वारा उच्च मूल्य पर लिया जा रहा है। उन्होंने अपने पेशे में नए मानक बनाए। जरूरतमंद लोगों की मदद करना उनका हमेशा से स्वभाव रहा है। महामारी के इस चुनौतीपूर्ण समय में और 81 वर्ष की आयु के इस समय में वह जो सेवा कर रहे हैं, वह अत्यंत प्रशंसनीय है। चूंकि परोपकारी गतिविधियां हमेशा उनके जीवन का हिस्सा रही हैं, मैं ईश्वर से उनके स्वस्थ और सुखी जीवन की प्रार्थना करता हूं। आदर के साथ!
V. C. MEHTA (SPACEAGE SYNTEX PVT. LTD., MUMBAI, MONOPOLY AGENT OF JAYSHREE TEXTILE
२. EXCELLENT….REALLY I AM INSPIRED OF HIS VIEWS…. ऐसे महान व्यक्तित्व को मेरा शत् शत् प्रणाम। ऐसे लोगों ने ही तो देश को महान बनाया है।
PRHABHAT JHAJE (DIG)
३. बहुत सुंदर... आदरनीय बाऊ जी का जोश और उर्जा हम सबके लिए प्रेरणाश्रोत है..... ईश्वर से प्रार्थना है कि उन्हें हमेशा ऊर्जा एवं उत्साह से भरपूर रखें।
श्री कमल पोद्दार (च्वाइस ग्रुप ऑफ
कंपनीज, मुंबई)
४. श्री बागडिया जी को मैं सन् १९७८ से जानता हूं। उनसे मेरे संबंध कार्य को छोड़ एक मित्र के रूप में अधिक हैं। वे बहुत सरल और निष्ठावान स्वभाव के व्यक्ति हैं। मैं जब कभी मुंबई आता हूं, वे पूरा पूरा दिन मेरे साथ बिताते हैं। इस उम्र में भी उनकी दीन दुखियों के प्रति सेवा भाव से भरे गतिविधियों के बारे में पता चला। बहुत प्रसन्नता हुयी । भगवान उन्हें स्वस्थ रखे।
श्री आर एन गुप्ता (टेक्सटाइल
उद्यमी लुधियाना)
५. ८१ साल के इस उम्र में भी इस प्रकार सक्रिय रहना , वास्तव में किसी दैवीय शक्ति का आशीर्वाद है। उनकी कर्मठता, मंदिर के कामों में उनका सक्रिय रहना , गरीबों की सेवा , टेक्सटाइल इंडस्ट्री में उनका समर्पन, सब कुछ अभिनंदन योग्य है। मेरी बाऊ जी से मिलने की हमेशा चाह रहती है एवं उनसे बहुत कुछ सीखने की इच्छा रहती है। मैं श्री बागडिया के आदर्शों को शत् शत् नमन करता हूं।
सुनील टिबरेबाल (क्यूमेक्स वर्ल्ड
यूनिफॉर्म)
६. आज हमलोग भगवान को नहीं देखते हैं किंतु सुनते हैं कि भगवान का नाम बहुत बड़ा होता है। वे हर असहाय की सहायता करते हैं। हर विपत्ति में वे सबके साथ खड़े रहते हैं। आज इस कलयुग में जिस व्यक्ति यह सब गुण होते हैं, मेरा मानना है कि वही परमात्मा का रूप है। आज अंकल जी परमात्मा का ही रूप हैं, जो इस समय पर सबके लिए सोचते हैं। अंकल जी जितने अच्छे इंसान हैं, उनके उतने ही अच्छे पुत्रगण भी हैं,जो उनके पूजनीय पिताजी के रास्ते पर चल रहे हैं। हर जरूरतमंद इंसान की मदद कर रहे हैं। मेरा अंकल जी को शत् शत् वंदन।
प्रेम शर्मा (आयुवेदिक डिपार्टमेंट, आसाम)
विवेकानंद बगड़िया परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं
उनके पुत्र श्री विवेकानंद बगड़िया भी अपने पिता के नक्शेकदम पर चल रहे हैं। वे न सिर्फ अपने पिता के कारोबार को आगे बढ़ा रहे हैं बल्कि पिता के परोपकार की परंपरा को भी आगे बढ़ा रहे हैं।
आज कोविद महामारी के कारण सारा देश एक कठिन दौर से गुजर रहा है। सरकार ने तो इस कठिन दौर का सामना बेहद दक्षता के साथ लिया । ऐसे में अनेक लोगों ने निजी स्तर पर अपनी हैसियत और क्षमता के अनुसार मानव कल्यान का बीरा उठाया। इसी कड़ी में एक नाम है श्री विवेकानंद बगड़िया का भी है।
ऐसे कठिन कोविद महामारी के समय में जब ज्यादातर लोग अपनी जान बचाने की नीयत से अपने घर में दुबक कर बैठे हैं, श्री बगड़िया ने आगे आकर मानव कल्याण के लिए सैनिटाइजर, मास्क, हैंड ग्लव्स, मल्टीविटामिन, गर्म पानी की मशीन, फूड ग्रेन किट दान कर मानवता को नमन किया है। वे भोजन कार्यक्रम और कई अन्य चीजों में मजबूर लोगों की मदद कर रहे हैं।
श्री विवेकानंद बगड़िया एक कुशल टेक्सटाइल उद्यमी हैं और अपने सामाजिक कामकाज और परोपकार के कारण और साथ ही अपने विनम्र स्वभाव के लिए वे मुंबई के प्रसिद्ध व्यक्तित्व में से एक है
वे कम उम्र से ही परोपकारिता के काम के लिए बहुत सक्रिय थे और आम तौर पर समाज की मदद करने के लिए सामाजिक रूप से बहुत जिम्मेदार व्यक्ति हुआ करते थे। वे और लोगों की मदद करने में कभी पीछे नहीं रहे। पूर्व में उन्होंने परोपकार के अनेक काम किए जिस कारण मुंबई के समाज में वे एक परोपकारी और सम्मानित व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं।
उन्होंने मिशन कश्मीर मदद के लिए भारत मर्चेंट चैंबर का प्रतिनिधित्व किया था, जिसमें उन्होंने अपने दोस्त नीलेश के साथ बाढ़ के दौरान कशमीर का दौरा किया और कशमीर के लोगों की मदद की।
श्री विवेकानंद बगड़िया ने कहा कि समाज और मानवता के लिए काम करना हर एक का कर्तव्य होना चाहिए क्योंकि यह हर नागरिक की नैतिक जिम्मेदारी है और सभी को ऐसे कठिन समय में लोगों की भलाई के लिए जो कुछ भी जरूरी है वह योगदान उसे करना ही चाहिए।
उनका मानना है कि इस तरह के विनम्र अनुशीलन और प्रकृति की मदद करना एक अच्छा काम है। समाज के प्रति उनकी आस्था और सेवा केवल ईश्वर की सेवा और ईश्वर में आस्था है

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